पलामू: मध्य प्रदेश से निकलकर बाघ पश्चिम बंगाल का सफर कर रहे हैं. मध्य प्रदेश के बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व से पश्चिम बंगाल के पुरुलिया तक बाघों ने एक नया कॉरिडोर विकसित किया है. यह करीब 700 किलोमीटर का कॉरिडोर है.
दरअसल, पुरुलिया और झारखंड के जमशेदपुर के इलाके में बाघों का मूवमेंट देखा जा रहा था. बाघ की तस्वीर जांच के लिए वाइल्ड लाइफ इंस्टिट्यूट भेजी गई थी. इस जांच के आधार पर पता चला कि पुरुलिया के इलाके में मौजूद बाघ पलामू टाइगर रिजर्व से गया है. यह बाघ एमपी के बांधवगढ़ से पलामू टाइगर रिजर्व के इलाके में दाखिल हुआ है.
तीन दशक बाद बाघों ने कॉरिडोर को किया एक्टिव
बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व से पलामू टाइगर रिजर्व को बाघों ने 2021-22 में एक्टिव किया था. जबकि पलामू टाइगर रिजर्व से पश्चिम बंगाल के पुरुलिया तक कॉरिडोर 2024 के आखिरी महीनों में एक्टिव किया है. दोनों कॉरिडोर के बीच करीब 700 किलोमीटर की दूरी है.
पलामू टाइगर रिजर्व के उपनिदेशक प्रजेशकांत जेना ने बताया कि पुरुलिया इलाके में पहुंचा बाघ पलामू टाइगर रिजर्व से गया था. उन्होंने बताया कि लंबे अरसे बाद बाघों ने इस कॉरिडोर को एक्टिव किया है. पलामू टाइगर रिजर्व ने पूरे कॉरिडोर पर निगरानी बढ़ा दी है.
झारखंड-पश्चिम बंगाल सीमा पर कैंप कर रही है पीटीआर की टीम
पश्चिम बंगाल के पुरुलिया और जमशेदपुर इलाके में बाघ की चहलकदमी के बाद पलामू टाइगर रिजर्व की एक टीम पश्चिम बंगाल और झारखंड सीमा पर कैंप कर रही है. यह टीम स्थानीय वन विभाग के कर्मियों को बाघों के मूवमेंट को लेकर कई बिंदुओं पर प्रशिक्षण दे रही है. पलामू टाइगर रिजर्व के कर्मी बाघों के मूवमेंट पर भी नजर रख रहे हैं और इलाके में ट्रैकिंग कैमरे लगाने के तरीके भी बता रहे हैं. बाघों के पूरे रूट पर ट्रैकिंग कैमरे लगाए जा रहे हैं.
पांच से 10 वर्ग किलोमीटर में रहता है एक बाघ
पलामू टाइगर रिजर्व के अधिकारियों के अनुसार 5 से 10 वर्ग किलोमीटर में एक बाघ रहता है. बाघ अपने इलाके का विस्तार कर रहे हैं और पुराने कॉरिडोर को सक्रिय कर रहे हैं. मध्य प्रदेश में बाघों की संख्या में वृद्धि हुई है, जिसके कारण वे बाघ वहां से निकलकर झारखंड के इलाके में दाखिल हुए हैं. 2021 के बाद अकेले पलामू टाइगर रिजर्व में छह बाघों और एक बाघिन का मूवमेंट दर्ज किया गया है, जो मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ के इलाकों से दाखिल हुए हैं.
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