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UP By Election Results; कुंदरकी में 31 साल बाद बड़ा 'खेला', BJP के रामवीर जीते, चला 'मुस्लिम कार्ड' - UP BY ELECTION 2024 RESULTS

UP BY ELECTION RESULTS 2024: यूपी की 9 सीटों के उपचुनाव में हिट रहा योगी का 'बंटोगे तो कटोगे नारा', अखिलेश का PDA बिखरा

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कुंदरकी में 31 साल बाद बड़ा उलटफेर. (Photo Credit; ETV Bharat)
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By ETV Bharat Uttar Pradesh Team

Published : Nov 23, 2024, 1:00 PM IST

Updated : Nov 23, 2024, 5:24 PM IST

लखनऊ: यूपी की 9 विधानसभा सीटों पर हुए उपचुनाव के नतीजों में बड़ा उलटफेर देखने को मिला है. भारतीय जनता पार्टी गठबंधन को 3 सीटों का फायदा होता दिखाई दे रहा है. उपचुनाव में भाजपा गठबंधन के खाते में 7 सीटें गई हैं. जबकि, 2022 के चुनाव में उसके पास 4 ही सीट थीं. वहीं सपा को 2 सीट मिली हैं.

सबसे बड़ा उलटफेर मुरादाबाद जनपद की कुंदरकी विधानसभा सीट पर हुआ है. यहां 31 साल से भाजपा कमल खिलाने की बाट जोह रही थी, जो इस बार पूरी हो गई. भाजपा के रामवीर सिंह ने यहां पर जीत हासिल की है. उन्होंने सपा के हाजी रिजवान को हराया है.

कुंदरकी विधानसभा क्षेत्र में करीब 60 फीसद मतदाता मुस्लिम हैं. ऐसे में भाजपा के कैंडिडेट की जीत चौंकाने वाली मानी जा रही है. राजनीतिक पंडित इसके पीछे रामवीर सिंह के मुस्लिम कार्ड को बता रहे हैं.

चुनाव प्रचार के समय रामवीर जालीदार टोपी पहनकर मुस्लिम बस्तियों में खूब घूमे. उनके हक की बात की थी, उनकी समस्याएं सुनी थीं. माना जा रहा है कि इसी का नतीजा है कि 31 साल बाद यहां पर भाजपा को जीत मिली है.

सीसामऊ में भाजपा नहीं भेद पाई सपा का गढ़: कानपुर की सीसामऊ विधानसभा सीट उपचुनाव में काफी चर्चित रही. इसका कारण यह था कि 28 साल से लगातार समाजवादी पार्टी ही यहां पर विजय पताका फहराती आ रही थी. इस बार भाजपा ने पूरा जोर लगा दिया था. सीएम योगी खुद 2 से 3 बार सीसामऊ गए और रोड शो के साथ जनसभाएं की थीं. लेकिन, भाजपा सपा के इस किले को नहीं भेद पाई. सपा की नसीम सोलंकी ने यहां पर फिर से पार्टी को जीत दिलाई है.

इसी तरह से फूलपुर सीट से भाजपा के दीपक पटेल और मीरापुर से रालोद की मिथलेश पाल चुनाव जीत गई हैं. जयंत चौधरी की रालोद बीजेपी के साथ है. इसके साथ ही गाजियाबाद सीट का नतीजा भी आ गया है. भाजपा प्रत्याशी संजीव शर्मा ने 70600 वोटों के अंतर से जीत दर्ज की है. वहीं करहल में सपा के तेज प्रताप यादव विजयी घोषित हुए हैं. उन्होंने 14704 वोट के अंतर से भाजपा के अनुजेश को हराया है. अनुजेश रिश्ते में तेज प्रताप के फूफा हैं.

मझवां विधानसभा सीट पर बीजेपी की सुचिस्मिता मौर्य ने जीत दर्ज की है. उन्होंने सपा प्रत्याशी डॉ. ज्योति बिंद को 4922 वोटों के अंतर से हराया. इसी तरह कटेहरी विधानसभा उपचुनाव में भाजपा को बड़ी जीत मिली है. भाजपा प्रत्याशी धर्मराज निषाद ने सपा प्रत्याशी शोभावती वर्मा को पराजित किया है. कटेहरी में भाजपा को 1990 के बाद पहली बार जीत मिली है. भाजपा के धर्मराज निषाद ने 33831 वोटों से जीत हासिल की है.

