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UN अतीत में अटका हुआ है, ग्लोबल साउथ को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता: जयशंकर - UN jaishankar - UN JAISHANKAR

न्यूयॉर्क में विदेश मंत्री एस जयशंकर ने जी20 देशों के विदेश मंत्रियों की एक बैठक में संयुक्त राष्ट्र को लेकर बड़ी टिप्पणी की. पढ़ें ईटीवी भारत की वरिष्ठ संवाददाता चंद्रकला चौधरी की रिपोर्ट...

विदेश मंत्री डॉ. जयशंकर
विदेश मंत्री डॉ. एस जयशंकर (ANI)
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By ETV Bharat Hindi Team

Published : Sep 26, 2024, 9:03 AM IST

नई दिल्ली: विदेश मंत्री डॉ. जयशंकर ने बुधवार को संयुक्त राष्ट्र में उचित प्रतिनिधित्व, विश्वसनीयता और प्रभावी बहुपक्षवाद सुनिश्चित करने और संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद का विस्तार करने की तात्कालिकता पर प्रकाश डाला.

न्यूयॉर्क में जी-20 विदेश मंत्रियों की बैठक में 'वैश्विक शासन सुधार' विषय पर अपने संबोधन में जयशंकर ने कहा, 'विश्व एक स्मार्ट, परस्पर जुड़े और बहुध्रुवीय क्षेत्र में विकसित हो गया है. संयुक्त राष्ट्र की स्थापना के बाद से इसके सदस्यों की संख्या चार गुना बढ़ गई है. फिर भी संयुक्त राष्ट्र अतीत में अटका हुआ है. परिणामस्वरूप, यूएनएससी अंतरराष्ट्रीय शांति और सुरक्षा बनाए रखने के अपने जनादेश को पूरा करने के लिए संघर्ष करता है. इससे इसकी प्रभावशीलता और विश्वसनीयता कम हो जाती है.

विदेश मंत्री जयशंकर ने कहा, 'स्थायी श्रेणी में विस्तार और उचित प्रतिनिधित्व विशेष रूप से आवश्यक है. एशिया, अफ्रीका और लैटिन अमेरिका- वैश्विक दक्षिण को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता. उन्हें उनकी वैध आवाज दी जानी चाहिए. वास्तविक परिवर्तन होना चाहिए और तेजी से होना चाहिए.' उन्होंने मजबूत, विस्तृत और प्रभावी अंतरराष्ट्रीय वित्तीय ढांचे की अनिवार्यता पर ध्यान दिलाया. विकासशील देशों की आकांक्षाओं को पूरा करने के लिए बहुपक्षीय विकास बैंक (एमडीबी) में सुधार के लिए जी-20 में भारत के प्रयासों के बारे में बात की.

विदेश मंत्री ने कहा, 'दूसरा मुद्दा अंतरराष्ट्रीय वित्तीय ढांचे में सुधार का है. ब्रेटन वुड्स संस्थाओं को अब लगातार विकास चुनौतियों और जलवायु परिवर्तन के दबाव से उत्पन्न तात्कालिक मुद्दों पर ध्यान केंद्रित करना होगा. न तो बहुपक्षीय विकास बैंक और न ही पारंपरिक वैश्विक वित्तीय प्रणाली को इनसे निपटने के लिए डिजाइन किया गया है.'

उन्होंने जोर देकर कहा कि सतत विकास लक्ष्य (एसडीजी) के लिए वित्तपोषण और निवेश की कमी को तत्काल दूर करने की आवश्यकता है. ये जो सालाना 4 ट्रिलियन अमेरिकी डॉलर तक होने का अनुमान है. वैश्विक विकास वित्तपोषण के मद्देनजर बहुपक्षीय विकास बैंक को अधिक मजबूत, व्यापक और प्रभावी बनाया जाना चाहिए.

इसके अलावा उन्होंने अंतरराष्ट्रीय व्यापार प्रणाली के लिए संरक्षणवाद और बाजार-विकृत प्रथाओं की चुनौतियों को रेखांकित किया तथा नियम-आधारित, गैर-भेदभावपूर्ण और निष्पक्ष बहुपक्षीय व्यापार प्रणाली सुनिश्चित करने के लिए विश्व व्यापार संगठन (WTO) में व्यापक सुधार का आह्वान किया.

जयशंकर ने आगे बताया कि जी-20 नेताओं ने विकास और जलवायु वित्त को अरबों से बढ़ाकर खरबों तक करने का आह्वान किया था. उन्होंने कहा कि उन्होंने बहुपक्षीय विकास बैंक को अपने दृष्टिकोण, प्रोत्साहन संरचनाओं, परिचालन दृष्टिकोण और वित्तीय क्षमताओं को परिष्कृत करने के लिए प्रोत्साहित किया है. जिससे इसके विकासात्मक प्रभाव को अधिकतम किया जा सके. जयशंकर ने कहा, 'हम उन नीतियों का दृढ़ता से समर्थन करते हैं जो व्यापार और निवेश को बढ़ावा देती हैं, जिससे प्रत्येक देश परस्पर जुड़े और गतिशील विश्व में फलने-फूलने में सक्षम हो सके.'

