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भारत की मुश्किलें बढ़ीं, पड़ोसी देशों पर टूटा संकटों का पहाड़, श्रीलंका से लेकर पाकिस्तान तक 'अशांति' - Troubles in Neighbouring countries

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By ETV Bharat Hindi Team

Published : Aug 6, 2024, 3:45 PM IST

Volatile Neighbours Of India: भारत के जितने भी पड़ोसी देश हैं, इस समय वे किसी न किसी संकटों का सामना कर रहे हैं. इनमें नेपाल, श्रीलंका, मालदीव और पाकिस्तान शामिल हैं. श्रीलंका भी वित्तीय संकट से गुजर रहा है, जबकि मालदीव पर ऋण संकट मंडरा रहा है.

भारत के पड़ोसी देशों में अस्थिरता
भारत के पड़ोसी देशों में अस्थिरता (ETV Bharat Graphics)

नई दिल्ली: बांग्लादेश में शेख हसीना के इस्तीफे की मांग को लेकर छात्रों के नेतृत्व में शुरू हुआ यह आंदोलन व्यापक हिंसा में बदल गया है. इस बीच सोमवार को शेख हसीना ने ढाका छोड़ना पड़ा और वह भारत पहुंच गई, जबकि प्रदर्शनकारी छात्र गणभवन (बांग्लादेश का पीएम आवास) में घुस गए. इस दौरान प्रदर्शनकारियों ने वहां तोड़फोड़ और जमकर लूटपाट की.

शेख हसीना के देश छोड़ने के बाद सेना प्रमुख जनरल वकार-उज-जमानने अंतरिम सराकर बनाने की ऐलान कर दिया है. हालांकि, शेख हसीना के देश छोड़ने के बाद बांग्लादेश में राजनीतिक संकट गहरा गया है. वैसे यह पहला मौका नहीं है, जहां भारत के किसी पड़ोसी देश में राजनीति संकट देखने को मिला हो बांग्लादेश से पहले भी कई देशों में अस्थिरता हो चुकी है. इनमें नेपाल, श्रीलंका और पाकिस्तान शामिल हैं.

श्रीलंका में इकोनॉमिक क्राइसिस
बांग्लादेश से पहले श्रीलंका में उस समय राजनीतिक उथल-पुथल मच गई थी, जब 2022 में आर्थिक संकट राजनीतिक संकट में बदल गया. इस दौरान श्रीलंका ने सात दशकों में अपने सबसे खराब आर्थिक संकट का सामना किया. बिगड़ते आर्थिक संकट के कारण लोग सरकार के खिलाफ उतर आए और तत्कालीन राष्ट्रपति गोटबाया राजपक्षे आधिकारिक निवास में घुस गए. इसके चलते राजपक्षे को जुलाई 2022 में अपने आधिकारिक निवास से भागने के लिए मजबूर होना पड़ा.

इससे पहले 22 मिलियन की आबादी वाला द्वीप राष्ट्र अपने सबसे दर्दनाक आर्थिक संकट में कई महीनों तक लंबे समय तक ब्लैकआउट, भोजन और ईंधन की भारी कमी और मुद्रास्फीति को झेलता रहा. 2022 में विदेशी मुद्रा की कमी के कारण खाद्य, ईंधन और अन्य आवश्यक वस्तुओं का आयात करने में श्रीलंकाई सरकार असमर्थ हो गई. इसकी वजह से देश ने अपने 46 बिलियन डॉलर के विदेशी ऋण का भुगतान नहीं किया. आर्थिक संकट के चरम पर श्रीलंका ने महीनों तक नागरिक अशांति देखी, जिसकी अंत राजपक्षे को पद से हटाने के साथ हुआ.

अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) ने पिछले साल मार्च में श्रीलंका को 2.9 बिलियन डॉलर के चार वर्षीय बेलआउट ऋण की पहली किश्त जारी की थी, जिसमें टैक्स में वृद्धि और कीमतों में तेजी से वृद्धि देखी गई थी. राष्ट्रपति ने फरवरी 2024 में स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर दिए गए भाषण में कहा कि नकदी की कमी से जूझ रहा श्रीलंका आईएमएफ बेलआउट की मितव्ययिता के बाद अपने सबसे खराब आर्थिक संकट से धीरे-धीरे उभर रहा है.

