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झारखंड के इन निर्दलीय उम्मीदवारों ने दर्ज कराई दमदार मौजूदगी, हार कर भी हुई जीत - independent candidates of Jharkhand

Independent candidates. झारखंड में भले ही किसी निर्दलीय प्रत्याशी की जीत नहीं हुई हो, लेकिन कुछ ऐसे प्रत्याशी जरूर रहे जिन्होंने अपनी दमदार मौजूदगी दर्ज कराई. यह निश्चित ही अन्य दलों के लिए शुभ संकेत नहीं हैं.

INDEPENDENT CANDIDATES OF JHARKHAND
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By ETV Bharat Jharkhand Team

Published : Jun 5, 2024, 2:18 PM IST

रांचीः लोकसभा चुनाव 2024 का जनादेश सबके सामने है. देश की जनता ने एनडीए को बहुमत दिया है. कई वीआईपी प्रत्याशियों को इस बार हार का सामना करना पड़ा. जिसमें कई केंद्रीय मंत्री और जाने-पहचाने चेहरे भी शामिल हैं. वहीं कुछ ऐसे प्रत्याशी जिनके ऊपर किसी दल का हाथ नहीं था, उन्होंने अपनी जोरदार उपस्थिति दर्ज कराई है. उनमें से कुछ जीतकर संसद भी पहुंचे हैं.

दरअसल हम बात कर रहे हैं निर्दलीय उम्मीदवारों की. ज्यादातर इन उम्मीदवारों को वोटकटवा के रूप में देख जाता है. बहुत कम प्रत्याशी ही जीत पाते हैं. लोकसभा चुनाव 2024 में लगभग सात निर्दलीय उम्मीदवार जीते हैं. जबकि 2019 में चार निर्दलीय प्रत्याशी संसद पहुंचे थे. उससे पहले 2014 में तीन निर्दलीय प्रत्याशी संसद पहुंचे थे. इस बार भी कई निर्दलीय प्रत्याशियों ने लोगों को चौंकाया है. पप्पू यादव ने बिहार के पूर्णिया से जीत दर्ज की है. वहीं काराकाट से निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में चुनाव लड़ रहे भोजपुरी अभिनेता पवन सिंह हालांकि चुनाव हार गए, लेकिन उनकी चर्चा खूब रही.

अब बात करते हैं झारखंड की. झारखंड में भी इस बार कई निर्दलीय प्रत्याशियों ने ताल ठोकी. लेकिन जिन दो प्रत्याशियों ने अपनी छाप छोड़ी वो हैं, जयराम टाइगर और देवेंद्र नाथ महतो. दोनों छात्र नेता हैं. जयराम महतो ने गिरिडीह से चुनाव लड़ा. यह नौजवान प्रत्याशी भले ही चुनाव हार गया, लेकिन उसने जोरदार उपस्थिति दर्ज कराई.

जयराम टाइगर युवाओं और अन्य वोटरों को काफी हद तक लुभाने में कामयाब रहे. उन्होंने 3 लाख 47 हजार से ज्यादा वोट हासिल किया. जयराम महतो का यह पहला चुनाव था. लोग उन्हें टाइगर जयराम महतो बुलाते हैं. झारखंडी हितों की बात करने वाले इस युवा नेता की काफी फैन फॉलोइंग है. इस चुनाव में उन्हें अपार समर्थन मिला.

वहीं दूसरे निर्दलीय प्रत्याशी हैं देवेंद्र नाथ महतो. इन्होंने रांची लोकसभा सीट से चुनाव लड़ा. पहले ही चुनाव में इन्होंने 1 लाख 25 हजार से ज्यादा वोट हासिल किए. देवेंद्र सिल्ली के रहने वाले हैं. स्नातकोत्तर तक पढ़ाई की है.

भले ही ये दोनों इस बार चुनाव हार गए. लेकिन आने वाले चुनाव को देखते हुए यह अन्य दलों के लिए ये लोग खतरे की घंटी बजा गए. राष्ट्रीय और क्षेत्रीय पार्टियों के बीच इन्होंने अपनी दमदार मौजूदगी का अहसास कराया. आगामी विधानसभा चुनाव को लेकर सभी दलों को इनके बारे में संजीदगी से सोचना पड़ेगा. वरना हो सकता है कि आने वाले विधानसभा चुनाव परिणाम में बहुत बड़ा फेरबदल हो.

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दरअसल हम बात कर रहे हैं निर्दलीय उम्मीदवारों की. ज्यादातर इन उम्मीदवारों को वोटकटवा के रूप में देख जाता है. बहुत कम प्रत्याशी ही जीत पाते हैं. लोकसभा चुनाव 2024 में लगभग सात निर्दलीय उम्मीदवार जीते हैं. जबकि 2019 में चार निर्दलीय प्रत्याशी संसद पहुंचे थे. उससे पहले 2014 में तीन निर्दलीय प्रत्याशी संसद पहुंचे थे. इस बार भी कई निर्दलीय प्रत्याशियों ने लोगों को चौंकाया है. पप्पू यादव ने बिहार के पूर्णिया से जीत दर्ज की है. वहीं काराकाट से निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में चुनाव लड़ रहे भोजपुरी अभिनेता पवन सिंह हालांकि चुनाव हार गए, लेकिन उनकी चर्चा खूब रही.

अब बात करते हैं झारखंड की. झारखंड में भी इस बार कई निर्दलीय प्रत्याशियों ने ताल ठोकी. लेकिन जिन दो प्रत्याशियों ने अपनी छाप छोड़ी वो हैं, जयराम टाइगर और देवेंद्र नाथ महतो. दोनों छात्र नेता हैं. जयराम महतो ने गिरिडीह से चुनाव लड़ा. यह नौजवान प्रत्याशी भले ही चुनाव हार गया, लेकिन उसने जोरदार उपस्थिति दर्ज कराई.

जयराम टाइगर युवाओं और अन्य वोटरों को काफी हद तक लुभाने में कामयाब रहे. उन्होंने 3 लाख 47 हजार से ज्यादा वोट हासिल किया. जयराम महतो का यह पहला चुनाव था. लोग उन्हें टाइगर जयराम महतो बुलाते हैं. झारखंडी हितों की बात करने वाले इस युवा नेता की काफी फैन फॉलोइंग है. इस चुनाव में उन्हें अपार समर्थन मिला.

वहीं दूसरे निर्दलीय प्रत्याशी हैं देवेंद्र नाथ महतो. इन्होंने रांची लोकसभा सीट से चुनाव लड़ा. पहले ही चुनाव में इन्होंने 1 लाख 25 हजार से ज्यादा वोट हासिल किए. देवेंद्र सिल्ली के रहने वाले हैं. स्नातकोत्तर तक पढ़ाई की है.

भले ही ये दोनों इस बार चुनाव हार गए. लेकिन आने वाले चुनाव को देखते हुए यह अन्य दलों के लिए ये लोग खतरे की घंटी बजा गए. राष्ट्रीय और क्षेत्रीय पार्टियों के बीच इन्होंने अपनी दमदार मौजूदगी का अहसास कराया. आगामी विधानसभा चुनाव को लेकर सभी दलों को इनके बारे में संजीदगी से सोचना पड़ेगा. वरना हो सकता है कि आने वाले विधानसभा चुनाव परिणाम में बहुत बड़ा फेरबदल हो.

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