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आयकर विभाग ने सरकार को भी नहीं छोड़ा! जीरो 'इनकम' पर वसूल लिया करीब ₹97 करोड़ का टैक्स, जानिए पूरा मामला - Uttarakhand Forest Corporation - UTTARAKHAND FOREST CORPORATION

Uttarakhand Forest Corporation उत्तराखंड वन निगम ने यूपी सरकार से कोई पैसा प्राप्त किए बिना आयकर विभाग को करोड़ों रुपये का भुगतान कर दिया. मामले की जानकारी तब सामने आई जब वित्त मंत्री पुनर्गठन विभागों की बैठक कर रहे थे.

Uttarakhand Forest Corporation
उत्तराखंड वन निगम (FILE PHOTO ETV Bharat)
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By ETV Bharat Uttarakhand Team

Published : Aug 6, 2024, 8:23 PM IST

Updated : Aug 6, 2024, 8:34 PM IST

जीरो 'इनकम' पर वसूल लिया करीब ₹97 करोड़ का टैक्स (ETV Bharat)

देहरादून: उत्तराखंड वन निगम से एक हैरतअंगेज मामला सामने आया है. विधानसभा में हुई पुनर्गठन विभागों की बैठक में सामने आया कि उत्तराखंड वन निगम ने 563 करोड़ रुपए पर करीब 97 रुपए इनकम टैक्स भरा है. लेकिन यह पैसा निगम को अब तक मिला ही नहीं है. इस पूरे प्रकरण में उत्तर प्रदेश सरकार भी शामिल है.

सोमवार को पुनर्गठन और वन निगम से संबंधित मामलों की समीक्षा के दौरान निगम के अधिकारियों ने वित्त मंत्री प्रेमचंद अग्रवाल को बताया कि, उत्तराखंड वन निगम को उत्तर प्रदेश से मिलने वाले 99 करोड़ की धनराशि पर साल 2017 तक ब्याज समेत कुल 563 करोड़ रुपए अभी निगम को मिले नहीं है, लेकिन निगम ने 563 करोड़ रुपए पर इनकम टैक्स भर दिया है.

अधिकारियों को दिए मामला निपटाने का आदेश: विभागीय मंत्री प्रेमचंद अग्रवाल ने इस पर हैरानी जताते हुए कहा कि जब पैसा निगम को मिला ही नहीं तो उनके द्वारा इनकम टैक्स रिटर्न कैसे भर दिया गया? विभागीय मंत्री ने वन निगम के अधिकारियों द्वारा इस मामले में लगातार बढ़ती जा रही लापरवाही पर नाराजगी जताते हुए कहा कि जल्द निगम के अधिकारी, उत्तर प्रदेश के अधिकारियों से पत्राचार करें और यह पैसा प्राप्त करें.

मंत्री ने मीडिया को समझाया प्रकरण: मीडिया से बातचीत करते हुए कैबिनेट मंत्री प्रेमचंद अग्रवाल ने कहा कि, यह पैसा राज्य गठन के दौरान किए गए बंटवारे के तहत 99 करोड़ की मूल राशि उत्तर प्रदेश से उत्तराखंड को दी जानी थी. जिस पर 2017 तक ब्याज जोड़कर कुल 563 करोड़ रुपए हो चुका है. उन्होंने कहा कि यह 2017 की स्थिति के तहत है. हालांकि, अब 2024 में यह रकम बढ़कर और ज्यादा हो चुकी है. वन निगम की वो संपत्ति जो निगम को अभी प्राप्त नहीं हुई है लेकिन तकनीकी रूप से इनकम टैक्स उसे उत्तराखंड वन निगम की मान रहा है. इसलिए इनकम टैक्स रिटर्न भी आयकर विभाग द्वारा उत्तराखंड वन निगम लिया जा रहा है. ये निश्चित तौर पर उत्तराखंड के राजस्व का नुकसान है. उन्होंने अधिकारियों को निर्देश दिए हैं कि वह उत्तर प्रदेश के अधिकारियों से इस संबंध में बात कर समाधान निकालें.

भूमि बंटवारे पर भी दिए निर्देश: इसके अलावा मंत्री अग्रवाल ऊर्जा विभाग से संबंधित मामलों की समीक्षा के दौरान संबंधित अधिकारियों को निर्देश दिए कि जेपी प्रोजेक्ट के भी बचे हुए 10 करोड़ रुपए यूपी से लेने के लिए उत्तर प्रदेश के संबंधित अधिकारियों से बराबर पत्राचार करें और तुरंत कार्रवाई करना सुनिश्चित करें. वहीं भूमि के बंटवारे में भी हरिद्वार में मौजूद 615 हेक्टेयर भूमि जो उत्तर प्रदेश से उत्तराखंड को मिल गई है, उसके शासनादेश के संबंध में जल्द कार्रवाई की जाए. उधमसिंह नगर में मौजूद 232 हेक्टेयर भूमि और चंपावत में भी 208 हेक्टेयर भूमि से भी अधिक के संपूर्ण हिस्से को भी उत्तर प्रदेश से वापस लेने के लिए जरूरी कार्रवाई की जाए.

ऐसे देता रहा निगम टैक्स: वन विकास निगम से मिली जानकारी के अनुसार, साल 2014-15 और 2015-16 में आयकर विभाग ने वन विकास निगम के खाते सेट कर दिए और उसमें से 55 करोड़ रुपए विड्रॉल कर लिए. साथ ही वन विकास निगम के चार करोड़ के रिफंड को भी रख लिया. इसके बाद वन विकास निगम को अपने खाते खुलवाने के लिए तकरीबन 38 करोड़ रुपए और आयकर विभाग को देने पड़े. इस तरह से आयकर विभाग ने वन विकास निगम से तकरीबन 97 करोड़ का इनकम टैक्स जबरन वसूल लिया.

