Budget 2024: 1 फरवरी 2024 को वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण बजट पेश करने वाली हैं. निर्मला सीतारमण छठी बार बजट पेश करेंगी. वैसे सबसे ज्यादा बार बजट पेश करने का रिकॉर्ड मोरारजी देसाई के नाम है. बता दें कि मोरारजी देसाई देश के प्रधानमंत्री भी रह चुके हैं. उन्होंने वित्त मंत्री के रूप में 10 बार बजट पेश किया था. इसके बाद पी. चिदंबरम का नाम आता है, जिन्होंने 9 बार देश का बजट पेश किया है. लेकिन देश के तीन वित्त मंत्री ऐसे भी रहे हैं, जो बजट पेश नहीं कर पाए. तीनों के बजट पेश ना करने की अलग-अलग और दिलचस्प वजहें रहीं.
क्षितिज चंद्र नियोगी- KC Niyogi आजाद भारत के दूसरे वित्त मंत्री थे. बंगाल से आने वाले केसी नियोगी की पहचान देश के पहले फाइनेंस कमीशन के चेयरमैन के रूप में भी रही है. 1951 में वित्त आयोग के अध्यक्ष बनने से पहले उन्होंने अगस्त 1948 में देश के पहले वित्त मंत्री आर. के. शनमुखम की जगह ली थी. लेकिन वो सिर्फ 35 दिन के लिए वित्त मंत्री बने थे. इसलिये उन्हें बजट पेश करने का मौका नहीं मिला और फिर सितंबर 1948 में वित्त मंत्री के रूप में उनकी जगह जॉन मथाई ने ली थी. इस तरह केसी नियोगी देश के पहले ऐसे वित्त मंत्री बने जो बजट पेश नहीं कर पाए. क्षितिज चंद्र नियोगी संविधान सभा के सदस्य भी थे और जब देश में पहली सरकार का गठन हुआ तो पहली सरकार में भी जगह मिली. पंडित जवाहर लाल नेहरू ने उन्हें कैबिनेट मंत्री बनाया था.
हेमवती नंदन बहुगुणा- देश की राजनीति में बड़ा नाम रहे हेमवती नंदन बहुगुणा दो बार उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री और 4 बार लोकसभा सांसद रहे. साल 1979 में चौधरी चरण सिंह की सरकार में उन्हें देश के वित्त मंत्री की जिम्मेदारी भी मिली लेकिन 13वें वित्त मंत्री के रूप में उनका कार्यकाल 28 जुलाई 1979 से 25 अक्टूबर 1979 तक रहा. इतना छोटा कार्यकाल होने के कारण उन्हें भी बजट भाषण पढ़ने का मौका नहीं मिला. वैसे हेमवती नंदन बहुगुणा 1984 लोकसभा चुनाव में हुई हार को लेकर भी सुर्खियों में रहे क्योंकि इलाहबाद लोकसभा क्षेत्र में उन्हें कांग्रेस उम्मीदवार और बॉलीवुड एक्टर अमिताभ बच्चन ने बड़े अंतर से हराया था.
एनडी तिवारी- केसी नियोगी और हेमवती नंदन बहुगुणा का कार्यकाल छोटा होने के कारण बजट पेश नहीं कर पाए लेकिन एनडी तिवारी का कार्यकाल इनसे लंबा था लेकिन फिर भी बजट भाषण नहीं पढ़ पाए और इस लिस्ट में तीसरे वित्त मंत्री बने. नारायण दत्त तिवारी भारतीय राजनीति का बड़ा नाम हैं. उनके नाम दो राज्यों के मुख्यमंत्री बनने का रिकॉर्ड है. वो 3 बार उत्तर प्रदेश और एक बार उत्तराखंड के मुख्यमंत्री रहे. 1952 में पहली बार विधायक बने एनडी तिवारी का लंबा राजनीतिक करियर रहा. प्रधानमंत्री को छोड़कर एनडी तिवारी लगभग हर बड़े पद पर रहे. विधायक, सांसद, मुख्यमंत्री, केंद्रीय मंत्री और आंध्र प्रदेश के राज्यपाल भी रहे. उन्होंने कांग्रेस से अलग होकर कांग्रेस (तिवारी) नाम की एक अलग पार्टी भी बनाई थी.
नारायण दत्त तिवारी ने राजीव गांधी सरकार में विदेश मंत्री और फिर वित्त मंत्री की जिम्मेदारी भी संभाली. वित्त मंत्री के रूप में उनका कार्यकाल केसी नियोगी और हेमवती नंदन बहुगुणा से अधिक रहा लेकिन वो आजाद भारत के तीसरे ऐसे वित्त मंत्री बने जो बजट पेश नहीं कर पाए. साल 1987 में राजीव गांधी की सरकार में एनडी तिवारी वित्त मंत्री बने. फाइनेंस मिनिस्टर के रूप में उनका कार्यकाल 25 जुलाई 1987 से 25 जून 1988 तक करीब एक साल का था. लेकिन वो वित्त मंत्री रहते हुए बजट पेश नहीं कर पाए क्योंकि उस साल प्रधानमंत्री राजीव गांधी ने बजट पेश किया था. इस तरह अब तक देश में जितने भी वित्त मंत्री रहे उनमें से केसी नियोगी, हेमवती नंदन बहुगुणा और एनडी तिवारी ऐसे वित्त मंत्री रहे जो इस पद पर तो रहे लेकिन संसद में बजट भाषण नहीं पढ़ पाए.
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