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उत्तराखंड में पीसीबी रोपित करेगा पॉल्यूशन कम करने वाले पौधे, सुधरेगी हिमालय की सेहत - Pollution reducing plants

Pollution Reducing Plants Will Be Planted प्रदूषण वैश्विक समस्या बनती जा रहा है और उत्तराखंड भी इससे अछूता नहीं है. उत्तराखंड में तेजी से प्रदूषण का स्तर बढ़ रहा है, जो भविष्य के लिए खतरनाक संकेत हैं. ऐसे में उत्तराखंड पॉल्यूशन कंट्रोल बोर्ड प्रदेश के पर्वतीय जिलों में पॉल्यूशन को कम करने वाले पेड़ पौधों को रोपित करने जा रहा है.

Pollution reducing plants will be planted
रोपित किए जाएंगे पॉल्यूशन कम करने वाले पौधे (फोटो-ईटीवी भारत)
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By ETV Bharat Uttarakhand Team

Published : Jun 29, 2024, 12:37 PM IST

पीसीबी रोपित करेगा पॉल्यूशन कम करने वाले पौधे (वीडियो-ईटीवी भारत)

देहरादून (उत्तराखंड): चारधाम यात्रा में बड़ी संख्या में श्रद्धालु दर्शनों के लिए पहुंच रहे हैं. धामों में लगातार बड़ी यात्रियों की संख्या और वाहनों की आवागमन के चलते प्रदेश के पर्वतीय और उच्च हिमालय क्षेत्र पर काफी अधिक प्रदूषण फैलने की संभावना जताई जा रही है. जो भविष्य के लिए काफी खतरनाक साबित हो सकती है. वहीं, भविष्य की परिस्थितियों को देखते हुए उत्तराखंड पॉल्यूशन कंट्रोल बोर्ड प्रदेश के पर्वतीय क्षेत्रों पर हो रहे पॉल्यूशन को कम करने के लिए नया तरीका अपनाने पर जोर दे रहा है. जिसके तहत प्रदेश के पर्वतीय क्षेत्रों पर उस तरह के वृक्ष लगाए जाएंगे जो प्रदूषण को अवशोषित करते हैं.

Glaciers melting due to pollution
प्रदूषण से पिघल रहे ग्लेशियर (फोटो-ईटीवी भारत)

तेजी से बढ़ रहा पॉल्यूशन: उत्तराखंड में पॉल्यूशन दिनों दिन बढ़ता जा रहा है. पॉल्यूशन बढ़ने के तो तमाम वजह हैं, मुख्य रूप से देखें तो प्रदेश में बढ़ती इंडस्ट्री के साथ ही जंगलों में हर साल आग भीषण रूप ले रही है. वहीं प्रदूषण के लिए जंगल की आग भी बड़ी वजह बन रही है. इसके अलावा उत्तराखंड चारधाम यात्रा भी जोरों शोरों से संचालित होती है और हर साल धामों में आने वाले श्रद्धालुओं की संख्या भी तेजी से बढ़ती जा रही है. जिसे चलते प्रदेश के पर्वतीय क्षेत्रों पर पॉल्यूशन भी उसी रफ्तार से बढ़ रहा है. यही नहीं पर्वतीय क्षेत्रों पर लगातार वाहनों की आवाजाही और बेलगाम हेलीकॉप्टरों का संचालन भी पर्वतीय क्षेत्रों में पॉल्यूशन बढ़ाने में एक बड़ी भूमिका निभा रहे हैं. अगर भविष्य में भी ऐसे ही स्थिति रही तो इससे न सिर्फ उच्च हिमालय क्षेत्र पर मौजूद ग्लेशियर के पिघलने की रफ्तार बढ़ जाएगी. बल्कि गर्मियों में तापमान पर भी असर देखने को मिल रहा है.

Pollution is ruining the environment
प्रदूषण से आबोहवा हो रही खराब (फोटो-ईटीवी भारत)

उत्तराखंड में गंभीर बन रही समस्या: देश के साथ ही उत्तराखंड में भी पॉल्यूशन एक गंभीर समस्या बनता जा रहा है. ऐसे में भारत सरकार पॉल्यूशन को कम किए जाने को लेकर नेशनल क्लीन एयर प्रोग्राम देशभर में संचालित कर रही है, जिसके तहत जगह-जगह पर मॉनिटरिंग सिस्टम लगाए गए हैं. साथ ही भारत सरकार वृक्षारोपण पर भी जोर दे रही है. विकास के नाम पर आए दिन हरे पेड़ों पर आरी चलाई जा रही है, जो भविष्य के लिए काफी खतरनाक है. ऐसे में उत्तराखंड सरकार प्रदेश भर में ऐसे पौधों का रोपण करने पर जोर दे रही है जो पॉल्यूशन को अवशोषित करते हैं.

