रोहित सोनी, देहरादूनः उत्तराखंड के कण-कण में देवी-देवता निवास करते हैं. यही वजह है कि उत्तराखंड को देवभूमि के नाम से भी जाना जाता है. उत्तराखंड, ऋषि मुनियों की तपस्थली भी रही है. जिसके चलते उत्तराखंड के ऋषिकेश को विश्व योग की राजधानी के नाम से भी जाना जाता है. ऐसे में अब प्रदेश सरकार देवभूमि उत्तराखंड को योगभूमि बनाने पर जोर दे रही है. ताकि देश दुनिया में न सिर्फ योग को बढ़ावा दिया जा सके. बल्कि लोगों को रोजगार से जोड़ा भी जा सके. उत्तराखंड सरकार आयुष नीति के बाद योग नीति तैयार कर रही है. ये योग नीति, भारत की पहली योग नीति होगी. जिससे योग के प्रति लोगों का नजरिया बदलने के साथ ही लोगों का रुझान भी बढ़ेगा.
उत्तराखंड सरकार अब देवभूमि को योगभूमि के रूप में विकसित करने जा रही है. इस दिशा में सरकार कदम भी बढ़ा चुकी है. इसके लिए आयुष विभाग, योग नीति तैयार कर रहा है. योग पॉलिसी को लेकर विभागीय स्तर पर कई दौर की बैठकें हो चुकी हैं. सरकार चाहती है कि उत्तराखंड को योग, वेलनेस, आयुष के क्षेत्र में सुनियोजित तरीके से विकसित किया जाए. इससे न सिर्फ देश, बल्कि दुनिया भर के पर्यटकों को उत्तराखंड की ओर आकर्षित किया जा सकेगा.
सीएम धामी ने दिए संकेत: हाल ही में देहरादून के परेड ग्राउंड में आयोजित विश्व आयुर्वेद सम्मेलन एवं आरोग्य एक्सपो के शुभारंभ के दौरान मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने योग पॉलिसी का जिक्र करते हुए कहा कि उत्तराखंड राज्य आयुष नीति को लागू करके आयुष निर्माण, वेलनेस, शोध, शिक्षा के साथ ही औषधि पौधों के उत्पादन को बढ़ा रही है. इसी क्रम में सरकार देश की पहली योग नीति को भी लागू करने की दिशा में तेजी से आगे बढ़ रही है. जो आयुर्वेद और योग को व्यापक स्तर पर साथ लाकर स्वास्थ्य के क्षेत्र में एक नई क्रांति लाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगी. इसके साथ ही राज्य सरकार आने वाले सालों में आयुष टेलीकंसेंटेशन शुरू करने के साथ ही 50 नए योग और वेलनेस केंद्र स्थापित करने की दिशा में काम कर रही है.
लिए जाएंगे सुझाव: दरअसल, साल 2023 में आयुष नीति लागू होने के बाद आयुष विभाग ने साल 2023 में ही योग पॉलिसी तैयार करने की कवायद शुरू कर दी थी. आयुष विभाग ने योग नीति का प्रारंभिक ड्राफ्ट तैयार कर शासन को प्रशिक्षण के लिए भी भेजा था. जिसमें कुछ कमियों को ठीक करते हुए शासन ने ड्राफ्ट को तैयार करने की बात कही थी. ऐसे में अब आयुष विभाग, देश की पहली योग नीति तैयार करने की कवायद में जुटा हुआ है. योग नीति तैयार करने के लिए आयुष विभाग, आयुर्वेद विशेषज्ञों के साथ ही तमाम हितधारकों से भी सुझाव लेने जा रहा है. योग नीति में योग, नेचुरोपैथी, अध्यात्म के लिए इन्फ्रास्ट्रक्चर डेवलप करने समेत तमाम प्रावधान करने पर जोर दिया जा रहा है.
योग नीति में क्या रहेगा: योग पॉलिसी में योग को बढ़ावा देने के लिए तमाम महत्वपूर्ण प्रावधान किए गए हैं. जिसके तहत योग पॉलिसी आने के बाद सभी योग केंद्रों को अनिवार्य रूप से रजिस्ट्रेशन करवाना होगा. साथ ही केंद्र सरकार के योग सर्टिफिकेशन बोर्ड से तमाम योग कोर्स करने पर फीस की प्रतिपूर्ति की व्यवस्था भी नीति में की जाएगी. इस योग नीति के जरिए सरकार, योग शिक्षण संस्थाओं के एकरूपता लाने के साथ ही संस्थाओं को व्यवस्थित करने का काम किया जाएगा. साथ ही योग शिक्षण संस्थान खोलने के लिए प्रोत्साहन राशि का प्रावधान, संस्थानों के मानकीकरण का प्रावधान भी किया गया है.
