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यूनिफॉर्म सिविल कोड की रूल्स मेकिंग कमेटी ने यूसीसी रिपोर्ट को किया सार्वजनिक, जानिए 4 खंडों वाली रिपोर्ट की खासियत - Uttarakhand UCC report public - UTTARAKHAND UCC REPORT PUBLIC

Uttarakhand UCC report on public platform लंबे इंतजार के बाद शुक्रवार को उत्तराखंड यूनिफॉर्म सिविल कोड यानी यूसीसी (Uttarakhand Uniform Civil Code, UCC) की रिपोर्ट सार्वजनिक हो गई है. यूसीसी में कुल 392 अनुच्छेद हैं. यूसीसी रिपोर्ट को चार खंडों में तैयार किया गया है. लोग यूसीसी पोर्टल पर जाकर इस रिपोर्ट को हिंदी और अंग्रेजी में पढ़ सकते हैं.

Uttarakhand UCC report
यूसीसी रिपोर्ट हुई सार्वजनिक (Photo- ETV Bharat)
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By ETV Bharat Uttarakhand Team

Published : Jul 12, 2024, 1:31 PM IST

Updated : Jul 12, 2024, 2:12 PM IST

यूसीसी की रिपोर्ट सार्वजनिक हुई (Video- ETV Bharat)

देहरादून: यूनिफॉर्म सिविल कोड की रूल्स मेकिंग एंड इंप्लीमेंटेशन कमेटी ने आज शुक्रवार 12 जुलाई 2024 को यूसीसी रिपोर्ट को सार्वजनिक कर दिया है. इसका मकसद प्रदेश में यूनिफॉर्म सिविल कोड लागू होने से पहले प्रदेश की जनता यूसीसी रिपोर्ट को पढ़ और समझ सके है. यूसीसी रिपोर्ट चार वाल्यूम में तैयार की गयी है.

यूसीसी की रिपोर्ट सार्वजनिक हुई: समान नागरिक संहिता, उत्तराखंड, 2024 में कुल 392 अनुच्छेद हैं. यूसीसी की रिपोर्ट राज्य सरकार को मिलने के बाद मंत्रिमंडल से मंजूरी देने के साथ ही 07 फरवरी को विधानसभा से इसे पारित किया गया था. यूसीसी रिपोर्ट को प्रॉपर तरीके से लागू करने के लिए इससे संबंधित नियम तैयार करने की जरूरत थी. इसको देखते हुए उत्तराखंड की धामी सरकार ने 10 फरवरी 2024 को उत्तराखंड के पूर्व सीएस शत्रुघ्न सिंह की अध्यक्षता में सात सदस्यीय रूल्स मेकिंग और इंप्लीमेंटेशन कमेटी का गठन किया था.

ऐसा रहा सफर: यूसीसी के नियम तैयार करने के लिए रूल्स मेकिंग और इंप्लीमेंटेशन कमेटी का गठन करने के साथ ही सरकार ने यूसीसी को राष्ट्रपति से मंजूरी के लिए राष्ट्रपति भवन भेजा था. 11 मार्च 2024 को राष्ट्रपति का अनुमोदन मिलने के बाद राज्य सरकार ने 12 मार्च 2024 को यूसीसी का गजट नोटिफिकेशन भी जारी कर दिया था. इसी के साथ रूल्स मेकिंग और इंप्लीमेंटेशन कमेटी, यूसीसी को लागू करने के लिए नियम तैयार कर रही है, जोकि लगभग बनकर तैयार हो गया है.

