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आवारा कुत्तों से बाघ और गुलदारों को जान का खतरा! टाइगर रिजर्व क्षेत्रों में अलर्ट जारी, जानिए क्या है ये मुसीबत - Tiger Reserve Alert

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By ETV Bharat Uttarakhand Team

Published : Sep 13, 2024, 8:33 AM IST

Updated : Sep 13, 2024, 10:41 AM IST

Advisory Issued For Leopards And Tigers देश भर में आवारा कुत्ते अब खूंखार टाइगर्स के लिए भी जान का खतरा पैदा कर रहे हैं. सुनने में यह बात थोड़ा अजीब जरूर लगे लेकिन यह हकीकत है. इसी खतरे को देखते हुए नेशनल टाइगर कंजर्वेशन अथॉरिटी ने भी देश भर में टाइगर रिजर्व को अलर्ट करते हुए, इसके लिए विशेष अभियान चलाने तक के निर्देश जारी कर दिए हैं.

Tigers and leopards are at risk from canine distemper virus
बाघों और गुलदारों को कैनाइन डिस्टेंपर वायरस से खतरा (Photo- ETV Bharat)

देहरादून (उत्तराखंड): जंगल का सबसे बड़ा शिकारी एक ऐसे खतरे में पड़ गया है. जिसकी उसने कभी कल्पना भी नहीं की होगी. खूंखार शिकारी के रूप में टाइगर बड़े-बड़े जंगली जानवरों को धराशायी कर देता है, लेकिन इस बार उसके सामने आवारा कुत्ते बड़ी चुनौती बन गए हैं. स्थिति यह है कि एनटीसीए (National Tiger Conservation Authority) को राष्ट्रीय स्तर पर इसके लिए पत्र जारी करने पड़ रहे हैं. इसकी पुष्टि सीनियर IFS मौजूदा मुख्य वन संरक्षक व राजाजी टाइगर रिजर्व के पूर्व निदेशक राहुल ने की है. ये पत्र राहुल के राजाजी निदेशक रहने के दौरान उनको प्राप्त हुआ था.

बाघ और गुलदारों को आवारा कुत्तों से खतरा (Video- ETV Bharat)

विशेष अभियान चलाने के निर्देश: दरअसल इस बार टाइगर को आवारा कुत्तों से दूर रखने की कोशिश हो रही है. ऐसा इसलिए क्योंकि विशेषज्ञ मानते हैं कि इन आवारा कुत्तों से अब टाइगर की जान को खतरा बन गए हैं. इसके लिए बाकायदा वन विभाग को विशेष अभियान चलाने तक के निर्देश भी जारी कर दिए गए, ताकि खासतौर पर टाइगर रिजर्व क्षेत्र में ये आवारा कुत्ते टाइगर के लिए मुसीबत ना बन जाएं.

एनटीसीए को क्या है डर: बाघों के लिए आवारा कुत्तों का यह खतरा उनके झुंड में हमला करने को लेकर नहीं है बल्कि ये मामला शिकार होकर भी शिकारी को मात देने से जुड़ा है. दरअसल एनटीसीए को डर है कि आवारा कुत्तों में फैल रहे वायरस से टाइगर प्रभावित न हो जाए. इसके लिए टाइगर की राष्ट्रीय स्तर पर सुरक्षा को देखने वाली इस एजेंसी ने दिशा निर्देश जारी किए हैं.

