देहरादून (किरनकांत शर्मा): दीवार पर टंगे कैलेंडर की तारीख बदल गई है. साल 2024 से हम साल 2025 में प्रवेश कर गए हैं. साल 2024 उत्तराखंड के लिहाज से बेहद शानदार रहा. कई ऐसे मुकाम प्रदेश ने हासिल किए जिसके सुखद परिणाम आने वाले समय में दिखाई देंगे. कई ऐसी घटनाएं भी हुईं जिन्होंने कई तरह के सवाल सरकार से लेकर सिस्टम पर खड़े किए.
उत्तराखंड के गेम चेंजर परियोजनाएं: साल 2025 उत्तराखंड के साथ-साथ देश के अन्य राज्यों के लिहाज से बहुत कुछ लेकर आ रहा है. उत्तराखंड में ऐसे कई काम साल 2025 में होंगे जिनसे प्रदेश को तो फायदा मिलेगा ही, साथ ही साथ दूसरे प्रदेशों को भी इन परियोजनाओं से मजबूती मिलेगी. आखिरकार कौन-कौन से हैं वह काम जिन्हें आप साल 2025 में धरातल पर उतरते हुए देखेंगे, आइए जानते हैं.
ऋषिकेश रेल परियोजना: उत्तराखंड में सबसे बड़ी परियोजना इस वक्त अगर कोई चल रही है तो वो है ऋषिकेश कर्णप्रयाग रेल मार्ग परियोजना. इस प्रोजेक्ट के तहत काम कर रही मशीनें आगे की तरफ बढ़कर काम को गति दे रही हैं. 125 किलोमीटर से अधिक लंबे इस रेलवे ट्रैक का काम काफी हद तक पूरा हो गया है. ऋषिकेश से कर्णप्रयाग तक सफर करने वालों को न केवल यात्रा का समय आधा लगेगा, बल्कि लगभग 20 करोड़ रुपए के ईंधन की बचत भी इस परियोजना से होगी.
साल 2025 में भारतीय रेलवे यही चाहती है कि यह काम पूरा हो जाए. परियोजना से जुड़े उप महाप्रबंधक ओपी मालगुड़ी बताते हैं कि-
'हमारी यही उम्मीद है कि हम इस परियोजना का काम साल 2025 के अंत तक पूरा कर लेंगे. उम्मीद तो यह भी है कि साल 2025 में इस ट्रैक पर काफी दूरी ट्रेन से तय कर ली जाएगी. लगभग 125 किलोमीटर के इस ट्रैक पर 105 किलोमीटर का जो सुरंग का हिस्सा है, उसमें से 80% से अधिक काम पूरा कर लिया गया है. हालांकि रेलवे ने जो समय सीमा रखी है वह यह है कि हम साल 2026 में पूरी तरह से इस ट्रैक पर रेलगाड़ी दौड़ा लेंगे. अगर हम रेलवे ट्रायल की बात करें, तो संभावना पूरी यही है कि साल 2025 के अंत तक हम इसको कर लेंगे.'
-ओपी मालगुड़ी, उप महाप्रबंधक, ऋषिकेश-कर्णप्रयाग रेल परियोजना-
देश के लोगों को मिलेगा फायदा: इस रेल मार्ग के बनने से न केवल उत्तराखंड को, बल्कि अन्य राज्यों को भी फायदा पहुंचेगा. देश दुनिया से चारधाम यात्रा और उत्तराखंड की वादियों में घूमने आने वाले लोगों को अब कम समय में चारधाम यात्रा का लाभ तो मिलेगा ही, साथ ही साथ एक ऐसी ट्रेन में सफर करने का आनंद भी प्राप्त होगा, जिसका ज्यादातर समय टनल के अंदर से होकर ही गुजरेगा. यह परियोजना उत्तराखंड और देश की आर्थिक में भी काफी योगदान देगी.
इकोनॉमी कॉरिडोर पर होगा सफर: साल 2025 के शुरुआती महीने में ही एक और बड़ी परियोजना धरातल पर उतर जाएगी और लोग दिल्ली से देहरादून का सफर कम समय में तय कर पाएंगे. इस परियोजना का काम लगभग पूरा हो गया है. उम्मीद यही जताई जा रही है कि जनवरी महीने के अंत तक या फरवरी महीने के शुरुआती दिनों में दिल्ली देहरादून इकोनॉमी कॉरिडोर के नाम से पहचान बना रहे एलिवेटेड एक्सप्रेस वे पर चलने का सपना भी लोगों का पूरा हो जाएगा. कम समय में दिल्ली से देहरादून तक न केवल लोग आ पाएंगे, बल्कि आर्थिक कामकाज भी दोनों के बीच अत्यधिक बढ़ जाएगा. इस परियोजना का काम साल 2022 से निरंतर चल रहा है. अब बस इंतजार है इस पर सफर करने का. देहरादून के आईएसबीटी से निकलने वाले इस एक्सप्रेसवे का लास्ट छोर दिल्ली के अक्षरधाम तक होगा.
