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झारखंड में खत्म हो रहा नक्सलवाद, निर्णायक लड़ाई के दौर में पुलिस! - NAXALISM IN JHARKHAND

झारखंड डीजीपी का दावा है कि राज्य में नक्सलवाद 10 प्रतिशत बचा है. अब प्रदेश की पुलिस निर्णायक लड़ाई की ओर है.

now only 10 percent of Naxalism is left in Jharkhand said DGP Anurag Gupta
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By ETV Bharat Jharkhand Team

Published : Oct 7, 2024, 6:22 PM IST

रांचीः नक्सलवाद से देश के कई राज्य जूझ रहे हैं. हालांकि केंद्र और राज्य के ज्वाइंट ऑपरेशन के कारण कई इलाकों को नक्सलवाद से मुक्त कराया गया. इसके अलावा कई इलाकों में लगातार अभियान चलाए जा रहे हैं. वहीं केंद्रीय गृह मंत्रालय की ओर से लगातार इसकी समीक्षा की जाती है. सोमवार 7 अक्टूबर गृह मंत्री अमित शाह ने नक्सल प्रभावित राज्यों के सीएम के साथ बैठक की.

सोमवार को दिल्ली में नक्सल प्रभावित राज्यों के मुख्यमंत्रियों के साथ केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने बैठक की. केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने सोमवार को कहा कि सुरक्षा बल नक्सलियों के खिलाफ रक्षात्मक कार्रवाई के बजाय आक्रामक अभियान चला रहे हैं और हाल के दिनों में बड़ी सफलताएं हासिल की हैं. इस मीटिंग में अमित शाह ने हाल के दिनों में छत्तीसगढ़ में नक्सलियों के खिलाफ अभियान में सुरक्षा बलों को मिली सफलता का भी जिक्र किया.

अमित शाह ने कहा कि सुरक्षा बल अब रक्षात्मक अभियानों के बजाय आक्रामक अभियान चला रहे हैं. उन्होंने नक्सलियों को विकास में सबसे बड़ी बाधा बताते हुए कहा कि वे सबसे बड़े मानवाधिकार उल्लंघनकर्ता हैं, जो 8 करोड़ से अधिक लोगों को विकास और बुनियादी कल्याण के अवसरों से वंचित कर रहे हैं. नक्सल प्रभावित राज्यों में छत्तीसगढ़, ओडिशा, तेलंगाना, महाराष्ट्र, झारखंड, बिहार, आंध्र प्रदेश और मध्य प्रदेश शामिल हैं. मोदी सरकार की रणनीति के कारण वामपंथी उग्रवाद (एलडब्ल्यूई) हिंसा में 72 प्रतिशत की कमी आई है, जबकि 2010 की तुलना में 2023 में मौतों में 86 प्रतिशत की कमी आई है.

झारखंड में खात्मे की ओर नक्सलवाद!

झारखंड में भी नक्सलवाद का मायाजाल टूटने के कगार पर पहुंच गया है. नक्सलियों के खिलाफ अभियान में पिछले चार साल के दौरान झारखंड पुलिस ने जबरदस्त कामयाबी हासिल की है. प्रशांत बोस जैसे बड़े नेताओं की गिरफ्तारी, महाराज जैसे दर्जन पर इनामी कमांडरों का सरेंडर और 50 से अधिक नक्सलियों की इनकाउंटर में मौत ने नक्सलवाद पर कड़ा प्रहार किया है.

नक्सलियों ने भी माना कि उनको हो रहा भारी नुकसान

झारखंड के डीजीपी अनुराग गुप्ता कहते हैं कि अब झारखंड में मात्र 10 प्रतिशत ही नक्सलवाद बचा हुआ है. उसे भी खत्म करने के लिए निर्णायक लड़ाई लड़ी जा रही है. जिसका असर सबको जल्द दिखेगा. झारखंड में नक्सली कमजोर हो चुके हैं ये सिर्फ पुलिस ही नहीं कह रही बल्कि हाल के दिनों में नक्सली संगठनों के प्रवक्ताओं के द्वारा जारी किए गए पत्र भी यह प्रमाणित करते हैं कि पिछले 3 साल में नक्सलियों को भारी जानमाल का नुकसान हुआ है. नक्सली यह भी मानते हैं कि सबसे ज्यादा नुकसान उन्हें झारखंड में हुआ है.

