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नया फायर सेफ्टी एक्ट: अब नहीं दिया जाएगा NOC, महिलाएं बुझाएंगी आग और युवाओं को मिलेगा रोजगार, जानें कैसे?

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By ETV Bharat Uttar Pradesh Team

Published : Jan 24, 2024, 3:50 PM IST

Updated : Feb 5, 2024, 4:04 PM IST

उत्तर प्रदेश में फायर विभाग एनओसी नहीं जारी करेगा, बल्कि हर कॉमर्शियल बिल्डिंग के मालिक को खुद डिपार्टमेंट में फायर सेफ्टी सर्टिफिकेट जमा करना होगा.

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Etv Bharat Fire sefty certificate department act New fire act in UP फायर सेफ्टी सर्टिफिकेट Uttar Pradesh Fire and Emergency Services Act फायर इमरजेंसी और सर्विसेज एक्ट

लखनऊ: उत्तर प्रदेश में फायर विभाग एनओसी नहीं जारी करेगा, बल्कि हर कॉमर्शियल बिल्डिंग के मालिक को खुद डिपार्टमेंट में फायर सेफ्टी सर्टिफिकेट जमा करना होगा. इतना ही नहीं बिल्डिंग में अग्निकांड में किसी की जान जाती है, तो बिल्डिंग मालिक को ही मुआवजा देना होगा. दरअसल, बीते दिनों फायर एंड इमरजेंसी सर्विसेज एक्ट 2022 को योगी कैबिनेट से मंजूरी मिल गई.

अब नये नियमों के मुताबिक, फायर सर्विस को अब फायर एंड इमरजेंसी सर्विस डिपार्टमेंट के नाम से जाना जाएगा. इसके अंतर्गत कई बड़े बदलाव होंगे. इसके तहत पहली बार फायर विभाग महिलाओं की भर्ती कर सकेगा. इतना ही नहीं सभी 15 मीटर से ऊंची बिल्डिंग के एक फायर सेफ्टी अधिकारी रखना होगा. इससे युवाओं को रोजगार का अवसर मिलेगा. आइए जानते हैं क्यों फायर एंड इमरजेंसी सर्विसेज एक्ट 2022 (Uttar Pradesh Fire and Emergency Services Act 2022) खास होगा.

18 जनवरी को योगी कैबिनेट ने राज्य में उत्तर प्रदेश फायर एंड इमरजेंसी सर्विसेज अधिनियम 2022 को मंजूरी दी. अब डीजी फायर के नेतृत्व में 6 सदस्यीय टीम नई नियमावली पर अंतिम चरण में काम कर रही है. जल्द ही राज्यपाल से स्वीकृति मिलने के बाद गजट नोटिफिकेशन जारी हो जायेगा. इसके बाद पुराने सभी एक्ट निष्क्रिय हो जायेंगे.

एफएसओ नहीं तो कार्रवाई, युवाओं को मिलेगा रोजगार: फायर एंड इमरजेंसी सर्विसेज अधिनियम 2022 के मुताबिक, शासनादेश जारी होने के 30 दिन के अंदर हर उस 15 मीटर से ऊंची बिल्डिंग व प्रतिष्ठानों के मालिक को फायर सेफ्टी अधिकारी रखना होगा. इन फायर सेफ्टी अधिकारी को फायर विभाग भी ट्रेनिंग दे सकता है. इसके बाद यदि फायर विभाग की जांच के दौरान प्रतिष्ठान में फायर सेफ्टी अधिकारी नहीं मिलता है तो, प्रतिष्ठान पर 10 रुपये प्रति वर्ग मीटर से लेकर 50 रुपये प्रति वर्ग मीटर तक जा जुर्माना किया जायेगा. इस नए एक्ट के चलते उत्तर प्रदेश में फायर सेफ्टी से डिप्लोमा या डिग्री कोर्स करने वाले युवाओं के लिए रोजगार का दरवाजा खुलेगा.

