देहरादून: उत्तराखंड में चारधाम यात्रा लगातार जोर पकड़ रही है. चारों धामों में लगातार बढ़ रहे यात्रियों के दबाव को देखते हुए सवाल किया जा रहा है कि क्या चारों धामों में एक साथ इतने लोगों के पहुंचने को लेकर के सुविधा उपलब्ध है या फिर इसको लेकर के किसी तरह की कोई स्टडी की गई है, जिसका जवाब सरकार के पास मौजूद नहीं है.
चारधाम में लोगों के दबाव को लेकर स्टडी नहीं: उत्तराखंड में लगातार आ रही आपदाओं और चारधाम यात्रा जैसी परिस्थितियों को लेकर प्रदेश में धारण क्षमता और वहन क्षमता को लेकर के पिछले कुछ सालों में खूब बातें हुई हैं. जोशीमठ शहर की आपदा के बाद इस तरह के अन्य संवेदनशील उच्च हिमालयी छोटे शहरों में किस तरह से केयरिंग कैपेसिटी और वेयरिंग कैपेसिटी को लेकर के काम हो, इसको लेकर पिछले 1 साल में बहुत चर्चा हुई है. लेकिन चारधाम यात्रा के दौरान उत्तराखंड के चारों प्रसिद्ध धामों में हजारों तीर्थ यात्रियों का दबाव रहता है. वहां पर कितने लोगों की वहन क्षमता है, इसको लेकर कुछ भी स्थिति क्लियर नहीं है.
यहां तक कि चारों धामों में प्रतिदिन तीर्थ यात्रियों की संख्या तो निश्चित कर दी गई है, लेकिन इस पर कोई स्टडी नहीं की गई है. इस बात को गढ़वाल कमिश्नर ने खुद स्वीकारा है कि चारों धामों में एक साथ इतने सारे लोगों के पहुंचने और उनके लिए वहां पर उपलब्ध सुविधाओं को लेकर और बेयरिंग कैपेसिटी को लेकर कोई स्टडी नहीं करवाई गई है.
क्या कहते हैं आपदा प्रबंधन सचिव: चारधाम यात्रा में लगातार बड़ी संख्या में आ रहे श्रद्धालु के इस दबाव का एक बड़ा उदाहरण 2013 की आपदा में भी देखा गया था. वहीं उत्तराखंड के चारों धामों में लगातार बढ़ रहे तीर्थ यात्रियों से आपदा की आशंका को लेकर आपदा प्रबंधन विभाग भी लगातार नजर बनाए हुए है. उत्तराखंड आपदा प्रबंधन विभाग के सचिव डॉ रंजीत कुमार सिन्हा ने बताया कि उच्च हिमालयी क्षेत्र में आने वाले छोटे शहरों और कस्बों में आपदा के जोखिम को कम करने के लिए दो पैरामीटर पर काम किया जाता है.
बेयरिंग और केयरिंग कैपेसिटी की स्टडी है जरूरी: पहला है- धारण क्षमता यानी की बेयरिंग कैपेसिटी, जिसके अंतर्गत एक निश्चित शहर या कस्बे की सोइल कैपेसिटी यानी कि वहां की भूमि पर कितना हैवी निर्माण किया जा सकता है उसको निर्धारित किया जाता है. वहीं, दूसरा पैरामीटर- केयरिंग कैपेसिटी को लेकर के है जो कि निर्धारित करता है कि उस छोटे शहर या कस्बे में एक साथ कितने लोग एक निश्चित समय के लिए रह सकते हैं. इसके लिए वहां पर पेयजल, सीवरेज, इलेक्ट्रिसिटी और अकोमोडेशन सर्विस कुछ बड़े घटक होते हैं. उत्तराखंड आपदा प्रबंधन प्राधिकरण के अनुसार आपदा प्रबंधन से राज्य के कई शहरों कि धारण क्षमता जांची जा सकती है, यानी बेयरिंग कैपेसिटी को लेकर के स्टडी की जा रही है तो वहीं केयरिंग कैपेसिटी को लेकर के खासतौर से चारों धामों में पर्यटन विभाग नोडल एजेंसी है.
साइंटिफिक स्टडी की जरूरत: उत्तराखंड पर्यटन विभाग के डिप्टी डायरेक्टर योगेंद्र गंगवार की मानें तो पर्यटन विभाग के पास भी चारों धामों में केयरिंग कैपेसिटी को लेकर किसी तरह की कोई साइंटिफिक स्टडी नहीं है. चारों धामों में मंदिरों को कपाट खुलने और प्रति यात्री दर्शन के समय को ध्यान में रखते हुए प्रतिदिन यात्रियों के दर्शन की संख्या को निर्धारित किया गया है. चारों धामों में एक साथ कितने लोग रह सकते हैं और कितने लोगों के लिए सुविधाएं उपलब्ध हैं, इसको लेकर के पर्यटन विभाग द्वारा किसी तरह की कोई स्टडी नहीं करवाई गई है.
ये भी पढ़ें:
- रुद्रप्रयाग में लगी चारधाम यात्रियों की बंपर भीड़, कीर्तिनगर और श्रीनगर में रोके गए यात्री, डीएम ने संभाला मोर्चा
- उत्तराखंड चारधाम यात्रा में उमड़ रहा आस्था का सैलाब, सात दिनों में 3.98 लाख से ज्यादा श्रद्धालुओं ने किए दर्शन
- उत्तराखंड चारधाम यात्रा में वीआईपी दर्शन पर रोक, आज भी बंद रहेंगे ऑफलाइन रजिस्ट्रेशन
- चारों धामों के मंदिर परिसरों के 50 मीटर के दायरे में मोबाइल का प्रयोग प्रतिबंधित, सभी राज्यों के सीएस से किया ये अनुरोध
- उत्तराखंड के पहाड़ी इलाकों के बड़े शहरों की लोड कैपेसिटी का होगा आंकलन, 12 कंपनियां सूचीबद्ध, जानिये कब शुरू होगा काम