पाकिस्तान में राजनीतिक अस्थिरता
पाकिस्तान में वित्तीय संकट के बीच पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ (पीटीआई) के प्रमुख इमरान खान को अप्रैल 2022 में अविश्वास प्रस्ताव के जरिए पद से हटा दिया गया था. इसके बाद शहबाज शरीफअप्रैल 2022 से अगस्त 2023 तक गठबंधन सरकार के प्रधानमंत्री बने. नवंबर 2022 में पंजाब प्रांत के वजीराबाद के अल्लाहवाला चौक के पास उनके विरोध मार्च के दौरान उन्हें ले जा रहे कंटेनर-माउंटेड ट्रक पर एक बंदूकधारी ने फायरिंग कर दी. खान के पैरों में तीन गोलियां लगीं.

इतना ही नहीं खान को पीएम पद से हटाए जाने के बाद उनके खिलाफ लंबित मामलों में से एक के लिए उन्हें गिरफ्तार कर लिया गया. उस समय वह एक इस्लामाबाद कोर्ट में सुनवाई के लिए पहुंचे थे. इस वजह से मई 2023 में पाकिस्तान के कई शहरों में बड़े पैमाने पर हिंसक विरोध प्रदर्शन हुए. प्रदर्शनकारियों ने सेना और आईएसआई मुख्यालय पर धावा बोल दिया.

71 साल के खान को 2022 में वाशिंगटन में पाकिस्तान के राजदूत द्वारा इस्लामाबाद को भेजे गए एक क्लासिफाइड केबल को सार्वजनिक करने के आरोप में निचली अदालत ने 10 साल जेल की सजा सुनाई थी. वह अगस्त 2023 से जेल में हैं. हालांकि, जून 2024 में, पाकिस्तान के एक उच्च न्यायालय ने राज्य के रहस्यों को लीक करने के आरोप में उनकी सजा को पलट दिया, लेकिन खान एक अन्य मामले में दोषी ठहराए जाने के कारण अभी जेल में ही रहे.

उधर मार्च 2024 में शहबाज शरीफ दूसरी बार पाकिस्तान के प्रधानमंत्री बने. मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, पाकिस्तान ने अपनी विकास योजनाओं को वित्तपोषित करने और अपनी बाहरी वित्तपोषण आवश्यकता को पूरा करने के लिए अगले वित्त वर्ष में न्यूनतम 23 बिलियन अमरीकी डालर उधार लेने की योजना बनाई है, जिसमें 12 बिलियन अमरीकी डालर के द्विपक्षीय ऋण का रोलओवर भी शामिल है.

म्यांमार में गृह युद्ध
इससे पहले 2021 में सेना ने तख्तापलट कर दिया था, जिसको लोगों ने खारिज कर दिया. इसके बाद म्यांमार में एक विनाशकारी गृह संघर्ष शुरू हो गया. हालांकि, 25 जुलाई 2024 को चीनी जातीय कोकांग अल्पसंख्यक के विद्रोही बल म्यांमार नेशनल डेमोक्रेटिक अलायंस आर्मी (MNDAA) ने घोषणा की कि उसने सेना के खिलाफ निर्णायक जीत हासिल की और 23 दिनों के ऑपरेशन के बाद लाशियो को पूरी तरह से आजाद घोषित किया.

नेपाल में राजनीतिक अस्थिरता
नेपाल में सरकार कुर्सियों के खेल की तरह है. यहां कोई राजनीतिक स्थिरता नहीं है और प्रधानमंत्री का पद मुख्य दलों के बीच घूमता रहता है. जुलाई 2024 में खड्ग प्रसाद शर्मा ओली के नेतृत्व में एक नए गठबंधन ने सरकार बनाई. उन्होंने 18 महीने पुरानी पुष्प कमल दहल की सरकार गिरने के बाद सत्ता हासिल की. ओली की पार्टी ने, कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ नेपाल-यूनिफाइड मार्क्सिस्ट लेनिनिस्ट, केंद्र-वाम नेपाली कांग्रेस पार्टी के साथ गठबंधन की सरकार बनाई है.

