देहरादून: उत्तराखंड सरकार प्रदेश में यूसीसी लागू करने की तैयारी में है. आज यूनिफॉर्म सिविल कोड के ड्राफ्ट को कैबिनेट में रखा जा रहा है. इसके बाद यूनिफॉर्म सिविल कोड विधेयक विधानसभा के पटल पर रखा जाएगा. जिसके बाद यूनिफॉर्म सिविल कोड को उत्तराखंड में लागू किया जाएगा. यूनिफॉर्म सिविल कोड में सभी धर्मों के साथ खासकर महिलाओं का विशेष ध्यान रखा गया है. यूनिफॉर्म सिविल कोड में महिलाओं के लिए ऐसे प्रावधान किये हैं जिससे उनके जीवन में बदलाव आएगा. ये प्रावधान सभी धर्मों की महिलाओं के लिए हैं.
महिलाओं के हकों पर डाका डालने वाले नियमों को यूसीसी करेगा दूर: उत्तराखंड यूनिफॉर्म सिविल कोड के ड्राफ्ट को तैयार करने के लिए गठिक समिति ने डेढ़ साल का समय लिया. इन डेढ़ सालों में समिति का कार्यकाल 4 बार बढ़ाया गया है. समिति के कार्यकाल बढ़ने के पीछे की वजह इसकी डीप स्टडी रही. समिति की ओर से यूनिफॉर्म सिविल कोड का ड्राफ्ट तैयार करने के लिए कई लोगों से सुझाव लिये गये. सभी धर्मों के लोगों को इसमें शामिल किया गया. राजनैतिक दलों की भी इसमें भागीदारी रही. इसके साथ ही महिलाओं के सुझाव इस ड्राफ्ट में खासतौर पर शामिल किये गये. जिसका नतीजा है कि आज महिलाओं के हकों पर डाका डालने वाले कई नियमों को यूसीसी के जरिये हटाया जा रहा है.
महिलाओं को समान अधिकार दिलाएगा यूसीसी: इसमें बहु विवाह पर रोक की बात हो या फिर मुस्लिम समुदाय में होने वाले हलाला और इद्दत की, यूसीसी में इन सभी के लिए प्रावधान किया गया है. उत्तराखंड यूनिफॉर्म सिविल कोड में महिलाओं को बराबरी का हक देने की कोशिश की गई है. हमारा समाज समानता की बात तो करता है मगर धर्म, मान्यताओं के चक्कर में समानता का अधिकार महिलाओं को मिल नहीं पाता. उत्तराखंड यूनिफॉर्म सिविल कोड महिलाओं को ऐसे ही समान अधिकार दिलाता है.
सशक्त समाज के लिए शादी के लिए बड़ा प्रावधान: उत्तराखंड यूनिफॉर्म सिविल कोड में लड़कियों के शादी की उम्र बढ़ाने का प्रावधान किया गया है. जिसे 18 से बढ़ाकर 21 किया गया है. इस प्रावधान से लड़कियों को पढ़ने का समय मिलेगा. शादी की उम्र तक वे मैच्योर हो जाएंगी. मैच्योर होने के बाद जब लड़कियों की शादी होगी तो वे अपना अच्छा बुरा सोच सकती हैं. इससे पहले छोटी उम्र में शादी होने के कारण लड़कियां डिप्रेशन में चली जाती थी.
यूसीसी में लिव इन रिलेशनशिप को लेकर भी प्रावधान किया गया है. लिव इन रिलेशनशिप में रहने के लिए पुलिस के पास रजिस्टर करना होगा. इससे रिलेशन में चीटिंग जैसी घटनाओं पर रोक लगेगी. कई बार रिलेशनशिप में धोखा खाने के बाद लड़कियां गलत कदम उठा लेती हैं. इससे ऐसी घटनाओं पर रोक भी लगेगी. इसके साथ ही लिव इन रिलेशनशिप में रहने वाले लोगों के माता पिता को भी इसकी जानकारी दी जाएगी, जिससे रिश्तों में पारदर्शिता आएगी.
महिलाओं को पुरुषों के समांतर खड़ा करने की कोशिश: इसके अलावा उत्तराधिकार में लड़कियों को लड़कों के बराबर हिस्सा देने का प्रावधान है. एडॉप्शन भी सभी के लिए मान्य किया गया है. मुस्लिम महिलाओं को भी गोद लेने के अधिकार का प्रावधान किया गया है. इसके अलावा महिलाओं के लिए यूसीसी में कई महत्वपूर्ण प्रावधान हैं. जिसमें शादी के बाद रजिस्ट्रेशन अनिवार्य होगा. बिना रजिस्टर की शादी अमान्य मानी जाएगी. रजिस्ट्रेशन नहीं होने पर किसी भी सरकारी सुविधा का लाभ नहीं मिलेगा. यूसीसी में पति और पत्नी दोनों को तलाक के समान आधार उपलब्ध होंगे. तलाक का जो ग्राउंड पति के लिए लागू होगा, वही पत्नी के लिए भी लागू होगा. ऐसे में कह सकते हैं कि यूसीसी महिलाओं को पुरुषों के समांतर खड़ा करने की कोशिश है.
अब तक भारत में महिलाओं के पास अधिकार
- प्लांटेशन लेबर एक्ट के तहत महिला कर्मचारी को बीमारी, मातृत्व अवकाश का अधिकार
- महिलाओं के लिए वर्क प्लेस को लेकर भी कई नियम कानून बनाये गये
- स्पेशल मैरिज एक्ट के तहत कोई भी महिला किसी भी धर्म में शादी कर सकती है.
- मातृत्व लाभ कानून भी महिलाओं के लिए बनाया गया. इसके जरिये मां बनने पर किसी भी महिला को 6 महीने का अवकाश मिलता है. कपंनी महिला को इस दौरान वेतन देती है.
- दहेज विरोधी कानून भी महिलाओं के लिए बनाया गया. इस कानून में दहेज लेना और देना दोनों अपराध माना गया.
- गर्भपात कानून भी महिलाओं के लिए बनाया गया. 1971 के बाद देश में गर्भपात कराना कानूनी अपराध माना गया.
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