ये भी पढ़ें- भारत ने श्रीलंका-बांग्लादेश की राजनीति को कंट्रोल करने के लिए सहायता नहीं की, न्यूयॉर्क में बोले जयशंकर

नई दिल्ली: विदेश मंत्री डॉ. जयशंकर ने बुधवार को संयुक्त राष्ट्र में उचित प्रतिनिधित्व, विश्वसनीयता और प्रभावी बहुपक्षवाद सुनिश्चित करने और संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद का विस्तार करने की तात्कालिकता पर प्रकाश डाला.

न्यूयॉर्क में जी-20 विदेश मंत्रियों की बैठक में 'वैश्विक शासन सुधार' विषय पर अपने संबोधन में जयशंकर ने कहा, 'विश्व एक स्मार्ट, परस्पर जुड़े और बहुध्रुवीय क्षेत्र में विकसित हो गया है. संयुक्त राष्ट्र की स्थापना के बाद से इसके सदस्यों की संख्या चार गुना बढ़ गई है. फिर भी संयुक्त राष्ट्र अतीत में अटका हुआ है. परिणामस्वरूप, यूएनएससी अंतरराष्ट्रीय शांति और सुरक्षा बनाए रखने के अपने जनादेश को पूरा करने के लिए संघर्ष करता है. इससे इसकी प्रभावशीलता और विश्वसनीयता कम हो जाती है.

विदेश मंत्री जयशंकर ने कहा, 'स्थायी श्रेणी में विस्तार और उचित प्रतिनिधित्व विशेष रूप से आवश्यक है. एशिया, अफ्रीका और लैटिन अमेरिका- वैश्विक दक्षिण को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता. उन्हें उनकी वैध आवाज दी जानी चाहिए. वास्तविक परिवर्तन होना चाहिए और तेजी से होना चाहिए.' उन्होंने मजबूत, विस्तृत और प्रभावी अंतरराष्ट्रीय वित्तीय ढांचे की अनिवार्यता पर ध्यान दिलाया. विकासशील देशों की आकांक्षाओं को पूरा करने के लिए बहुपक्षीय विकास बैंक (एमडीबी) में सुधार के लिए जी-20 में भारत के प्रयासों के बारे में बात की.

विदेश मंत्री ने कहा, 'दूसरा मुद्दा अंतरराष्ट्रीय वित्तीय ढांचे में सुधार का है. ब्रेटन वुड्स संस्थाओं को अब लगातार विकास चुनौतियों और जलवायु परिवर्तन के दबाव से उत्पन्न तात्कालिक मुद्दों पर ध्यान केंद्रित करना होगा. न तो बहुपक्षीय विकास बैंक और न ही पारंपरिक वैश्विक वित्तीय प्रणाली को इनसे निपटने के लिए डिजाइन किया गया है.'

उन्होंने जोर देकर कहा कि सतत विकास लक्ष्य (एसडीजी) के लिए वित्तपोषण और निवेश की कमी को तत्काल दूर करने की आवश्यकता है. ये जो सालाना 4 ट्रिलियन अमेरिकी डॉलर तक होने का अनुमान है. वैश्विक विकास वित्तपोषण के मद्देनजर बहुपक्षीय विकास बैंक को अधिक मजबूत, व्यापक और प्रभावी बनाया जाना चाहिए.

इसके अलावा उन्होंने अंतरराष्ट्रीय व्यापार प्रणाली के लिए संरक्षणवाद और बाजार-विकृत प्रथाओं की चुनौतियों को रेखांकित किया तथा नियम-आधारित, गैर-भेदभावपूर्ण और निष्पक्ष बहुपक्षीय व्यापार प्रणाली सुनिश्चित करने के लिए विश्व व्यापार संगठन (WTO) में व्यापक सुधार का आह्वान किया.

जयशंकर ने आगे बताया कि जी-20 नेताओं ने विकास और जलवायु वित्त को अरबों से बढ़ाकर खरबों तक करने का आह्वान किया था. उन्होंने कहा कि उन्होंने बहुपक्षीय विकास बैंक को अपने दृष्टिकोण, प्रोत्साहन संरचनाओं, परिचालन दृष्टिकोण और वित्तीय क्षमताओं को परिष्कृत करने के लिए प्रोत्साहित किया है. जिससे इसके विकासात्मक प्रभाव को अधिकतम किया जा सके. जयशंकर ने कहा, 'हम उन नीतियों का दृढ़ता से समर्थन करते हैं जो व्यापार और निवेश को बढ़ावा देती हैं, जिससे प्रत्येक देश परस्पर जुड़े और गतिशील विश्व में फलने-फूलने में सक्षम हो सके.'

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