ये भी पढ़ें: वन विकास निगम में आउटसोर्स कर्मियों को 5 महीने से नहीं मिला वेतन, शासन में सेवा विस्तार भी अटका

जीरो 'इनकम' पर वसूल लिया करीब ₹97 करोड़ का टैक्स (ETV Bharat)

देहरादून: उत्तराखंड वन निगम से एक हैरतअंगेज मामला सामने आया है. विधानसभा में हुई पुनर्गठन विभागों की बैठक में सामने आया कि उत्तराखंड वन निगम ने 563 करोड़ रुपए पर करीब 97 रुपए इनकम टैक्स भरा है. लेकिन यह पैसा निगम को अब तक मिला ही नहीं है. इस पूरे प्रकरण में उत्तर प्रदेश सरकार भी शामिल है.

सोमवार को पुनर्गठन और वन निगम से संबंधित मामलों की समीक्षा के दौरान निगम के अधिकारियों ने वित्त मंत्री प्रेमचंद अग्रवाल को बताया कि, उत्तराखंड वन निगम को उत्तर प्रदेश से मिलने वाले 99 करोड़ की धनराशि पर साल 2017 तक ब्याज समेत कुल 563 करोड़ रुपए अभी निगम को मिले नहीं है, लेकिन निगम ने 563 करोड़ रुपए पर इनकम टैक्स भर दिया है.

अधिकारियों को दिए मामला निपटाने का आदेश: विभागीय मंत्री प्रेमचंद अग्रवाल ने इस पर हैरानी जताते हुए कहा कि जब पैसा निगम को मिला ही नहीं तो उनके द्वारा इनकम टैक्स रिटर्न कैसे भर दिया गया? विभागीय मंत्री ने वन निगम के अधिकारियों द्वारा इस मामले में लगातार बढ़ती जा रही लापरवाही पर नाराजगी जताते हुए कहा कि जल्द निगम के अधिकारी, उत्तर प्रदेश के अधिकारियों से पत्राचार करें और यह पैसा प्राप्त करें.

मंत्री ने मीडिया को समझाया प्रकरण: मीडिया से बातचीत करते हुए कैबिनेट मंत्री प्रेमचंद अग्रवाल ने कहा कि, यह पैसा राज्य गठन के दौरान किए गए बंटवारे के तहत 99 करोड़ की मूल राशि उत्तर प्रदेश से उत्तराखंड को दी जानी थी. जिस पर 2017 तक ब्याज जोड़कर कुल 563 करोड़ रुपए हो चुका है. उन्होंने कहा कि यह 2017 की स्थिति के तहत है. हालांकि, अब 2024 में यह रकम बढ़कर और ज्यादा हो चुकी है. वन निगम की वो संपत्ति जो निगम को अभी प्राप्त नहीं हुई है लेकिन तकनीकी रूप से इनकम टैक्स उसे उत्तराखंड वन निगम की मान रहा है. इसलिए इनकम टैक्स रिटर्न भी आयकर विभाग द्वारा उत्तराखंड वन निगम लिया जा रहा है. ये निश्चित तौर पर उत्तराखंड के राजस्व का नुकसान है. उन्होंने अधिकारियों को निर्देश दिए हैं कि वह उत्तर प्रदेश के अधिकारियों से इस संबंध में बात कर समाधान निकालें.

भूमि बंटवारे पर भी दिए निर्देश: इसके अलावा मंत्री अग्रवाल ऊर्जा विभाग से संबंधित मामलों की समीक्षा के दौरान संबंधित अधिकारियों को निर्देश दिए कि जेपी प्रोजेक्ट के भी बचे हुए 10 करोड़ रुपए यूपी से लेने के लिए उत्तर प्रदेश के संबंधित अधिकारियों से बराबर पत्राचार करें और तुरंत कार्रवाई करना सुनिश्चित करें. वहीं भूमि के बंटवारे में भी हरिद्वार में मौजूद 615 हेक्टेयर भूमि जो उत्तर प्रदेश से उत्तराखंड को मिल गई है, उसके शासनादेश के संबंध में जल्द कार्रवाई की जाए. उधमसिंह नगर में मौजूद 232 हेक्टेयर भूमि और चंपावत में भी 208 हेक्टेयर भूमि से भी अधिक के संपूर्ण हिस्से को भी उत्तर प्रदेश से वापस लेने के लिए जरूरी कार्रवाई की जाए.

ऐसे देता रहा निगम टैक्स: वन विकास निगम से मिली जानकारी के अनुसार, साल 2014-15 और 2015-16 में आयकर विभाग ने वन विकास निगम के खाते सेट कर दिए और उसमें से 55 करोड़ रुपए विड्रॉल कर लिए. साथ ही वन विकास निगम के चार करोड़ के रिफंड को भी रख लिया. इसके बाद वन विकास निगम को अपने खाते खुलवाने के लिए तकरीबन 38 करोड़ रुपए और आयकर विभाग को देने पड़े. इस तरह से आयकर विभाग ने वन विकास निगम से तकरीबन 97 करोड़ का इनकम टैक्स जबरन वसूल लिया.

ये भी पढ़ें: वन विकास निगम में आउटसोर्स कर्मियों को 5 महीने से नहीं मिला वेतन, शासन में सेवा विस्तार भी अटका

Last Updated : Aug 6, 2024, 8:34 PM IST
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