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म्यूजिक की थीम पर झूमीं 200 बुजुर्ग महिलाएं, सिंधी समाज का अनोखा बर्थ डे, बूढ़ी आंखों में फिर से लौटाई खुशियां - Unique birthday of elders Ladies - UNIQUE BIRTHDAY OF ELDERS LADIES

Unique birthday of elders Ladies धमतरी में बुजुर्ग महिलाओं के लिए अनोखा आयोजन किया गया.इस आयोजन में बुजुर्ग महिलाओं को थोड़े ही समय के लिए ही सही लेकिन अपने पुराने दिन जरुर याद आ गए.आईए देखते हैं इस अनोखे आयोजन की झलकियों को.Dhamtari Sindhi Samaj

Unique birthday of elders Ladies
म्यूजिक की थीम पर झूमीं 200 बुजुर्ग महिलाएं (ETV Bharat Chhattisgarh)
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By ETV Bharat Chhattisgarh Team

Published : May 15, 2024, 2:29 PM IST

म्यूजिक की थीम पर झूमीं 200 बुजुर्ग महिलाएं (ETV Bharat Chhattisgarh)

धमतरी : आपने जन्मदिन तो काफी देखे होंगे लेकिन आज हम जिस जन्मदिन की बात करने जा रहे हैं वो काफी अनोखा है. क्योंकि इस जन्मदिन में एक साथ 150 बुजुर्ग महिलाओं ने केक काटकर अपना जन्मदिन मनाया.जिसमें 70 साल से लेकर 108 साल की महिलाओं ने शिरकत की. करीब 150 दादी एक जगह इकट्ठी हुईं और जन्मदिन मनाकर खूब एंजॉय किया.इस कार्यक्रम को दादी माँ की पिकनिक एक शाम बुजुर्गों के नाम दिया गया था. जहां पर बुजुर्ग दादियों के लिए डांस, खेल और गिफ्ट की व्यवस्था भी की गई थी. इस अनोखे कार्यक्रम का उद्देश्य बड़े बुजुर्गों को खुशियां देना था.क्योंकि आज के लाइफ स्टाइल में कई लोग अपने यहां के बुजुर्गों पर ध्यान नहीं देते हैं.इसलिए ऐसे बुजुर्गों के लिए एक संयुक्त आयोजन किया गया. कार्यक्रम में बुजुर्गों के चेहरे पर मुस्कान देखने को मिला.

सिंधी समाज की अनोखी पहल : मंगलवार की देर शाम धमतरी के मकई गार्डन में सिंध शक्ति महिला संगठन दादी मां की पिकनिक का आयोजन रखा गया था. धमतरी में सिंधी समाज ने अनोखी पहल की शुरुआत की है. जिसमें एक साथ 150 से ज्यादा महिलाओं का जन्मदिन मनाकर केक कटवाया गया. इस दौरान अलग-अलग घरों से पहुंची बुजुर्ग महिलाओं का तिलक लगाकर स्वागत किया गया . सभी ने मिलकर डांस भी किया और कुर्सी दौड़ में बुजुर्ग महिलाओं ने हिस्सा लिया. अंत में करीब 150 महिलाओं ने एक साथ केक काटकर एकदूसरे को खिलाया.

''बुजुर्ग महिलाओं का जीवन घर पर ही रहकर बीतता है. इस प्रकार के आयोजन से निश्चित ही उन्हें एक-दूसरे से मिलकर काफी खुशी मिलेगी. महिलाओं के लिए कभी किसी प्रकार का मनोरंजन से भरा कार्यक्रम नहीं होता है. इस आयोजन में दादी, नानी, और सास ये सभी बुजुर्ग को आमंत्रित किया गया था. लगभग दो सौ बुजुर्ग महिलाओं ने इस कार्यक्रम में शामिल हुई. उनके चेहरे की मुस्कान देखने को मिल रही थी.'' पार्वती वाधवानी,सिंध शक्ति महिला संगठन