उपचुनाव में सपा को 2 सीट का नुकसान: जिन 9 सीट पर उपचुनाव हुआ उनमें से 4 सीटें सपा ने विधानसभा चुनाव 2022 में जीती थीं. सपा के पास कुंदरकी, सीसामऊ, करहल और कटेहरी सीट थी. लेकिन, उपचुनाव में उसे 2 सीट का नुकसान उठाना पड़ा है. कुंदरकी और कटेहरी में सपा के कैंडिडेट को हार का सामना करना पड़ा. जबकि, करहल और सीसामऊ सीट सपा ने जीत ली.

विधानसभा चुनाव 2022 में किसके पास थी कौन सी सीट

सीटजीतेहारे
कुंदरकीजियाउर रहमान बर्क, सपाकमल कुमार, बीजेपी
खैरअनूप वाल्मीकि, भाजपाचारू केन, बसपा
मझवांविनोद बिंद, निषाद पार्टीरोहित शुक्ला, सपा
सीसामऊइरफान सोलंकी, सपासलील बिश्नोई, भाजपा
करहलअखिलेश यादव, सपाएसपी बघेल, भाजपा
कटेहरीलालजी वर्मा, सपाअवधेश कुमार
मीरापुरचंदन चौहान, रालोदप्रशांत चौधरी, बीजेपी
फूलपुरप्रवीण सिंह पटेल, भाजपामुजतबा सिद्दीकी, सपा
गाजियाबादअतुल गर्ग, भाजपाविशाल वर्मा, सपा

भाजपा की 4 महीने की मेहनत रंग लाई: उत्तर प्रदेश में नौ विधानसभा सीट के उपचुनाव में भारतीय जनता पार्टी की जो लगातार बढ़त बनी हुई है, उसके पीछे पिछले करीब 4 महीने की मेहनत है. जिसमें संगठन और सरकार का बेहतर कोऑर्डिनेशन नजर आया. इसके साथ ही मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ का 'बंटोगे तो कंटोगे के नारा' काम करता हुआ दिखाई दे रहा है. सीएम योगी ने उपचुनाव वाली हर एक सीट पर ताबड़तोड़ रैलियां, जनसभाएं कीं.

रालोद का साथ भाजपा के लिए रहा फायदेमंद: कुंदरकी, कटेहरी और मीरापुर ऐसी सीट थी जो भारतीय जनता पार्टी के खाते में नहीं थीं. कुंदरकी और कटेहरी पर जहां समाजवादी पार्टी जीती थी. वहीं मीरापुर पर समाजवादी पार्टी के गठबंधन में 2022 में शामिल राष्ट्रीय लोक दल का उम्मीदवार जीता था. इस बार राष्ट्रीय लोक दल भाजपा के साथ है तो मीरापुर में भाजपा गठबंधन आगे चल रहा है. इसी के साथ कुंदरकी और कटेहरी में भी बीजेपी जीत की ओर बढ़ रही है.

संगठन और सरकार का मिलजुल कर काम करना और इसके साथ ही मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के एक्सक्लूसिव प्रयास, बीजेपी को उपचुनाव में मनमासिक परिणाम की ओर ले गया. लोकसभा चुनाव 2024 के परिणामों के बाद जिस तरह की पराजय भारतीय जनता पार्टी को मिली थी उसके बाद में पार्टी की कई कमजोरियां सामने आई थीं. इसके बाद में उपचुनाव को लेकर जब तैयारी शुरू हुई तो भारतीय जनता पार्टी ने कई कमियों को दूर किया.

सीएम योगी ने आगरा में दिया था बंटोगे तो कटोगे का नारा: आगरा में एक रैली के दौरान मुख्यमंत्री योगी ने बंटोगे तो कंटोगे का नारा दिया था. इसके बाद में उत्तर प्रदेश की सियासत का रूप काफी बदलाव नजर आया. विपक्ष भारतीय जनता पार्टी के पहले में खेलना शुरू कर चुका था. विपक्ष की पूरी एनर्जी इस बात में लग रही थी कि किस तरह से योगी आदित्यनाथ के इस नारे की काट की जाए.

