पटना: छठे चरण के चुनाव के लिए बिहार में 8 सीटों पर वोटिंग होगी. वाल्मीि नगर, पश्चिमी चंपारण, पूर्वी चंपारण, शिवहर, वैशाली, गोपालगंज(सु) सीवान और महाराजगंज लोकसभा क्षेत्र में मतदाता अपने मताधिकार का प्रयोग करेंगे. 2019 लोकसभा चुनाव में इन सभी सीटों पर एनडीए का कब्जा था.
किस दल के कितने प्रत्याशी मैदान में: छठे चरण के चुनाव में जिन 8 सीटों पर चुनाव हो रहा है उसमें बीजेपी तीन, जदयू चार और लोजपा रामविलास एक सीट पर चुनाव लड़ रहा है. भाजपा जिस सीटों पर चुनाव लड़ रही है उसमें पूर्वी चंपारण, पश्चिमी चंपारण और महाराजगंज सीट है. जेडीयू वाल्मीकीनगर गोपालगंज सिवान और शिवहर सीट पर चुनाव लड़ रही है. लोजपा रामविलास के खाते में वैशाली की सीट है.
वाल्मीकिनगर लोकसभा सीट: वाल्मीकिनगर लोकसभा क्षेत्र से जेडीयू ने वर्तमान सांसद सुनील कुमार को अपना प्रत्याशी बनाया है. राजद ने सुनील कुमार के मुकाबले दीपक यादव को इस बार अपना प्रत्याशी बनाया है. वहीं दीपक यादव 2019 का लोकसभा चुनाव बीएसपी के टिकट से भी लड़ चुके हैं.
सुनील कुशवाहा Vs दीपक यादव: वाल्मीकिनगर लोकसभा क्षेत्र में सबसे ज्यादा ढाई लाख ब्राह्मण वोटरों की संख्या है. 2014 लोकसभा चुनाव में बीजेपी से सतीश दुबे यहां से सांसद चुने गए थे लेकिन 2019 में यह सीट फिर से जदयू के खाते में चली गई.बैद्यनाथ प्रसाद महतो चुनाव जीते थे, लेकिन उनके निधन के बाद उपचुनाव में उनके पुत्र सुनील कुमार चुनाव जीत कर सांसद बने थे.
वोटरों को अपने पाले में लाने की कोशिश: जदयू ने एक बार फिर से उनको अपना उम्मीदवार बनाया है लेकिन इस बार मुकाबला कांटे का दिख रहा है. जदयू प्रत्याशी को सवर्ण वोटरों के अलावे पिछड़ा एवं अति पिछड़ा वोट पर नजर है. वहीं राजद प्रत्याशी दीपक यादव को राजद के माय समीकरण भरोसा है. इसके अलावा आरजेडी इस बार थारू जनजाति के वोटरों को अपने पाले में लगाने की पूरी कोशिश कर रही है. एनडीए वोट बैंक में किसी तरीके का बिखराव नहीं होने के कारण जदयू प्रत्याशी का पलड़ा यहां भारी दिख रहा है.
वाल्मीकिनगर में किसका पलड़ा भारी?: वरिष्ठ पत्रकार सुनील पांडे का मानना है कि वाल्मीकिनगर में जदयू प्रत्याशी सुनील कुमार का पलड़ा भारी दिख रहा है. राजद के प्रत्याशी दीपक यादव चीनी मिल के मालिक हैं और गन्ना किसान भुगतान को लेकर उनसे नाराज चल रहे हैं. दूसरी तरफ बगहा जिला परिषद अध्यक्ष के चुनाव में मुसलमान प्रत्याशी के साथ नहीं देने के कारण कुछ मुस्लिम वर्ग भी इसे नाराज चल रहे हैं. वहीं दूसरी तरफ एनडीए के वोट बैंक में किसी तरीके का बिखराव नहीं दिख रहा है जिसका सीधा लाभ जदयू प्रत्याशी को होगा.