चार खंडों में है यूसीसी रिपोर्ट: यूसीसी रिपोर्ट को चार खंडों में तैयार किया गया है. पहला खंड- रिपोर्ट ऑफ द एक्सपर्ट कमेटी, दूसरा खंड- ड्राफ्ट कोड, तीसरा खंड- रिपोर्ट ऑन स्टेकहोल्डर कंसल्टेशन और चौथा खंड- प्रारूप संहिता पर आधारित है. वहीं, रूल्स मेकिंग और इंप्लीमेंटेशन कमेटी के अध्यक्ष शत्रुघ्न सिंह ने प्रेसवार्ता में कहा कि रिपोर्ट तैयार होने के बाद, रिपोर्ट को जनता के साथ साझा नहीं किया जा सका, क्योंकि आदर्श आचार संहिता लागू हो गई थी. जिसके चलते आज शुक्रवार को यूसीसी की रिपोर्ट को सार्वजनिक कर दिया गया है. ऐसे में जनता यूसीसी की वेबसाइट पर जाकर यूसीसी के चारों खंडों को पढ़ सकती है.

ये है यूसीसी की वेबसाइट: यूसीसी का मसौदा तैयार करने के लिए रिटायर्ड न्यायाधीश रंजना देसाई की अध्यक्षता में पांच सदस्यीय विशेषज्ञ समिति का गठन किया गया था. ऐसे में विशेषज्ञ समिति की ओर से राज्य सरकार को यूसीसी रिपोर्ट सौंपे जाने के बाद से ही लोग रिपोर्ट के लिए क्वेरी कर रहे थे. साथ ही आरटीआई के जरिए रिपोर्ट मांग रहे थे. जिसको देखते हुए यूसीसी के रूल्स तैयार कर रही कमेटी ने रिपोर्ट को सार्वजनिक करने का निर्णय लिया था. ऐसे में कमेटी ने यूनिफॉर्म सिविल कोड की रिपोर्ट को सार्वजनिक कर दिया है. लिहाजा आम जनता यूसीसी रिपोर्ट को यूसीसी की वेबसाइट https://ucc.uk.gov.in/ पर जाकर पढ़ सकती है.

यूसीसी में मुख्य प्रावधान-

  • समान नागरिक संहिता लागू होने से समाज में बाल विवाह, बहु विवाह, तलाक जैसी सामाजिक कुरीतियों और कुप्रथाओं पर लगाम लगेगी.
  • किसी भी धर्म की संस्कृति, मान्यता और रीति-रिवाज इस कानून प्रभावित नहीं होंगे.
  • बाल और महिला अधिकारों की सुरक्षा करेगा यूसीसी
  • विवाह का पंजीकरण होगा अनिवार्य. पंजीकरण नहीं होने पर सरकारी सुविधाओं का नहीं मिलेगा लाभ.
  • पति-पत्नी के जीवित रहते दूसरा विवाह करना होगा प्रतिबंधित.
  • सभी धर्मों में विवाह की न्यूनतम उम्र लड़कों के लिए 21 साल और लड़कियों के लिए 18 साल निर्धारित.
  • वैवाहिक दंपति में यदि कोई एक व्यक्ति बिना दूसरे व्यक्ति की सहमति के अपना धर्म परिवर्तन करता है, तो दूसरे व्यक्ति को उस व्यक्ति से तलाक लेने और गुजारा भत्ता लेने का होगा अधिकार.
  • पति पत्नी के तलाक या घरेलू झगड़े के समय 5 वर्ष तक के बच्चे की कस्टडी, बच्चे के माता के पास ही रहेगी.
  • सभी धर्मों में पति-पत्नी को तलाक लेने का समान अधिकार होगा.
  • सभी धर्म-समुदायों में सभी वर्गों के लिए बेटा-बेटी को संपत्ति में समान अधिकार.
  • मुस्लिम समुदाय में प्रचलित हलाला और इद्दत की प्रथा पर रोक लगेगी.
  • संपत्ति में अधिकार के लिए जायज और नाजायज बच्चों में कोई भेद नहीं होगा.
  • नाजायज बच्चों को भी उस दंपति की जैविक संतान माना जाएगा.
  • किसी व्यक्ति की मृत्यु के बाद उसकी संपत्ति में उसकी पत्नी और बच्चों को समान अधिकार मिलेगा.
  • किसी महिला के गर्भ में पल रहे बच्चे के संपत्ति में अधिकार को संरक्षित किया जाएगा.
  • लिव-इन रिलेशनशिप के लिए पंजीकरण अनिवार्य होगा.
  • लिव-इन के दौरान पैदा हुए बच्चों को उस युगल का जायज बच्चा ही माना जाएगा. उस बच्चे को जैविक संतान की तरह सभी अधिकार प्राप्त होंगे.
    ये भी पढ़ें: सार्वजनिक की गई उत्तराखंड UCC रिपोर्ट, ऑफिशियल वेबसाइट पर 4 खंडों में अपलोड, सीएम बोले- आसानी से मिलेगा न्याय

