ETV Bharat / bharat

जज्बे को सलाम! शादी टालने के लिए बच्ची बनी कुरूप - Child marriage - CHILD MARRIAGE

रांची में एक आदिवासी बच्ची ने न केवल अपने विवाह को टाल दिया बल्कि कइयों के लिए एक प्रेरणा बनकर भी उभरी है.

tribal minor girl managed to avoid child marriage by making herself ugly in Jharkhand
डिजाइन इमेज (Etv Bharat)
author img

By ETV Bharat Jharkhand Team

Published : Oct 4, 2024, 9:47 AM IST

Updated : Oct 4, 2024, 10:03 AM IST

रांचीः बाल विवाह एक कानूनी अपराध है. इसके बावजूद गाहे-बगाहे बच्चियों को दुल्हन बनाने की कोशिशें होती रहती हैं. आदिवासी समाज की दुर्गा (बदला हुआ नाम) के साथ भी यही होने वाला था. लेकिन उसने ऐसा उपाय किया कि क्या कहा जाए.

लड़की के अभी 15 साल भी पूरे नहीं हुए थे. पड़ोसी से पता चला कि उसकी भाभी ने शादी के लिए एक लड़का ढूंढ लिया है. इस खबर ने दुर्गा को झकझोर दिया. मन में सिर्फ एक ख्याल आया कि अगर वो कुरुप दिखेगी तो लड़का शादी से इनकार कर देगा. इसी सोच के साथ गांव के पास एक सैलून में चली गई और लड़कों की तरह हेयर स्टाइल कटवा लिया. फिर भी भैया और भाभी का डर था. तब उसे ASHA नामक सामाजिक संस्था द्वारा संचालित हॉस्टल की याद आई. फिर क्या था, वो भागकर हॉस्टल पहुंच गई.

दुर्गा के दर्द में छिपी है प्रेरणा

दुर्गा ने ईटीवी भारत की टीम को फोन पर अपनी आपबीती बतायी. उसने कहा कि छह-सात साल पहले पापा गुजर गये. वह ईंट भट्टा में मम्मी के साथ काम करते थे. तब दुर्गा की उम्र बमुश्किल सात-आठ रही होगी. वह भी ईंट भट्ठा में काम करती थी. पिता के गुजरते ही मां ने किसी और का दामन थाम लिया. दुर्गा की दो बड़ी बहनों की शादी हो चुकी थी. इसलिए उसके पास भैया और भाभी का सहारा था. वह बोझ नहीं बनना चाहती थी. लिहाजा, ASHA संस्था के हॉस्टल में चली आई. पास के सरकारी स्कूल में पढ़ने लगी.

इसी बीच भैया और भाभी आ पहुंचे. उससे घर का काम करवाया जाने लगा. दुर्गा लाचार थी. लेकिन जब शादी की भनक लगी तो चंडी बन गई. उसने अपनी किस्मत लिखी. आज एक सरकारी स्कूल में 7वीं कक्षा में पढ़ रही है. वो बड़ी होकर पुलिस अफसर बनना चाहती है. वो अच्छा फुटबॉल खेलती है. दुर्गा ने बताया कि मां को देखे जमाना गुजर गया. सुना है कि रांची में रहती है. कभी हाल जानने नहीं आई. वह नहीं चाहती कि उसके साथ जो हुआ वो दूसरी बच्चियों के साथ ऐसा हो.

ASHA ने जगाई इंसाफ की आस

ASHA यानी एसोसिएशन फॉर सोशल एंड ह्यूमन अवेयरनेस नाम की संस्था ने दुर्गा को आसरा दिया. ईटीवी भारत के साथ बात करते हुए संस्था के सचिव अजय कुमार को बस इतना याद है कि शाम का वक्त था, तब दुर्गा रो रही थी. हॉस्टल की दूसरी बच्चियों ने उसको सहारा दिया. अजय कुमार ने उसके भैया को फोन कर बताया कि बाल विवाह गैर-कानूनी है. इसके लिए सजा हो सकती है. इसके बाद उसके भैया और भाभी कभी मिलने नहीं आए.

जिस गांव में संस्था का हॉस्टल है, उसी गांव में दुर्गा की बड़ी दीदी की शादी हुई है. वह कभी कभार हालचाल जानने आ जाती है. साल 2000 में रजिस्टर्ड आशा संस्था महिला और बच्चों के मुद्दे पर काम करती है. डायन प्रथा, ट्रैफिकिंग, अनसेफ माइग्रेशन, ग्रामसभा, ग्राम पंचायत, बहु उपज पर काम करती है. यह सेंटर लोकल कंट्रीब्यूशन से चल रहा है. यहां करीब 27 बच्चियां रहती हैं. सभी सरकारी स्कूल में पढ़ती हैं. हर बच्ची के अपने सपने हैं. सभी पढ़ाई और खेलकूद के रास्ते उड़ान भरने की तैयारी कर रही हैं.