पश्चिमी चंपारण लोकसभा सीट: पश्चिमी चंपारण लोकसभा सीट से बीजेपी ने अपने निवर्तमान सांसद संजय जायसवाल को एक बार फिर से टिकट दिया है. इस बार उनका मुकाबला कांग्रेस से मदन मोहन तिवारी से है. संजय जयसवाल लगातार तीन बार से पश्चिम चंपारण लोकसभा सीट से सांसद चुने जा रहे हैं.
संजय जायसवाल Vs मदन मोहन तिवारी : लगातार चौथी जीत के लिए इस बार वह पूरा जोर लगाए हुए हैं. कांग्रेस ने वहां से मदन मोहन तिवारी को अपना उम्मीदवार बनाया है. ब्राह्मण चेहरा होने के कारण उनको वहां कुछ राजनीतिक लाभ होता दिख रहा है. राजद के माई समीकरण के साथ-साथ मदन मोहन तिवारी की नजर सवर्ण वोट पर भी है.
आसान नहीं संजय जायसवाल की राह: लगातार तीन बार से सांसद होने के कारण लोगों के मन में सांसद के काम को लेकर कुछ असंतोष है. लोगों से नहीं मिलने का भी आरोप लग रहा है. वहीं कांग्रेस प्रत्याशी मदन मोहन तिवारी की छवि आम लोगों के साथ मिलने जुलने की रही है. जिसका राजनीतिक लाभ इस चुनाव में उनको मिलते हुए दिख रहा है. यही कारण है कि इस चुनाव में संजय जायसवाल की मुश्किलें बढ़ती हुई दिख रही है.
कांग्रेस ने चला ब्राह्मण उम्मीदवार का दांव: वरिष्ठ पत्रकार रवि उपाध्याय का कहना है कि संजय जयसवाल तीन बार से लगातार वहां सांसद चुने जा रहे हैं. स्थानीय लोगों में उनको लेकर कुछ नाराजगी है. भूमिहार वोट में सेंधमारी ना हो इसीलिए बीजेपी ने यूट्यूब मनीष कश्यप को पार्टी में शामिल करवाया. लेकिन कांग्रेस ने इस बार ब्राह्मण को वहां पर उम्मीदवार बनाया है.
"यही कारण है कि संजय जयसवाल की मुश्किलें इस बार बहुत बढ़ती हुई दिख रही है. कांग्रेस प्रत्याशी के पक्ष में आरजेडी का MY समीकरण के अलावे ब्राह्मण और मल्लाह वोटों पर भी नजर है. इस बार पश्चिमी चंपारण में दोनों प्रत्याशियों के बीच बहुत ही नजदीकी मुकाबला देखने को मिल सकता है."-रवि उपाध्याय, वरिष्ठ पत्रकार
पूर्वी चंपारण लोकसभा सीट: पूर्वी चंपारण को बीजेपी का सबसे सेफ सीट माना जाता रहा है. पूर्वी चंपारण सीट से बीजेपी ने एक बार फिर से चुनावी मैदान में राधा मोहन सिंह को उतारा है. पूर्वी चंपारण सीट से राधा मोहन सिंह 6 बार सांसद चुने जा चुके हैं. पिछले तीन चुनाव से लगातार सांसद बन रहे हैं.
राधामोहन सिंह Vs राजेश कुशवाहा: 74 साल के राधा मोहन सिंह इस बार अपने राजनीति की आखिरी पारी सातवीं बार जीत के साथ खत्म करने को उतरे हैं. इस बार उनका मुकाबला VIP पार्टी के राजेश कुमार से है. कुशवाहा जाति के राजेश कुमार की पकड़ अपनी जाति में अच्छी है. राजद का माय समीकरण के साथ-साथ कुशवाहा और मल्लाह वोटरों पर भी नजर है. राधा मोहन सिंह को सवर्ण वोट के साथ-साथ पिछड़ा एवं अति पिछड़ा वोट मिलने का उम्मीद है.