मालदीव में मंडराता ऋण संकट
मालदीव दशकों से अपनी क्षमता से अधिक पैसा खर्च कर रहा है. इसको लेकर वर्ल्ड बैंक ने उसे चेतावनी दी है कि मालदीव उच्च ऋण संकट जोखिम और वित्तपोषण चुनौतियों का सामना कर रहा है. मालदीव की वार्षिक ऋण सेवा की जरूरतें 2024 और 2025 के लिए 512 मिलियन अमरीकी डॉलर और 2026 में 1.07 बिलियन अमरीकी डॉलर होने की संभावना है. सरकारी ऋण 2026 तक सकल घरेलू उत्पाद के 117.6 फीसदी तक बढ़ने का अनुमान है.

यह भी पढ़ें- बांग्लादेश को पाकिस्तान जैसा नहीं बनना चाहिए: तस्लीमा नसरीन

नई दिल्ली: बांग्लादेश में शेख हसीना के इस्तीफे की मांग को लेकर छात्रों के नेतृत्व में शुरू हुआ यह आंदोलन व्यापक हिंसा में बदल गया है. इस बीच सोमवार को शेख हसीना ने ढाका छोड़ना पड़ा और वह भारत पहुंच गई, जबकि प्रदर्शनकारी छात्र गणभवन (बांग्लादेश का पीएम आवास) में घुस गए. इस दौरान प्रदर्शनकारियों ने वहां तोड़फोड़ और जमकर लूटपाट की.

शेख हसीना के देश छोड़ने के बाद सेना प्रमुख जनरल वकार-उज-जमानने अंतरिम सराकर बनाने की ऐलान कर दिया है. हालांकि, शेख हसीना के देश छोड़ने के बाद बांग्लादेश में राजनीतिक संकट गहरा गया है. वैसे यह पहला मौका नहीं है, जहां भारत के किसी पड़ोसी देश में राजनीति संकट देखने को मिला हो बांग्लादेश से पहले भी कई देशों में अस्थिरता हो चुकी है. इनमें नेपाल, श्रीलंका और पाकिस्तान शामिल हैं.

श्रीलंका में इकोनॉमिक क्राइसिस
बांग्लादेश से पहले श्रीलंका में उस समय राजनीतिक उथल-पुथल मच गई थी, जब 2022 में आर्थिक संकट राजनीतिक संकट में बदल गया. इस दौरान श्रीलंका ने सात दशकों में अपने सबसे खराब आर्थिक संकट का सामना किया. बिगड़ते आर्थिक संकट के कारण लोग सरकार के खिलाफ उतर आए और तत्कालीन राष्ट्रपति गोटबाया राजपक्षे आधिकारिक निवास में घुस गए. इसके चलते राजपक्षे को जुलाई 2022 में अपने आधिकारिक निवास से भागने के लिए मजबूर होना पड़ा.

इससे पहले 22 मिलियन की आबादी वाला द्वीप राष्ट्र अपने सबसे दर्दनाक आर्थिक संकट में कई महीनों तक लंबे समय तक ब्लैकआउट, भोजन और ईंधन की भारी कमी और मुद्रास्फीति को झेलता रहा. 2022 में विदेशी मुद्रा की कमी के कारण खाद्य, ईंधन और अन्य आवश्यक वस्तुओं का आयात करने में श्रीलंकाई सरकार असमर्थ हो गई. इसकी वजह से देश ने अपने 46 बिलियन डॉलर के विदेशी ऋण का भुगतान नहीं किया. आर्थिक संकट के चरम पर श्रीलंका ने महीनों तक नागरिक अशांति देखी, जिसकी अंत राजपक्षे को पद से हटाने के साथ हुआ.

अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) ने पिछले साल मार्च में श्रीलंका को 2.9 बिलियन डॉलर के चार वर्षीय बेलआउट ऋण की पहली किश्त जारी की थी, जिसमें टैक्स में वृद्धि और कीमतों में तेजी से वृद्धि देखी गई थी. राष्ट्रपति ने फरवरी 2024 में स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर दिए गए भाषण में कहा कि नकदी की कमी से जूझ रहा श्रीलंका आईएमएफ बेलआउट की मितव्ययिता के बाद अपने सबसे खराब आर्थिक संकट से धीरे-धीरे उभर रहा है.

पाकिस्तान में राजनीतिक अस्थिरता
पाकिस्तान में वित्तीय संकट के बीच पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ (पीटीआई) के प्रमुख इमरान खान को अप्रैल 2022 में अविश्वास प्रस्ताव के जरिए पद से हटा दिया गया था. इसके बाद शहबाज शरीफअप्रैल 2022 से अगस्त 2023 तक गठबंधन सरकार के प्रधानमंत्री बने. नवंबर 2022 में पंजाब प्रांत के वजीराबाद के अल्लाहवाला चौक के पास उनके विरोध मार्च के दौरान उन्हें ले जा रहे कंटेनर-माउंटेड ट्रक पर एक बंदूकधारी ने फायरिंग कर दी. खान के पैरों में तीन गोलियां लगीं.

