ETV Bharat / bharat

कार्बन उत्सर्जन में कमी लाने के लिए मददगार होगी बैंबू स्कीम, किसानों और बोर्ड को मिलेगा फायदा, शासन को भेजा प्रस्ताव

बांस एवं रेशा विकास परिषद उत्तराखंड में बैंबू की उपयोगिता बढ़ाने पर जोर दे रहा है. जिससे विभाग, किसानों और पर्यावरण को फायदा पहुंचेगा.

Photo-ETV Bharat
बैंबू की उपयोगिता बढ़ाने पर जोर (Uttarakhand Bamboo and Fiber Development Board)
author img

By ETV Bharat Uttarakhand Team

Published : Nov 30, 2024, 10:48 AM IST

देहरादून (उत्तराखंड): जलवायु परिवर्तन को लेकर बैंबू बोर्ड का प्रस्ताव बेहद अहम होने जा रहा है. दावा है कि इस प्रस्ताव पर पूरी तरह से काम हुआ तो करीब 2 लाख किलोग्राम कार्बन के उत्सर्जन को रोका जा सकेगा. फिलहाल पहली बार उत्तराखंड बैंबू एंड फाइबर डेवलपमेंट बोर्ड की तरफ से शासन को यह प्रस्ताव भेजा गया है और जल्द ही इस पर बोर्ड को शासन से हरी झंडी मिलने की उम्मीद है.

पर्यावरण संरक्षण की दिशा में बड़ा कदम: उत्तराखंड में बांस प्रोडक्ट के जरिए पर्यावरण संरक्षण की दिशा में बड़ा काम होने जा रहा है. दरअसल उत्तराखंड बैंबू एंड फाइबर डेवलपमेंट बोर्ड की तरफ से शासन को एक प्रस्ताव भेजा गया है. जिसके तहत राज्य में पौधरोपण की सुरक्षा के लिए वॉल और ट्री गार्ड के रूप में बांस का उपयोग किए जाने का सुझाव दिए गए हैं. खास बात यह है कि इस प्रस्ताव के लिए शासन स्तर पर भी संबंधित अधिकारियों द्वारा बातचीत की गई है. जिस पर शासन का सकारात्मक रुख भी दिखाई दिया है.

बैंबू योजना का शासन स्तर को भेजा प्रस्ताव (Video-ETV Bharat)

बांस का प्रोजेक्ट लाभदायक: बांस एवं रेशा विकास परिषद के सीईओ पीके पात्रों ने कहा कि उत्तराखंड में हर साल करीब डेढ़ लाख से ज्यादा पोल लगाए जाने की जरूरत होती है. जिसमें पौधारोपण के चारों तरफ सुरक्षा दीवार से लेकर ट्री गार्ड भी शामिल है. तकरीबन 1 किलोग्राम आरसीसी में 1.9 किलोग्राम कार्बन डाइऑक्साइड का उत्सर्जन होता है. ऐसे में जलवायु परिवर्तन के लिए मुख्य कारक कार्बन डाइऑक्साइड को रोकने के लिए बांस के प्रोडक्ट का इस्तेमाल लाभदायक हो सकता है.

दीवार और ट्री गार्ड लगाई जाएगी: उन्होंने आगे कहा कि प्रस्ताव के अनुसार उत्तराखंड में वन विभाग के अंतर्गत सभी पौधारोपण के संरक्षण से जुड़े पोल और ट्राई गार्ड के बदले बैंबू बोर्ड द्वारा बांस से बनाए गए ट्री गार्ड लगाएगा. उसके तहत वन विभाग जल्द ही बैंबू बोर्ड के माध्यम से ट्री गार्ड लगाए जाने से जुड़ा निर्णय ले सकता है. इसके बाद प्रदेश भर में बैंबू बोर्ड के माध्यम से ही पौधारोपण के आसपास सुरक्षा देने वाली दीवार और ट्री गार्ड लगाई जाएगी ऐसा हुआ तो प्रदेश में करीब 2 लाख किलोग्राम तक के कार्बन उत्सर्जन में कमी लाई जा सकती है. इस तरह पर्यावरण संरक्षण के लिए भी यह प्रस्ताव बेहद अहम माना जा रहा है.