कैनाइन डिस्टेंपर वायरस बेहद खतरनाक: इसके तहत संरक्षित वन क्षेत्र के 2 किलोमीटर तक के इलाकों में आवारा कुत्तों की मौजूदगी होने पर विशेष अभियान चलाया जाएगा. इस अभियान के तहत ऐसे आवारा कुत्तों को वैक्सीनेट किया जाएगा, ताकि टाइगर को किसी तरह का कोई खतरा न हो. विशेषज्ञ बताते हैं कि आवारा कुत्तों में कैनाइन डिस्टेंपर वायरस बेहद खतरनाक होता है और टाइगर जैसे वन्य जीव में इसके फैलने से इनकी जान को खतरा हो सकता है.पीसीसीएफ वाइल्डलाइफ समीर सिन्हा कहते हैं कि कुत्तों में कई तरह की बीमारी होती है, जिससे टाइगर को खतरा हो सकता है. इसलिए इसके बचाव के लिए आवारा कुत्तों को चिन्हित किया जाएगा और इन्हें वैक्सीन देकर वायरस के खतरे से वन्यजीवों को दूर रखने के प्रयास किए जाएंगे.

पूर्व में सामने आग चुके टाइगर के मौत के मामले: ऐसा पहली बार नहीं है जब कुत्तों से इस तरह के खतरे का अनुभव किया जा रहा हो, इससे पहले भी इसी साल की शुरुआत में ऐसे वायरस के फैलने की संभावना व्यक्त करते हुए अलर्ट किया गया था. साथ ही पूर्व के सालों में भी आवारा कुत्तों से ऐसा ही खतरा महसूस किया गया था. बड़ी बात यह है कि पूर्व में इस खतरनाक वायरस की चपेट में आने से कई टाइगर की मौत होने की बात भी सामने आई है. ऐसी घटनाओं को देखते हुए ही अब केंद्रीय एजेंसियां भी अलर्ट पर हैं और राज्यों को भी इसके लिए अलर्ट पर रहने के लिए कहा गया है.

कैट प्रजाति में सबसे ज्यादा खतरा: कैनाइन डिस्टेंपर वायरस वन्यजीवों के लिए बेहद खतरनाक माना जाता है. जब टाइगर किसी आवारा कुत्ते का शिकार करते हैं और वह कुत्ता ऐसे इन्फेक्शन या वायरस से प्रभावित होता है तो यह वायरस शिकार करने वाले टाइगर में भी प्रवेश कर जाता है. टाइगर में इस वायरस के पहुंचने के बाद यह इनके दिमाग पर अटैक करता है और शरीर के विभिन्न अंग इस वायरस से प्रभावित होने लगते हैं. जिसके कारण इसकी जान भी चली जाती है. बिल्ली प्रजाति के वन्यजीवों में इसका खतरा ज्यादा माना जाता है और इसलिए लेपर्ड और टाइगर जैसे वन्य जीव इससे ज्यादा प्रभावित रहते हैं.

ये भी पढ़ेंः राजाजी टाइगर रिजर्व में बढ़ रहा बाघों का कुनबा, कॉर्बेट से लाई बाघिन ने 4 शावकों को दिया जन्म

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देहरादून (उत्तराखंड): जंगल का सबसे बड़ा शिकारी एक ऐसे खतरे में पड़ गया है. जिसकी उसने कभी कल्पना भी नहीं की होगी. खूंखार शिकारी के रूप में टाइगर बड़े-बड़े जंगली जानवरों को धराशायी कर देता है, लेकिन इस बार उसके सामने आवारा कुत्ते बड़ी चुनौती बन गए हैं. स्थिति यह है कि एनटीसीए (National Tiger Conservation Authority) को राष्ट्रीय स्तर पर इसके लिए पत्र जारी करने पड़ रहे हैं. इसकी पुष्टि सीनियर IFS मौजूदा मुख्य वन संरक्षक व राजाजी टाइगर रिजर्व के पूर्व निदेशक राहुल ने की है. ये पत्र राहुल के राजाजी निदेशक रहने के दौरान उनको प्राप्त हुआ था.

बाघ और गुलदारों को आवारा कुत्तों से खतरा (Video- ETV Bharat)

विशेष अभियान चलाने के निर्देश: दरअसल इस बार टाइगर को आवारा कुत्तों से दूर रखने की कोशिश हो रही है. ऐसा इसलिए क्योंकि विशेषज्ञ मानते हैं कि इन आवारा कुत्तों से अब टाइगर की जान को खतरा बन गए हैं. इसके लिए बाकायदा वन विभाग को विशेष अभियान चलाने तक के निर्देश भी जारी कर दिए गए, ताकि खासतौर पर टाइगर रिजर्व क्षेत्र में ये आवारा कुत्ते टाइगर के लिए मुसीबत ना बन जाएं.

