नई दिल्ली: भारत के मुख्य न्यायाधीश डी वाई चंद्रचूड़ ने गुरुवार को बांग्लादेश की स्थिति और इमरजेंसी का उल्लेख करते हुए स्वतंत्रता के महत्व पर जोर दिया और कहा कि स्वतंत्रता के संरक्षण में जजों और वकीलों की महत्वपूर्ण भूमिका है. राष्ट्रीय राजधानी में 78वें स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर आयोजित एक कार्यक्रम में बोलते हुए चीफ जस्टिस ने कहा, "आज बांग्लादेश में जो कुछ हो रहा है, वह स्पष्ट रूप से याद दिलाता है कि स्वतंत्रता हमारे लिए कितनी मूल्यवान है."
उन्होंने कहा, "आज के कई युवा वकील या उनमें से ज्यादातर आजादी के बाद की पीढ़ी के हैं. मैं खुद आजादी के बाद की पीढ़ी का हूं, लेकिन आपमें से कई लोग इमरजेंसी के बाद की पीढ़ी के हैं. इसलिए आजादी को हल्के में लेना बहुत आसान है."
सीजेआई ने जोर देकर कहा कि स्वतंत्रता को हल्के में लेना आसान है, लेकिन यह महत्वपूर्ण है कि हम अतीत की कहानियों पर ध्यान दें, ताकि हमें याद रहे कि स्वतंत्रता कितनी कीमती है और स्वतंत्रता के संरक्षण में जजों और वकीलों की भूमिका कितनी महत्वपूर्ण है. उन्होंने कहा कि देशभक्त वकीलों का काम भारत की स्वतंत्रता प्राप्त करने के साथ ही समाप्त नहीं हो गया और स्वतंत्रता के बाद भी वकील और बार हमारे देश में अच्छाई का निरंतर स्रोत रहे हैं.
सीजेआई ने कहा, "नागरिकों के अधिकारों और सम्मान को बनाए रखने के लिए अदालतें महत्वपूर्ण हैं, लेकिन संविधान और कानून के शासन से जुड़ी बार, अदालतों की अंतरात्मा को बनाए रखने के लिए महत्वपूर्ण है."
लोगों की प्रतिबद्धता का सम्मान
सीजेआई ने कहा कि आज हम उन लोगों की प्रतिबद्धता का सम्मान करते हैं जो इसे महान बनाने के लिए अपना जीवन जीते हैं और जो इसे महान बनाने के लिए काम कर रहे हैं. हम सभी औपनिवेशिक युग के बैकग्राउंड और हमारे देश ने जो कुछ झेला है, उसके संदर्भ में संविधान के बारे में बात करते हैं. आज सुबह, मैं कर्नाटक की प्रसिद्ध गायिका चित्रा कृष्ण द्वारा लिखी गई एक सुंदर रचना पढ़ रहा था और इस रचना का शीर्षक है स्वतंत्रता के गीत. स्वतंत्रता का विचार भारतीय कविता के ताने-बाने में बुना हुआ है."
स्वतंत्रता सेनानियों का किया जिक्र
सीजेआई ने उन स्वतंत्रता सेनानियों का भी जिक्र किया जिन्होंने अपनी वकालत छोड़ दी और स्वतंत्रता संग्राम में शामिल हो गए. सीजेआई ने कहा, "कई वकीलों ने अपनी वकालत छोड़ दी और राष्ट्र के लिए खुद को समर्पित कर दिया. इनमें बाबासाहेब अंबेडकर, जवाहरलाल नेहरू, अल्लादी कृष्णस्वामी अय्यर, गोविंद वल्लभ पंत, देवी प्रसाद खेतान, सर सैयद मोहम्मद सादुल्लाह जैसे कई अन्य लोग शामिल थे. वे न केवल भारत के लिए स्वतंत्रता प्राप्त करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते थे, बल्कि एक स्वतंत्र न्यायपालिका की स्थापना में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाते थे."
जस्टिस चंद्रचूड़ ने कहा कि पिछले 24 साल से जजों के रूप में मैं अपने दिल पर हाथ रखकर कह सकता हूं कि कोर्ट का काम आम भारतीयों के संघर्षों को दर्शाता है, जो अपने दैनिक जीवन की कठिनाइयों से जूझ रहे हैं. उन्होंने कहा, "भारत के सर्वोच्च न्यायालय में न्याय की मांग करने वाले सभी क्षेत्रों, जातियों, लिंगों और धर्मों के गांवों और महानगरों से वादियों की भीड़ आती है. कानूनी समुदाय न्यायालय को इन नागरिकों के साथ न्याय करने की अनुमति देता है...."
बार लोगों और न्यायाधीशों के बीच एक महत्वपूर्ण कड़ी
उन्होंने कहा कि बार के सदस्य लोगों और न्यायाधीशों के बीच एक महत्वपूर्ण कड़ी हैं, वे हमें लोगों के दर्द और नब्ज को समझने का मौका देते हैं. सीजेआई ने कहा, "बार लोगों और अदालत के बीच एक दोतरफा पुल है...", उन्होंने आगे कहा कि आधुनिक न्यायपालिका के लिए एक सुलभ और समावेशी बुनियादी ढांचे की आवश्यकता होती है.
अदालत में वकीलों के आने-जाने में आसानी न केवल उन्हें आसानी और दक्षता के साथ अदालत की सहायता करने की अनुमति देती है, बल्कि उन्हें न्यायपालिका की संस्था के प्रति जिम्मेदारी की भावना भी महसूस होती है.
सीजेआई ने यह भी घोषणा की कि सुप्रीम कोर्ट परिसर में एक नई इमारत बनेगी, जिसमें 27 भविष्य की अदालतें होंगी, जिनमें वादियों, बार के सदस्यों और महिला वकीलों के लिए आधुनिक सुविधाएं होंगी.
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