क्या कहते हैं एक्सर्ट: वरिष्ठ पत्रकार सुनील पांडेय का मानना है कि सवर्ण मतदाता एकजुट दिख रहे हैं. विपक्ष की तरफ से जो प्रत्याशी हैं वह कुशवाहा जाति से हैं. यदि कुशवाहा जाति का वोट राधा मोहन सिंह के खिलाफ पड़ता है तो उनको परेशानी हो सकती है. इसके अलावा कुछ वैश्य वोटरों की भी नाराजगी उनके प्रति है. लेकिन राधा मोहन सिंह राजनीति के मंझे हुए खिलाड़ी हैं. उनको पता है कि रूठे हुए वोटरों को कैसे मनाना है. यदि रूठे हुए वोटरों को वह मनाने में कामयाब नहीं होते हैं तब उनके लिए कुछ परेशानी हो सकती है.
शिवहर लोकसभा सीट: लगातार तीन बार की सांसद रमा देवी द्वारा जीता हुआ सीट इस बार बीजेपी ने जदयू को दे दिया है. जदयू ने इस सीट से बाहुबली आनंद मोहन की पत्नी लवली आनंद को अपना उम्मीदवार बनाया है. वैश्य समुदाय से आने वाली रितु जायसवाल को आरजेडी ने अपना उम्मीदवार बनाया है. शिवहर की गिनती बिहार के गिने चुने पिछड़े जिलों में होती है, जहां अभी भी आधारभूत संरचना की बहुत कमी देखने को मिलती है.
लवली आनंद Vs रितु जायसवाल: बाहुबली आनंद मोहन की पत्नी लवली आनंद भले ही चुनावी मैदान में है लेकिन असली लड़ाई आनंद मोहन लड़ रहे हैं. यही कारण है कि राजद की प्रत्याशी रितु जायसवाल हर जगह कहती रहती हैं कि उनका असली मुकाबला लवली आनंद से नहीं आनंद मोहन से है. रितु जायसवाल इस बार पहली बार लोकसभा का चुनाव लड़ रही हैं लेकिन उनको राजद के परंपरागत माय वोटरों के अलावे वैश्य समुदाय के वोटरों पर भी भरोसा है.
"शिवहर में जदयू की लवली आनंद का सीधा मुकाबला राजद की रितु जयसवाल से है. वैसे वहां पर ओवैसी की पार्टी ने पहली बार राजपूत को अपना उम्मीदवार बनाया है, लेकिन इसके बावजूद वहां सीधा मुकाबला राजद और जदयू के प्रत्याशी के बीच में है. जदयू प्रत्याशी को सवर्ण वोटरों के अलावे पिछड़ा एवं अति पिछड़ा वोट पर है. शिवहर की लड़ाई इस बार बहुत ही कठिन होती दिख रही है."-रवि उपाध्याय, वरिष्ठ पत्रकार
महाराजगंज लोकसभा सीट: महाराजगंज लोकसभा क्षेत्र को बिहार में राजपूतों का दूसरा चितौड़गढ़ कहा जाता है. यहां राजपूत वोटों की आबादी सबसे ज्यादा है. बीजेपी ने यहां से एक बार फिर अपने निवर्तमान सांसद जनार्दन सिंह सिग्रीवाल को अपना उम्मीदवार बनाया है. वहीं कांग्रेस ने इस बार उनके मुकाबले आकाश सिंह को अपना उम्मीदवार बनाया है. प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष अखिलेश सिंह के पुत्र हैं और भूमिहार जाति से आते हैं.
महाराजगंज सीट पर राजनीतिक विश्लेषक की राय: राजनीतिक विश्लेषक संजय कुमार का कहना है कि महाराजगंज में भी कांटे का मुकाबला है. भूमिहार वोट के आकाश सिंह के साथ चले जाने की स्थिति में जनार्दन सिंह सिग्रीवाल की मुश्किलें बढ़ सकती है. वैसे सारण की घटना के बाद जातीय ध्रुवीकरण होता है तब यह देखना होगा कि भूमिहार का वोट सिग्रीवल के पक्ष में कितना जाता है. सवर्ण वोटरों के बिखराव की स्थिति में सिग्रीवाल की परेशानी बढ़ सकती है.
