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जानें, वीर सावरकर से जुड़े कुछ अनछुए पहलू - Vinayak Damodar Savarkar

Veer Savarkar Jayanti 2024: आज के समय में भारतीय राजनीति में विनायक दामोदर सावरकर, जिन्हें ज्यादातर लोग वीर सावरकर के नाम से जानते हैं सबसे ज्यादा चर्चा में रहते हैं. चर्चा के केंद्र में रहने की मुख्य वजह यह है कि सत्ताधारी दल भाजपा पर आरोप है कि धर्मनिरपेक्षता को हटाकर देश को सावरकर के हिंदुत्व के एजेंडे की ओर ले जाया जा रहा है. पढ़ें पूरी खबर..

Vinayak Damodar Savarkar
विनायक दामोदर सावरकर जयंती (प्रतीकात्मक चित्र) (Getty Images)
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By ETV Bharat Hindi Team

Published : May 28, 2024, 4:59 PM IST

Updated : May 28, 2024, 7:29 PM IST

हैदराबादः आज विनायक दामोदर सावरकर की जयंती है. वे स्वतंत्रता सेनानी, दार्शनिक, कवि, वक्ता, समाजसेवी, लेखक, कवि के साथ-साथ हिंदुत्व के सबसे बड़े पैरोकार माने जाते हैं. हाल के वर्षों में भारतीय राजनीति के केंद्र में रहने वाले सावरक की विचारधारा को मानने वालों की तादाद देश और विदेश में बढ़ी है. वे हिंदू महासभा जैसे संगठनों से सक्रिय रूप से जुड़े थे. इन्होंने कई संगठनों को स्थापित किया. इनमें अभिनव भारत सोसाइटी, फ्री इंडिया सोसाइटी कुछ प्रमुख संगठन हैं.

बता दें कि 28 मई 1883 महाराष्ट्र के पुणे के पास स्थित भगुर में हुआ था. करीबन 82 साल की आयु में 26 फरवरी 1966 मुंबई में उनका निधन हो गया. उनकी पत्नी का नाम यमुनाबाई सावरकर था. दामोदर सावरकर ने जेल से आने के बाद 'हिंदुत्व- हू इज हिंदू ?' नामक पुस्तक लिखी. इसमें उन्होंने हिंदुत्व के बारे में विस्तार से तर्कों के साथ जानकारी समाज के सामने रखा. आज के समय में पूरी दुनिया में हिंदुत्व पर उनके विचारों को कई संगठन अपना रहे हैं. वहीं, एक तबका है जो इसका विरोध भी करता दिखाई पड़ता है.

विनायक दामोदर सावरकर से जुड़े विवाद

  1. विनायक दामादोर सावरकर के विचारों का भाजपा खुलकर समर्थन करती है. वहीं, कांग्रेस सहित कई दल उनकी नीतियों को गलत बताकर खुलकर विरोध करते हैं. इसके बावजूद पूरी दुनिया में हिंदू धर्म मानने वाले लोग काफी सम्मान के साथ याद करते हैं. आइए जानते हैं इनसे जुड़े कुछ प्रमुख विवादों को.
  2. 30 जनवरी 1948 में महात्मा गांधी की हत्या के बाद दामोदर सावरकर को हत्या के षड्यंत्र के आरोप में मुंबई से गिरफ्तार किया गया, लेकिन 1949 के फरवरी महीने में वे बरी हो गये.
  3. अटल बिहारी वाजपेयी सरकार के दौरान सन् 2000 में दामोदर सावरकर को देश का सर्वोच्च नागरिक सम्मान भारत रत्न के लिए केंद्र सरकार ने प्रस्ताव तैयार कर तत्कालीन राष्ट्रपति केआर नारायणन के पास भेजा गया था. राष्ट्रपति ने सावरकर को भारत रत्न देने के प्रस्ताव को अस्वीकर कर दिया.
  4. 26 मई 2014 को नरेंद्र मोदी ने भारत के प्रधानमंत्री के रूप में शपथ ली. शपथ के महज 2 दिन बाद 28 मई 2014 को उन्होंने संसद भवन पहुंचकर 131वीं जयंती पर वीर सावरकर को श्रद्धांजलि दी.
  5. भारत के नये संसद भवन का उद्घाटन 28 मई 2023 को पीएम नरेंद्र मोदी ने किया था. संयोग से इसी दिन विनायक दामोदर सावरकर का 140वां जन्मदिवस था. वहीं, 27 मई 1964 को भारत के पहले पीएम जवाहर लाल नेहरू का निधन हुआ था. इसके अगले दिन पंडित नेहरू का अंतिम संस्कार हुआ था.

सावरकर और माफीनामा

  1. मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार नासिक कलेक्टर की हत्या की साजिश में शामिल होने के आरोप में 1910 में दामोदर सावरकर को लंदन में गिरफ्तार किया गया. इसके बाद भारत लाया जा रहा था. जहाज से समुद्र में कूद कर उन्होंने भागने का प्रयास किया, लेकिन असफल रहे.
  2. इसके बाद उन्हें भारत लाया गया. भारत में उन्हें 25-25 साल के लिए सजा सुनाई गई. दोनों सजाएं अलग-अलग सुनाई गईं. इसके बाद अंडमान में काला पानी की सजा काटने के लिए अंडमान भेजा गया. वहां उन्हें कोठरी संख्या 52 में 13.5 X7.5 फीट की कोटरी में रखा गया था. वहां काफी प्रताड़ित किया जाता था. उन पर आरोप है वहां 9 साल के दौरान 6 बार अंग्रेजों को माफी के लिए पत्र लिखा.
  3. इस माफी मांगने के विवाद पर उनके समर्थक इस दावे के साथ सही ठहराते हैं कि जेल से बाहर रहने के लिए यह एक रणनीति का हिस्सा था. वहीं इस विवाद पर सावरकर विरोधी अंग्रेजों के सामने झुकने का आरोप लगाते हैं.

