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दस साल से जिस हत्यारोपी को शहर-शहर ढूंढ रही थी पुलिस, वो मुंबई में बेच रहा था सूप, जानें कैसे आया हाथ - Almora Gulab Singh murder

murder accused arrested after ten years अपने हिमाचली साथी की हत्या के आरोप में दस साल से फरार आरोपी को आखिरकार उत्तराखंड पुलिस ने ढूंढ निकाला. आरोपी ने साल 2014 में अपने साथी को मौत के घाट उतारा दिया था, तभी से आरोपी फरार चल रहा था. आरोपी और उसका साथी दोनों हिमचाल के रहने वाले है.

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पुलिस की गिरफ्त में हत्यारोपी. (फोटो सोर्स (उत्तराखंड एसटीएफ))
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By ETV Bharat Uttarakhand Team

Published : Jun 20, 2024, 6:36 PM IST

देहरादून: हत्या के मामले में करीब दस साल से फरार आरोपी को आखिरकार उत्तराखंड एसटीएफ (स्पेशट टास्क फोर्स) ने गिरफ्तार कर लिया. उत्तराखंड एसटीएफ के मुताबिक आरोपी मुंबई में एक रेस्टोरेंट में सूप बेच रहा था. वहीं से उत्तराखंड एसटीएफ ने आरोपी को अरेस्ट किया है.

साल 2014 से था फरार: उत्तराखंड एसटीएफ ने बताया कि 14 अक्टूबर 2014 को अल्मोड़ा जिले के लमगढ़ा थाने में अज्ञात अधजला नरकंकाल मिला था. जिसकी शिनाख्त गुलाब सिंह निवासी ग्रांम गवाली तहसील पधर जिला मंडी हिमाचल प्रदेश के रूप में हुई थी.

नागराज ने ही की थी हत्या: पुलिस ने जब मामले की जांच की तो सामने आया कि 10 मार्च 2014 को गुलाब सिंह और नागराज उर्फ तिलकराज गांव कुन्दल तहसील पचर जिला मंडी हिमाचल प्रदेश काम के लिए अल्मोड़ा आए थे. पुलिस के मुताबिक 18 सिंतबर 2014 को गुलाब सिंह और नागराज का किसी बात पर झगड़ा हो गया था. तभी नागराज ने धारदार हथियार से गुलाब सिंह की हत्या कर दी थी और पहचान छुपाने के लिए गुलाब सिंह के मुंह को जलाकर घास के नीचे छिपा दिया था. इस हत्याकांड के बाद नागराज अपने गांव वापस आ गया था.

अल्मोड़ा कोर्ट ने किया था भगोड़ा घोषित: वहीं, अल्मोड़ा पुलिस ने लमगढ़ थाने में नागराज के खिलाफ मुकदमा दर्ज किया, लेकिन जब तक पुलिस आरोपी को गिरफ्तार करने पहुंची वो फरार हो चुका था. साल 2014 से ही अल्मोड़ा पुलिस लगातार आरोपी नागराज की तलाश में जुटी हुई है, लेकिन उसका कही कोई सुराग नहीं लग रहा था. अल्मोड़ा कोर्ट ने भी आरोपी नागराज को मफरूर (भगोड़ा) घोषित कर दिया था. साथ ही डीआईजी कुमाऊं ने आरोपी की गिरफ्तार के लिए 20 हजार रुपए का इनाम घोषित किया था.

एसटीएफ को मिला अहम सुराग: एक तरफ जहां अल्मोड़ा पुलिस अपने स्तर पर आरोपी की तलाश कर रही थी, तो वहीं एसटीएफ की भी अलग-अलग टीमें आरोपी की खोजबीन में जुटी हुई थी. एसएसपी एसटीएफ आयुष अग्रवाल ने बताया कि उनकी टीम को गुलाब सिंह हत्याकांड के आरोपी नागराज के बारे में खबर लगी, जिसके बाद टीम ने मुंबई जाकर आरोपी को गिरफ्तार किया.

