नई दिल्ली: प्रधानमंत्री मोदी की सिंगापुर यात्रा शुरू होने के साथ ही विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने मंगलवार को कहा कि दोनों देशों के लिए अपने द्विपक्षीय संबंधों को अगले स्तर पर ले जाने का यह सही समय है. एक मीडिया हाउस को दिए बयान में जयशंकर ने कहा, 'भारत में चल रहे परिवर्तन और दुनिया में हो रहे बदलावों को देखते हुए, उन्हें और अधिक समसामयिक बनने की आवश्यकता है. कई मायनों में यही कारण है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने तीसरे कार्यकाल की शुरुआत में ही सिंगापुर की यात्रा करने का फैसला किया है. उन्होंने कहा कि भारत और सिंगापुर के द्विपक्षीय संबंध पिछले दो दशकों में बेहद मजबूत रहे हैं.
जयशंकर ने कहा,'सिंगापुर के लिए प्रधानमंत्री के मन में हमेशा से विशेष भावना रही है और नेतृत्व का यह संबंध पहले से कहीं अधिक मायने रखेगा.' जयशंकर सिंगापुर में भारत के उच्चायुक्त के रूप में काम कर चुके हैं और उन्हें वहां की बहुत अच्छी समझ है.
इस सवाल के जवाब में कि भारत-सिंगापुर द्विपक्षीय संबंधों को भारत किस दिशा में ले जाना चाहेगा, विदेश मंत्री जयशंकर ने कहा, 'तब से अब तक हम काफी आगे आ चुके हैं. जैसा कि मैंने कहा, 'हमारे संबंधों को अगले स्तर पर ले जाने के लिए यह सही समय है, जो दोनों देशों की वर्तमान वास्तविकताओं के साथ-साथ विश्व की स्थिति को भी प्रतिबिंबित करेगा.'
उन्होंने कहा, 'हमें लगता है कि हमारे समुदाय के योगदान को अधिक मजबूती से मान्यता मिली है. इस अवधि में हमारे संबंध भी गहरे हुए हैं.' जयशंकर ने इस तथ्य को रेखांकित किया कि भारत - सबसे अधिक आबादी वाला देश और वर्तमान में पांचवीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था है. ये अनिवार्य रूप से बहु-दिशात्मक जुड़ाव रखेगा.'
जयशंकर ने बताया कि सिंगापुर हमारी 'लुक ईस्ट' नीति के मूल में था, 'एक्ट ईस्ट' नीति में भी उतनी ही केंद्रीय भूमिका निभाता है. यदि आप इस विकास को दर्शाने वाले नए क्षेत्रों को देखें, तो सुरक्षा, कनेक्टिविटी, प्रौद्योगिकी और स्थिरता में सिंगापुर की साझेदारी स्पष्ट है. उन्होंने जोर देकर कहा कि 'एक्ट ईस्ट' नीति निश्चित रूप से कई कारणों से बहुत सक्रिय है. उन्होंने कहा कि दक्षिण पूर्व एशिया में बहुत अधिक अप्रयुक्त क्षमता है और इसकी जनसांख्यिकी और विकास की संभावनाएं इसे दीर्घकालिक साझेदार बनाती हैं.
जयशंकर ने कहा कि उदाहरण के लिए कल्पना करें कि त्रिपक्षीय राजमार्ग (भारत को म्यांमार और थाईलैंड से जोड़ने की योजना) पूरा होने पर क्या बदलाव ला सकता है. यह एक ऐसा संबंध भी है जो भारत के इंडो-पैसिफिक जुड़ाव के लिए अपरिहार्य है. मैं आत्मविश्वास से एक उज्ज्वल भविष्य की भविष्यवाणी कर सकता हूं. पीएम मोदी बुधवार को सिंगापुर की यात्रा करेंगे. उन्होंने कहा कि वह सिंगापुर में राष्ट्रपति थर्मन शानमुगरत्नम, प्रधान मंत्री लॉरेंस वोंग, वरिष्ठ मंत्री ली ह्सियन लूंग और एमेरिटस वरिष्ठ मंत्री गोह चोक टोंग से मिलने के लिए उत्सुक हैं. पीएम मोदी सिंगापुर के व्यापारिक समुदाय के नेताओं से भी मिलेंगे.
विदेश मंत्रालय के सचिव (पूर्व) जयदीप मजूमदार ने सोमवार को कहा,' प्रधानमंत्री मोदी छह साल के बाद सिंगापुर की यात्रा कर रहे हैं और यह यात्रा ऐसे समय में हो रही है जब सिंगापुर में नए नेता, प्रधानमंत्री लॉरेंस वोंग ने अभी-अभी पदभार संभाला है और यह हमारे जीवंत द्विपक्षीय संबंधों के अगले चरण के लिए मंच तैयार करने का उपयुक्त समय है.'