बुजुर्गों को समय देना जरुरी : सिंधी समाज के महेश रोहरा और रोमी सावलानी के मुताबिक घर के बुजुर्गों को समय देना काफी जरूरी है.उन्हें लंबा जीवन जीने के लिए प्रेरणा मन में लानी चाहिए. बुजुर्गों को हंसाना चाहिए, उन्हें जीवन जीने के लिए एक प्रेरणा उनके मन में लानी चाहिए. बताया गया कि वृद्ध काल में एक मात्र सहारा उनको जीने के लिए हौंसला देता है. उनका जन्मदिन कब आता है, उन्हें खुद को पता नहीं होता. इसलिए यह आयोजन किया गया है.

बुजुर्ग ने बयां किया अपना दर्द : इस कार्यक्रम में शामिल होने के लिए आईं बुजुर्ग महिला भूरा बाई ने बताया कि वो 90 वर्ष की है. लेकिन उसे अपना जन्म तिथि और उम्र का सही से याद नही है कोई कहता है वह 102 साल की है इसे भी वह स्वीकार लेती हैं. उन्होंने कहा कि मैं अब बुजुर्ग हो गई हूं मेरा जन्मदिन मनाया गया. मुझे बहुत खुशी मिली है. घर के सभी बाहर जाते है लेकिन मुझे कोई नही लेकर जाता है. इस आयोजन में मुझे आकर अच्छा लगा.


आपको बता दें कि जीवन में खुशियां सभी चाहते हैं.लेकिन अपने ही घर में रह रहे बुजुर्गों पर कोई ध्यान नहीं देता.बुजुर्ग एक दिन में इस अवस्था में नहीं आए हैं.एक दिन हम सभी को इस अवस्था में रहकर गुजरना है. आज हम जिस तरुणाई पर इतरा रहे हैं,उसमें कहीं ना कहीं इन्हीं बुजुर्गों का हाथ है.इन्हीं बुजुर्गों ने हमें बचपन में सहारा देकर पहला कदम चलना सिखाया, चोट लगी तो सीने से लगाया. घर से कदम बाहर पड़े तो सलीके से रहने और समाज में खुद को स्थापित करने की कला सिखाई.और विंडबना ये है कि हम अपना लक्ष्य साधने के चक्कर में उस कमान को भूल चुके हैं,जिस पर जीवन का तीर चढ़ा है. सिंधी समाज की ये पहल काबिल ए तारीफ है.

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म्यूजिक की थीम पर झूमीं 200 बुजुर्ग महिलाएं (ETV Bharat Chhattisgarh)

धमतरी : आपने जन्मदिन तो काफी देखे होंगे लेकिन आज हम जिस जन्मदिन की बात करने जा रहे हैं वो काफी अनोखा है. क्योंकि इस जन्मदिन में एक साथ 150 बुजुर्ग महिलाओं ने केक काटकर अपना जन्मदिन मनाया.जिसमें 70 साल से लेकर 108 साल की महिलाओं ने शिरकत की. करीब 150 दादी एक जगह इकट्ठी हुईं और जन्मदिन मनाकर खूब एंजॉय किया.इस कार्यक्रम को दादी माँ की पिकनिक एक शाम बुजुर्गों के नाम दिया गया था. जहां पर बुजुर्ग दादियों के लिए डांस, खेल और गिफ्ट की व्यवस्था भी की गई थी. इस अनोखे कार्यक्रम का उद्देश्य बड़े बुजुर्गों को खुशियां देना था.क्योंकि आज के लाइफ स्टाइल में कई लोग अपने यहां के बुजुर्गों पर ध्यान नहीं देते हैं.इसलिए ऐसे बुजुर्गों के लिए एक संयुक्त आयोजन किया गया. कार्यक्रम में बुजुर्गों के चेहरे पर मुस्कान देखने को मिला.