जानकारी देते झारखंड डीजीपी (ETV Bharat)

नक्सलियों को नहीं मिल रहा जन समर्थन

झारखंड के नक्सली इतिहास में पिछले 3 साल पुलिस के लिए कामयाबी भरे रहे हैं. ताबड़तोड़ अभियानों की वजह से नक्सलियों की जमीन झारखंड से लगभग खिसक ही गई है. पिछले साल और इस साल माओवादियों की सेंट्रल कमेटी के द्वारा जारी किए गए पत्रों में इस बात का जिक्र है कि भाकपा माओवादियों को सबसे ज्यादा नुकसान झारखंड में उठाना पड़ा है. आलम यह है कि नक्सलियों को ना तो लोकल सपोर्ट मिल रहा है और ना ही बाहरी मदद.

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नक्सलवाद पर झारखंड पुलिस की कार्रवाई (ETV Bharat)

माओवादी सेंट्रल कमेटी अपने पत्र में लगातार नक्सली समाज के बुद्धिजीवियों और ग्रामीणों से जन समर्थन की मांग कर रहे है. लेकिन कई पत्र जारी करने के बावजूद नक्सलियों को जन समर्थन न के बराबर मिल रहा है. इसके ठीक उलट झारखंड पुलिस के द्वारा जारी किए गए इनामी नक्सलियों के पोस्टर और लोकल भाषाओं में नक्सलियों के बारे में दी गई जानकारी की वजह से नक्सली पकड़े जा रहे हैं और एनकाउंटर में मारे जा रहे हैं. इसका मतलब साफ है कल तक जो जन समर्थन नक्सलियों के पास था अब वह खिसक कर पुलिस के पास चला गया है.

शहीद सप्ताह के दौरान 23 पन्ने का पत्र लिखा

माओवादियों की सेंट्रल कमेटी के द्वारा हाल में ही शहीद सप्ताह को लेकर एक लंबा चौड़ा पत्र जारी किया गया. 23 पन्नों के उस पत्र में पिछले एक साल के दौरान जिन जिन नक्सलियों की मौत एनकाउंटर में हुई है या फिर बीमारी से सभी की जानकारी साझा की गई. सेंट्रल कमेटी के पत्र में स्पष्ट लिखा गया है कि उन्हें सामरिक रूप से सबसे ज्यादा नुकसान झारखंड में हुआ है. पत्र में इस बात का जिक्र है कि सबसे ज्यादा जान का नुकसान दण्डकारण्य में हुआ है. एक साल के भीतर देशभर में कुल 160 के करीब कॉमरेड शहीद हुए हैं. जिसमें झारखंड में 20, तेलंगाना में 09, दंडकारण्य में 68, महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़ स्पेशल जोन में पांच, आंध्र प्रदेश-ओडिशा सीमा पर 3, ओडिशा में 09, आंध्र प्रदेश में 01, पश्चिमी घाटियों में एक और पश्चिम बंगाल में एक कॉमरेड शामिल है.

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झारखंड में खात्मे की ओर नक्सलवाद (ETV Bharat)

38 महिला नक्सली मारी गईं

नक्सलियों के पत्र में एक चौंकाने वाली जानकारी भी दी गई है. इस पत्र के अनुसार सबसे ज्यादा शहीद होने वाली महिला कॉमरेड हैं, इनकी संख्या 38 है. झारखंड में भी पिछले 1 साल में चार महिला नक्सली एनकाउंटर में मारी गई हैं जबकि तीन के करीब गिरफ्तार की गईं.

नक्सलियों को उठाना पड़ा है नुकसान

10 जून 2024 को सारंडा में झारखंड पुलिस में नक्सलियों को सबसे बड़ा झटका दिया. 10 जून को एक साथ छह नक्सलियों को मार गिराया गया था, जिसमें दो इनामी थे. इस घटना के बाद नक्सली संगठन लगभग हताश ही हो गए हैं.