आरोपी ने पुलिस को बताई हत्या की वजह: पुलिस पूछताछ में आरोपी ने बताया कि साल 2014 में वो और गुंलाब सिंह अल्मोड़ा में लीसा निकालने का काम करते थे. दोनों की अच्छी दोस्ती थी. आपस में खाना पीना साथ करते थे. दोनों अलग-अलग झोपड़ी में रहते थे. एक रात को दोनों खाना पी रहे थे, तभी गुलाब सिंह ने किसी बात को लेकर उसे गाली दे दी, जिससे उसे गुस्सा आ गया और नागराज ने वहीं पड़े सरिए के कारण गुलाब सिंह की गर्दन पर वार कर दिया, जिससे उसकी मौत हो गई.

तेजाब से जला दिया था चेहरा: नागराज ने पुलिस को बताया कि हत्या के बाद उसने गुलाब सिंह को चेहरे को तेजाब से जला दिया और खेत में गड्डा खोदकर शव वहीं दबा दिया, ताकि शव की पहचान न हो सके. इसके बाद आरोपी अपने गांव हिमाचल आ गया. वहां से वो किसी तरह मुंबई चला गया और पिछले दस सालों से नाम और भेष बदलकर अलग अलग होटल और रेस्टोंरटों में काम कर रहा था.

हर 6 महीने में बदल देता था ठिकाना: पिछले तीन महीने से मुंबई के एनटॉपहिल पुलिस स्टेशन एरिया के पास से पाया सूप बार में काम कर रहा था. आरोपी अपना ठिकाना हर 6 महीने में बदल देता था, ताकि पुलिस की पकड़ से दूर रहे. वह कोरोना के समय अपने गांव आया था, लेकिन परिजनों ने उसे दोबारा घर नहीं आने को कह दिया था.

एसटीएफ को गांव से लगा था आरोपी का सुराग: हत्यारोपी का परिवार अभी भी हिमाचल प्रदेश में गांव में ही रहते हैं. इस आरोपी की गिरप्तारी को एसटीएफ ने एक चैलेंच के रूप में लिया था. इसके लिए महीनों पहले एसटीएफ के दो कर्मचारी कैलाश नयाल और अर्जुन रावत को आरोपी नागराज की टोह लेने उसके गांव हिमाचल प्रदेश भेजा था, जहां पर उसके बारे में एसटीएफ को कुछ ठोस जानकारी हासिल हुई कि वह इस समय मुम्बई में किसी होटल पर काम कर रहा है.

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देहरादून: हत्या के मामले में करीब दस साल से फरार आरोपी को आखिरकार उत्तराखंड एसटीएफ (स्पेशट टास्क फोर्स) ने गिरफ्तार कर लिया. उत्तराखंड एसटीएफ के मुताबिक आरोपी मुंबई में एक रेस्टोरेंट में सूप बेच रहा था. वहीं से उत्तराखंड एसटीएफ ने आरोपी को अरेस्ट किया है.

साल 2014 से था फरार: उत्तराखंड एसटीएफ ने बताया कि 14 अक्टूबर 2014 को अल्मोड़ा जिले के लमगढ़ा थाने में अज्ञात अधजला नरकंकाल मिला था. जिसकी शिनाख्त गुलाब सिंह निवासी ग्रांम गवाली तहसील पधर जिला मंडी हिमाचल प्रदेश के रूप में हुई थी.

नागराज ने ही की थी हत्या: पुलिस ने जब मामले की जांच की तो सामने आया कि 10 मार्च 2014 को गुलाब सिंह और नागराज उर्फ तिलकराज गांव कुन्दल तहसील पचर जिला मंडी हिमाचल प्रदेश काम के लिए अल्मोड़ा आए थे. पुलिस के मुताबिक 18 सिंतबर 2014 को गुलाब सिंह और नागराज का किसी बात पर झगड़ा हो गया था. तभी नागराज ने धारदार हथियार से गुलाब सिंह की हत्या कर दी थी और पहचान छुपाने के लिए गुलाब सिंह के मुंह को जलाकर घास के नीचे छिपा दिया था. इस हत्याकांड के बाद नागराज अपने गांव वापस आ गया था.