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हैदराबादः आज विनायक दामोदर सावरकर की जयंती है. वे स्वतंत्रता सेनानी, दार्शनिक, कवि, वक्ता, समाजसेवी, लेखक, कवि के साथ-साथ हिंदुत्व के सबसे बड़े पैरोकार माने जाते हैं. हाल के वर्षों में भारतीय राजनीति के केंद्र में रहने वाले सावरक की विचारधारा को मानने वालों की तादाद देश और विदेश में बढ़ी है. वे हिंदू महासभा जैसे संगठनों से सक्रिय रूप से जुड़े थे. इन्होंने कई संगठनों को स्थापित किया. इनमें अभिनव भारत सोसाइटी, फ्री इंडिया सोसाइटी कुछ प्रमुख संगठन हैं.

बता दें कि 28 मई 1883 महाराष्ट्र के पुणे के पास स्थित भगुर में हुआ था. करीबन 82 साल की आयु में 26 फरवरी 1966 मुंबई में उनका निधन हो गया. उनकी पत्नी का नाम यमुनाबाई सावरकर था. दामोदर सावरकर ने जेल से आने के बाद 'हिंदुत्व- हू इज हिंदू ?' नामक पुस्तक लिखी. इसमें उन्होंने हिंदुत्व के बारे में विस्तार से तर्कों के साथ जानकारी समाज के सामने रखा. आज के समय में पूरी दुनिया में हिंदुत्व पर उनके विचारों को कई संगठन अपना रहे हैं. वहीं, एक तबका है जो इसका विरोध भी करता दिखाई पड़ता है.

विनायक दामोदर सावरकर से जुड़े विवाद

  1. विनायक दामादोर सावरकर के विचारों का भाजपा खुलकर समर्थन करती है. वहीं, कांग्रेस सहित कई दल उनकी नीतियों को गलत बताकर खुलकर विरोध करते हैं. इसके बावजूद पूरी दुनिया में हिंदू धर्म मानने वाले लोग काफी सम्मान के साथ याद करते हैं. आइए जानते हैं इनसे जुड़े कुछ प्रमुख विवादों को.
  2. 30 जनवरी 1948 में महात्मा गांधी की हत्या के बाद दामोदर सावरकर को हत्या के षड्यंत्र के आरोप में मुंबई से गिरफ्तार किया गया, लेकिन 1949 के फरवरी महीने में वे बरी हो गये.
  3. अटल बिहारी वाजपेयी सरकार के दौरान सन् 2000 में दामोदर सावरकर को देश का सर्वोच्च नागरिक सम्मान भारत रत्न के लिए केंद्र सरकार ने प्रस्ताव तैयार कर तत्कालीन राष्ट्रपति केआर नारायणन के पास भेजा गया था. राष्ट्रपति ने सावरकर को भारत रत्न देने के प्रस्ताव को अस्वीकर कर दिया.
  4. 26 मई 2014 को नरेंद्र मोदी ने भारत के प्रधानमंत्री के रूप में शपथ ली. शपथ के महज 2 दिन बाद 28 मई 2014 को उन्होंने संसद भवन पहुंचकर 131वीं जयंती पर वीर सावरकर को श्रद्धांजलि दी.
  5. भारत के नये संसद भवन का उद्घाटन 28 मई 2023 को पीएम नरेंद्र मोदी ने किया था. संयोग से इसी दिन विनायक दामोदर सावरकर का 140वां जन्मदिवस था. वहीं, 27 मई 1964 को भारत के पहले पीएम जवाहर लाल नेहरू का निधन हुआ था. इसके अगले दिन पंडित नेहरू का अंतिम संस्कार हुआ था.

सावरकर और माफीनामा

  1. मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार नासिक कलेक्टर की हत्या की साजिश में शामिल होने के आरोप में 1910 में दामोदर सावरकर को लंदन में गिरफ्तार किया गया. इसके बाद भारत लाया जा रहा था. जहाज से समुद्र में कूद कर उन्होंने भागने का प्रयास किया, लेकिन असफल रहे.
  2. इसके बाद उन्हें भारत लाया गया. भारत में उन्हें 25-25 साल के लिए सजा सुनाई गई. दोनों सजाएं अलग-अलग सुनाई गईं. इसके बाद अंडमान में काला पानी की सजा काटने के लिए अंडमान भेजा गया. वहां उन्हें कोठरी संख्या 52 में 13.5 X7.5 फीट की कोटरी में रखा गया था. वहां काफी प्रताड़ित किया जाता था. उन पर आरोप है वहां 9 साल के दौरान 6 बार अंग्रेजों को माफी के लिए पत्र लिखा.
  3. इस माफी मांगने के विवाद पर उनके समर्थक इस दावे के साथ सही ठहराते हैं कि जेल से बाहर रहने के लिए यह एक रणनीति का हिस्सा था. वहीं इस विवाद पर सावरकर विरोधी अंग्रेजों के सामने झुकने का आरोप लगाते हैं.

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Last Updated : May 28, 2024, 7:29 PM IST
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