अब नहीं मिलेगी NOC, बिल्डिंग मालिक को देना होगा FSC: राजधानी में हुए लेवाना अग्निकांड में छह लोगों की दर्दनाक मौत हो गई थी. इसके बाद फायर विभाग पर कई सवाल उठे थे. सवाल यह उठाते हुए कार्रवाई हुई थी कि, आखिर तमाम खामियों के बाद भी लेवाना होटल को फायर विभाग एनओसी क्यों देता आया था. इसी कांड के बाद फायर विभाग के लिए नई नियमावली की आवश्यकता महसूस हुई थी. फायर एंड इमरजेंसी सर्विसेज अधिनियम 2022 में एनओसी का प्रावधान खत्म कर दिया गया है.

इसके स्थान पर फायर सेफ्टी सर्टिफिकेट का प्रावधान रखा गया है, जो बिल्डिंग मालिक के द्वारा फायर विभाग को देना होगा. मालिक हर छह माह में सर्टिफिकेट देते हुए यह बताएगा कि उसने अपनी बिल्डिंग में फायर सेफ्टी से जुड़ी सभी जरूरी व्यवस्था कर रखी है. इसके बाद यदि फायर अधिकारी जांच करता है और कमी पाई जाती है तो पहली बार नोटिस और उसके बाद फायर जुर्माना या सीजिंग की कार्रवाई की जाएगी, जो खुद फायर विभाग कर सकेगा. इसके अलावा यदि अग्निकांड होता है और उसमे कोई जनहानि होती है, तो मृतक के परिवार को मुआवजा बिल्डिंग मालिक को ही देना होगा.

यूपी फायर विभाग में टूटेंगी बेड़ियां, महिला फायर फाइटर की भी होगी भर्ती: फायर एंड इमरजेंसी सर्विसेज अधिनियम 2022 लागू होने के बाद पहली बार यूपी के महिला फायर फाइटर लोगों के घर की आग बुझाते नजर आएंगी. नई नियमावली में फायर विभाग को पद सृजित करने की शक्ति दी है. इसके तहत फायर विभाग फायर ऑपरेटर की भर्ती करेगा, जिसे अब तक फायर मैन कहा जाता रहा है.

इसमें पुरुष और महिला दोनों की ही भर्ती होगी. दरअसल, ब्रिटिश सरकार में आग बुझाने को जोखिम भरा काम मानते हुए महिलाओं की भर्ती पर प्रतिबंध लगा दिया था. 79 वर्षों में फायर विभाग की नियमावली में कई संसोधन किए गए है, लेकिन महिलाओं पर लगाए प्रतिबंध को हटाने के लिए यूपी में कभी भी कोशिश नहीं की गई. अभी तक महाराष्ट्र, गोवा, तमिलनाडु और राजस्थान में महिलाएं फायर फाइटिंग कर रही हैं.

फायर एक्ट के बारे में जानें:

  • 79 वर्ष पहले 1944 में फायर सर्विस एक्ट बनाया गया और वर्ष 1945 में नियमावली लागू की गई.
  • ब्रिटिश शासन ने आग बुझाने को जोखिम भरा काम मान और महिलाओं की भर्ती पर रोक लगा दी.
  • उस दौरान सेना, एयरफोर्स, नेवी और अन्य किसी सुरक्षा दस्ते में भी महिलाओं की भर्ती नहीं होती थी.
  • फायर सर्विस कर्मचारी भर्ती नियमावली में वर्ष 2010, 2013 व 2015 में भी संशोधन किया गया.
  • किसी भी ऊंचाई की व्यवसायिक बिल्डिंग हो या फैक्ट्री, बड़े हॉस्पिटल, कॉचिंग इंस्टीट्यूट और होटल वहां फायर सेफ्टी ऑफिसर तैनात होना जरूरी.
  • फायर सेफ्टी अधिकारी की योग्यता क्या होगी और उनकी ट्रेनिंग कैसी होनी चाहिए. इसको लेकर नई नियमावली में प्रावधान किये गये.
  • एफएसओ का नेशनल फायर सर्विस कॉलेज या किसी भी राज्य सरकार से मान्यता प्राप्त सेफ्टी एण्ड फायर इंजीनियरिंग कॉलेज से डिप्लोमा या डिग्री धारक होना अनिवार्य.

