लखनऊ : उत्तर प्रदेश राजकीय निर्माण निगम (UPRNN) के पूर्व अपर परियोजना अधिकारी राजवीर सिंह के दिल्ली और नोएडा के ठिकानों पर मंगलवार शाम से शुरू हुई विजिलेंस की छापेमारी आज भी जारी है. आय से अधिक संपत्ति के मामले में छापेमारी के दौरान विजिलेंस को करीब 50 करोड़ से अधिक की संपत्ति मिली है. जिसमें दो काम्प्लेक्स, एक बंगला, करीब 77 लाख रुपये का कैश-गहने और दो हॉस्टल शामिल हैं.
बंगले में करोड़ों के लग्जरी सामान: मंगलवार को विजिलेंस विभाग की लखनऊ व मेरठ यूनिट ने पूर्व अपर परियोजना अधिकारी राजवीर सिंह के नोएडा तथा दिल्ली स्थित पांच ठिकानों पर छानबीन शुरू की. इस दौरान साथ में पीडब्ल्यूडी के 5 अधिकारी भी मौजूद रहे. ताकि संपत्तियों का आकलन किया जा सके. डीजी विजिलेंस राजीव कृष्णा के मुताबिक, रेड के दौरान टीम को दिल्ली में 20 करोड़ व नोएडा में 6 करोड़ रुपए के दो काम्पलेक्स मिले हैं. इसके अलावा नोएडा में करीब 5 करोड़ रुपए का अलीशान बंगला मिला, जिसके एक कमरे में रखे लॉकर के अंदर 77 लाख रुपए के जेवर और कैश मिले है. वहीं बंगले के अंदर साज सज्जा के लिए लग्जरी सामान मिला, जिसकी कीमत करोड़ों रुपये में है. उन्होंने बताया कि नोएडा में राजवीर व पत्नी के नाम से दो हॉस्टल मिले, जिनकी कीमत करीब आठ करोड़ रुपये है. यहां भी लाखों रुपये के इलेक्ट्रॉनिक उपकरण लगे थे.
कई बैंकों में लॉकर: देर रात तक चली रेड बुधवार को भी जारी है. इस दौरान टीम को राजवीर सिंह के कई बैंकों में लॉकर होने की जानकारी मिली है. विजिलेंस टीम इस सूचना को बैंक से वेरीफाई करेगी. इसके अलावा टीम मंगलवार को मिले लग्जरी इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों और साज-सज्जा के सामान का आंकलन किया जाएगा. इसके साथ ही अब तक मिली संपत्ति के बारे में छानबीन की जाएगी कि कैसे यह अर्जित की गई.
2019 को सौंपी गई थी जांच: दरअसल, राजवीर सिंह के खिलाफ 31 मई 2019 को शासन ने आय से अधिक संपत्ति के मामले की जांच विजिलेंस को सौंपी थी. जांच के बाद विजिलेंस ने 11 मार्च 2024 को लखनऊ स्थित विजिलेंस थाने में मुकदमा दर्ज कराया था. जांच में पाया गया था कि राजवीर ने वैध श्रोतों से एक करोड़ 78 लाख 27 हजार 143 रुपये की आय की थी, लेकिन खर्च 2 करोड़ 67 लाख 32 हजार 462 रुपये किए. जिससे साफ है कि उन्होंने आय से 89 लाख 5319 रुपये अधिक खर्च किए थे.
सीएनडीएस के रिटायर्ड इंजीनियरों की भी जांच: बता दें कि बीते दिनों विजिलेंस की लखनऊ टीम ने जल निगम की इकाई सीएनडीएस के पांच रिटायर्ड इंजिनियरों इंदिरानगर निवासी व सहायक अभियंता राघवेंद्र गुप्ता, इंदिरानगर निवासी व अधीक्षण अभियंता सत्यवीर सिंह चौहान, जल निगम के मानव संसाधन विकास प्रकोष्ठ में तैनात रहे गोमती नगर निवासी अधीक्षण अभियंता अजय रस्तोगी, एल्डिको निवासी सहायक अभियंता कमल कुमार खरबन्दा और विकास नगर निवासी सहायक अभियंता कृष्ण कुमार पटेल के ठिकानों पर रेड की थी. इन सभी इंजिनियर्स के खिलाफ शासन के निर्देश पर 2019-20 को विजिलेंस विभाग ने आय से अधिक संपत्ति के मामले में जांच शुरू की थी.