संस्था के महासचिव अजय कुमार ने बताया कि अगर दुर्गा हिम्मत नहीं दिखाती तो उसकी जिंदगी बर्बाद हो गई होती. उन्होंने बताया कि संस्था की सात बच्चियां अंडर 14, अंडर 17 और अंडर-19 नेशनल लेवल फुटबॉल खेल चुकी हैं. उन्होंने जो सबसे चौंकाने वाली बात कही, वह यह है कि सभी बच्चियां आदिवासी समाज की हैं. गरीबी और अशिक्षा की वजह से ह्यूमन ट्रैफिकिंग हो रहा है. गांव टोले के ही कुछ लोग परिवार वालों को चंद पैसों का लालच देकर गरीब बच्चियों को महानगरों में नौकरानी बनाकर भेज देते हैं, जहां उनका शोषण होता है.

अजय कुमार ने बताया कि साल 2000 में रजिस्टर्ड आशा संस्था महिला और बच्चों के मुद्दे पर काम करती है. डायन प्रथा, ट्रैफिकिंग, अनसेफ माइग्रेशन, ग्रामसभा, ग्राम पंचायत, बहु उपज पर काम करती है. यह सेंटर लोकल कंट्रीब्यूशन से चल रहा है.

यूनिसेफ की रिपोर्ट के मुताबिक आज भी दुनिया में हर पांच लड़की में एक बच्ची बाल विवाह की बलि चढ़ रही है. बेशक, समाज में जागरुकता आई है लेकिन चोरी-छिपे यह प्रथा चल रही है. इसको रोकने के लिए कई संस्थाएं काम कर रही हैं. लेकिन इस घिनौनी प्रथा पर तभी विराम लगेगा जब बच्चियां खुद जागेंगी. उन्हें खूंटी की दुर्गा से सबक लेने की जरुरत है.

इसे भी पढ़ें- बाल विवाह की आड़ में मानव तस्करी, 58 हजार में हुआ था नाबालिग का सौदा! - Human Trafficking cases

इसे भी पढे़ं- शादी की हो चुकी थी पूरी तैयारी, लड़की ने हर रस्म किया पूरा, लेकिन बारात से पहले पहुंची पुलिस और ले गई दुल्हन - Police Stopped marriage

इसे भी पढ़ें- दुमका में 13 साल की नाबालिग की कराई जा रही थी शादी, बाल कल्याण समिति की तत्परता से रोका गया विवाह - Child marriage in Dumka

रांचीः बाल विवाह एक कानूनी अपराध है. इसके बावजूद गाहे-बगाहे बच्चियों को दुल्हन बनाने की कोशिशें होती रहती हैं. आदिवासी समाज की दुर्गा (बदला हुआ नाम) के साथ भी यही होने वाला था. लेकिन उसने ऐसा उपाय किया कि क्या कहा जाए.

लड़की के अभी 15 साल भी पूरे नहीं हुए थे. पड़ोसी से पता चला कि उसकी भाभी ने शादी के लिए एक लड़का ढूंढ लिया है. इस खबर ने दुर्गा को झकझोर दिया. मन में सिर्फ एक ख्याल आया कि अगर वो कुरुप दिखेगी तो लड़का शादी से इनकार कर देगा. इसी सोच के साथ गांव के पास एक सैलून में चली गई और लड़कों की तरह हेयर स्टाइल कटवा लिया. फिर भी भैया और भाभी का डर था. तब उसे ASHA नामक सामाजिक संस्था द्वारा संचालित हॉस्टल की याद आई. फिर क्या था, वो भागकर हॉस्टल पहुंच गई.

दुर्गा के दर्द में छिपी है प्रेरणा

दुर्गा ने ईटीवी भारत की टीम को फोन पर अपनी आपबीती बतायी. उसने कहा कि छह-सात साल पहले पापा गुजर गये. वह ईंट भट्टा में मम्मी के साथ काम करते थे. तब दुर्गा की उम्र बमुश्किल सात-आठ रही होगी. वह भी ईंट भट्ठा में काम करती थी. पिता के गुजरते ही मां ने किसी और का दामन थाम लिया. दुर्गा की दो बड़ी बहनों की शादी हो चुकी थी. इसलिए उसके पास भैया और भाभी का सहारा था. वह बोझ नहीं बनना चाहती थी. लिहाजा, ASHA संस्था के हॉस्टल में चली आई. पास के सरकारी स्कूल में पढ़ने लगी.