गोपालगंज(सु) लोकसभा सीट: गोपालगंज लोकसभा क्षेत्र के इस बार फिर से जेडीयू ने अपने सांसद डॉक्टर आलोक कुमार सुमन को टिकट दिया है. उनके मुकाबले मुकेश सहनी की VIP पार्टी ने प्रेमनाथ चंचल को अपना उम्मीदवार बनाया है. गोपालगंज सीट से पिछले तीन चुनाव से लगातार एनडीए के प्रत्याशी की जीत होती रही हैं.
गोपालगंज में जेडीयू का पलड़ा भारी: वरिष्ठ पत्रकार सुनील पांडेय का कहना है कि वर्तमान सांसद से लोग खुश नहीं है. फिर भी नरेंद्र मोदी के नाम पर इनको वोट मिलता दिख रहा है. वीआईपी के जो प्रत्याशी है वह नए चेहरा हैं. लोगों में उनकी कोई अपनी छवि नहीं है. यही कारण है कि जदयू प्रत्याशी का पलड़ा यहां भारी दिख रहा है.
वैशाली लोकसभा सीट: वैशाली लोकसभा सीट लोजपा रामविलास के खाते में गई है. चिराग पासवान ने एक बार फिर से वर्तमान सांसद वीणा देवी को अपना उम्मीदवार बनाया है. वह दूसरी बार सांसद बनने के लिए पूरी ताकत से जोड़ लगाई हुई हैं. इस बार वीणा देवी के खिलाफ राजद ने बाहुबली विजय कुमार शुक्ला उर्फ मुन्ना शुक्ला को अपना प्रत्याशी बनाया है.वैशाली लोकसभा क्षेत्र में भूमिहार एवं राजपूत वोटरों की संख्या अधिक हैं, लेकिन 2024 के चुनाव में यहां सवर्ण वोटरों में बिखराव देखने को मिल रहा है. भूमिहार वोटरों झुकाव इस बार मुन्ना शुक्ला के तरफ दिख रहा है.
वीणा बचा पाएंगी सीट पर क्या बोले विश्लेषक: राजनीतिक विश्लेषक डॉ संजय कुमार का कहना है कि वैशाली के चुनाव में इस बार सवर्ण वोटरों में भी खराब साफ दिख रहा है. मुन्ना शुक्ला के पक्ष में भूमिहार समुदाय के लोग खुलकर साथ आ रहे हैं. वहीं राजद के वोट बैंक के साथ-साथ मल्लाह वोट उनको मिलता दिख रहा है, जिसका नुकसान वीणा देवी को हो सकता है. यह निर्भर करता है कि मुन्ना शुक्ला कितना भूमिहार वोट अपने पक्ष में कर पाते हैं.
हिना ने बनाया मुकाबला दिलचस्प: 2024 लोकसभा चुनाव में जदयू ने कविता सिंह का टिकट काटकर विजयलक्ष्मी को अपना उम्मीदवार बनाया. वहीं राजद ने अवध बिहारी चौधरी को अपना उम्मीदवार बनाया है. सिवान की लड़ाई को शहाबुद्दीन की पत्नी हिना शहाब ने दिलचस्प बना दिया. 2024 में सिवान की लड़ाई त्रिकोणात्मक हो गई है.
सिवान सीट पर एक्सपर्ट की राय: वरिष्ठ पत्रकार रवि उपाध्याय का कहना है कि सिवान में जदयू के प्रत्याशी का मुख्य मुकाबला हिना शहाब से ही होगा. रवि उपाध्याय का कहना है कि सिवान में ब्राह्मण वोटरों की संख्या अधिक है और जदयू ने कुशवाहा प्रत्याशी वहां से खड़ा किया है. जदयू प्रत्याशी का पलड़ा भारी दिख रहा है. वैसे कविता सिंह के टिकट कटने से राजपूत वोटरों में कुछ नाराजगी देखने को मिल रही है.
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