अल्मोड़ा कोर्ट ने किया था भगोड़ा घोषित: वहीं, अल्मोड़ा पुलिस ने लमगढ़ थाने में नागराज के खिलाफ मुकदमा दर्ज किया, लेकिन जब तक पुलिस आरोपी को गिरफ्तार करने पहुंची वो फरार हो चुका था. साल 2014 से ही अल्मोड़ा पुलिस लगातार आरोपी नागराज की तलाश में जुटी हुई है, लेकिन उसका कही कोई सुराग नहीं लग रहा था. अल्मोड़ा कोर्ट ने भी आरोपी नागराज को मफरूर (भगोड़ा) घोषित कर दिया था. साथ ही डीआईजी कुमाऊं ने आरोपी की गिरफ्तार के लिए 20 हजार रुपए का इनाम घोषित किया था.

एसटीएफ को मिला अहम सुराग: एक तरफ जहां अल्मोड़ा पुलिस अपने स्तर पर आरोपी की तलाश कर रही थी, तो वहीं एसटीएफ की भी अलग-अलग टीमें आरोपी की खोजबीन में जुटी हुई थी. एसएसपी एसटीएफ आयुष अग्रवाल ने बताया कि उनकी टीम को गुलाब सिंह हत्याकांड के आरोपी नागराज के बारे में खबर लगी, जिसके बाद टीम ने मुंबई जाकर आरोपी को गिरफ्तार किया.

आरोपी ने पुलिस को बताई हत्या की वजह: पुलिस पूछताछ में आरोपी ने बताया कि साल 2014 में वो और गुंलाब सिंह अल्मोड़ा में लीसा निकालने का काम करते थे. दोनों की अच्छी दोस्ती थी. आपस में खाना पीना साथ करते थे. दोनों अलग-अलग झोपड़ी में रहते थे. एक रात को दोनों खाना पी रहे थे, तभी गुलाब सिंह ने किसी बात को लेकर उसे गाली दे दी, जिससे उसे गुस्सा आ गया और नागराज ने वहीं पड़े सरिए के कारण गुलाब सिंह की गर्दन पर वार कर दिया, जिससे उसकी मौत हो गई.

तेजाब से जला दिया था चेहरा: नागराज ने पुलिस को बताया कि हत्या के बाद उसने गुलाब सिंह को चेहरे को तेजाब से जला दिया और खेत में गड्डा खोदकर शव वहीं दबा दिया, ताकि शव की पहचान न हो सके. इसके बाद आरोपी अपने गांव हिमाचल आ गया. वहां से वो किसी तरह मुंबई चला गया और पिछले दस सालों से नाम और भेष बदलकर अलग अलग होटल और रेस्टोंरटों में काम कर रहा था.

हर 6 महीने में बदल देता था ठिकाना: पिछले तीन महीने से मुंबई के एनटॉपहिल पुलिस स्टेशन एरिया के पास से पाया सूप बार में काम कर रहा था. आरोपी अपना ठिकाना हर 6 महीने में बदल देता था, ताकि पुलिस की पकड़ से दूर रहे. वह कोरोना के समय अपने गांव आया था, लेकिन परिजनों ने उसे दोबारा घर नहीं आने को कह दिया था.

एसटीएफ को गांव से लगा था आरोपी का सुराग: हत्यारोपी का परिवार अभी भी हिमाचल प्रदेश में गांव में ही रहते हैं. इस आरोपी की गिरप्तारी को एसटीएफ ने एक चैलेंच के रूप में लिया था. इसके लिए महीनों पहले एसटीएफ के दो कर्मचारी कैलाश नयाल और अर्जुन रावत को आरोपी नागराज की टोह लेने उसके गांव हिमाचल प्रदेश भेजा था, जहां पर उसके बारे में एसटीएफ को कुछ ठोस जानकारी हासिल हुई कि वह इस समय मुम्बई में किसी होटल पर काम कर रहा है.

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