यूपी से जोड़ने वाला सबसे बड़ा पुल: उत्तराखंड से उत्तर प्रदेश को जोड़ने वाले एक और मार्ग की चर्चा काफी समय से हो रही है. खुद केंद्रीय सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी भी इस पूरे प्रोजेक्ट को कई बार देख चुके हैं. हरिद्वार के चंडी घाट पर बनने वाले इस प्रोजेक्ट को लेकर इसलिए भी लोगों में उत्साह है क्योंकि पहले से बने एक पुल के बराबर में यह पुल बन रहा है. चारधाम यात्रा और गंगा स्नान के लिहाज से यह पुल बेहद महत्वपूर्ण है. चंडी घाट स्थित नील धारा पर बना रहे इस पुल की खासियत यह है कि यह उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड की नदियों पर बनने वाला सबसे बड़ा पुल है. इस पुल का 98% काम पूरा हो गया है. उम्मीद यही जताई जा रही है कि खुद नितिन गडकरी इस पुल को हरी झंडी दिखाने के लिए जनवरी महीने के मध्य में हरिद्वार पहुंचेंगे. यानी इस पुल के बनने से उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड की कनेक्टिविटी को एक नया आयाम मिलेगा.
हरिद्वार में होगा ये बदलाव: उत्तराखंड सरकार के लिहाज से एक और काम इस साल जमीन पर शुरू हो जाएगा. यह काम है ऋषिकेश और हरिद्वार में बनने वाला आध्यात्मिक कॉरिडोर. इस कॉरिडोर का लंबे समय से न केवल विरोध हो रहा है, बल्कि शासन प्रशासन भी अब तक इस मामले में फूंक फूंक कर कदम रख रहे हैं. हालांकि अब यह साफ हो गया है कि मार्च महीने के बाद हरिद्वार में कॉरिडोर का काम न केवल शुरू होगा, बल्कि इसको गति भी दी जाएगी. साल 2026 या 2027 के शुरुआती दिनों तक इसको पूरा कर लिया जाएगा. सरकार चाहती है कि सभी स्थानीय निवासियों को बैठक इस पर सर्वसम्मति से निर्णय लिया जाए. इस कड़ी में काफी हद तक काम आगे भी बढ़ गया है. इस परियोजना के बाद हरिद्वार बेहद बदला बदला नजर आएगा. सड़क से लेकर चौक चौराहे और हर की पैड़ी तक पहुंचने वाले रास्ते ऐतिहासिक रूप तो लेंगे ही, साथ ही साथ श्रद्धालुओं के ठहरने, भजन, स्नान करने के लिए भी कई स्थान डेवलप किया जाएंगे.
चीन को होगी इस हाईवे से टेंशन: भारत सरकार एक और बड़ी योजना पर काम कर रही है. इसका काम साल 2025 में शुरू हो जाएगा. उत्तराखंड से लगती हुई चीन के कब्जे वाले तिब्ब्त और नेपाल की सीमा तक 100 किलोमीटर लंबा हाईवे बनाने का काम भी इसी साल शुरू हो रहा है. नेपाल सीमा के पास लिपुलेख तक जाने वाली सड़क को हाईवे का स्वरूप दिया जा रहा है. इसके लिए बाकायदा केंद्र सरकार के सड़क एवं परिवहन मंत्रालय द्वारा मंजूरी भी मिल गई है. केंद्र सरकार चाहती है कि उत्तराखंड के रास्ते चीन बॉर्डर तक पहुंचने का रास्ता सुगम और सरल हो जाए. इस रास्ते से न केवल सेना को मदद मिलेगी, बल्कि पर्यटक भी आसानी से अंतिम छोर तक पहुंच पाएंगे.
कनेक्टिविटी से अछूते गांव इस हाईवे से जुड़ेंगे: इस हाईवे का निर्माण बॉर्डर रोड ऑर्गनाइजेशन करेगी. खास बात यह है कि यह हाईवे 7120 मीटर ऊंचे त्रिशूल पर्वत के नीचे से होता हुआ आगे की तरफ जाएगा. इसकी लागत लगभग 900 करोड़ रुपए फिलहाल बताई गई है. हाईवे जिस इलाके को जोड़ेगा उसमें चमोली जिला शामिल है. चमोली के कई ऐसे बिंदु हैं जो आज भी सड़क से अछूते हैं. इसके साथ ही पिथौरागढ़ और अल्मोड़ा को भी इस हाईवे से कनेक्टिविटी दी जाएगी. बागेश्वर होते हुए यह हाईवे चीन और नेपाल की सीमा को छुएगा.
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