बांस का उपयोग सुंदरता को भी बढ़ाएगी: बांस के प्रोडक्ट का उपयोग होने से पौधारोपण के संरक्षण में वन विभाग के खर्चे में भी कमी आएगी, और इन कामों के लिए विभाग को कम बजट की आवश्यकता होगी. इतना ही नहीं बैंबू बोर्ड बांस से बनने वाले इन प्रोडक्ट को ज्यादा मजबूत और टिकाऊ भी मान रहा है. इसके अलावा बांस का उपयोग यहां की सुंदरता को भी बढ़ाएगी और इसे प्राकृतिक रूप भी देगा.

किसानों को भी इससे होगा फायदा: बैंबू बोर्ड इस प्रस्ताव पर वन विभाग की मंजूरी के साथ ही बांस उत्पाद से जुड़े किसानों और आर्टिस्ट को भी बड़ा फायदा मिलेगा. डिमांड बढ़ने के साथ ही किसानों को इसके लिए अच्छा बाजार मिलेगा और बांस के प्रोडक्ट बनाने वाले आर्टिस्ट की मांग भी बढ़ जाएगी. फिलहाल 200 से लेकर 300 रुपए पर बांस पोल बाजार में बेचा जा रहा है. अमूमन 3 से 4 साल में बैंबू बनकर पूरी तरह पककर तैयार हो जाता है. इस प्रस्ताव पर अमलीजामा पहनाए जाने के बाद बैंबू बोर्ड को भी इसका फायदा होगा और बैंबू बोर्ड के राजस्व में भी बढ़ोतरी होगी.

बेचने और फिर वापस खरीदने की भी होगी गारंटी: कोयला बनाने पर भी बैंबू बोर्ड विचार कर रहा है. इस प्रस्ताव के अनुसार एक तरफ जहां वन विभाग को पोल के रूप में बैंबू बोर्ड की तरफ से प्रोडक्ट तैयार कर दिया जाएगा तो वहीं कई सालों की गारंटी भी वन विभाग को बैंबू बोर्ड द्वारा दी जाएगी. यही नहीं बाद में इसके खराब होने पर इस बैंबू को बोर्ड वापस भी खरीद लेगा. दरअसल बैंबू बोर्ड बाद में बॉस के कोयले बनाने की योजना भी बना रहा है, जिससे हर लिहाज से इसका फायदा लिया जा सके.
पढ़ें-उत्तराखंड में वन संरक्षण एवं जल संचयन के लिए महिलाओं की अनोखी पहल, कोट गांव में चाल-खाल में जमा किया 1 लाख लीटर पानी

पढ़ें: प्रथम गांव माणा में उत्सव की तरह मनाया गया पर्यावरण दिवस, दुर्लभ भोजपत्र के पौधे लगाने का चला अभियान

देहरादून (उत्तराखंड): जलवायु परिवर्तन को लेकर बैंबू बोर्ड का प्रस्ताव बेहद अहम होने जा रहा है. दावा है कि इस प्रस्ताव पर पूरी तरह से काम हुआ तो करीब 2 लाख किलोग्राम कार्बन के उत्सर्जन को रोका जा सकेगा. फिलहाल पहली बार उत्तराखंड बैंबू एंड फाइबर डेवलपमेंट बोर्ड की तरफ से शासन को यह प्रस्ताव भेजा गया है और जल्द ही इस पर बोर्ड को शासन से हरी झंडी मिलने की उम्मीद है.

पर्यावरण संरक्षण की दिशा में बड़ा कदम: उत्तराखंड में बांस प्रोडक्ट के जरिए पर्यावरण संरक्षण की दिशा में बड़ा काम होने जा रहा है. दरअसल उत्तराखंड बैंबू एंड फाइबर डेवलपमेंट बोर्ड की तरफ से शासन को एक प्रस्ताव भेजा गया है. जिसके तहत राज्य में पौधरोपण की सुरक्षा के लिए वॉल और ट्री गार्ड के रूप में बांस का उपयोग किए जाने का सुझाव दिए गए हैं. खास बात यह है कि इस प्रस्ताव के लिए शासन स्तर पर भी संबंधित अधिकारियों द्वारा बातचीत की गई है. जिस पर शासन का सकारात्मक रुख भी दिखाई दिया है.