यूसीसी की रिपोर्ट सार्वजनिक हुई (Video- ETV Bharat)

देहरादून: यूनिफॉर्म सिविल कोड की रूल्स मेकिंग एंड इंप्लीमेंटेशन कमेटी ने आज शुक्रवार 12 जुलाई 2024 को यूसीसी रिपोर्ट को सार्वजनिक कर दिया है. इसका मकसद प्रदेश में यूनिफॉर्म सिविल कोड लागू होने से पहले प्रदेश की जनता यूसीसी रिपोर्ट को पढ़ और समझ सके है. यूसीसी रिपोर्ट चार वाल्यूम में तैयार की गयी है.

यूसीसी की रिपोर्ट सार्वजनिक हुई: समान नागरिक संहिता, उत्तराखंड, 2024 में कुल 392 अनुच्छेद हैं. यूसीसी की रिपोर्ट राज्य सरकार को मिलने के बाद मंत्रिमंडल से मंजूरी देने के साथ ही 07 फरवरी को विधानसभा से इसे पारित किया गया था. यूसीसी रिपोर्ट को प्रॉपर तरीके से लागू करने के लिए इससे संबंधित नियम तैयार करने की जरूरत थी. इसको देखते हुए उत्तराखंड की धामी सरकार ने 10 फरवरी 2024 को उत्तराखंड के पूर्व सीएस शत्रुघ्न सिंह की अध्यक्षता में सात सदस्यीय रूल्स मेकिंग और इंप्लीमेंटेशन कमेटी का गठन किया था.

ऐसा रहा सफर: यूसीसी के नियम तैयार करने के लिए रूल्स मेकिंग और इंप्लीमेंटेशन कमेटी का गठन करने के साथ ही सरकार ने यूसीसी को राष्ट्रपति से मंजूरी के लिए राष्ट्रपति भवन भेजा था. 11 मार्च 2024 को राष्ट्रपति का अनुमोदन मिलने के बाद राज्य सरकार ने 12 मार्च 2024 को यूसीसी का गजट नोटिफिकेशन भी जारी कर दिया था. इसी के साथ रूल्स मेकिंग और इंप्लीमेंटेशन कमेटी, यूसीसी को लागू करने के लिए नियम तैयार कर रही है, जोकि लगभग बनकर तैयार हो गया है.

चार खंडों में है यूसीसी रिपोर्ट: यूसीसी रिपोर्ट को चार खंडों में तैयार किया गया है. पहला खंड- रिपोर्ट ऑफ द एक्सपर्ट कमेटी, दूसरा खंड- ड्राफ्ट कोड, तीसरा खंड- रिपोर्ट ऑन स्टेकहोल्डर कंसल्टेशन और चौथा खंड- प्रारूप संहिता पर आधारित है. वहीं, रूल्स मेकिंग और इंप्लीमेंटेशन कमेटी के अध्यक्ष शत्रुघ्न सिंह ने प्रेसवार्ता में कहा कि रिपोर्ट तैयार होने के बाद, रिपोर्ट को जनता के साथ साझा नहीं किया जा सका, क्योंकि आदर्श आचार संहिता लागू हो गई थी. जिसके चलते आज शुक्रवार को यूसीसी की रिपोर्ट को सार्वजनिक कर दिया गया है. ऐसे में जनता यूसीसी की वेबसाइट पर जाकर यूसीसी के चारों खंडों को पढ़ सकती है.