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झारखंड में खात्मे की ओर नक्सलवाद (ETV Bharat)

झारखंड सामरिक रूप से था महत्वपूर्ण

नक्सलियों के पत्र में इस बात का भी जिक्र है कि झारखंड-बिहार सामरिक रूप से उनके लिए बेहद महत्वपूर्ण था. छत्तीसगढ़, ओडिशा, पश्चिम बंगाल जैसे राज्यों से सीमाएं सटने की वजह से कॉमरेडों को आंदोलन में सहूलियत होती थी. लेकिन झारखंड पुलिस ने नक्सलियों के लिए सामरिक रूप से महत्वपूर्ण बुढ़ा पहाड़, पारसनाथ, झुमरा और बुलबुल जंगल से नक्सलियों को खदेड़ दिया. सारंडा में भी नक्सलियों के खिलाफ निर्णायक लड़ाई लड़ी जा रही है. भाकपा माओवादियों के अनुसार झारखंड में एक वर्ष के भीतर उनके 300 से ज्यादा कमांडर, कैडर और समर्थकों को जेल में भी डाला गया है.

सबसे ज्यादा गिरफ्तारी से हुआ नुकसान

पिछले एक साल में झारखंड में 12 इनामी नक्सलियों सहित एक दर्जन नक्सली कमांडर एनकाउंटर में मारे जा चुके हैं. लेकिन सबसे ज्यादा नुकसान बड़े कैडरों की गिरफ्तारी और उनके सरेंडर करने से हुआ है. संगठन ने सरेंडर करने वाले को गद्दार घोषित कर रखा है. झारखंड पुलिस मुख्यालय से मिले आंकड़ों के अनुसार साल 2020 से लेकर 2024 के जून महीने तक कुल 1490 नक्सली गिरफ्तार हुए. इनमें कई बड़े नाम भी शामिल है जिनकी गिरफ्तारी से संगठन को बड़ा झटका लगा.

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नक्सलियों को भारी नुकसान (ETV Bharat)

बड़े नक्सलियों को टारगेट कर अभियान चलाने की शुरुआत 2020 से शुरू हुई थी. इस दौरान कई बड़े और इनामी गिरफ्तार किए गए. वहीं दूसरी तरफ माओवादियों से बूढ़ा पहाड़, बुलबुल छीनने के बाद, पुलिस और केंद्रीय बलों ने चाईबासा, सरायकेला और खूंटी के ट्राइजंक्शन पर एक करोड़ के माओवादी पतिराम मांझी के दस्ते को साल भर से घेर कर रखा हुआ है.

प्रमुख नाम जो गिरफ्तार और सरेंडर किए

प्रशांत बोस- इनाम एक करोड़, रूपेश कुमार सिंह (सैक मेम्बर), प्रभा दी- इनाम 10 लाख, सुधीर किस्कू- इनाम 10 लाख, प्रशांत मांझी- इनाम 10 लाख, नंद लाल मांझी- इनाम 25 लाख, बलराम उरांव- इनाम 10 लाख शामिल है. इसके अलावा झारखंड में भाकपा माओवादियों को ताकतवर बनाने वाले कई बड़े नाम संगठन छोड़ पुलिस की शरण में आ चुके हैं. महाराज प्रमाणिक, विमल यादव, सुरेश सिंह मुंडा, भवानी सिंह, विमल लोहरा, संजय प्रजापति, अभय जी, रिमी दी, राजेंद्र राय जैसे बड़े नक्सली पुलिस के सामने हथियार डाल चुके हैं.

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नक्सलियों को भारी नुकसान (ETV Bharat)

अरविंद जी के मौत के बाद स्थिति हुई खराब

पुलिस के द्वारा की गई तबाड़तोड़ कार्रवाई की वजह से झारखंड के सबसे बड़े नक्सली संगठन भाकपा माओवादियों को अब उनके प्रभाव वाले इलाकों में ही बिखरने पर मजबूर कर दिया है. झारखंड में भाकपा माओवादियों के प्रभाव का बड़ा इलाका नेतृत्वविहीन हो गया है. झारखंड, छतीसगढ़ और बिहार तक विस्तार वाला बूढ़ा पहाड़ का इलाका माओवादियों के सुरक्षित गढ़ के तौर पर जाना जाता था. लेकिन अब बूढ़ापहाड़ के इलाके में पड़ने वाले पलामू, गढ़वा, लातेहार से लेकर लोहरदगा तक के इलाके में माओवादियों के लिए नेतृत्व का संकट हो गया है.