ये बिंदु किए गए शामिल: वहीं, ज्यादा जानकारी देते हुए अपर सचिव आयुष डॉ. विजय कुमार जोगदंडे ने बताया कि आयुष को बढ़ावा देने के लिए आयुष नीति लागू की गई है. ऐसे ने अब आयुष विभाग योग नीति तैयार कर रहा है. योग नीति के प्रारंभिक ड्राफ्ट पर अभी चर्चा चल रही है. साथ ही विभागीय परामर्श भी किया जा रहा है. योग को बढ़ावा देने के लिए योग पॉलिसी में तमाम प्रावधान किए जाएंगे. जिसके तहत योग संस्थानों के मानकीकरण, योग पाठ्यक्रमों के मानक तय करना, ऋषिकेश को योगनगरी के रूप में बढ़ावा देना, अन्य जिले में योग स्थापनाओं का विकास करना, योग केंद्रों के लिए सब्सिडी का प्रावधान समेत तमाम बिंदुओं को शामिल किया गया है.
जनता से ही होगा राय मशवरा: अपर सचिव आयुष ने बताया कि योग नीति में किए जाने वाले सभी प्रावधानों पर विचार किया जा रहा है. ऐसे में औद्योगिक विकास विभाग के तहत किए जाने वाले प्रावधानों पर भी चर्चा की जाएगी. इसके अलावा, जब विभागीय ड्राफ्ट बनकर तैयार हो जाएगा, तब जनता से भी योग पॉलिसी को लेकर सुझाव मांगा जाएगा. इसके लिए एक महीने का समय रखा जाएगा. इस दौरान सभी विशेषज्ञों. लोगों और संस्थानों से सुझाव लिए जाएंगे. लिहाजा, सुझावों पर चर्चा करने के बाद योग नीति के अंतिम ड्राफ्ट को तैयार किया जाएगा.
युवाओं को मिलेगा रोजगार: गौर है कि, योग न सिर्फ प्राचीन विधा है. बल्कि योग शरीर को स्वस्थ, संतुलित और तनाव मुक्त रखने की भी एक कला है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी योग को लेकर लगातार जोर दे रहे हैं. अब जब उत्तराखंड में योग नीति लाने की तैयारी चल रही है तो योग के क्षेत्र में काम करने वाले लोग उत्साहित और खुश हैं. ऋषिकेश स्थित परमार्थ निकेतन की योगाचार्य गंगा नंदनी, परमार्थ निकेतन में पिछले 14 साल से योग सिखा रही हैं. सरकार की योग नीति बनाने वाली टीम की भी सदस्य हैं. योगाचार्य गंगा नंदनी ने कहा कि योग नीति की पहल उत्तराखंड के लिहाज से एक बड़ी पहल है. सरकार इसमें तमाम ऐसी व्यवस्था करने जा रही है जिससे देश-विदेश के लोग, उत्तराखंड आकर न सिर्फ योग साधना करेंगे बल्कि योग की ट्रेनिंग भी लेंगे. इतना ही नहीं, योग ग्राम, वेलनेस सेंटर और योगा ट्रेनर के मानदेय की व्यवस्था के बाद राज्य में रोजगार की भी बड़ी संभावनाएं खुल जाएगी.
देवभूमि को योग भूमि बनाने का सराहनीय प्रयास: वहीं, उत्तराखंड की योग ब्रांड एंबेसडर दिलराज प्रीत कौर भी उत्तराखंड में लागू होने वाले योग नीति को लेकर काफी उत्साहित है. दिलराज प्रीत कौर ने कहा कि देवभूमि को योग भूमि बनाने का प्रयास बहुत ही सराहनीय कदम है. अगर बेहतर तरीके से ये नीति जमीन पर उतरती है तो उसका फायदा न सिर्फ योगाचार्य को मिलेगा बल्कि उत्तराखंड के युवाओं को भी मिलेगा. दरअसल, दिलराज प्रीत कौर उत्तराखंड की योग को आगे बढ़ाने को लेकर लगातार काम कर रही हैं. साथ ही सरकार ने दिलराज प्रीत कौर को योग ब्रांड एंबेसडर भी नियुक्त किया है.
उत्तराखंड में योग नीति तैयार करने की कवायद चल रही है. अगर प्रदेश में योग नीति लागू होता है तो उत्तराखंड, देश का पहला राज्य होगा जहां पर योग नीति लागू होगी. खूबसूरत पहाड़, नदियां, झरनों के बीच बसा उत्तराखंड, योग के क्षेत्र में संभावनाओं का केंद्र है. यही वजह है कि उत्तराखंड सरकार योग नीति बनाने पर जोर दे रही है. हालांकि, योग नीति कब तक लागू होगी यह तो भविष्य के गर्त में है. लेकिन उत्तराखंड योग, वेलनेस और आयुष हब के रूप में अगर विकसित होता है तो यह राज्य के लिए टर्निंग प्वाइंट साबित हो सकता है.
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