वरिष्ठ पत्रकार और राजनीतिक विश्लेषक उमाशंकर दुबे ने बताया कि जब भारतीय जनता पार्टी की ओर से यह नारा दिया गया, उसके बाद से विपक्ष को यह डर था कि अगर हिंदू वोट एकजुट हो गए तो उनकी जाति की राजनीति का असर कम दिखाई देगा. मगर वह इस नारे को नहीं काट सके. जिसका नतीजा यह हुआ कि चुनाव पर उसका साफ असर देखा गया.

सीएम योगी और दोनों उपमुख्यमंत्री सहित 10 मंत्रियों ने की थीं 100 के करीब सभाएं: प्रचार के पिछले करीब 15 दिनों में सोमवार की शाम तक भारतीय जनता पार्टी ने इस दौरान अपनी पूरी ताकत झोंक दी गई थी. मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने बटेंगे तो कटेंगे का नारा लगाया और यह नारा बीजेपी के लिए संजीवनी हो गया. के आगे पीछे ही यह पूरा चुनाव अभियान चला. लगभग 10 मंत्री मिलाकर 15 नेताओं ने नौ विधानसभा 100 के करीब जनसभाएं कीं. जिनके जरिए भारतीय जनता पार्टी के पक्ष में माहौल बनाया गया. 10 मंत्रियों ने भी लगभग डेढ़ महीने तक विधानसभा क्षेत्र में मोर्चा जमाए रखा.

सपा दिखाना चाह रही थी PDA का दम: समाजवादी पार्टी ने उपचुनाव में जहां पिछड़ा दलित अल्पसंख्यक पर जोर देते हुए PDA का दम दिखाया है तो, इसके जवाब में भारतीय जनता पार्टी ने भी इसी समीकरण में अपना प्रत्याशी घोषित किए थे. पिछड़े और दलित प्रत्याशियों के जरिए अपनी ताकत का एहसास करने का निश्चय किया है. कानपुर की सीसामऊ विधानसभा सीट पर ब्राह्मण को उम्मीदवार बनाया गया.

इसी तरह से बीजेपी ने सामान्य वर्ग में एक गाजियाबाद की ब्राह्मण को और कुंदरकी विधानसभा सीट से क्षत्रीय रामवीर सिंह ठाकुर कोअपना उम्मीदवार बना दिया है. मझवां उपचुनाव के लिए बीजेपी ने पिछले वर्ग की महिला उम्मीदवार पूर्व विधायक सूची स्मिता मौर्य को उम्मीदवार बनाया है. समाजवादी पार्टी के गढ़ मैनपुरी की करहल विधानसभा सीट से बीजेपी ने इस बार सपा के जवाब में यादव कार्ड खेला है. यहां से अनुजेश यादव को भाजपा ने टिकट दिया है.

अनुजेश यादव धर्मेंद्र यादव के बहनोई है. अनुजेश इस सीट से सपा की उम्मीदवार तेज प्रताप के रिश्ते में फूफा हैं. कुंदरकी से रामवीर सिंह ठाकुर, गाजियाबाद से संजीव शर्मा, अनुसूचित जाति के लिए सुरक्षित सीट खैर से सुरेंद्र दिलेर, समाजवादी पार्टी के गढ़ करहल से अनुदेश यादव, फूलपुर से दीपक पटेल, कटेहारी धर्मराज निषाद और मंझवा सीट से सूचिस्मिता मौर्य को प्रत्याशी बनाया गया.

बूथ स्तर तक उतरे थे बीजेपी के नेता: राष्ट्रीय लोकदल ने मीरापुर से अपना उम्मीदवार उतारा है जो कि भारतीय जनता पार्टी का सहयोगी दल है. मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने इन नौ विधानसभा सीटों पर सभी पर जनसभाएं की हैं. इसी तरह से भाजपा प्रदेश अध्यक्ष भूपेंद्र सिंह चौधरी ने संगठनात्मक बैठकों में जाकर बूथ स्तरीय गतिविधियों का मोर्चा संभाला था. उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य और उपमुख्यमंत्री बृजेश पाठक ने भी सभी जनसभाएं की. जल शक्ति मंत्री स्वतंत्र देव सिंह, नगर विकास मंत्री एके शर्मा, संसदीय कार्य मंत्री सुरेश खन्ना व अन्य वरिष्ठ मंत्रियों ने भी जनसभाओं के माध्यम से वोटरों को जोड़ने का प्रयास किया है.