Pollution Reducing Plants Will Be Planted
पॉल्यूशन कम करने वाले पौधे से सुधरेगी हिमालय की सेहत (फोटो-ईटीवी भारत)

पॉल्यूशन को कंट्रोल करेंगे ये पेड़ पौधे: वहीं, पॉल्यूशन कंट्रोल बोर्ड के सदस्य सचिव पराग मधुकर धकाते ने कहा कि भारत सरकार का नेशनल क्लीन एयर प्रोग्राम उत्तराखंड में भी चल रहा है. जिसके तहत देहरादून, काशीपुर, ऋषिकेश समेत महत्वपूर्ण स्थानों पर चल रहा है. इस कार्यक्रम के तहत एयर क्वालिटी इंडेक्स के मानकों को ध्यान में रखते हुए मॉनिटरिंग स्टेशन लगाए गए हैं. लिहाजा, पॉल्यूशन को बढ़ने से रोकने के लिए अलग-अलग कार्य किए जा रहे हैं. साथ ही कहा कि पॉल्यूशन कंट्रोल बोर्ड इस बार ऐसे पौधों का रोपण करने का रहा है, जो पॉल्यूशन को सबसे अधिक अवशोषित करते हैं. इन पौधों में बौंबू पाम समेत पीपल, बरगद, पाकड़, जामुन, नीम, हरसिंगार, अशोक, अर्जुन के पेड़ लगाए जाएंगे.

प्रदूषण को कम करेंगे पौधे: पीसीबी के सदस्य सचिव ने कहा कि इसके लिए प्लान तैयार किया गया है. जिसके तहत, पीसीबी, वन विभाग और प्रदेश के जितने भी इससे जुड़े विभाग और एनसीसी कैडेट्स हैं, वो उन प्रजातियों के पौधों का रोपण कर रहे हैं, जो मैक्सिमम पॉल्यूशन को अवशोषित करने की क्षमता रखते हैं. इसके साथ भी इस प्लान में शहरी क्षेत्रों में भी पौधारोपण का कार्य किया जाएगा. इस सीजन गर्मी ने सारे रिकॉर्ड तोड़ दिए क्योंकि इस बार तापमान 43 डिग्री सेल्सियस के पार पहुंच गया था. भविष्य में पॉल्यूशन और तापमान को कम किया जा सके, इसको ध्यान में रखते हुए ग्रीन क्षेत्र को विकसित किया जा रहा है.

तेजी से पिघल रहे हिमालय: वहीं, वाडिया से रिटायर्ड हिमनद वैज्ञानिक डॉ. डीपी डोभाल ने बताया कि पॉल्यूशन का असर प्रत्येक चीज पर पड़ता है. लेकिन पर्यावरण के लिहाज ग्लेशियर और स्नो बहुत सेंसिटिव है. ऐसे में मैदानी क्षेत्रों से जो पॉल्यूशन या Co2 का उत्पादन होता है, वो उच्च हिमालयी क्षेत्रों में मौजूद ग्लेशियर में जाकर जमा हो जाता है. जिसके चलते ग्लेशियर, सूर्य की गर्मी को अवशोषित करने लग जाता है. जिसका नतीजा ये होता है कि ग्लेशियर के पिघलने की रफ्तार बढ़ जाती है. जिसके लिए समय रहते चेतने की जरूरत है.

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पीसीबी रोपित करेगा पॉल्यूशन कम करने वाले पौधे (वीडियो-ईटीवी भारत)

देहरादून (उत्तराखंड): चारधाम यात्रा में बड़ी संख्या में श्रद्धालु दर्शनों के लिए पहुंच रहे हैं. धामों में लगातार बड़ी यात्रियों की संख्या और वाहनों की आवागमन के चलते प्रदेश के पर्वतीय और उच्च हिमालय क्षेत्र पर काफी अधिक प्रदूषण फैलने की संभावना जताई जा रही है. जो भविष्य के लिए काफी खतरनाक साबित हो सकती है. वहीं, भविष्य की परिस्थितियों को देखते हुए उत्तराखंड पॉल्यूशन कंट्रोल बोर्ड प्रदेश के पर्वतीय क्षेत्रों पर हो रहे पॉल्यूशन को कम करने के लिए नया तरीका अपनाने पर जोर दे रहा है. जिसके तहत प्रदेश के पर्वतीय क्षेत्रों पर उस तरह के वृक्ष लगाए जाएंगे जो प्रदूषण को अवशोषित करते हैं.

Glaciers melting due to pollution
प्रदूषण से पिघल रहे ग्लेशियर (फोटो-ईटीवी भारत)

तेजी से बढ़ रहा पॉल्यूशन: उत्तराखंड में पॉल्यूशन दिनों दिन बढ़ता जा रहा है. पॉल्यूशन बढ़ने के तो तमाम वजह हैं, मुख्य रूप से देखें तो प्रदेश में बढ़ती इंडस्ट्री के साथ ही जंगलों में हर साल आग भीषण रूप ले रही है. वहीं प्रदूषण के लिए जंगल की आग भी बड़ी वजह बन रही है. इसके अलावा उत्तराखंड चारधाम यात्रा भी जोरों शोरों से संचालित होती है और हर साल धामों में आने वाले श्रद्धालुओं की संख्या भी तेजी से बढ़ती जा रही है. जिसे चलते प्रदेश के पर्वतीय क्षेत्रों पर पॉल्यूशन भी उसी रफ्तार से बढ़ रहा है. यही नहीं पर्वतीय क्षेत्रों पर लगातार वाहनों की आवाजाही और बेलगाम हेलीकॉप्टरों का संचालन भी पर्वतीय क्षेत्रों में पॉल्यूशन बढ़ाने में एक बड़ी भूमिका निभा रहे हैं. अगर भविष्य में भी ऐसे ही स्थिति रही तो इससे न सिर्फ उच्च हिमालय क्षेत्र पर मौजूद ग्लेशियर के पिघलने की रफ्तार बढ़ जाएगी. बल्कि गर्मियों में तापमान पर भी असर देखने को मिल रहा है.