ये भी पढ़ें- Ayodhya Ram Mandir Darshan Time: अयोध्या राम मंदिर में अब रात 11 बजे तक होंगे दर्शन, VVIP आने से 10 दिन पहले बताएं

लखनऊ: उत्तर प्रदेश में फायर विभाग एनओसी नहीं जारी करेगा, बल्कि हर कॉमर्शियल बिल्डिंग के मालिक को खुद डिपार्टमेंट में फायर सेफ्टी सर्टिफिकेट जमा करना होगा. इतना ही नहीं बिल्डिंग में अग्निकांड में किसी की जान जाती है, तो बिल्डिंग मालिक को ही मुआवजा देना होगा. दरअसल, बीते दिनों फायर एंड इमरजेंसी सर्विसेज एक्ट 2022 को योगी कैबिनेट से मंजूरी मिल गई.

अब नये नियमों के मुताबिक, फायर सर्विस को अब फायर एंड इमरजेंसी सर्विस डिपार्टमेंट के नाम से जाना जाएगा. इसके अंतर्गत कई बड़े बदलाव होंगे. इसके तहत पहली बार फायर विभाग महिलाओं की भर्ती कर सकेगा. इतना ही नहीं सभी 15 मीटर से ऊंची बिल्डिंग के एक फायर सेफ्टी अधिकारी रखना होगा. इससे युवाओं को रोजगार का अवसर मिलेगा. आइए जानते हैं क्यों फायर एंड इमरजेंसी सर्विसेज एक्ट 2022 (Uttar Pradesh Fire and Emergency Services Act 2022) खास होगा.

18 जनवरी को योगी कैबिनेट ने राज्य में उत्तर प्रदेश फायर एंड इमरजेंसी सर्विसेज अधिनियम 2022 को मंजूरी दी. अब डीजी फायर के नेतृत्व में 6 सदस्यीय टीम नई नियमावली पर अंतिम चरण में काम कर रही है. जल्द ही राज्यपाल से स्वीकृति मिलने के बाद गजट नोटिफिकेशन जारी हो जायेगा. इसके बाद पुराने सभी एक्ट निष्क्रिय हो जायेंगे.

एफएसओ नहीं तो कार्रवाई, युवाओं को मिलेगा रोजगार: फायर एंड इमरजेंसी सर्विसेज अधिनियम 2022 के मुताबिक, शासनादेश जारी होने के 30 दिन के अंदर हर उस 15 मीटर से ऊंची बिल्डिंग व प्रतिष्ठानों के मालिक को फायर सेफ्टी अधिकारी रखना होगा. इन फायर सेफ्टी अधिकारी को फायर विभाग भी ट्रेनिंग दे सकता है. इसके बाद यदि फायर विभाग की जांच के दौरान प्रतिष्ठान में फायर सेफ्टी अधिकारी नहीं मिलता है तो, प्रतिष्ठान पर 10 रुपये प्रति वर्ग मीटर से लेकर 50 रुपये प्रति वर्ग मीटर तक जा जुर्माना किया जायेगा. इस नए एक्ट के चलते उत्तर प्रदेश में फायर सेफ्टी से डिप्लोमा या डिग्री कोर्स करने वाले युवाओं के लिए रोजगार का दरवाजा खुलेगा.

अब नहीं मिलेगी NOC, बिल्डिंग मालिक को देना होगा FSC: राजधानी में हुए लेवाना अग्निकांड में छह लोगों की दर्दनाक मौत हो गई थी. इसके बाद फायर विभाग पर कई सवाल उठे थे. सवाल यह उठाते हुए कार्रवाई हुई थी कि, आखिर तमाम खामियों के बाद भी लेवाना होटल को फायर विभाग एनओसी क्यों देता आया था. इसी कांड के बाद फायर विभाग के लिए नई नियमावली की आवश्यकता महसूस हुई थी. फायर एंड इमरजेंसी सर्विसेज अधिनियम 2022 में एनओसी का प्रावधान खत्म कर दिया गया है.

