मुजफ्फरनगर: 30 वर्ष पहले मुजफ्फरनगर जिले के रामपुर तिराहे पर दिल्ली जा रहे महिला और पुरूष आंदोलनकारियों को रोका गया था. ये लोग अलग राज्य (उत्तराखंड) बनाने की मांग को लेकर दिल्ली जा रह थे. इन पर पीएसी के जवानों ने फायरिंग की, जिसमें 7 आंदोलनकारियों की मौत हो गयी थी. पीएसी के जवानों पर कई महिलाओं से छेड़खानी और रेप करने का आरोप भी लगा था. महिलाओं से दुष्कर्म के मामले में शुक्रवार को अदालत ने पीएसी के दो जवानों को दोषी करार दिया. अदालत ने पीएसी के सिपाही मिलाप सिंह और वीरेंद्र प्रताप को गैंगरेप, लूट और छेड़छाड़ के मामले में दोषी करार देते हुए सजा सुनाने के लिए 18 मार्च का दिन तय किया.
अक्टूबर 1994 में रात के वक्त उत्तराखंड बनाने की मांग को लेकर दिल्ली जा रहे आंदोलनकारियों को मौत के घाट उतार दिया गया था. इस अत्याचार का गवाह रामपुर तिराहा बना था. इस जगह पर आंदोलनकारियों का शहीद स्मारक भी बनाया गया है. शुक्रवार को रामपुर तिराहा कांड से जुड़े रेप केस में तीन दशक बाद पीएसी के दोनों जवानों को अदालत ने दोषी करार दिया. शुक्रवार को सीबीआई बनाम मिलाप सिंह मामले में अपर जिला एवं सत्र न्यायालय संख्या-7 के पीठासीन अधिकारी शक्ति सिंह ने दो पीएसी के जवानों को दोषी करार दिया. इस केस की सुनवाई 5 मार्च को पूरी हो चुकी थी.
उत्तराखंड संघर्ष समिति के अधिवक्ता अनुराग वर्मा, शासकीय अधिवक्ता फौजदारी राजीव शर्मा और सहायक शासकीय अधिवक्ता फौजदारी परवेंद्र सिंह ने कहा कि 30 साल पुराने रामपुर तिराहा कांड से जुड़े मिलाप सिंह केस में अदालत ने 15 मार्च को फैसला सुनाने का दिन मुकर्रर किया था. फैसले को लेकर कोर्ट परिसर में पुख्ता इंतजाम किये गये थे. पीएसी गाजियाबाद में तैनात सिपाही मिलाप सिंह एटा के निधौली कलां थाना क्षेत्र के होर्ची गांव का रहने वाला है. वहीं दूसरा सिपाही वीरेंद्र प्रताप सिद्धार्थनगर के गांव गौरी का रहने वाला है.
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