लखनऊ: लखनऊ सहित पूरे उत्तर प्रदेश भर में सभी हाईवे पर वाहनों का दौड़ना अभी महंगा नहीं होगा.नेशनल हाईवे अथॉरिटी एक अप्रैल से पूरे देश सहित उत्तर प्रदेश में टोल रेट्स (toll tax in up) में बढ़ोतरी का आदेश किया था उस पर अचानक अस्थाई रोक लगा दी गई है. बढ़ोतरी बीती रात 12 बजे से लागू की जानी थी. यह टोल रेट बढ़ोतरी प्रत्येक वर्ष की जाती है. इस बार या बढ़ोतरी पांच से 10% के बीच तय हुई थी जिससे लोगों की जेब पर बोझ अब नहीं बढ़ेगा. माना जा रहा है कि चुनावी वक्त में राहत देते हुए बढ़ोतरी नहीं की गई है. हालांकिआचार संहिता लागू होते हुए कैसे यह राहत दी गई है एक बड़ा सवाल.
राजधानी से होकर निकलने वाले राष्ट्रीय राजमार्गों पर सफर करने वालों की जेब पर अब अतिरिक्त भार डालने की तैयारी थी क्योंकि नेशनल हाईवे अथॉरिटी ऑफ इंडिया (एनएचएआई) ने टोल की दरें बढ़ाने का फैसला किया था. बढ़ी दरें 31 मार्च की मध्य रात्रि 12 बजे के बाद (एक अप्रैल) से लागू की जानी थीं. इससे लखनऊ से सटे आठ टोल 10 फीसदी तक महंगे हो जाते. टोल की बढ़ी दरों का सीधा असर जिले से होकर निकलने वाले करीब तीन लाख छोटे और भारी वाहनों के आवागमन पर पड़ता . तीन लाख वाहन चालकों पर महंगी दर का बोझ बढ़ जाता . कार और जीप की टोल दर में 10 रुपये का इजाफा हो जाता.
सड़क और परिवहन मंत्रालय की मंजूरी इस मामले में नहीं मिली है. टोल में बदलाव नहीं हुए हैं. नतीजतन राजधानी से जुड़ने वाले तीन राष्ट्रीय राजमार्ग पर आना-जाना एक अप्रैल से महंगा नहीं होगा. कार और जीप के टोल में 10 रुपये का इजाफा नहीं किया गया है. इसी क्रम में टोल दर नहीं बढ़ेगी. लखनऊ क्षेत्र के NHAI के एक अधिकारी ने बताया कि बढ़ोतरी पर अस्थाई रोक लगा दी गई है. जब नया आदेश आएगा तभी टोल टैक्स में बढ़ोतरी की जाएगी.
इसके अलावा पूर्वांचल एक्सप्रेसवे, यमुना एक्सप्रेस वे, आगरा लखनऊ एक्सप्रेसवे, बुंदेलखंड एक्सप्रेसवे पर भी टोल दरों में बढ़ोतरी 1 अप्रैल से लागू नहीं की जा रही है. सामान्य सवारी गाड़ियों पर कोई बढ़ोतरी नहीं होगी बल्कि भारी वाहनों पर कुछ प्रतिशत की बढ़ोतरी की जा रही है. यह बढ़ोतरी लगभग 5% के करीब होगी. जिससे लखनऊ से आगरा जाना, आगरा से नोएडा, लखनऊ से गाजीपुर आजमगढ़ इटावा से चित्रकूट के बीच चलने वाले बुंदेलखंड एक्सप्रेसवे पर भी बढ़ोतरी का कुछ खास असर नजर नहीं आएगा.
पहली बार ऐसी रोक लगाई गई
संभवता: ऐसा पहली बार है जब आचार संहिता लागू होने के दौरान एनएचएआई ने इस फैसले पर अस्थाई रोक लगाई हो. जानकारों का कहना है कि चूंकि यह चुनाव से पूर्व का लिया गया फैसला था, इस वजह से इस पर अस्थायी रोक लगाना या फिर इसे लागू करना विभाग के जिम्मे होता है. इसका चुनाव से कोई भी लेना-देना नहीं है. यह एक विभागीय प्रक्रिया है.