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Jharkhand Election 2024: झारखंड में आदिवासी मणिपुर से भी ज्यादा हैं असुरक्षित, हिमंता बिस्वा सरमा ने हेमंत सरकार पर लगाया आरोप

असम के सीएम हिमंता बिस्वा सरमा ने हेमंत सरकार पर हमला बोलते हुए कहा कि झारखंड में आदिवासी सबसे ज्यादा असुरक्षित हैं.

Himanta Biswa Sarma
हिमंता बिस्वा सरमा (ईटीवी भारत)
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By ETV Bharat Jharkhand Team

Published : Nov 9, 2024, 6:49 AM IST

रांची: असम के मुख्यमंत्री और झारखंड भाजपा विधानसभा चुनाव के सह प्रभारी हिमंता बिस्वा सरमा ने कहा है कि मणिपुर में जहां आदिवासियों की संख्या बढ़ रही है, वहीं झारखंड में उनकी संख्या लगातार घट रही है. स्थिति ऐसी है कि झारखंड में आदिवासी सबसे ज्यादा असुरक्षित हैं. हिमंता बिस्वा सरमा ने ये बातें 8 नवंबर की शाम भाजपा प्रदेश कार्यालय में आयोजित मिलन समारोह के दौरान मीडियाकर्मियों से बात करते हुए कही.

मिलन समारोह में पूर्व विधायक फूलचंद मंडल के पुत्र धरणीधर मंडल और शैलेंद्र मंडल अपने समर्थकों के साथ भाजपा में शामिल हुए. असम के मुख्यमंत्री हिमंता बिस्वा सरमा और भाजपा के प्रदेश कार्यकारी अध्यक्ष डॉ रवींद्र राय ने उन्हें पटका पहनाकर स्वागत किया. इस मौके पर हिमंता बिस्वा सरमा ने कहा कि धरणीधर मंडल के भाजपा में शामिल होने से मजबूती मिली है. उनके योगदान से सिंदरी विधानसभा में भाजपा की जीत तय हुई है. शैलेंद्र मंडल ने भी पार्टी में योगदान दिया है. मैं उन दोनों का स्वागत करता हूं.

हिमंता बिस्वा सरमा का बयान (ईटीवी भारत)

हिमंता ने कहा कि संथाल परगना में हर दिन एक खास समुदाय की आबादी बढ़ रही है. सिदो कान्हो की जन्मभूमि में आदिवासियों की आबादी कैसे कम हो गई? हेमंत सोरेन ने यह जादू कहां से सीखा यह सिर्फ बता दें? यह बहस का विषय नहीं है. उन्होंने कहा कि राहुल गांधी कभी भोगनाडीह नहीं गए, कभी पाकुड़ नहीं गए. वे लोगों की पीड़ा कैसे जानेंगे? कांग्रेस, झामुमो झारखंड की रोटी, बेटी और माटी तथा आदिवासी समाज की रक्षा करने में विफल रहे. भोगनाडीह और पाकुड़ की कठोर सच्चाई सभी जानते हैं. राहुल गांधी को कोई गंभीरता से नहीं लेता.

मणिपुर आदिवासियों के लिए आज भी सुरक्षित- हिमंता

हिमंता बिस्वा सरमा ने कहा कि मणिपुर आदिवासियों के लिए अभी भी सुरक्षित है. वहां सुलह-समझौता चल रहा है, बातचीत चल रही है, लेकिन आदिवासी सबसे ज्यादा झारखंड में असुरक्षित हैं. झारखंड में आदिवासी मणिपुर से ज्यादा असुरक्षित हैं. 1951 में संथाल परगना में आदिवासी आबादी 44% थी, आज आदिवासी आबादी घटकर 28% रह गई है. क्या मणिपुर में आदिवासी आबादी कम हुई है? झारखंड में मणिपुर से भी ज्यादा आदिवासी आबादी की समस्या है.

