नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने आंध्र प्रदेश के तिरुमाला में श्री वेंकटेश्वर स्वामी मंदिर में प्रसाद के रूप में परोसे जाने वाले लड्डू बनाने में एनिमल फैट के इस्तेमाल के आरोपों की कोर्ट की निगरानी में जांच की मांग करने वाली याचिकाओं पर सुनवाई शुरू की. बता दें कि आंध्र प्रदेश के तिरुमाला में भगवान वेंकटेश्वर की पूजा की जाती है.
केंद्र की ओर से सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने सुप्रीम कोर्ट को सुझाव दिया कि अगर आरोपों में कोई सच्चाई है तो यह अस्वीकार्य है. सॉलिसिटर जनरल ने सुप्रीम कोर्ट से कहा कि एसआईटी की निगरानी किसी वरिष्ठ केंद्रीय अधिकारी द्वारा की जाए, इससे लोगों में भरोसा बढ़ेगा. एसजी ने कोर्ट से कहा कि भक्त पूरे देश में हैं और यह खाद्य सुरक्षा की दृष्टि से भी महत्वपूर्ण है. हालांकि, एसजी ने यह भी कहा कि उन्हें एसआईटी के सदस्यों के खिलाफ कोई शिकायत नहीं मिली है.
Tirupati Laddu Prasadam issue | Advocate Satyam Singh says " supreme court has ordered for the independent sit constituted by 2 people from cbi, 2 from state police and 1 from food safety authority and supreme court has disposed of the petition by commenting that if there will be… pic.twitter.com/IdDaBcaCXg
— ANI (@ANI) October 4, 2024
सुप्रीम कोर्ट ने सुझाव दिया कि एक स्वतंत्र एसआईटी होनी चाहिए. इसमें सीबीआई से 2 सदस्य, राज्य सरकार से 2 और एफएसएसएआई से 1 सदस्य हो सकते हैं. सुझाव दिया कि खाद्य पदार्थों की जांच के मामले में एफएसएसएआई सबसे विशेषज्ञ शीर्ष निकाय है. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि वह नहीं चाहता कि यह राजनीतिक ड्रामा बने.
सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को तिरुपति मंदिर में प्रसाद के रूप में परोसे जाने वाले लड्डू में एनिमल फैट के इस्तेमाल के आरोपों की स्वतंत्र एसआईटी द्वारा नए सिरे से जांच करने का आदेश दिया. विशेष जांच दल (एसआईटी) में सीबीआई, राज्य पुलिस के अधिकारी और एफएसएसएआई के प्रतिनिधि शामिल होंगे. और सीबीआई निदेशक एसआईटी की निगरानी करेंगे.
Supreme Court orders a fresh independent SIT into the allegations of use of animal fat to make laddus to serve as prasadam at the Sri Venkateswara Swamy Temple in Tirumala, Andhra Pradesh, where Lord Venkateswara is worshipped. https://t.co/FnGRyYpD7S
— ANI (@ANI) October 4, 2024
न्यायमूर्ति बी आर गवई और न्यायमूर्ति के वी विश्वनाथन की पीठ ने कहा कि सबसे पहले, हम स्पष्ट करते हैं कि हमने प्रतिवादी की याचिकाओं या रुख में आरोपों और प्रतिवादों पर गौर नहीं किया है. हम स्पष्ट करते हैं कि हम अदालत को राजनीतिक युद्ध के मैदान के रूप में इस्तेमाल नहीं होने देंगे. हालांकि, करोड़ों लोगों की भावनाओं को शांत करने के लिए, हम पाते हैं कि राज्य पुलिस, सीबीआई और एफएसएसएआई के प्रतिनिधियों से मिलकर एक स्वतंत्र एसआईटी की ओर से जांच की जानी चाहिए.
पीठ ने कहा कि यह उचित होगा कि जांच सीबीआई निदेशक की निगरानी में की जाए. पीठ ने कहा कि हालांकि, हम स्पष्ट करते हैं कि हमारे आदेश को एसआईटी के अधिकारियों की स्वतंत्रता या निष्पक्षता पर किसी भी तरह का प्रतिबिंब नहीं माना जाएगा... हम केवल भगवान में आस्था रखने वाले करोड़ों लोगों की भावनाओं को शांत करने के लिए स्वतंत्र एजेंसी के लिए आदेश पारित कर रहे हैं.
पीठ ने कहा कि आंध्र प्रदेश सरकार की ओर से नियुक्त एसआईटी को स्वतंत्र एसआईटी की ओर प्रतिस्थापित किया जाता है. सीबीआई के निदेशक द्वारा नामित सीबीआई के दो अधिकारी, आंध्र प्रदेश सरकार द्वारा नामित राज्य पुलिस के दो अधिकारी और एफएसएसएआई के एक वरिष्ठ अधिकारी नई एसआईटी के सदस्य होंगे.
पीठ ने कहा कि एफआईआर में लगाए गए आरोपों से दुनिया भर में रहने वाले लोगों की भावनाओं को ठेस पहुंचने की संभावना है. पिछली सुनवाई में, शीर्ष अदालत ने सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता से निर्देश लेने के लिए कहा था कि क्या आंध्र प्रदेश सरकार की ओर से नियुक्त एसआईटी की ओर से जांच जारी रखी जा सकती है या इसे एक स्वतंत्र जांच एजेंसी द्वारा देखा जाना चाहिए. सुनवाई के दौरान सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने तर्क दिया कि राजनीति करोड़ों लोगों की आस्था पर हावी हो रही है.
सर्वोच्च न्यायालय कई याचिकाओं पर सुनवाई कर रहा था, जिनमें तिरुपति लड्डू बनाने में पशु चर्बी के कथित इस्तेमाल की अदालत की निगरानी में जांच की मांग करने वाली याचिकाएं भी शामिल थीं. भाजपा नेता सुब्रमण्यम स्वामी, इतिहासकार डॉ. विक्रम संपत और एक अन्य व्यक्ति तथा सुदर्शन टीवी चैनल के संपादक सुरेश चव्हाणके ने याचिकाएं दायर की थीं.