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बाघ ही नहीं गिद्ध संरक्षण में भी मध्य प्रदेश देश में अव्वल, फरवरी और अप्रैल में होगी गिद्धों की गणना - एमपी गिद्धों की गणना

मध्य प्रदेश में गिद्धों की गणना की जाएगी. जिसके लिए वर्कशॉप, ट्रेनिंग शुरू हो गई है. बताया जा रहा है कि इस बार दो बार यानि की फरवरी और अप्रैल में गिद्धों की गणना की जाएगी. माना जा रहा है कि इस बार गिद्ध संरक्षण में भी एमपी पहला स्थान हासिल कर सकता है.

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मध्य प्रदेश में गिद्धों की गणना
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By ETV Bharat Madhya Pradesh Team

Published : Jan 19, 2024, 10:36 PM IST

Updated : Jan 23, 2024, 5:24 PM IST

गिद्ध संरक्षण में भी मध्य प्रदेश देश में अव्वल

सागर। देश के दिल मध्य प्रदेश के लिए प्रकृति ने भरपूर सौगातें दी है. यहां सबसे ज्यादा जंगल है, तो इन जंगलों में वन्यप्राणियों की भरपूर तादाद है. बाघ संरक्षण के मामले में देश और दुनिया में मशहूर मध्य प्रदेश प्रकृति के सफाईकर्मी कहे जाने वाले गिद्धों के संरक्षण में भी अहम भूमिका निभा रहा है. इसी कड़ी में पूरे एमपी में गिद्धों की गणना की तैयारी बड़ी तेजी से चल रही है. खास बात ये है कि इस बार एक नहीं दो बार गणना होगी. पहली गणना फरवरी और दूसरी गणना अप्रैल माह में होगी. हाल ही में टाइगर रिजर्व का दर्जा हासिल करने वाले नौरादेही में सात प्रजाति के गिद्ध पाए जाते हैं और पिछली बार 300 से ज्यादा गिद्धों के साथ एमपी में तीसरा स्थान हासिल हुआ था. अब उम्मीद है कि गिद्ध संरक्षण में टाइगर रिजर्व पहला स्थान हासिल कर सकता है.

एमपी में फरवरी और अप्रैल में होगी गिद्धों की गणना

मध्य प्रदेश का वन विभाग गिद्धों की गणना की तैयारियों में जुटा है. प्रदेश भर में गिद्धों की गणना के लिए वर्कशाप, ट्रेनिंग और जागरूकता के आयोजन किए जा रहे हैं. प्रदेश में गिद्धों की गणना का सिलसिला 2016 से शुरू हुआ. अब तक सिर्फ एक बार फरवरी माह में गणना की जाती थी, लेकिन इस बार फरवरी और अप्रैल माह में दो बार गिद्धों की गणना की जाएगी. दरअसल ठंड के सीजन में प्रवासी पक्षी के तौर पर उत्तर भारत और हिमालय के अलावा दूर देशों से भारी संख्या में गिद्ध पहुंचते हैं. इसलिए उनकी गणना फरवरी माह में भी की जाएगी. ताकि प्रवासी पक्षी के तौर पर आने वाले गिद्धों को गिना जा सके.

Rani Durgavati Tiger Reserve
रानी दुर्गावती टाइगर रिजर्व

इसके पहले 2021 में गिद्धों की गणना हुई थी. अगले महीने होने वाली गणना के लिए वर्कशाप और ट्रेनिंग प्रोग्राम चल रहे हैं. इसके अलावा गिद्धों के घोसलों की पहचान की जा रही है. ताकि तीन दिन तक चलने वाली गणना में वनकर्मियों को आसानी हो.

गिद्धों की गणना की तैयारी

हाल ही में रानी दुर्गावती टाइगर रिजर्व के रूप में अधिसूचित हुए नौरादेही वन्यजीव अभ्यारण्य में 2021 में गिद्धों की गणना हुई थी. तब नौरादेही में 300 से ज्यादा गिद्ध पाए गए थे और नौरादेही को मध्य प्रदेश में तीसरा स्थान हासिल हुआ था. इस बार गिद्धों की संख्या बढ़ने की उम्मीद है, क्योंकि टाइगर रिजर्व में हो रहे विस्थापन से नौरादेही की आवोहवा में इंसानी दखल कम हुआ और इस साल भारी संख्या में गिद्ध पहुंचे है. बताया जा रहा है कि इस बार सातों प्रजातियों के गिद्ध टाइगर रिजर्व में दिखाई दे रहे हैं. टाइगर रिजर्व के सिंगपुर, कौंच, मोहली, झापन और तिदनी में बड़ी संख्या में गिद्ध नजर आ रहे हैं. करीब 26 स्थान ऐसे हैं. जहां गिद्धों के घोसले पाए गए हैं.

