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देश को जलसंकट से उबारेगा प्लान 330-35, जलशक्ति मंत्रालय और कानपुर IIT सी-गंगा की टीम मिलकर करेगी ये काम - Water crisis prevention measures - WATER CRISIS PREVENTION MEASURES

देश में जलसंकट से निपटने के लिए सरकार ने बड़ा प्लान बनाया है. इसके तहत अब पूरे साल जल संरक्षण पर काम किया जाएगा. केंद्रीय जल शक्ति मंत्रालय के साथ मिलकर आईआईटी कानपुर के विशेषज्ञों ने खास कार्य योजना तैयार की है.

अब पूरे साल संरक्षण के प्रयासों पर अमल किया जाएगा.
अब पूरे साल संरक्षण के प्रयासों पर अमल किया जाएगा. (Photo Credit; ETV Bharat)
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By ETV Bharat Uttar Pradesh Team

Published : Aug 22, 2024, 12:15 PM IST

Updated : Aug 22, 2024, 1:36 PM IST

जल संकट से निजात के लिए बड़ी कार्य योजना. (Video Credit; ETV Bharat)

कानपुर : बारिश के सीजन में पहाड़ों पर बारिश से नदियां उफान पर होती हैं. इससे इलाकों में लोगों को बाढ़ का सामना करना पड़ता है. वहीं गर्मी के मौसम में ये नदियां सूख जाती हैं. इससे कई राज्यों में जलसंकट की स्थिति बन आती है. हाल ही में बेंगलुरु में यह नजारा दिखा. ऐसी स्थितियों से निपटने के लिए केंद्र सरकार ने खास प्लान तैयार किया है. इसका नाम 330-35 रखा गया है. इसका सही अर्थ है साल के कुल 365 दिन. जलशक्ति मंत्रालय के विशेषज्ञ और सी-गंगा (आईआईटी कानपुर से संबद्ध संस्था) के विशेषज्ञ पूरे साल पानी के संरक्षण को लेकर कवायद करेंगे. इस पूरे मामले पर ईटीवी संवाददाता से आईआईटी कानपुर के वरिष्ठ प्रोफेसर व सी-गंगा के संस्थापक विनोद तारे ने खास बातचीत की.

35 दिनों तक तेज बारिश, फिर बदल जाते हैं हालात : सी-गंगा के संस्थापक प्रो. विनोद तारे ने बताया कि नेशनल मिशन फॉर क्लीन गंगा व नेशनल रिवर कंजर्वेशन डायरेक्ट्रेट के अफसरों संग प्लान 330-35 को लेकर मंथन किया गया. उसके मुताबिक हमें 35 दिनों तक उस पानी को शहर-शहर और गांव-गांव संरक्षित करना है. इसके लिए पहाड़ों से जुड़ने वाले शहरों में छोटे-छोटे तालाबों (जो सूख गए) में पानी को एकत्रित किया जाएगा. इसके अलावा नए सरोवर व नहरों का निर्माण भी किया जाएगा. इसके साथ ही 330 दिनों तक जल संरक्षण को लेकर देश के सभी राज्यों में कवायद होगी.

आईआईटी कानपुर की टीम जल शक्ति मंत्रालय के साथ मिलकर करेगी काम.
आईआईटी कानपुर की टीम जल शक्ति मंत्रालय के साथ मिलकर करेगी काम. (Photo Credit; ETV Bharat)

पहाड़ी इलाकों में जाएगी टीम : उन्होंने कहा कि सरकार की ओर से पहली बार ऐसी योजना बनाई गई है. सभी राज्यों के जिम्मेदार अफसरों के साथ इसे लेकर मीटिंग भी होनी है. जल्द ही इस पर काम शुरू हो सकता है. एक महीने में अंदर इस पर काम शुरू हो जाएगा. आईआईटी की सी गंगा टीम उत्तराखंड, हिमाचल समेत अन्य प्रदेशों के पहाड़ी इलाकों में जाएगी. सबसे पहले वहां पर जल संरक्षण के इंतजाम किए जाएंगे. इसके बाद यूपी समेत अन्य राज्यों में अन्य इंतजामों पर भी काम होगा.

