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जमात-ए-इस्लामी जम्मू-कश्मीर पर बैन बरकरार, ट्रिब्यूनल ने गृह मंत्रालय के फैसले पर लगाई मुहर - Ban on Jamaat e Islami

Ban on Jamaat-e-Islami Jammu Kashmir: केंद्र सरकार ने अलगाववादी गतिविधियों में संलिप्त होने के आरोपों के बाद 28 फरवरी, 2019 को जमात-ए-इस्लामी जम्मू-कश्मीर पर पांच साल तक के लिए प्रतिबंध लगाया था. इसी साल 28 फरवरी को प्रतिबंध को अगले पांच साल तक बढ़ा दिया गया था.

Ban on Jamaat-e-Islami Jammu Kashmir
जमात-ए-इस्लामी जम्मू-कश्मीर पर बैन बरकरार (File Photo)
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By ETV Bharat Hindi Team

Published : Aug 24, 2024, 4:45 PM IST

श्रीनगर: यूएपीए ट्रिब्यूनल ने जमात-ए-इस्लामी जम्मू-कश्मीर पर प्रतिबंध बढ़ाने के केंद्र सरकार के फैसले को बरकरार रखा है. जमात-ए-इस्लामी जम्मू-कश्मीर को गैरकानूनी गतिविधि रोकथाम अधिनियम (यूएपीए) के तहत गैर-कानूनी संगठन घोषित किया गया था. ट्रिब्यूनल की अध्यक्षता करने वाले दिल्ली हाईकोर्ट के एक न्यायाधीश ने जमात-ए-इस्लामी पर प्रतिबंध को पांच साल तक बढ़ाने के गृह मंत्रालय के फैसले पर मुहर लगाई.

सरकार ने अलगाववादी गतिविधियों में संलिप्त होने के आरोपों के बाद 28 फरवरी, 2019 को जमात-ए-इस्लामी पर पांच साल तक के लिए प्रतिबंध लगाया था. इसी साल 28 फरवरी को प्रतिबंध को पांच साल आगे बढ़ा दिया गया था.

यूएपीए ट्रिब्यूनल न्यायाधिकरण सरकार के इस रुख से सहमत है कि जमात-ए-इस्लामी अलगाववादी गतिविधियों में शामिल था और क्षेत्र में आतंकवाद और उसकी विचारधारा को समर्थन देता था. इस निर्णय के साथ प्रतिबंध अगले पांच वर्षों तक प्रभावी रहेगा. यह निर्णय सरकार के इस दावे की पुष्टि करता है कि ऐसे कदम राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए खतरा बनने वाली गतिविधियों को रोकने के लिए उठाए जा रहे हैं.

यह भी पढ़ें- केंद्रीय गृह सचिव गोविंद मोहन ने संभाला कार्यभार, जम्मू-कश्मीर में शांतिपूर्ण चुनाव पहली चुनौती

श्रीनगर: यूएपीए ट्रिब्यूनल ने जमात-ए-इस्लामी जम्मू-कश्मीर पर प्रतिबंध बढ़ाने के केंद्र सरकार के फैसले को बरकरार रखा है. जमात-ए-इस्लामी जम्मू-कश्मीर को गैरकानूनी गतिविधि रोकथाम अधिनियम (यूएपीए) के तहत गैर-कानूनी संगठन घोषित किया गया था. ट्रिब्यूनल की अध्यक्षता करने वाले दिल्ली हाईकोर्ट के एक न्यायाधीश ने जमात-ए-इस्लामी पर प्रतिबंध को पांच साल तक बढ़ाने के गृह मंत्रालय के फैसले पर मुहर लगाई.

सरकार ने अलगाववादी गतिविधियों में संलिप्त होने के आरोपों के बाद 28 फरवरी, 2019 को जमात-ए-इस्लामी पर पांच साल तक के लिए प्रतिबंध लगाया था. इसी साल 28 फरवरी को प्रतिबंध को पांच साल आगे बढ़ा दिया गया था.

यूएपीए ट्रिब्यूनल न्यायाधिकरण सरकार के इस रुख से सहमत है कि जमात-ए-इस्लामी अलगाववादी गतिविधियों में शामिल था और क्षेत्र में आतंकवाद और उसकी विचारधारा को समर्थन देता था. इस निर्णय के साथ प्रतिबंध अगले पांच वर्षों तक प्रभावी रहेगा. यह निर्णय सरकार के इस दावे की पुष्टि करता है कि ऐसे कदम राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए खतरा बनने वाली गतिविधियों को रोकने के लिए उठाए जा रहे हैं.

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