साल 2018 के पूर्व सीसी मेंबर देवकुमार सिंह उर्फ अरविंद जी बूढ़ा पहाड़ इलाके का प्रमुख था. देवकुमार सिंह की बीमारी से मौत के बाद तेलगांना के सुधाकरण को यहां का प्रमुख बनाया गया था. लेकिन साल 2019 में तेलंगाना पुलिस के समक्ष सुधाकरण ने सरेंडर कर दिया था. इसके बाद बूढ़ा पहाड़ इलाके की कमान विमल यादव को दी गई थी. विमल यादव ने फरवरी 2020 तक बूढ़ा पहाड़ के इलाके को संभाला. इसके बाद बिहार के जेल से छूटने के बाद मिथलेश महतो को बूढ़ा पहाड़ भेजा गया था, तब से वह ही यहां का प्रमुख था. लेकिन मिथिलेश को भी बिहार में गिरफ्तार कर लिया गया नतीजा अब सिर्फ और सिर्फ कोल्हान इलाके में ही नक्सलियों का शीर्ष नेतृत्व बचा हुआ है.

क्या है पुलिस का कहना

झारखंड पुलिस के आईजी अभियान जिनके कार्यकाल में झारखंड में नक्सलियों को सबसे ज्यादा नुकसान पहुंचा है. उनका कहना है कि जब तक अंतिम नक्सली सरेंडर नहीं कर देता तब तक यह अभियान जारी रहेगा. आईजी होमकर के अनुसार झारखंड में चाईबासा को छोड़ पूरे झारखंड में नक्सलियों का अस्तित्व न के बराबर है. चाईबासा में भी नक्सलियों के सफाए के लिए अभियान चल रहा है.

इसे भी पढ़ें- तबाह हुआ माओवादियों का कोयल शंख जोन, रंथू उरांव बना आखिरी कील! - Action against Naxalites

इसे भी पढ़ें- लातेहार में पुलिस और नक्सलियों के बीच मुठभेड़, दो पुलिसकर्मी जख्मी, सर्च अभियान जारी - ENCOUNTER IN LATEHAR

इसे भी पढ़ें- भाकपा माओवादी का इनामी नक्सली गिरफ्तार, राइफल-कारतूस के साथ कई आपत्तिजानक सामान बरामद - Naxalite arrested

रांचीः नक्सलवाद से देश के कई राज्य जूझ रहे हैं. हालांकि केंद्र और राज्य के ज्वाइंट ऑपरेशन के कारण कई इलाकों को नक्सलवाद से मुक्त कराया गया. इसके अलावा कई इलाकों में लगातार अभियान चलाए जा रहे हैं. वहीं केंद्रीय गृह मंत्रालय की ओर से लगातार इसकी समीक्षा की जाती है. सोमवार 7 अक्टूबर गृह मंत्री अमित शाह ने नक्सल प्रभावित राज्यों के सीएम के साथ बैठक की.

सोमवार को दिल्ली में नक्सल प्रभावित राज्यों के मुख्यमंत्रियों के साथ केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने बैठक की. केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने सोमवार को कहा कि सुरक्षा बल नक्सलियों के खिलाफ रक्षात्मक कार्रवाई के बजाय आक्रामक अभियान चला रहे हैं और हाल के दिनों में बड़ी सफलताएं हासिल की हैं. इस मीटिंग में अमित शाह ने हाल के दिनों में छत्तीसगढ़ में नक्सलियों के खिलाफ अभियान में सुरक्षा बलों को मिली सफलता का भी जिक्र किया.