इन मिशन व अभियानों से होगी बजट की व्यवस्था : प्रो.विनोद तारे ने बताया कि प्लान 330-35 के लिए बजट की व्यवस्था अटल मिशन, स्वच्छ भारत मिशन, नमामि गंगे योजना समेत अन्य मिशन व अभियानों में सरकार की ओर से जारी बजट से की जाएगी. हमारी कोशिश है कि पहाड़ों के आसपास जो नदियां हैं, वहां अधिक से अधिक पौधरोपण हो, जिससे बारिश के दौरान पानी सीधे नीचे न आकर वहां ही रुक सके. उन्होंने उदाहरण दिया कि हम पुराणों में पढ़ते और सुनते आए हैं कि एक समय गंगा का वेग भी बहुत तेज था. मगर, उस समय भगवान शंकर ने अपनी जटाओं में उन्हें समा लिया था. इसी तरह 35 दिनों में जब तेज पानी को हम अधिक से अधिक रोकने का प्रयास करेंगे तो निश्चित तौर पर हमें सफलता मिलेगी. पानी रुकेगा तो जमीन भी अच्छे से सिंचित हो जाएगी.

इसलिए जरूरी है जल संरक्षण : नीति आयोग की CWMI रिपोर्ट के अनुसार देश में साफ पानी न मिलने की वजह से हर साल 2 लाख लोगों की मौत होती है. 75 फीसदी घरों में अब पीने का पानी नहीं आता है. साल 2030 तक देश की 40 फीसद आबादी को शुद्ध पानी नहीं मिलेगा. ग्लोबल वॉर्मिंग बढ़ने के कारण आगामी सालों मे यह समस्या और भी बढ़ती जाएगी. भारत पूरी दुनिया का 25 फीसद ग्राउंड वाटर का प्रयोग कर रहा है. दिल्ली, यूपी के बुंदेलखंडस समेत कई इलाके गर्मी के मौसम में हर साल पेयजल संकट का सामना करते हैं.

यह भी पढ़ें : यूपी में आज होगी जोरदार बारिश; 50 जिलों में बिजली गिरने के साथ तेज बरसात की चेतावनी, तापमान गिरेगा

जल संकट से निजात के लिए बड़ी कार्य योजना. (Video Credit; ETV Bharat)

कानपुर : बारिश के सीजन में पहाड़ों पर बारिश से नदियां उफान पर होती हैं. इससे इलाकों में लोगों को बाढ़ का सामना करना पड़ता है. वहीं गर्मी के मौसम में ये नदियां सूख जाती हैं. इससे कई राज्यों में जलसंकट की स्थिति बन आती है. हाल ही में बेंगलुरु में यह नजारा दिखा. ऐसी स्थितियों से निपटने के लिए केंद्र सरकार ने खास प्लान तैयार किया है. इसका नाम 330-35 रखा गया है. इसका सही अर्थ है साल के कुल 365 दिन. जलशक्ति मंत्रालय के विशेषज्ञ और सी-गंगा (आईआईटी कानपुर से संबद्ध संस्था) के विशेषज्ञ पूरे साल पानी के संरक्षण को लेकर कवायद करेंगे. इस पूरे मामले पर ईटीवी संवाददाता से आईआईटी कानपुर के वरिष्ठ प्रोफेसर व सी-गंगा के संस्थापक विनोद तारे ने खास बातचीत की.