माना जा रहा है कि गिद्धों की संख्या 15 से 20 फीसदी तक बढ़ सकती है. टाइगर रिजर्व तीसरे पायदान से ऊपर छलांग ला सकता है. तीन जिलों सागर, दमोह और नरसिंहपुर तक फैले रानी दुर्गावती टाइगर रिजर्व में 125 वनकर्मी गणना के लिए प्रशिक्षित किए गए हैं.

सात प्रजाति के गिद्ध हैं टाइगर रिजर्व में

रानी दुर्गावती टाइगर रिजर्व में सात प्रजाति के गिद्ध देखे गए हैं. जिनमें चार स्थानीय प्रजातियां और तीन बाहरी प्रजातियां है. स्थानीय प्रजातियों में सफेद गिद्ध, राज गिद्ध, चमर गिद्ध के अलावा इंडियन वल्चर स्थाई रूप से निवास करते हैं. ठंड के सीजन में हिमालयन, यूरेशियन और दूसरी प्रजातियों के गिद्ध भी आ जाते हैं. पिछली सालों की अपेक्षा इस साल गिद्धों की संख्या बढ़ने के पीछे प्रबंधन का मानना है कि टाइगर रिजर्व में बाघों का कुनबा बढने के साथ-साथ गिद्धों की संख्या बढ रही है.

Vulture count in MP
एमपी में होगी गिद्धों की गणना

यहां पढ़ें...

दरअसल बाघ के शिकार के बाद जो अवशेष बचता है, वो गिद्ध भोजन के रूप में उपयोग करता है. बाघों की संख्या 19 पहुंचने से बाघ द्वारा किए जाने वाले शिकार की संख्या बढ़ी है और गिद्धों को आसानी से भोजन मिल रहा है. इसलिए गिद्ध टाइगर रिजर्व में स्थायी घोसला भी बना रहे हैं.

क्या कहना है प्रबंधन का

डिप्टी डायरेक्टर डाॅ ए ए अंसारी कहते हैं कि वनविभाग 2016 से गिद्धों की गणना करता आ रहा है. पिछली बार तक सिर्फ एक बार गणना की जाती थी, लेकिन इस बार साल में दो बार गणना की जाएगी, क्योंकि ठंड के सीजन में बाहरी प्रजातियां भी आती है. 2023-24 की गिद्ध की गणना के लिए घोसलों की पहचान हम पहले ही कर चुके हैं. करीब 26 जगहों पर गिद्धों के घोसले पाए गए हैं. पहली गणना फरवरी और दूसरी गणना अप्रैल महीने में होगी. जो तीन-तीन दिन तक चलेगी. केवल बैठे हुए गिद्दों की गणना की जाएगी. फिलहाल पिछले सालों की अपेक्षा इस साल गिद्धों को घोसलों की संख्या बढ़ी है.

गिद्ध संरक्षण में भी मध्य प्रदेश देश में अव्वल

सागर। देश के दिल मध्य प्रदेश के लिए प्रकृति ने भरपूर सौगातें दी है. यहां सबसे ज्यादा जंगल है, तो इन जंगलों में वन्यप्राणियों की भरपूर तादाद है. बाघ संरक्षण के मामले में देश और दुनिया में मशहूर मध्य प्रदेश प्रकृति के सफाईकर्मी कहे जाने वाले गिद्धों के संरक्षण में भी अहम भूमिका निभा रहा है. इसी कड़ी में पूरे एमपी में गिद्धों की गणना की तैयारी बड़ी तेजी से चल रही है. खास बात ये है कि इस बार एक नहीं दो बार गणना होगी. पहली गणना फरवरी और दूसरी गणना अप्रैल माह में होगी. हाल ही में टाइगर रिजर्व का दर्जा हासिल करने वाले नौरादेही में सात प्रजाति के गिद्ध पाए जाते हैं और पिछली बार 300 से ज्यादा गिद्धों के साथ एमपी में तीसरा स्थान हासिल हुआ था. अब उम्मीद है कि गिद्ध संरक्षण में टाइगर रिजर्व पहला स्थान हासिल कर सकता है.

एमपी में फरवरी और अप्रैल में होगी गिद्धों की गणना

मध्य प्रदेश का वन विभाग गिद्धों की गणना की तैयारियों में जुटा है. प्रदेश भर में गिद्धों की गणना के लिए वर्कशाप, ट्रेनिंग और जागरूकता के आयोजन किए जा रहे हैं. प्रदेश में गिद्धों की गणना का सिलसिला 2016 से शुरू हुआ. अब तक सिर्फ एक बार फरवरी माह में गणना की जाती थी, लेकिन इस बार फरवरी और अप्रैल माह में दो बार गिद्धों की गणना की जाएगी. दरअसल ठंड के सीजन में प्रवासी पक्षी के तौर पर उत्तर भारत और हिमालय के अलावा दूर देशों से भारी संख्या में गिद्ध पहुंचते हैं. इसलिए उनकी गणना फरवरी माह में भी की जाएगी. ताकि प्रवासी पक्षी के तौर पर आने वाले गिद्धों को गिना जा सके.