ये भी पढ़ेंः यूपी में ठंड के साथ कोहरे का अटैक, अयोध्या सबसे ठंडा जिला, 9 डिग्री से. रहा पारा

लखनऊ: यूपी की 9 विधानसभा सीटों पर हुए उपचुनाव के नतीजों में बड़ा उलटफेर देखने को मिला है. भारतीय जनता पार्टी गठबंधन को 3 सीटों का फायदा होता दिखाई दे रहा है. उपचुनाव में भाजपा गठबंधन के खाते में 7 सीटें गई हैं. जबकि, 2022 के चुनाव में उसके पास 4 ही सीट थीं. वहीं सपा को 2 सीट मिली हैं.

सबसे बड़ा उलटफेर मुरादाबाद जनपद की कुंदरकी विधानसभा सीट पर हुआ है. यहां 31 साल से भाजपा कमल खिलाने की बाट जोह रही थी, जो इस बार पूरी हो गई. भाजपा के रामवीर सिंह ने यहां पर जीत हासिल की है. उन्होंने सपा के हाजी रिजवान को हराया है.

कुंदरकी विधानसभा क्षेत्र में करीब 60 फीसद मतदाता मुस्लिम हैं. ऐसे में भाजपा के कैंडिडेट की जीत चौंकाने वाली मानी जा रही है. राजनीतिक पंडित इसके पीछे रामवीर सिंह के मुस्लिम कार्ड को बता रहे हैं.

चुनाव प्रचार के समय रामवीर जालीदार टोपी पहनकर मुस्लिम बस्तियों में खूब घूमे. उनके हक की बात की थी, उनकी समस्याएं सुनी थीं. माना जा रहा है कि इसी का नतीजा है कि 31 साल बाद यहां पर भाजपा को जीत मिली है.

सीसामऊ में भाजपा नहीं भेद पाई सपा का गढ़: कानपुर की सीसामऊ विधानसभा सीट उपचुनाव में काफी चर्चित रही. इसका कारण यह था कि 28 साल से लगातार समाजवादी पार्टी ही यहां पर विजय पताका फहराती आ रही थी. इस बार भाजपा ने पूरा जोर लगा दिया था. सीएम योगी खुद 2 से 3 बार सीसामऊ गए और रोड शो के साथ जनसभाएं की थीं. लेकिन, भाजपा सपा के इस किले को नहीं भेद पाई. सपा की नसीम सोलंकी ने यहां पर फिर से पार्टी को जीत दिलाई है.

इसी तरह से फूलपुर सीट से भाजपा के दीपक पटेल और मीरापुर से रालोद की मिथलेश पाल चुनाव जीत गई हैं. जयंत चौधरी की रालोद बीजेपी के साथ है. इसके साथ ही गाजियाबाद सीट का नतीजा भी आ गया है. भाजपा प्रत्याशी संजीव शर्मा ने 70600 वोटों के अंतर से जीत दर्ज की है. वहीं करहल में सपा के तेज प्रताप यादव विजयी घोषित हुए हैं. उन्होंने 14704 वोट के अंतर से भाजपा के अनुजेश को हराया है. अनुजेश रिश्ते में तेज प्रताप के फूफा हैं.

मझवां विधानसभा सीट पर बीजेपी की सुचिस्मिता मौर्य ने जीत दर्ज की है. उन्होंने सपा प्रत्याशी डॉ. ज्योति बिंद को 4922 वोटों के अंतर से हराया. इसी तरह कटेहरी विधानसभा उपचुनाव में भाजपा को बड़ी जीत मिली है. भाजपा प्रत्याशी धर्मराज निषाद ने सपा प्रत्याशी शोभावती वर्मा को पराजित किया है. कटेहरी में भाजपा को 1990 के बाद पहली बार जीत मिली है. भाजपा के धर्मराज निषाद ने 33831 वोटों से जीत हासिल की है.

