नई दिल्ली: जेएनयू के सातवें दीक्षांत समारोह को बतौर मुख्य अतिथि संबोधित करते हुए शुक्रवार को उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने कहा कि भारत के खिलाफ फैलाई जाने वाली राष्ट्र-विरोधी कहानियों को निष्प्रभावी करने की जिम्मेदारी युवाओं की है. उन्होंने कहा कि यह देखकर दुख होता है कि जागरूक लोग देश के बाहर हमारी छवि खराब कर रहे हैं और हमारे लोकतांत्रिक मूल्यों पर सवाल उठा रहे हैं. जेएनयू एक प्रतिष्ठित संस्थान होने के नाते मैं जेएनयू से बहुत उम्मीद करता हूं. समारोह में 774 छात्रों को पीएचडी की उपाधि और अन्य डिग्रियां प्रदान की गईं.
धनखड़ ने कहा कि कुछ बाहरी तत्व आख्यानों में भारतीय मूल के शिक्षकों और छात्रों द्वारा समर्थित राष्ट्र-विरोधी विमर्श का केंद्र बन गए हैं. युवाओं को इन विरोधियों को बेअसर करना होगा. उन्होंने कहा कि अयोध्या में राम लला की प्राण प्रतिष्ठा का समारोह भारत के सभ्यतागत इतिहास का प्रतीक है और इसने देश के 500 साल के दर्द को समाप्त कर दिया. 22 जनवरी को हमारे देश में जश्न का माहौल था, जब अयोध्या धाम में राम लला का अभिषेक समारोह था. हमारी आकांक्षाएं कानून की स्थापित प्रक्रिया के माध्यम से धार्मिकता के प्रति प्रतिबद्धता के साथ फलीभूत हुईं.
उन्होंने कहा, जब जम्मु और कश्मीर से 370 हटाई गई थी, तब देश में सभी ने खुशी जताई थी. सत्ता के गलियारों को भ्रष्ट तत्वों से मुक्त कर दिया गया है. भ्रष्टाचार को अब पुरस्कृत नहीं किया जाता, कानून को समान रूप से लागू किया जाता है. समाज तभी बदलेगा जब आप पंक्ति के अंतिम व्यक्ति की देखभाल करेंगे. भारत पांचवी बड़ी अर्थव्यवस्था है और आईएमएफ ने संकेत दिया है कि बड़ी अर्थव्यवस्थाओं में भारत की वृद्धि सबसे अधिक है. 2047 तक विकसित भारत बनाना है तो युवाओं की भूमिका अग्रणी होगी. उन्होंने कहा, वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण और एस जयशंकर जेएनयू के छात्र रहे हैं और उनके कार्यों को देखकर संस्थान के योगदान को समझा जा सकता है.
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वहीं, कुलपति प्रो. शांतिश्री डी पंडित ने कहा कि 54 साल साल के इतिहास में कोई भी पद अनारक्षित नहीं किया गया है. आरक्षित वर्ग में संकाय भर्ती विश्वविद्यालय के इतिहास में उच्चतम बिंदु पर है. 19 महीनों में भर्ती किए गए लोगों में से 69 प्रतिशत आरक्षित श्रेणियों से हैं. 33 प्रतिशत ओबीसी, 13 प्रतिशत अनुसूचित जनजाति और 19 प्रतिशत अनुसूचित जाति से हैं. जेएनयू ने सबसे पहले प्रोफेसरों को अनुसूचित जनजाति वर्ग में लाया था. हम राष्ट्रीय आंदोलन और विकसित भारत 2047 के लिए प्रतिबद्ध हैं.
पहली बार भारतीय परिधान में हुआ दीक्षांत समारोह
जेएनयू के इतिहास में पहली दीक्षांत समारोह में छात्र छात्राएं और शिक्षक भारतीय परिधान कुर्ता पजामा, सलवार सूट व साड़ी में नजर आए. इस दौरान भारतीय वेशभूषा में दीक्षांत समारोह को लेकर डिग्री प्राप्त करने वाली छात्रा डॉक्टर स्वाती गोयल ने कहा कि कि भारतीय परिधान में दीक्षांत समारोह का होना भारतीय संस्कृति का परिचायक है. हमें अपनी संस्कृति और सभ्यता पर गर्व है. सलवार सूट, कुर्ता पजामा और साड़ी भारतीय संस्कृति की पहचान है. वहीं, सिनेमा स्टडीज में पीएचडी की डिग्री प्राप्त करने वाले अनुग्यनाभ ने कहा कि भारतीय परिधान कुर्ता पजामा में डिग्री प्राप्त करके काफी आनंदित महसूस कर रहे हैं.
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