Rani Durgavati Tiger Reserve
रानी दुर्गावती टाइगर रिजर्व

इसके पहले 2021 में गिद्धों की गणना हुई थी. अगले महीने होने वाली गणना के लिए वर्कशाप और ट्रेनिंग प्रोग्राम चल रहे हैं. इसके अलावा गिद्धों के घोसलों की पहचान की जा रही है. ताकि तीन दिन तक चलने वाली गणना में वनकर्मियों को आसानी हो.

गिद्धों की गणना की तैयारी

हाल ही में रानी दुर्गावती टाइगर रिजर्व के रूप में अधिसूचित हुए नौरादेही वन्यजीव अभ्यारण्य में 2021 में गिद्धों की गणना हुई थी. तब नौरादेही में 300 से ज्यादा गिद्ध पाए गए थे और नौरादेही को मध्य प्रदेश में तीसरा स्थान हासिल हुआ था. इस बार गिद्धों की संख्या बढ़ने की उम्मीद है, क्योंकि टाइगर रिजर्व में हो रहे विस्थापन से नौरादेही की आवोहवा में इंसानी दखल कम हुआ और इस साल भारी संख्या में गिद्ध पहुंचे है. बताया जा रहा है कि इस बार सातों प्रजातियों के गिद्ध टाइगर रिजर्व में दिखाई दे रहे हैं. टाइगर रिजर्व के सिंगपुर, कौंच, मोहली, झापन और तिदनी में बड़ी संख्या में गिद्ध नजर आ रहे हैं. करीब 26 स्थान ऐसे हैं. जहां गिद्धों के घोसले पाए गए हैं.

माना जा रहा है कि गिद्धों की संख्या 15 से 20 फीसदी तक बढ़ सकती है. टाइगर रिजर्व तीसरे पायदान से ऊपर छलांग ला सकता है. तीन जिलों सागर, दमोह और नरसिंहपुर तक फैले रानी दुर्गावती टाइगर रिजर्व में 125 वनकर्मी गणना के लिए प्रशिक्षित किए गए हैं.

सात प्रजाति के गिद्ध हैं टाइगर रिजर्व में

रानी दुर्गावती टाइगर रिजर्व में सात प्रजाति के गिद्ध देखे गए हैं. जिनमें चार स्थानीय प्रजातियां और तीन बाहरी प्रजातियां है. स्थानीय प्रजातियों में सफेद गिद्ध, राज गिद्ध, चमर गिद्ध के अलावा इंडियन वल्चर स्थाई रूप से निवास करते हैं. ठंड के सीजन में हिमालयन, यूरेशियन और दूसरी प्रजातियों के गिद्ध भी आ जाते हैं. पिछली सालों की अपेक्षा इस साल गिद्धों की संख्या बढ़ने के पीछे प्रबंधन का मानना है कि टाइगर रिजर्व में बाघों का कुनबा बढने के साथ-साथ गिद्धों की संख्या बढ रही है.

Vulture count in MP
एमपी में होगी गिद्धों की गणना

यहां पढ़ें...

दरअसल बाघ के शिकार के बाद जो अवशेष बचता है, वो गिद्ध भोजन के रूप में उपयोग करता है. बाघों की संख्या 19 पहुंचने से बाघ द्वारा किए जाने वाले शिकार की संख्या बढ़ी है और गिद्धों को आसानी से भोजन मिल रहा है. इसलिए गिद्ध टाइगर रिजर्व में स्थायी घोसला भी बना रहे हैं.

क्या कहना है प्रबंधन का

डिप्टी डायरेक्टर डाॅ ए ए अंसारी कहते हैं कि वनविभाग 2016 से गिद्धों की गणना करता आ रहा है. पिछली बार तक सिर्फ एक बार गणना की जाती थी, लेकिन इस बार साल में दो बार गणना की जाएगी, क्योंकि ठंड के सीजन में बाहरी प्रजातियां भी आती है. 2023-24 की गिद्ध की गणना के लिए घोसलों की पहचान हम पहले ही कर चुके हैं. करीब 26 जगहों पर गिद्धों के घोसले पाए गए हैं. पहली गणना फरवरी और दूसरी गणना अप्रैल महीने में होगी. जो तीन-तीन दिन तक चलेगी. केवल बैठे हुए गिद्दों की गणना की जाएगी. फिलहाल पिछले सालों की अपेक्षा इस साल गिद्धों को घोसलों की संख्या बढ़ी है.

Last Updated : Jan 23, 2024, 5:24 PM IST
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