एनटीसीए को क्या है डर: बाघों के लिए आवारा कुत्तों का यह खतरा उनके झुंड में हमला करने को लेकर नहीं है बल्कि ये मामला शिकार होकर भी शिकारी को मात देने से जुड़ा है. दरअसल एनटीसीए को डर है कि आवारा कुत्तों में फैल रहे वायरस से टाइगर प्रभावित न हो जाए. इसके लिए टाइगर की राष्ट्रीय स्तर पर सुरक्षा को देखने वाली इस एजेंसी ने दिशा निर्देश जारी किए हैं.

कैनाइन डिस्टेंपर वायरस बेहद खतरनाक: इसके तहत संरक्षित वन क्षेत्र के 2 किलोमीटर तक के इलाकों में आवारा कुत्तों की मौजूदगी होने पर विशेष अभियान चलाया जाएगा. इस अभियान के तहत ऐसे आवारा कुत्तों को वैक्सीनेट किया जाएगा, ताकि टाइगर को किसी तरह का कोई खतरा न हो. विशेषज्ञ बताते हैं कि आवारा कुत्तों में कैनाइन डिस्टेंपर वायरस बेहद खतरनाक होता है और टाइगर जैसे वन्य जीव में इसके फैलने से इनकी जान को खतरा हो सकता है.पीसीसीएफ वाइल्डलाइफ समीर सिन्हा कहते हैं कि कुत्तों में कई तरह की बीमारी होती है, जिससे टाइगर को खतरा हो सकता है. इसलिए इसके बचाव के लिए आवारा कुत्तों को चिन्हित किया जाएगा और इन्हें वैक्सीन देकर वायरस के खतरे से वन्यजीवों को दूर रखने के प्रयास किए जाएंगे.

पूर्व में सामने आग चुके टाइगर के मौत के मामले: ऐसा पहली बार नहीं है जब कुत्तों से इस तरह के खतरे का अनुभव किया जा रहा हो, इससे पहले भी इसी साल की शुरुआत में ऐसे वायरस के फैलने की संभावना व्यक्त करते हुए अलर्ट किया गया था. साथ ही पूर्व के सालों में भी आवारा कुत्तों से ऐसा ही खतरा महसूस किया गया था. बड़ी बात यह है कि पूर्व में इस खतरनाक वायरस की चपेट में आने से कई टाइगर की मौत होने की बात भी सामने आई है. ऐसी घटनाओं को देखते हुए ही अब केंद्रीय एजेंसियां भी अलर्ट पर हैं और राज्यों को भी इसके लिए अलर्ट पर रहने के लिए कहा गया है.

कैट प्रजाति में सबसे ज्यादा खतरा: कैनाइन डिस्टेंपर वायरस वन्यजीवों के लिए बेहद खतरनाक माना जाता है. जब टाइगर किसी आवारा कुत्ते का शिकार करते हैं और वह कुत्ता ऐसे इन्फेक्शन या वायरस से प्रभावित होता है तो यह वायरस शिकार करने वाले टाइगर में भी प्रवेश कर जाता है. टाइगर में इस वायरस के पहुंचने के बाद यह इनके दिमाग पर अटैक करता है और शरीर के विभिन्न अंग इस वायरस से प्रभावित होने लगते हैं. जिसके कारण इसकी जान भी चली जाती है. बिल्ली प्रजाति के वन्यजीवों में इसका खतरा ज्यादा माना जाता है और इसलिए लेपर्ड और टाइगर जैसे वन्य जीव इससे ज्यादा प्रभावित रहते हैं.

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Last Updated : Sep 13, 2024, 10:41 AM IST
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