इतना ही नहीं खान को पीएम पद से हटाए जाने के बाद उनके खिलाफ लंबित मामलों में से एक के लिए उन्हें गिरफ्तार कर लिया गया. उस समय वह एक इस्लामाबाद कोर्ट में सुनवाई के लिए पहुंचे थे. इस वजह से मई 2023 में पाकिस्तान के कई शहरों में बड़े पैमाने पर हिंसक विरोध प्रदर्शन हुए. प्रदर्शनकारियों ने सेना और आईएसआई मुख्यालय पर धावा बोल दिया.

71 साल के खान को 2022 में वाशिंगटन में पाकिस्तान के राजदूत द्वारा इस्लामाबाद को भेजे गए एक क्लासिफाइड केबल को सार्वजनिक करने के आरोप में निचली अदालत ने 10 साल जेल की सजा सुनाई थी. वह अगस्त 2023 से जेल में हैं. हालांकि, जून 2024 में, पाकिस्तान के एक उच्च न्यायालय ने राज्य के रहस्यों को लीक करने के आरोप में उनकी सजा को पलट दिया, लेकिन खान एक अन्य मामले में दोषी ठहराए जाने के कारण अभी जेल में ही रहे.

उधर मार्च 2024 में शहबाज शरीफ दूसरी बार पाकिस्तान के प्रधानमंत्री बने. मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, पाकिस्तान ने अपनी विकास योजनाओं को वित्तपोषित करने और अपनी बाहरी वित्तपोषण आवश्यकता को पूरा करने के लिए अगले वित्त वर्ष में न्यूनतम 23 बिलियन अमरीकी डालर उधार लेने की योजना बनाई है, जिसमें 12 बिलियन अमरीकी डालर के द्विपक्षीय ऋण का रोलओवर भी शामिल है.

म्यांमार में गृह युद्ध
इससे पहले 2021 में सेना ने तख्तापलट कर दिया था, जिसको लोगों ने खारिज कर दिया. इसके बाद म्यांमार में एक विनाशकारी गृह संघर्ष शुरू हो गया. हालांकि, 25 जुलाई 2024 को चीनी जातीय कोकांग अल्पसंख्यक के विद्रोही बल म्यांमार नेशनल डेमोक्रेटिक अलायंस आर्मी (MNDAA) ने घोषणा की कि उसने सेना के खिलाफ निर्णायक जीत हासिल की और 23 दिनों के ऑपरेशन के बाद लाशियो को पूरी तरह से आजाद घोषित किया.

नेपाल में राजनीतिक अस्थिरता
नेपाल में सरकार कुर्सियों के खेल की तरह है. यहां कोई राजनीतिक स्थिरता नहीं है और प्रधानमंत्री का पद मुख्य दलों के बीच घूमता रहता है. जुलाई 2024 में खड्ग प्रसाद शर्मा ओली के नेतृत्व में एक नए गठबंधन ने सरकार बनाई. उन्होंने 18 महीने पुरानी पुष्प कमल दहल की सरकार गिरने के बाद सत्ता हासिल की. ओली की पार्टी ने, कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ नेपाल-यूनिफाइड मार्क्सिस्ट लेनिनिस्ट, केंद्र-वाम नेपाली कांग्रेस पार्टी के साथ गठबंधन की सरकार बनाई है.

मालदीव में मंडराता ऋण संकट
मालदीव दशकों से अपनी क्षमता से अधिक पैसा खर्च कर रहा है. इसको लेकर वर्ल्ड बैंक ने उसे चेतावनी दी है कि मालदीव उच्च ऋण संकट जोखिम और वित्तपोषण चुनौतियों का सामना कर रहा है. मालदीव की वार्षिक ऋण सेवा की जरूरतें 2024 और 2025 के लिए 512 मिलियन अमरीकी डॉलर और 2026 में 1.07 बिलियन अमरीकी डॉलर होने की संभावना है. सरकारी ऋण 2026 तक सकल घरेलू उत्पाद के 117.6 फीसदी तक बढ़ने का अनुमान है.

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