ये है यूसीसी की वेबसाइट: यूसीसी का मसौदा तैयार करने के लिए रिटायर्ड न्यायाधीश रंजना देसाई की अध्यक्षता में पांच सदस्यीय विशेषज्ञ समिति का गठन किया गया था. ऐसे में विशेषज्ञ समिति की ओर से राज्य सरकार को यूसीसी रिपोर्ट सौंपे जाने के बाद से ही लोग रिपोर्ट के लिए क्वेरी कर रहे थे. साथ ही आरटीआई के जरिए रिपोर्ट मांग रहे थे. जिसको देखते हुए यूसीसी के रूल्स तैयार कर रही कमेटी ने रिपोर्ट को सार्वजनिक करने का निर्णय लिया था. ऐसे में कमेटी ने यूनिफॉर्म सिविल कोड की रिपोर्ट को सार्वजनिक कर दिया है. लिहाजा आम जनता यूसीसी रिपोर्ट को यूसीसी की वेबसाइट https://ucc.uk.gov.in/ पर जाकर पढ़ सकती है.

यूसीसी में मुख्य प्रावधान-

  • समान नागरिक संहिता लागू होने से समाज में बाल विवाह, बहु विवाह, तलाक जैसी सामाजिक कुरीतियों और कुप्रथाओं पर लगाम लगेगी.
  • किसी भी धर्म की संस्कृति, मान्यता और रीति-रिवाज इस कानून प्रभावित नहीं होंगे.
  • बाल और महिला अधिकारों की सुरक्षा करेगा यूसीसी
  • विवाह का पंजीकरण होगा अनिवार्य. पंजीकरण नहीं होने पर सरकारी सुविधाओं का नहीं मिलेगा लाभ.
  • पति-पत्नी के जीवित रहते दूसरा विवाह करना होगा प्रतिबंधित.
  • सभी धर्मों में विवाह की न्यूनतम उम्र लड़कों के लिए 21 साल और लड़कियों के लिए 18 साल निर्धारित.
  • वैवाहिक दंपति में यदि कोई एक व्यक्ति बिना दूसरे व्यक्ति की सहमति के अपना धर्म परिवर्तन करता है, तो दूसरे व्यक्ति को उस व्यक्ति से तलाक लेने और गुजारा भत्ता लेने का होगा अधिकार.
  • पति पत्नी के तलाक या घरेलू झगड़े के समय 5 वर्ष तक के बच्चे की कस्टडी, बच्चे के माता के पास ही रहेगी.
  • सभी धर्मों में पति-पत्नी को तलाक लेने का समान अधिकार होगा.
  • सभी धर्म-समुदायों में सभी वर्गों के लिए बेटा-बेटी को संपत्ति में समान अधिकार.
  • मुस्लिम समुदाय में प्रचलित हलाला और इद्दत की प्रथा पर रोक लगेगी.
  • संपत्ति में अधिकार के लिए जायज और नाजायज बच्चों में कोई भेद नहीं होगा.
  • नाजायज बच्चों को भी उस दंपति की जैविक संतान माना जाएगा.
  • किसी व्यक्ति की मृत्यु के बाद उसकी संपत्ति में उसकी पत्नी और बच्चों को समान अधिकार मिलेगा.
  • किसी महिला के गर्भ में पल रहे बच्चे के संपत्ति में अधिकार को संरक्षित किया जाएगा.
  • लिव-इन रिलेशनशिप के लिए पंजीकरण अनिवार्य होगा.
  • लिव-इन के दौरान पैदा हुए बच्चों को उस युगल का जायज बच्चा ही माना जाएगा. उस बच्चे को जैविक संतान की तरह सभी अधिकार प्राप्त होंगे.
    ये भी पढ़ें: सार्वजनिक की गई उत्तराखंड UCC रिपोर्ट, ऑफिशियल वेबसाइट पर 4 खंडों में अपलोड, सीएम बोले- आसानी से मिलेगा न्याय
Last Updated : Jul 12, 2024, 2:12 PM IST
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