चौटुप्पल (तेलंगाना): यदाद्री भुवनगिरी जिले के चौटुप्पल के रहने वाले मुकेश ने इक्कत धागे (Ikkat Yarn) की साड़ियों की लोकप्रियता बढ़ाने के लिए दो साल तक काम किया. उन्होंने प्राकृतिक रंगों से डबल इक्कत साड़ी बनाई, जिसके लिए उन्हें राष्ट्रीय पुरस्कार मिला. मुकेश ने अपने अद्भुत कलात्मक कौशल से राष्ट्रीय स्तर पर नाम कमाया है.
राष्ट्रीय पुरस्कार विजेता कर्नाटी मुकेश का कहना है कि बुनाई के लिए कलात्मक कौशल और धैर्य की जरूरत होती है. वह बचपन से ही अपने माता-पिता को इस पेशे में रंग-बिरंगी साड़ियां बनाते देख रहे हैं, जहां रचनात्मकता और बुद्धिमत्ता का मिश्रण होता है. बाद में पढ़ाई करते हुए उन्होंने विरासत में मिले पेशे को अपनाया और परिवार की मदद करने लगे. अब उनके पास राष्ट्रीय पुरस्कार है.
कोय्यलागुडेम गांव के निवासी मुकेश के पिता का नाम कर्नाटी नारायण और माता का नाम पारिजात है. कड़ी मेहनत के बाद उन्हें सॉफ्टवेयर की नौकरी मिली थी, लेकिन वह फीके पड़ चुके हथकरघा पेशे को आगे बढ़ाना चाहते थे. मुकेश ने बेरोजगार बुनकरों में उत्साह भरने के लिए अपने पिता के साथ मिलकर नए-नए डिजाइन की साड़ियां बुनना शुरू किया.
मुकेश ने 100 डिजाइन वाली साड़ी बुनी...
नए-नए तरीके ढूंढकर अपनी अलग पहचान बनाने वाले मुकेश प्राकृतिक रंगों को तरजीह देते हैं. अपने क्षेत्र में उन्होंने राधाकृष्ण हैंड लूम्स नाम से एक छोटी सी दुकान खोली और साड़ियां बेचना शुरू किया. उन्होंने दो साल तक मेहनत की और प्राकृतिक रंगों से 100 डिजाइनों वाली डबल इक्कत साड़ी बुन ली. प्रकृति में पाए जाने वाले फूल, फल, खिलौने, शतरंज के मोहरे और स्वस्तिक जैसी छवियों से प्रेरित होकर उन्होंने 5 महीने तक कड़ी मेहनत की और ग्राफ डिजाइन बनाए.
मुकेश ने साड़ी बनाने और बुनने में आने वाली कठिनाइयों के बारे में भी बताया. उनका कहना है कि उन्होंने साड़ी बनाने के लिए इस्तेमाल होने वाले धागे को आयुर्वेदिक गुणों वाले सोप नट्स और हरड़ के रस से शुद्ध किया. उन्होंने नील, गेंदे के फूल और अनार के छिलकों को उबाला और उनसे पीला, गुड़हल, लोहे के जंग से काला, पेड़ की जड़ों से लाल रंग का धागा बनाया. उन्होंने दो साल तक मेहनत की और 600 ग्राम वजन की डबल इक्कत साड़ी बुन ली. मुकेश ने बताया कि उन्होंने अब तक इस तरह की 50 से ज्यादा साड़ियां बनाई हैं.
2023 में राष्ट्रीय हथकरघा पुरस्कार मिला
केंद्रीय हथकरघा और वस्त्र विभाग ने 2023 के राष्ट्रीय हथकरघा पुरस्कार के लिए 14 लोगों का चयन किया है और तेलंगाना के मुकेश ने पुरस्कार जीता है. तेलंगाना के 27 आवेदकों में से सिर्फ मुकेश का चयन हुआ. मुकेश ने खुशी जाहिर करते हुए कहा कि यह पुरस्कार उनकी कड़ी मेहनत का नतीजा है.
उन्होंने पहले भी 25 डिजाइन वाली इक्कत साड़ियां बुनी हैं. मुकेश को 2022 में तेलंगाना सरकार की ओर से आचार्य कोंडा लक्ष्मण बापूजी हैंडलूम पुरस्कार मिला है. अब मुकेश के परिवार के सदस्यों का कहना है कि उन्हें राष्ट्रीय स्तर का पुरस्कार मिलने पर बेहद खुशी है. मुकेश का कहना है कि आने वाले दिनों में वह महात्मा गांधी के पसंदीदा खादी धागे से एक अद्भुत हथकरघा साड़ी बनाना चाहते हैं.
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