Pollution is ruining the environment
प्रदूषण से आबोहवा हो रही खराब (फोटो-ईटीवी भारत)

उत्तराखंड में गंभीर बन रही समस्या: देश के साथ ही उत्तराखंड में भी पॉल्यूशन एक गंभीर समस्या बनता जा रहा है. ऐसे में भारत सरकार पॉल्यूशन को कम किए जाने को लेकर नेशनल क्लीन एयर प्रोग्राम देशभर में संचालित कर रही है, जिसके तहत जगह-जगह पर मॉनिटरिंग सिस्टम लगाए गए हैं. साथ ही भारत सरकार वृक्षारोपण पर भी जोर दे रही है. विकास के नाम पर आए दिन हरे पेड़ों पर आरी चलाई जा रही है, जो भविष्य के लिए काफी खतरनाक है. ऐसे में उत्तराखंड सरकार प्रदेश भर में ऐसे पौधों का रोपण करने पर जोर दे रही है जो पॉल्यूशन को अवशोषित करते हैं.

Pollution Reducing Plants Will Be Planted
पॉल्यूशन कम करने वाले पौधे से सुधरेगी हिमालय की सेहत (फोटो-ईटीवी भारत)

पॉल्यूशन को कंट्रोल करेंगे ये पेड़ पौधे: वहीं, पॉल्यूशन कंट्रोल बोर्ड के सदस्य सचिव पराग मधुकर धकाते ने कहा कि भारत सरकार का नेशनल क्लीन एयर प्रोग्राम उत्तराखंड में भी चल रहा है. जिसके तहत देहरादून, काशीपुर, ऋषिकेश समेत महत्वपूर्ण स्थानों पर चल रहा है. इस कार्यक्रम के तहत एयर क्वालिटी इंडेक्स के मानकों को ध्यान में रखते हुए मॉनिटरिंग स्टेशन लगाए गए हैं. लिहाजा, पॉल्यूशन को बढ़ने से रोकने के लिए अलग-अलग कार्य किए जा रहे हैं. साथ ही कहा कि पॉल्यूशन कंट्रोल बोर्ड इस बार ऐसे पौधों का रोपण करने का रहा है, जो पॉल्यूशन को सबसे अधिक अवशोषित करते हैं. इन पौधों में बौंबू पाम समेत पीपल, बरगद, पाकड़, जामुन, नीम, हरसिंगार, अशोक, अर्जुन के पेड़ लगाए जाएंगे.

प्रदूषण को कम करेंगे पौधे: पीसीबी के सदस्य सचिव ने कहा कि इसके लिए प्लान तैयार किया गया है. जिसके तहत, पीसीबी, वन विभाग और प्रदेश के जितने भी इससे जुड़े विभाग और एनसीसी कैडेट्स हैं, वो उन प्रजातियों के पौधों का रोपण कर रहे हैं, जो मैक्सिमम पॉल्यूशन को अवशोषित करने की क्षमता रखते हैं. इसके साथ भी इस प्लान में शहरी क्षेत्रों में भी पौधारोपण का कार्य किया जाएगा. इस सीजन गर्मी ने सारे रिकॉर्ड तोड़ दिए क्योंकि इस बार तापमान 43 डिग्री सेल्सियस के पार पहुंच गया था. भविष्य में पॉल्यूशन और तापमान को कम किया जा सके, इसको ध्यान में रखते हुए ग्रीन क्षेत्र को विकसित किया जा रहा है.

तेजी से पिघल रहे हिमालय: वहीं, वाडिया से रिटायर्ड हिमनद वैज्ञानिक डॉ. डीपी डोभाल ने बताया कि पॉल्यूशन का असर प्रत्येक चीज पर पड़ता है. लेकिन पर्यावरण के लिहाज ग्लेशियर और स्नो बहुत सेंसिटिव है. ऐसे में मैदानी क्षेत्रों से जो पॉल्यूशन या Co2 का उत्पादन होता है, वो उच्च हिमालयी क्षेत्रों में मौजूद ग्लेशियर में जाकर जमा हो जाता है. जिसके चलते ग्लेशियर, सूर्य की गर्मी को अवशोषित करने लग जाता है. जिसका नतीजा ये होता है कि ग्लेशियर के पिघलने की रफ्तार बढ़ जाती है. जिसके लिए समय रहते चेतने की जरूरत है.

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