सिंधी समाज की अनोखी पहल : मंगलवार की देर शाम धमतरी के मकई गार्डन में सिंध शक्ति महिला संगठन दादी मां की पिकनिक का आयोजन रखा गया था. धमतरी में सिंधी समाज ने अनोखी पहल की शुरुआत की है. जिसमें एक साथ 150 से ज्यादा महिलाओं का जन्मदिन मनाकर केक कटवाया गया. इस दौरान अलग-अलग घरों से पहुंची बुजुर्ग महिलाओं का तिलक लगाकर स्वागत किया गया . सभी ने मिलकर डांस भी किया और कुर्सी दौड़ में बुजुर्ग महिलाओं ने हिस्सा लिया. अंत में करीब 150 महिलाओं ने एक साथ केक काटकर एकदूसरे को खिलाया.

''बुजुर्ग महिलाओं का जीवन घर पर ही रहकर बीतता है. इस प्रकार के आयोजन से निश्चित ही उन्हें एक-दूसरे से मिलकर काफी खुशी मिलेगी. महिलाओं के लिए कभी किसी प्रकार का मनोरंजन से भरा कार्यक्रम नहीं होता है. इस आयोजन में दादी, नानी, और सास ये सभी बुजुर्ग को आमंत्रित किया गया था. लगभग दो सौ बुजुर्ग महिलाओं ने इस कार्यक्रम में शामिल हुई. उनके चेहरे की मुस्कान देखने को मिल रही थी.'' पार्वती वाधवानी,सिंध शक्ति महिला संगठन

बुजुर्गों को समय देना जरुरी : सिंधी समाज के महेश रोहरा और रोमी सावलानी के मुताबिक घर के बुजुर्गों को समय देना काफी जरूरी है.उन्हें लंबा जीवन जीने के लिए प्रेरणा मन में लानी चाहिए. बुजुर्गों को हंसाना चाहिए, उन्हें जीवन जीने के लिए एक प्रेरणा उनके मन में लानी चाहिए. बताया गया कि वृद्ध काल में एक मात्र सहारा उनको जीने के लिए हौंसला देता है. उनका जन्मदिन कब आता है, उन्हें खुद को पता नहीं होता. इसलिए यह आयोजन किया गया है.

बुजुर्ग ने बयां किया अपना दर्द : इस कार्यक्रम में शामिल होने के लिए आईं बुजुर्ग महिला भूरा बाई ने बताया कि वो 90 वर्ष की है. लेकिन उसे अपना जन्म तिथि और उम्र का सही से याद नही है कोई कहता है वह 102 साल की है इसे भी वह स्वीकार लेती हैं. उन्होंने कहा कि मैं अब बुजुर्ग हो गई हूं मेरा जन्मदिन मनाया गया. मुझे बहुत खुशी मिली है. घर के सभी बाहर जाते है लेकिन मुझे कोई नही लेकर जाता है. इस आयोजन में मुझे आकर अच्छा लगा.


आपको बता दें कि जीवन में खुशियां सभी चाहते हैं.लेकिन अपने ही घर में रह रहे बुजुर्गों पर कोई ध्यान नहीं देता.बुजुर्ग एक दिन में इस अवस्था में नहीं आए हैं.एक दिन हम सभी को इस अवस्था में रहकर गुजरना है. आज हम जिस तरुणाई पर इतरा रहे हैं,उसमें कहीं ना कहीं इन्हीं बुजुर्गों का हाथ है.इन्हीं बुजुर्गों ने हमें बचपन में सहारा देकर पहला कदम चलना सिखाया, चोट लगी तो सीने से लगाया. घर से कदम बाहर पड़े तो सलीके से रहने और समाज में खुद को स्थापित करने की कला सिखाई.और विंडबना ये है कि हम अपना लक्ष्य साधने के चक्कर में उस कमान को भूल चुके हैं,जिस पर जीवन का तीर चढ़ा है. सिंधी समाज की ये पहल काबिल ए तारीफ है.

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