टिहरी: केंद्रीय वन एवं पर्यावरण मंत्री भूपेंद्र यादव आज टिहरी पहुंचे. टिहरी पहुंचकर वन एवं पर्यावरण मंत्री भूपेंद्र यादव ने जिले के विभिन्न वनाग्नि प्रभावित क्षेत्रों का स्थलीय निरीक्षण किया. इस दौरान उत्तराखंड के कैबिनेट बन मंत्री सुबोध उनियाल, वन विभाग से जुड़े तमाम अधिकारी मौजूद रहे.
वनाग्नि प्रभावित क्षेत्रों का स्थलीय निरीक्षण के दौरान केंद्रीय वन एवं पर्यावरण मंत्री भूपेंद्र यादव ने सभी स्टेक होल्डर्स से बातचीत कर वनाग्नि प्रबंधन के सुझाव मांगे. उन्होंने कहा वनाग्नि से महज जंगल ही नहीं जल रहे बल्कि इससे पर्यावरण को नुकसान भी हो रहा है. साथ ही सरकार को जनसमुदाय को आर्थिक रूप से भी दिक्कत उठानी पड़ रही है. उन्होंने कहा भारत सराकार वनाग्नि, पराली जलाने सहित पर्यावरण के साथ छेड़छाड़ के लिए चिंतित है. उत्तराखंड का 70 प्रतिशत से अधिक भूभाग वनों से आच्छादित हैं. ऐसे में वनों को आग से बचाए रखना हम सभी की जिम्मेदारी है.
केंद्रीय वन मंत्री भूपेंद्र यादव ने टिहरी जिले के हिंडोलाखाल, बेमुंडा, बादशाहीथौल पहुंचकर वनाग्नि प्रभावित क्षेत्रों का निरीक्षण किया. उन्होंने कहा उत्तराखंड में इस साल बड़ी मात्रा में आग लगी है, जो चिंता कारण है. उन्होंने वन मंत्री सुबोध उनियाल सहित वन महकमे के आला अधिकारियों को इसका कारण पूछा. यह बात सामने आई कि वनाग्नि के लिए कहीं न कहीं समाज और सिस्टम दोषी है. लोग लापरवाही से जलती तीली, बीड़ी, सिगरेट जंगलों में फेंक रहे हैं. कुछ ग्रामीण अपने खेतों और सिविल वन क्षेत्र में आड़े फूंक देते हैं. जिससे आग वनों की ओर आ जाती है.
ग्रामीण महिलाओं से मंत्री यादव ने वनाग्नि के कारण पूछे. जिसमें अधिकांश लोगों ने कहा अब लोगों का वनों से भावनात्मक लगाव लगातार कम हो रहा है. पहले वनाग्नि पर पूरा गांव और समुदाय आग बुझाने आ जाते थे. अब ऐसा देखने को नहीं मिलता है. अधिकांश लोगों ने चीड़ को वनाग्नि का प्रमुख कारण बताया. सुझाव दिया एक-एक पैच चिन्हित कर चीड़ का धीरे-धीरे उन्मूलन किया जाए. उंचाई वाले स्थानों पर बांज, बुरांस, भमोरा, काफल, मोरू, नैर, थुनैर जैसे प्रजाति के पेड़ लगाएं. निचले स्थानों पर चौड़ी पत्ती और फलदार पौधे लगाने से वनाग्नि को कम कर सकते हैं. इसके अलावा वन पंचायतों और ग्राम सभाओं को वनाग्नि के लिए बजट उपलब्ध कराएं. जिस पर मंत्री ने सभी सुझावों की रिपोर्ट तैयार कर भारत सरकार को उपलब्ध कराने की बात कही.