इसी बीच भैया और भाभी आ पहुंचे. उससे घर का काम करवाया जाने लगा. दुर्गा लाचार थी. लेकिन जब शादी की भनक लगी तो चंडी बन गई. उसने अपनी किस्मत लिखी. आज एक सरकारी स्कूल में 7वीं कक्षा में पढ़ रही है. वो बड़ी होकर पुलिस अफसर बनना चाहती है. वो अच्छा फुटबॉल खेलती है. दुर्गा ने बताया कि मां को देखे जमाना गुजर गया. सुना है कि रांची में रहती है. कभी हाल जानने नहीं आई. वह नहीं चाहती कि उसके साथ जो हुआ वो दूसरी बच्चियों के साथ ऐसा हो.

ASHA ने जगाई इंसाफ की आस

ASHA यानी एसोसिएशन फॉर सोशल एंड ह्यूमन अवेयरनेस नाम की संस्था ने दुर्गा को आसरा दिया. ईटीवी भारत के साथ बात करते हुए संस्था के सचिव अजय कुमार को बस इतना याद है कि शाम का वक्त था, तब दुर्गा रो रही थी. हॉस्टल की दूसरी बच्चियों ने उसको सहारा दिया. अजय कुमार ने उसके भैया को फोन कर बताया कि बाल विवाह गैर-कानूनी है. इसके लिए सजा हो सकती है. इसके बाद उसके भैया और भाभी कभी मिलने नहीं आए.

जिस गांव में संस्था का हॉस्टल है, उसी गांव में दुर्गा की बड़ी दीदी की शादी हुई है. वह कभी कभार हालचाल जानने आ जाती है. साल 2000 में रजिस्टर्ड आशा संस्था महिला और बच्चों के मुद्दे पर काम करती है. डायन प्रथा, ट्रैफिकिंग, अनसेफ माइग्रेशन, ग्रामसभा, ग्राम पंचायत, बहु उपज पर काम करती है. यह सेंटर लोकल कंट्रीब्यूशन से चल रहा है. यहां करीब 27 बच्चियां रहती हैं. सभी सरकारी स्कूल में पढ़ती हैं. हर बच्ची के अपने सपने हैं. सभी पढ़ाई और खेलकूद के रास्ते उड़ान भरने की तैयारी कर रही हैं.

संस्था के महासचिव अजय कुमार ने बताया कि अगर दुर्गा हिम्मत नहीं दिखाती तो उसकी जिंदगी बर्बाद हो गई होती. उन्होंने बताया कि संस्था की सात बच्चियां अंडर 14, अंडर 17 और अंडर-19 नेशनल लेवल फुटबॉल खेल चुकी हैं. उन्होंने जो सबसे चौंकाने वाली बात कही, वह यह है कि सभी बच्चियां आदिवासी समाज की हैं. गरीबी और अशिक्षा की वजह से ह्यूमन ट्रैफिकिंग हो रहा है. गांव टोले के ही कुछ लोग परिवार वालों को चंद पैसों का लालच देकर गरीब बच्चियों को महानगरों में नौकरानी बनाकर भेज देते हैं, जहां उनका शोषण होता है.

अजय कुमार ने बताया कि साल 2000 में रजिस्टर्ड आशा संस्था महिला और बच्चों के मुद्दे पर काम करती है. डायन प्रथा, ट्रैफिकिंग, अनसेफ माइग्रेशन, ग्रामसभा, ग्राम पंचायत, बहु उपज पर काम करती है. यह सेंटर लोकल कंट्रीब्यूशन से चल रहा है.

यूनिसेफ की रिपोर्ट के मुताबिक आज भी दुनिया में हर पांच लड़की में एक बच्ची बाल विवाह की बलि चढ़ रही है. बेशक, समाज में जागरुकता आई है लेकिन चोरी-छिपे यह प्रथा चल रही है. इसको रोकने के लिए कई संस्थाएं काम कर रही हैं. लेकिन इस घिनौनी प्रथा पर तभी विराम लगेगा जब बच्चियां खुद जागेंगी. उन्हें खूंटी की दुर्गा से सबक लेने की जरुरत है.

इसे भी पढ़ें- बाल विवाह की आड़ में मानव तस्करी, 58 हजार में हुआ था नाबालिग का सौदा! - Human Trafficking cases

इसे भी पढे़ं- शादी की हो चुकी थी पूरी तैयारी, लड़की ने हर रस्म किया पूरा, लेकिन बारात से पहले पहुंची पुलिस और ले गई दुल्हन - Police Stopped marriage

इसे भी पढ़ें- दुमका में 13 साल की नाबालिग की कराई जा रही थी शादी, बाल कल्याण समिति की तत्परता से रोका गया विवाह - Child marriage in Dumka

Last Updated : Oct 4, 2024, 10:03 AM IST
ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.