बरेली : एक महिला की झूठी गवाही ने निर्दोष युवक को सलाखों के पीछे पहुंचा दिया. वह 4 साल, 6 महीने और 13 दिन तक जेल में रहा. महिला ने युवक पर बेटी को नशीला पदार्थ खिलाकर उसके साथ रेप का मुकदमा दर्ज कराया था. बाद में पीड़िता के बयान से मुकरने पर युवक को बाइज्जत बरी कर दिया गया. कोर्ट को गुमराह करने पर महिला के खिलाफ भी मुकदमा चला. इसमें अपर सत्र न्यायाधीश ज्ञानेंद्र त्रिपाठी ने ऐतिहासिक फैसला सुनाया. कहा कि निर्दोष ने जितने भी दिन जेल में गुजारे हैं, महिला को भी उतने ही दिन जेल में रहना होगा. इसके अलावा 588822 रुपये का जुर्माना भी लगाया है. जुर्माना न देने पर उसे 6 महीने की अतिरिक्त सजा भुगतनी होगी.
सहायक जिला शासकीय अधिवक्ता सुनील पांडे ने बताया कि बारादरी इलाके की रहने वाली एक महिला ने 2 दिसंबर 2019 में बारादरी थाने में मुकदमा दर्ज कराया था. आरोप लगाया था कि अजय उर्फ राघव उसकी 15 साल की बेटी को बहला-फुसला कर दिल्ली ले गया. वहां नशीला पदार्थ खिलाकर उसके साथ दुष्कर्म किया. इसके बाद इस मामले में अजय को जेल हो गई. मामला कोर्ट में विचाराधीन था. इस दौरान युवक 4 साल, 6 महीने और 13 दिन तक (कुल 1653 दिन) तक जेल में रहा.
अधिवक्ता ने बताया कि पहले किशोरी ने अपने 164 के बयान में युवक पर रेप का आरोप लगाया था. बाद में अदालत में सुनवाई के दौरान अपने बयान से मुकर गई. 8 फरवरी 2024 को दिए बयान से पलटते हुए खुद ही उन्हें झूठा करार दे दिया. उसने कोर्ट को बताया कि अजय उर्फ राघव ने उसके साथ कोई गलत काम नहीं किया. वह उसे दिल्ली भी लेकर नहीं गया था.
अधिवक्ता ने बताया कि तत्कालीन न्यायाधीश ने इस साल किशोरी के बालिग होने पर झूठी गवाही पर उसे जेल भिजवा दिया था. इसके बाद अजय उर्फ राघव को भी बाइज्जत बरी कर दिया था. इसके बाद 8 अप्रैल 2024 को अदालत में झूठे बयान देने वाली महिला के खिलाफ 340 सीआरपीसी के तहत तत्कालीन कोर्ट के पेशकार के जरिए सीजेएम कोर्ट में परिवाद दायर किया गया.
सुनवाई करते हुए शनिवार को अपर सत्र न्यायाधीश ज्ञानेंद्र त्रिपाठी ने ऐतिहासिक फैसला सुनाया. टिप्पणी की कि महिला के झूठे बयानों के कारण एक निर्दोष व्यक्ति को 1653 दिन जेल की सलाखों में काटने पड़े. उसे आजीवन कारावास भी हो सकता था. इस तरह के झूठे बयान देने के मामले में ऐसा दंड दिया जाना चाहिए कि लोग कानून का दुरुपयोग न कर सकें.
अदालत ने कहा कि जितने दिन निर्दोष होते हुए भी एक व्यक्ति को जेल में रहना पड़ा, उतनी ही सजा महिला को भी मिलनी चाहिए. इसके बाद अपर सत्र न्यायाधीश ज्ञानेंद्र त्रिपाठी ने महिला को 1653 दिनों की सजा सुनाते हुए 588822 रुपए का जुर्माना भी लगाया. जुर्माना न देने की स्थिति में उसे 6 महीने की अतिरिक्त सजा काटनी होगी.
यह भी पढ़ें : लखनऊ में चौकी इंचार्ज समेत कई पुलिस कर्मियों पर महिला को थर्ड डिग्री देने का आरोप, FIR दर्ज