इसके स्थान पर फायर सेफ्टी सर्टिफिकेट का प्रावधान रखा गया है, जो बिल्डिंग मालिक के द्वारा फायर विभाग को देना होगा. मालिक हर छह माह में सर्टिफिकेट देते हुए यह बताएगा कि उसने अपनी बिल्डिंग में फायर सेफ्टी से जुड़ी सभी जरूरी व्यवस्था कर रखी है. इसके बाद यदि फायर अधिकारी जांच करता है और कमी पाई जाती है तो पहली बार नोटिस और उसके बाद फायर जुर्माना या सीजिंग की कार्रवाई की जाएगी, जो खुद फायर विभाग कर सकेगा. इसके अलावा यदि अग्निकांड होता है और उसमे कोई जनहानि होती है, तो मृतक के परिवार को मुआवजा बिल्डिंग मालिक को ही देना होगा.

यूपी फायर विभाग में टूटेंगी बेड़ियां, महिला फायर फाइटर की भी होगी भर्ती: फायर एंड इमरजेंसी सर्विसेज अधिनियम 2022 लागू होने के बाद पहली बार यूपी के महिला फायर फाइटर लोगों के घर की आग बुझाते नजर आएंगी. नई नियमावली में फायर विभाग को पद सृजित करने की शक्ति दी है. इसके तहत फायर विभाग फायर ऑपरेटर की भर्ती करेगा, जिसे अब तक फायर मैन कहा जाता रहा है.

इसमें पुरुष और महिला दोनों की ही भर्ती होगी. दरअसल, ब्रिटिश सरकार में आग बुझाने को जोखिम भरा काम मानते हुए महिलाओं की भर्ती पर प्रतिबंध लगा दिया था. 79 वर्षों में फायर विभाग की नियमावली में कई संसोधन किए गए है, लेकिन महिलाओं पर लगाए प्रतिबंध को हटाने के लिए यूपी में कभी भी कोशिश नहीं की गई. अभी तक महाराष्ट्र, गोवा, तमिलनाडु और राजस्थान में महिलाएं फायर फाइटिंग कर रही हैं.

फायर एक्ट के बारे में जानें:

  • 79 वर्ष पहले 1944 में फायर सर्विस एक्ट बनाया गया और वर्ष 1945 में नियमावली लागू की गई.
  • ब्रिटिश शासन ने आग बुझाने को जोखिम भरा काम मान और महिलाओं की भर्ती पर रोक लगा दी.
  • उस दौरान सेना, एयरफोर्स, नेवी और अन्य किसी सुरक्षा दस्ते में भी महिलाओं की भर्ती नहीं होती थी.
  • फायर सर्विस कर्मचारी भर्ती नियमावली में वर्ष 2010, 2013 व 2015 में भी संशोधन किया गया.
  • किसी भी ऊंचाई की व्यवसायिक बिल्डिंग हो या फैक्ट्री, बड़े हॉस्पिटल, कॉचिंग इंस्टीट्यूट और होटल वहां फायर सेफ्टी ऑफिसर तैनात होना जरूरी.
  • फायर सेफ्टी अधिकारी की योग्यता क्या होगी और उनकी ट्रेनिंग कैसी होनी चाहिए. इसको लेकर नई नियमावली में प्रावधान किये गये.
  • एफएसओ का नेशनल फायर सर्विस कॉलेज या किसी भी राज्य सरकार से मान्यता प्राप्त सेफ्टी एण्ड फायर इंजीनियरिंग कॉलेज से डिप्लोमा या डिग्री धारक होना अनिवार्य.

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Last Updated : Feb 5, 2024, 4:04 PM IST
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