बैंबू योजना का शासन स्तर को भेजा प्रस्ताव (Video-ETV Bharat)

बांस का प्रोजेक्ट लाभदायक: बांस एवं रेशा विकास परिषद के सीईओ पीके पात्रों ने कहा कि उत्तराखंड में हर साल करीब डेढ़ लाख से ज्यादा पोल लगाए जाने की जरूरत होती है. जिसमें पौधारोपण के चारों तरफ सुरक्षा दीवार से लेकर ट्री गार्ड भी शामिल है. तकरीबन 1 किलोग्राम आरसीसी में 1.9 किलोग्राम कार्बन डाइऑक्साइड का उत्सर्जन होता है. ऐसे में जलवायु परिवर्तन के लिए मुख्य कारक कार्बन डाइऑक्साइड को रोकने के लिए बांस के प्रोडक्ट का इस्तेमाल लाभदायक हो सकता है.

दीवार और ट्री गार्ड लगाई जाएगी: उन्होंने आगे कहा कि प्रस्ताव के अनुसार उत्तराखंड में वन विभाग के अंतर्गत सभी पौधारोपण के संरक्षण से जुड़े पोल और ट्राई गार्ड के बदले बैंबू बोर्ड द्वारा बांस से बनाए गए ट्री गार्ड लगाएगा. उसके तहत वन विभाग जल्द ही बैंबू बोर्ड के माध्यम से ट्री गार्ड लगाए जाने से जुड़ा निर्णय ले सकता है. इसके बाद प्रदेश भर में बैंबू बोर्ड के माध्यम से ही पौधारोपण के आसपास सुरक्षा देने वाली दीवार और ट्री गार्ड लगाई जाएगी ऐसा हुआ तो प्रदेश में करीब 2 लाख किलोग्राम तक के कार्बन उत्सर्जन में कमी लाई जा सकती है. इस तरह पर्यावरण संरक्षण के लिए भी यह प्रस्ताव बेहद अहम माना जा रहा है.

बांस का उपयोग सुंदरता को भी बढ़ाएगी: बांस के प्रोडक्ट का उपयोग होने से पौधारोपण के संरक्षण में वन विभाग के खर्चे में भी कमी आएगी, और इन कामों के लिए विभाग को कम बजट की आवश्यकता होगी. इतना ही नहीं बैंबू बोर्ड बांस से बनने वाले इन प्रोडक्ट को ज्यादा मजबूत और टिकाऊ भी मान रहा है. इसके अलावा बांस का उपयोग यहां की सुंदरता को भी बढ़ाएगी और इसे प्राकृतिक रूप भी देगा.

किसानों को भी इससे होगा फायदा: बैंबू बोर्ड इस प्रस्ताव पर वन विभाग की मंजूरी के साथ ही बांस उत्पाद से जुड़े किसानों और आर्टिस्ट को भी बड़ा फायदा मिलेगा. डिमांड बढ़ने के साथ ही किसानों को इसके लिए अच्छा बाजार मिलेगा और बांस के प्रोडक्ट बनाने वाले आर्टिस्ट की मांग भी बढ़ जाएगी. फिलहाल 200 से लेकर 300 रुपए पर बांस पोल बाजार में बेचा जा रहा है. अमूमन 3 से 4 साल में बैंबू बनकर पूरी तरह पककर तैयार हो जाता है. इस प्रस्ताव पर अमलीजामा पहनाए जाने के बाद बैंबू बोर्ड को भी इसका फायदा होगा और बैंबू बोर्ड के राजस्व में भी बढ़ोतरी होगी.

बेचने और फिर वापस खरीदने की भी होगी गारंटी: कोयला बनाने पर भी बैंबू बोर्ड विचार कर रहा है. इस प्रस्ताव के अनुसार एक तरफ जहां वन विभाग को पोल के रूप में बैंबू बोर्ड की तरफ से प्रोडक्ट तैयार कर दिया जाएगा तो वहीं कई सालों की गारंटी भी वन विभाग को बैंबू बोर्ड द्वारा दी जाएगी. यही नहीं बाद में इसके खराब होने पर इस बैंबू को बोर्ड वापस भी खरीद लेगा. दरअसल बैंबू बोर्ड बाद में बॉस के कोयले बनाने की योजना भी बना रहा है, जिससे हर लिहाज से इसका फायदा लिया जा सके.
पढ़ें-उत्तराखंड में वन संरक्षण एवं जल संचयन के लिए महिलाओं की अनोखी पहल, कोट गांव में चाल-खाल में जमा किया 1 लाख लीटर पानी

पढ़ें: प्रथम गांव माणा में उत्सव की तरह मनाया गया पर्यावरण दिवस, दुर्लभ भोजपत्र के पौधे लगाने का चला अभियान

ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.