35 दिनों तक तेज बारिश, फिर बदल जाते हैं हालात : सी-गंगा के संस्थापक प्रो. विनोद तारे ने बताया कि नेशनल मिशन फॉर क्लीन गंगा व नेशनल रिवर कंजर्वेशन डायरेक्ट्रेट के अफसरों संग प्लान 330-35 को लेकर मंथन किया गया. उसके मुताबिक हमें 35 दिनों तक उस पानी को शहर-शहर और गांव-गांव संरक्षित करना है. इसके लिए पहाड़ों से जुड़ने वाले शहरों में छोटे-छोटे तालाबों (जो सूख गए) में पानी को एकत्रित किया जाएगा. इसके अलावा नए सरोवर व नहरों का निर्माण भी किया जाएगा. इसके साथ ही 330 दिनों तक जल संरक्षण को लेकर देश के सभी राज्यों में कवायद होगी.

आईआईटी कानपुर की टीम जल शक्ति मंत्रालय के साथ मिलकर करेगी काम.
आईआईटी कानपुर की टीम जल शक्ति मंत्रालय के साथ मिलकर करेगी काम. (Photo Credit; ETV Bharat)

पहाड़ी इलाकों में जाएगी टीम : उन्होंने कहा कि सरकार की ओर से पहली बार ऐसी योजना बनाई गई है. सभी राज्यों के जिम्मेदार अफसरों के साथ इसे लेकर मीटिंग भी होनी है. जल्द ही इस पर काम शुरू हो सकता है. एक महीने में अंदर इस पर काम शुरू हो जाएगा. आईआईटी की सी गंगा टीम उत्तराखंड, हिमाचल समेत अन्य प्रदेशों के पहाड़ी इलाकों में जाएगी. सबसे पहले वहां पर जल संरक्षण के इंतजाम किए जाएंगे. इसके बाद यूपी समेत अन्य राज्यों में अन्य इंतजामों पर भी काम होगा.

इन मिशन व अभियानों से होगी बजट की व्यवस्था : प्रो.विनोद तारे ने बताया कि प्लान 330-35 के लिए बजट की व्यवस्था अटल मिशन, स्वच्छ भारत मिशन, नमामि गंगे योजना समेत अन्य मिशन व अभियानों में सरकार की ओर से जारी बजट से की जाएगी. हमारी कोशिश है कि पहाड़ों के आसपास जो नदियां हैं, वहां अधिक से अधिक पौधरोपण हो, जिससे बारिश के दौरान पानी सीधे नीचे न आकर वहां ही रुक सके. उन्होंने उदाहरण दिया कि हम पुराणों में पढ़ते और सुनते आए हैं कि एक समय गंगा का वेग भी बहुत तेज था. मगर, उस समय भगवान शंकर ने अपनी जटाओं में उन्हें समा लिया था. इसी तरह 35 दिनों में जब तेज पानी को हम अधिक से अधिक रोकने का प्रयास करेंगे तो निश्चित तौर पर हमें सफलता मिलेगी. पानी रुकेगा तो जमीन भी अच्छे से सिंचित हो जाएगी.

इसलिए जरूरी है जल संरक्षण : नीति आयोग की CWMI रिपोर्ट के अनुसार देश में साफ पानी न मिलने की वजह से हर साल 2 लाख लोगों की मौत होती है. 75 फीसदी घरों में अब पीने का पानी नहीं आता है. साल 2030 तक देश की 40 फीसद आबादी को शुद्ध पानी नहीं मिलेगा. ग्लोबल वॉर्मिंग बढ़ने के कारण आगामी सालों मे यह समस्या और भी बढ़ती जाएगी. भारत पूरी दुनिया का 25 फीसद ग्राउंड वाटर का प्रयोग कर रहा है. दिल्ली, यूपी के बुंदेलखंडस समेत कई इलाके गर्मी के मौसम में हर साल पेयजल संकट का सामना करते हैं.

यह भी पढ़ें : यूपी में आज होगी जोरदार बारिश; 50 जिलों में बिजली गिरने के साथ तेज बरसात की चेतावनी, तापमान गिरेगा

Last Updated : Aug 22, 2024, 1:36 PM IST
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