अमित शाह ने कहा कि सुरक्षा बल अब रक्षात्मक अभियानों के बजाय आक्रामक अभियान चला रहे हैं. उन्होंने नक्सलियों को विकास में सबसे बड़ी बाधा बताते हुए कहा कि वे सबसे बड़े मानवाधिकार उल्लंघनकर्ता हैं, जो 8 करोड़ से अधिक लोगों को विकास और बुनियादी कल्याण के अवसरों से वंचित कर रहे हैं. नक्सल प्रभावित राज्यों में छत्तीसगढ़, ओडिशा, तेलंगाना, महाराष्ट्र, झारखंड, बिहार, आंध्र प्रदेश और मध्य प्रदेश शामिल हैं. मोदी सरकार की रणनीति के कारण वामपंथी उग्रवाद (एलडब्ल्यूई) हिंसा में 72 प्रतिशत की कमी आई है, जबकि 2010 की तुलना में 2023 में मौतों में 86 प्रतिशत की कमी आई है.

झारखंड में खात्मे की ओर नक्सलवाद!

झारखंड में भी नक्सलवाद का मायाजाल टूटने के कगार पर पहुंच गया है. नक्सलियों के खिलाफ अभियान में पिछले चार साल के दौरान झारखंड पुलिस ने जबरदस्त कामयाबी हासिल की है. प्रशांत बोस जैसे बड़े नेताओं की गिरफ्तारी, महाराज जैसे दर्जन पर इनामी कमांडरों का सरेंडर और 50 से अधिक नक्सलियों की इनकाउंटर में मौत ने नक्सलवाद पर कड़ा प्रहार किया है.

नक्सलियों ने भी माना कि उनको हो रहा भारी नुकसान

झारखंड के डीजीपी अनुराग गुप्ता कहते हैं कि अब झारखंड में मात्र 10 प्रतिशत ही नक्सलवाद बचा हुआ है. उसे भी खत्म करने के लिए निर्णायक लड़ाई लड़ी जा रही है. जिसका असर सबको जल्द दिखेगा. झारखंड में नक्सली कमजोर हो चुके हैं ये सिर्फ पुलिस ही नहीं कह रही बल्कि हाल के दिनों में नक्सली संगठनों के प्रवक्ताओं के द्वारा जारी किए गए पत्र भी यह प्रमाणित करते हैं कि पिछले 3 साल में नक्सलियों को भारी जानमाल का नुकसान हुआ है. नक्सली यह भी मानते हैं कि सबसे ज्यादा नुकसान उन्हें झारखंड में हुआ है.

जानकारी देते झारखंड डीजीपी (ETV Bharat)

नक्सलियों को नहीं मिल रहा जन समर्थन

झारखंड के नक्सली इतिहास में पिछले 3 साल पुलिस के लिए कामयाबी भरे रहे हैं. ताबड़तोड़ अभियानों की वजह से नक्सलियों की जमीन झारखंड से लगभग खिसक ही गई है. पिछले साल और इस साल माओवादियों की सेंट्रल कमेटी के द्वारा जारी किए गए पत्रों में इस बात का जिक्र है कि भाकपा माओवादियों को सबसे ज्यादा नुकसान झारखंड में उठाना पड़ा है. आलम यह है कि नक्सलियों को ना तो लोकल सपोर्ट मिल रहा है और ना ही बाहरी मदद.

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नक्सलवाद पर झारखंड पुलिस की कार्रवाई (ETV Bharat)

माओवादी सेंट्रल कमेटी अपने पत्र में लगातार नक्सली समाज के बुद्धिजीवियों और ग्रामीणों से जन समर्थन की मांग कर रहे है. लेकिन कई पत्र जारी करने के बावजूद नक्सलियों को जन समर्थन न के बराबर मिल रहा है. इसके ठीक उलट झारखंड पुलिस के द्वारा जारी किए गए इनामी नक्सलियों के पोस्टर और लोकल भाषाओं में नक्सलियों के बारे में दी गई जानकारी की वजह से नक्सली पकड़े जा रहे हैं और एनकाउंटर में मारे जा रहे हैं. इसका मतलब साफ है कल तक जो जन समर्थन नक्सलियों के पास था अब वह खिसक कर पुलिस के पास चला गया है.