उपचुनाव में सपा को 2 सीट का नुकसान: जिन 9 सीट पर उपचुनाव हुआ उनमें से 4 सीटें सपा ने विधानसभा चुनाव 2022 में जीती थीं. सपा के पास कुंदरकी, सीसामऊ, करहल और कटेहरी सीट थी. लेकिन, उपचुनाव में उसे 2 सीट का नुकसान उठाना पड़ा है. कुंदरकी और कटेहरी में सपा के कैंडिडेट को हार का सामना करना पड़ा. जबकि, करहल और सीसामऊ सीट सपा ने जीत ली.

विधानसभा चुनाव 2022 में किसके पास थी कौन सी सीट

सीटजीतेहारे
कुंदरकीजियाउर रहमान बर्क, सपाकमल कुमार, बीजेपी
खैरअनूप वाल्मीकि, भाजपाचारू केन, बसपा
मझवांविनोद बिंद, निषाद पार्टीरोहित शुक्ला, सपा
सीसामऊइरफान सोलंकी, सपासलील बिश्नोई, भाजपा
करहलअखिलेश यादव, सपाएसपी बघेल, भाजपा
कटेहरीलालजी वर्मा, सपाअवधेश कुमार
मीरापुरचंदन चौहान, रालोदप्रशांत चौधरी, बीजेपी
फूलपुरप्रवीण सिंह पटेल, भाजपामुजतबा सिद्दीकी, सपा
गाजियाबादअतुल गर्ग, भाजपाविशाल वर्मा, सपा

भाजपा की 4 महीने की मेहनत रंग लाई: उत्तर प्रदेश में नौ विधानसभा सीट के उपचुनाव में भारतीय जनता पार्टी की जो लगातार बढ़त बनी हुई है, उसके पीछे पिछले करीब 4 महीने की मेहनत है. जिसमें संगठन और सरकार का बेहतर कोऑर्डिनेशन नजर आया. इसके साथ ही मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ का 'बंटोगे तो कंटोगे के नारा' काम करता हुआ दिखाई दे रहा है. सीएम योगी ने उपचुनाव वाली हर एक सीट पर ताबड़तोड़ रैलियां, जनसभाएं कीं.

रालोद का साथ भाजपा के लिए रहा फायदेमंद: कुंदरकी, कटेहरी और मीरापुर ऐसी सीट थी जो भारतीय जनता पार्टी के खाते में नहीं थीं. कुंदरकी और कटेहरी पर जहां समाजवादी पार्टी जीती थी. वहीं मीरापुर पर समाजवादी पार्टी के गठबंधन में 2022 में शामिल राष्ट्रीय लोक दल का उम्मीदवार जीता था. इस बार राष्ट्रीय लोक दल भाजपा के साथ है तो मीरापुर में भाजपा गठबंधन आगे चल रहा है. इसी के साथ कुंदरकी और कटेहरी में भी बीजेपी जीत की ओर बढ़ रही है.

संगठन और सरकार का मिलजुल कर काम करना और इसके साथ ही मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के एक्सक्लूसिव प्रयास, बीजेपी को उपचुनाव में मनमासिक परिणाम की ओर ले गया. लोकसभा चुनाव 2024 के परिणामों के बाद जिस तरह की पराजय भारतीय जनता पार्टी को मिली थी उसके बाद में पार्टी की कई कमजोरियां सामने आई थीं. इसके बाद में उपचुनाव को लेकर जब तैयारी शुरू हुई तो भारतीय जनता पार्टी ने कई कमियों को दूर किया.

सीएम योगी ने आगरा में दिया था बंटोगे तो कटोगे का नारा: आगरा में एक रैली के दौरान मुख्यमंत्री योगी ने बंटोगे तो कंटोगे का नारा दिया था. इसके बाद में उत्तर प्रदेश की सियासत का रूप काफी बदलाव नजर आया. विपक्ष भारतीय जनता पार्टी के पहले में खेलना शुरू कर चुका था. विपक्ष की पूरी एनर्जी इस बात में लग रही थी कि किस तरह से योगी आदित्यनाथ के इस नारे की काट की जाए.

वरिष्ठ पत्रकार और राजनीतिक विश्लेषक उमाशंकर दुबे ने बताया कि जब भारतीय जनता पार्टी की ओर से यह नारा दिया गया, उसके बाद से विपक्ष को यह डर था कि अगर हिंदू वोट एकजुट हो गए तो उनकी जाति की राजनीति का असर कम दिखाई देगा. मगर वह इस नारे को नहीं काट सके. जिसका नतीजा यह हुआ कि चुनाव पर उसका साफ असर देखा गया.