उन्होंने कहा कि झारखंड में आदिवासी आबादी सबसे ज्यादा खतरे में है. मणिपुर में हर साल आदिवासी आबादी की संख्या बढ़ रही है. हेमंत सोरेन के राज्य में आदिवासी आबादी का सबसे ज्यादा पलायन हुआ है. उनके पास कोई मुद्दा नहीं बचा है. उनके जाने की तैयारी हो चुकी है.

इस मौके पर धरणीधर मंडल ने कहा कि एक बार फिर घर वापस आकर खुशी महसूस हो रही है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में देश काफी खुशहाल है और तरक्की की ओर अग्रसर है. इसी को देखते हुए मैं आज फिर घर वापस आ रहा हूं.

यह भी पढ़ें:

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मिलन समारोह में पूर्व विधायक फूलचंद मंडल के पुत्र धरणीधर मंडल और शैलेंद्र मंडल अपने समर्थकों के साथ भाजपा में शामिल हुए. असम के मुख्यमंत्री हिमंता बिस्वा सरमा और भाजपा के प्रदेश कार्यकारी अध्यक्ष डॉ रवींद्र राय ने उन्हें पटका पहनाकर स्वागत किया. इस मौके पर हिमंता बिस्वा सरमा ने कहा कि धरणीधर मंडल के भाजपा में शामिल होने से मजबूती मिली है. उनके योगदान से सिंदरी विधानसभा में भाजपा की जीत तय हुई है. शैलेंद्र मंडल ने भी पार्टी में योगदान दिया है. मैं उन दोनों का स्वागत करता हूं.

हिमंता बिस्वा सरमा का बयान (ईटीवी भारत)

हिमंता ने कहा कि संथाल परगना में हर दिन एक खास समुदाय की आबादी बढ़ रही है. सिदो कान्हो की जन्मभूमि में आदिवासियों की आबादी कैसे कम हो गई? हेमंत सोरेन ने यह जादू कहां से सीखा यह सिर्फ बता दें? यह बहस का विषय नहीं है. उन्होंने कहा कि राहुल गांधी कभी भोगनाडीह नहीं गए, कभी पाकुड़ नहीं गए. वे लोगों की पीड़ा कैसे जानेंगे? कांग्रेस, झामुमो झारखंड की रोटी, बेटी और माटी तथा आदिवासी समाज की रक्षा करने में विफल रहे. भोगनाडीह और पाकुड़ की कठोर सच्चाई सभी जानते हैं. राहुल गांधी को कोई गंभीरता से नहीं लेता.

मणिपुर आदिवासियों के लिए आज भी सुरक्षित- हिमंता

हिमंता बिस्वा सरमा ने कहा कि मणिपुर आदिवासियों के लिए अभी भी सुरक्षित है. वहां सुलह-समझौता चल रहा है, बातचीत चल रही है, लेकिन आदिवासी सबसे ज्यादा झारखंड में असुरक्षित हैं. झारखंड में आदिवासी मणिपुर से ज्यादा असुरक्षित हैं. 1951 में संथाल परगना में आदिवासी आबादी 44% थी, आज आदिवासी आबादी घटकर 28% रह गई है. क्या मणिपुर में आदिवासी आबादी कम हुई है? झारखंड में मणिपुर से भी ज्यादा आदिवासी आबादी की समस्या है.

उन्होंने कहा कि झारखंड में आदिवासी आबादी सबसे ज्यादा खतरे में है. मणिपुर में हर साल आदिवासी आबादी की संख्या बढ़ रही है. हेमंत सोरेन के राज्य में आदिवासी आबादी का सबसे ज्यादा पलायन हुआ है. उनके पास कोई मुद्दा नहीं बचा है. उनके जाने की तैयारी हो चुकी है.

इस मौके पर धरणीधर मंडल ने कहा कि एक बार फिर घर वापस आकर खुशी महसूस हो रही है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में देश काफी खुशहाल है और तरक्की की ओर अग्रसर है. इसी को देखते हुए मैं आज फिर घर वापस आ रहा हूं.

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