शहीद सप्ताह के दौरान 23 पन्ने का पत्र लिखा

माओवादियों की सेंट्रल कमेटी के द्वारा हाल में ही शहीद सप्ताह को लेकर एक लंबा चौड़ा पत्र जारी किया गया. 23 पन्नों के उस पत्र में पिछले एक साल के दौरान जिन जिन नक्सलियों की मौत एनकाउंटर में हुई है या फिर बीमारी से सभी की जानकारी साझा की गई. सेंट्रल कमेटी के पत्र में स्पष्ट लिखा गया है कि उन्हें सामरिक रूप से सबसे ज्यादा नुकसान झारखंड में हुआ है. पत्र में इस बात का जिक्र है कि सबसे ज्यादा जान का नुकसान दण्डकारण्य में हुआ है. एक साल के भीतर देशभर में कुल 160 के करीब कॉमरेड शहीद हुए हैं. जिसमें झारखंड में 20, तेलंगाना में 09, दंडकारण्य में 68, महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़ स्पेशल जोन में पांच, आंध्र प्रदेश-ओडिशा सीमा पर 3, ओडिशा में 09, आंध्र प्रदेश में 01, पश्चिमी घाटियों में एक और पश्चिम बंगाल में एक कॉमरेड शामिल है.

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झारखंड में खात्मे की ओर नक्सलवाद (ETV Bharat)

38 महिला नक्सली मारी गईं

नक्सलियों के पत्र में एक चौंकाने वाली जानकारी भी दी गई है. इस पत्र के अनुसार सबसे ज्यादा शहीद होने वाली महिला कॉमरेड हैं, इनकी संख्या 38 है. झारखंड में भी पिछले 1 साल में चार महिला नक्सली एनकाउंटर में मारी गई हैं जबकि तीन के करीब गिरफ्तार की गईं.

नक्सलियों को उठाना पड़ा है नुकसान

10 जून 2024 को सारंडा में झारखंड पुलिस में नक्सलियों को सबसे बड़ा झटका दिया. 10 जून को एक साथ छह नक्सलियों को मार गिराया गया था, जिसमें दो इनामी थे. इस घटना के बाद नक्सली संगठन लगभग हताश ही हो गए हैं.

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झारखंड में खात्मे की ओर नक्सलवाद (ETV Bharat)

झारखंड सामरिक रूप से था महत्वपूर्ण

नक्सलियों के पत्र में इस बात का भी जिक्र है कि झारखंड-बिहार सामरिक रूप से उनके लिए बेहद महत्वपूर्ण था. छत्तीसगढ़, ओडिशा, पश्चिम बंगाल जैसे राज्यों से सीमाएं सटने की वजह से कॉमरेडों को आंदोलन में सहूलियत होती थी. लेकिन झारखंड पुलिस ने नक्सलियों के लिए सामरिक रूप से महत्वपूर्ण बुढ़ा पहाड़, पारसनाथ, झुमरा और बुलबुल जंगल से नक्सलियों को खदेड़ दिया. सारंडा में भी नक्सलियों के खिलाफ निर्णायक लड़ाई लड़ी जा रही है. भाकपा माओवादियों के अनुसार झारखंड में एक वर्ष के भीतर उनके 300 से ज्यादा कमांडर, कैडर और समर्थकों को जेल में भी डाला गया है.

सबसे ज्यादा गिरफ्तारी से हुआ नुकसान

पिछले एक साल में झारखंड में 12 इनामी नक्सलियों सहित एक दर्जन नक्सली कमांडर एनकाउंटर में मारे जा चुके हैं. लेकिन सबसे ज्यादा नुकसान बड़े कैडरों की गिरफ्तारी और उनके सरेंडर करने से हुआ है. संगठन ने सरेंडर करने वाले को गद्दार घोषित कर रखा है. झारखंड पुलिस मुख्यालय से मिले आंकड़ों के अनुसार साल 2020 से लेकर 2024 के जून महीने तक कुल 1490 नक्सली गिरफ्तार हुए. इनमें कई बड़े नाम भी शामिल है जिनकी गिरफ्तारी से संगठन को बड़ा झटका लगा.