सीएम योगी और दोनों उपमुख्यमंत्री सहित 10 मंत्रियों ने की थीं 100 के करीब सभाएं: प्रचार के पिछले करीब 15 दिनों में सोमवार की शाम तक भारतीय जनता पार्टी ने इस दौरान अपनी पूरी ताकत झोंक दी गई थी. मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने बटेंगे तो कटेंगे का नारा लगाया और यह नारा बीजेपी के लिए संजीवनी हो गया. के आगे पीछे ही यह पूरा चुनाव अभियान चला. लगभग 10 मंत्री मिलाकर 15 नेताओं ने नौ विधानसभा 100 के करीब जनसभाएं कीं. जिनके जरिए भारतीय जनता पार्टी के पक्ष में माहौल बनाया गया. 10 मंत्रियों ने भी लगभग डेढ़ महीने तक विधानसभा क्षेत्र में मोर्चा जमाए रखा.

सपा दिखाना चाह रही थी PDA का दम: समाजवादी पार्टी ने उपचुनाव में जहां पिछड़ा दलित अल्पसंख्यक पर जोर देते हुए PDA का दम दिखाया है तो, इसके जवाब में भारतीय जनता पार्टी ने भी इसी समीकरण में अपना प्रत्याशी घोषित किए थे. पिछड़े और दलित प्रत्याशियों के जरिए अपनी ताकत का एहसास करने का निश्चय किया है. कानपुर की सीसामऊ विधानसभा सीट पर ब्राह्मण को उम्मीदवार बनाया गया.

इसी तरह से बीजेपी ने सामान्य वर्ग में एक गाजियाबाद की ब्राह्मण को और कुंदरकी विधानसभा सीट से क्षत्रीय रामवीर सिंह ठाकुर कोअपना उम्मीदवार बना दिया है. मझवां उपचुनाव के लिए बीजेपी ने पिछले वर्ग की महिला उम्मीदवार पूर्व विधायक सूची स्मिता मौर्य को उम्मीदवार बनाया है. समाजवादी पार्टी के गढ़ मैनपुरी की करहल विधानसभा सीट से बीजेपी ने इस बार सपा के जवाब में यादव कार्ड खेला है. यहां से अनुजेश यादव को भाजपा ने टिकट दिया है.

अनुजेश यादव धर्मेंद्र यादव के बहनोई है. अनुजेश इस सीट से सपा की उम्मीदवार तेज प्रताप के रिश्ते में फूफा हैं. कुंदरकी से रामवीर सिंह ठाकुर, गाजियाबाद से संजीव शर्मा, अनुसूचित जाति के लिए सुरक्षित सीट खैर से सुरेंद्र दिलेर, समाजवादी पार्टी के गढ़ करहल से अनुदेश यादव, फूलपुर से दीपक पटेल, कटेहारी धर्मराज निषाद और मंझवा सीट से सूचिस्मिता मौर्य को प्रत्याशी बनाया गया.

बूथ स्तर तक उतरे थे बीजेपी के नेता: राष्ट्रीय लोकदल ने मीरापुर से अपना उम्मीदवार उतारा है जो कि भारतीय जनता पार्टी का सहयोगी दल है. मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने इन नौ विधानसभा सीटों पर सभी पर जनसभाएं की हैं. इसी तरह से भाजपा प्रदेश अध्यक्ष भूपेंद्र सिंह चौधरी ने संगठनात्मक बैठकों में जाकर बूथ स्तरीय गतिविधियों का मोर्चा संभाला था. उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य और उपमुख्यमंत्री बृजेश पाठक ने भी सभी जनसभाएं की. जल शक्ति मंत्री स्वतंत्र देव सिंह, नगर विकास मंत्री एके शर्मा, संसदीय कार्य मंत्री सुरेश खन्ना व अन्य वरिष्ठ मंत्रियों ने भी जनसभाओं के माध्यम से वोटरों को जोड़ने का प्रयास किया है.

ये भी पढ़ेंः यूपी में ठंड के साथ कोहरे का अटैक, अयोध्या सबसे ठंडा जिला, 9 डिग्री से. रहा पारा

Last Updated : Nov 23, 2024, 5:24 PM IST
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