रायबरेली : लालगंज स्थित मॉडर्न रेल कोच फैक्ट्री (आरेडिका) में पिछले 6 महीने में 873 कोच बनाए गए हैं. यह फैक्ट्री के उत्पादन का नया रिकॉर्ड है. फैक्ट्री की स्थापना के बाद से यह अब तक की सबसे बड़ी उपलब्धि मानी जा रही है. जनरल और स्लीपर कैटेगरी वाले ये कोच यात्रियों को अपने गंतव्य तक पहुंचाने और सफर को सुविधाजनक बनाने में काफी कारगर साबित होंगे.
साल 2007 में भारतीय रेलवे ने यूपी के रायबरेली जिले के लालगंज में अपनी तीसरी रेलवे यात्री कोच निर्माण इकाई की आधारशिला रखी थी. इसके बाद रेलवे कोच का निर्माण साल 2009 में शुरू हो गया. वर्ष 2011-12 में पहली बार कुल 18 कोच का निर्माण हुआ. दिसंबर 2014-15 में इसे मॉडर्न कोच फैक्ट्री नाम दिया गया.
छह महीने में सर्वाधिक उत्पादन : साल 2014-15 में फैक्ट्री में 46 कोच बनाए गए. आधुनिक रेल डिब्बा कारखाना रायबरेली के 10 साल से ज्यादा का समय पूरा हो चुका है. वित्तीय वर्ष 2024-25 में अप्रैल 2024 से सितंबर 2024 तक प्रथम 6 माह में कुल 873 कोच का निर्माण किया गया. यह आरेडिका के अभी तक का 6 माह का सर्वाधिक उत्पादन है. यह पिछले वित्तीय वर्ष में 783 कोच से 90 कोच एवं 11% अधिक है.
इस साल 2506 कोच बनाने का लक्ष्य : 873 कोचों में दीनदयालु, स्लीपर और वातानुकूलित कोच शामिल हैं. इस वित्तीय वर्ष दीनदयालु के 122 कोच, 3 एसी के 211 कोच, 3 एसी इकोनोमी के 210 कोच, 2 एसी के 60 कोच, स्लीपर के 85 कोच व अन्य कोच शामिल हैं. 2024-25 के प्रथम 6 माह में 3 एसी के 211 कोचों का निर्माण किया गया है. यह पिछले वर्ष 2023-24 में प्रथम 6 माह में बने 19 कोचों से लगभग 13 गुना अधिक है. वित्तीय वर्ष 2023-24 के प्रथम 6 महीने में दीनदयाल के 134 कोच बने. इस साल के वित्तीय वर्ष में 2506 कोच बनाने का लक्ष्य रखा गया है.
सामान्य व गरीब वर्ग का रखा ध्यान : आरेडिका के महाप्रबंधक प्रशांत कुमार मिश्रा का कहना है कि इस वर्ष प्रथम 6 महीने में हमने सर्वश्रेष्ठ लक्ष्य उत्पादन प्राप्त किया है. कारखाना बनने के बाद से यह सर्वाधिक उत्पादन है. हमने सामान्य जनता को ध्यान में रखते हुए अपने उत्पादन को आगे बढ़ाया है. जनरल, स्लीपर, सामान्य चेयर व गरीब रथ थर्ड एसी के बड़े पैमाने पर कोच बनाए गए हैं. 421 कोच थर्ड एसी व 300 से अधिक नॉन ऐसी के कोच बनाए गए. 873 में 90 फीसदी कोच सामान्य व गरीब वर्ग को देखते हुए तैयार कराए गए हैं.
सेना के रिटायर्ड टेक्नीशियन भी किए गए हायर : महाप्रबंधक ने बताया कि एमसीएफ (रेल कोच फैक्ट्री) की शुरुआत चुनौतियों से भरी थी. शुरुआत में हमारे पास इंफ्रास्ट्रक्चर नहीं था. हमने एमसीएफ के जरिए यहां के लोगों कौशल विकास करके हजारों फिटर, टेक्नीशियन, वेल्डर को ट्रेंड किया. उनके कौशल को लगातार बढ़िया किया जा रहा है. सेना के रिटायर्ड टेक्नीशियन को भी हायर किया. 40 से ज्यादा रिटायर्ड आर्मी के ट्रेंड मैनपॉवर को लिया गया. इससे काफी फायदा हुआ.
उन्होंने कहा कि इस वर्ष के अंत तक वंदे भारत ट्रेन को बनाने का बड़ा लक्ष्य हमारा है. मेमो ट्रेन कोच का उत्पादन भी हमने करना शुरू कर दिया है. साल भर में 1000 से ज्यादा हम स्लीपर व जनरल क्लास के कोच बनाने का हमारा लक्ष्य है. इन कोचों में रेलवे यात्रियों को आरामदायक सफर कराने का लक्ष्य है.
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