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नक्सलियों को भारी नुकसान (ETV Bharat)

बड़े नक्सलियों को टारगेट कर अभियान चलाने की शुरुआत 2020 से शुरू हुई थी. इस दौरान कई बड़े और इनामी गिरफ्तार किए गए. वहीं दूसरी तरफ माओवादियों से बूढ़ा पहाड़, बुलबुल छीनने के बाद, पुलिस और केंद्रीय बलों ने चाईबासा, सरायकेला और खूंटी के ट्राइजंक्शन पर एक करोड़ के माओवादी पतिराम मांझी के दस्ते को साल भर से घेर कर रखा हुआ है.

प्रमुख नाम जो गिरफ्तार और सरेंडर किए

प्रशांत बोस- इनाम एक करोड़, रूपेश कुमार सिंह (सैक मेम्बर), प्रभा दी- इनाम 10 लाख, सुधीर किस्कू- इनाम 10 लाख, प्रशांत मांझी- इनाम 10 लाख, नंद लाल मांझी- इनाम 25 लाख, बलराम उरांव- इनाम 10 लाख शामिल है. इसके अलावा झारखंड में भाकपा माओवादियों को ताकतवर बनाने वाले कई बड़े नाम संगठन छोड़ पुलिस की शरण में आ चुके हैं. महाराज प्रमाणिक, विमल यादव, सुरेश सिंह मुंडा, भवानी सिंह, विमल लोहरा, संजय प्रजापति, अभय जी, रिमी दी, राजेंद्र राय जैसे बड़े नक्सली पुलिस के सामने हथियार डाल चुके हैं.

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नक्सलियों को भारी नुकसान (ETV Bharat)

अरविंद जी के मौत के बाद स्थिति हुई खराब

पुलिस के द्वारा की गई तबाड़तोड़ कार्रवाई की वजह से झारखंड के सबसे बड़े नक्सली संगठन भाकपा माओवादियों को अब उनके प्रभाव वाले इलाकों में ही बिखरने पर मजबूर कर दिया है. झारखंड में भाकपा माओवादियों के प्रभाव का बड़ा इलाका नेतृत्वविहीन हो गया है. झारखंड, छतीसगढ़ और बिहार तक विस्तार वाला बूढ़ा पहाड़ का इलाका माओवादियों के सुरक्षित गढ़ के तौर पर जाना जाता था. लेकिन अब बूढ़ापहाड़ के इलाके में पड़ने वाले पलामू, गढ़वा, लातेहार से लेकर लोहरदगा तक के इलाके में माओवादियों के लिए नेतृत्व का संकट हो गया है.

साल 2018 के पूर्व सीसी मेंबर देवकुमार सिंह उर्फ अरविंद जी बूढ़ा पहाड़ इलाके का प्रमुख था. देवकुमार सिंह की बीमारी से मौत के बाद तेलगांना के सुधाकरण को यहां का प्रमुख बनाया गया था. लेकिन साल 2019 में तेलंगाना पुलिस के समक्ष सुधाकरण ने सरेंडर कर दिया था. इसके बाद बूढ़ा पहाड़ इलाके की कमान विमल यादव को दी गई थी. विमल यादव ने फरवरी 2020 तक बूढ़ा पहाड़ के इलाके को संभाला. इसके बाद बिहार के जेल से छूटने के बाद मिथलेश महतो को बूढ़ा पहाड़ भेजा गया था, तब से वह ही यहां का प्रमुख था. लेकिन मिथिलेश को भी बिहार में गिरफ्तार कर लिया गया नतीजा अब सिर्फ और सिर्फ कोल्हान इलाके में ही नक्सलियों का शीर्ष नेतृत्व बचा हुआ है.

क्या है पुलिस का कहना

झारखंड पुलिस के आईजी अभियान जिनके कार्यकाल में झारखंड में नक्सलियों को सबसे ज्यादा नुकसान पहुंचा है. उनका कहना है कि जब तक अंतिम नक्सली सरेंडर नहीं कर देता तब तक यह अभियान जारी रहेगा. आईजी होमकर के अनुसार झारखंड में चाईबासा को छोड़ पूरे झारखंड में नक्सलियों का अस्तित्व न के बराबर है. चाईबासा में भी नक्सलियों के सफाए के लिए अभियान चल रहा है.

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