नवीन उनियाल, देहरादून: भारतीय सैन्य अकादमी में सफलता के मुकाम पर पहुंचने वाले कैडेट्स असफलताओं को हराकर अपने लिए जगह तलाशते हैं. लेफ्टिनेंट तन्मय में भी ऐसे ही कैडेट्स में शामिल हैं. लेफ्टिनेंट तन्मय ने बार-बार रिजेक्शन में ही सिलेक्शन की राह ढूंढ निकाली. जिसका नतीजा है कि आज तन्मय सेना में अफसर बन गये हैं.
युवाओं के लिए अपने लक्ष्य पर ध्यान केंद्रित करना और असफलताओं से सफलता को तलाशना सबसे मुश्किल काम होता है. अक्सर युवा बार-बार मिल रही असफलताओं से हार मान लेते हैं. जिससे वे अपने सुनहरे भविष्य को खो देते हैं. ऐसे ही युवाओं के लिए तन्मय की सफलता भरी कहानी बड़ी प्रेरणा है. तन्मय मित्तल मेरठ के रहने वाले हैं. आज तन्मय मित्तल पीओपी के बाद सेना में अफसर बन गये हैं. अपने इस सफर में तन्मय मित्तल ने कई बार असफलताओं का सामना किया. इसके बाद भी तन्मय मित्तल ने कभी हर नहीं मानी. असफलताओं को सीढ़ी बनाकर आज तन्मय मित्तल ने सफलता की मंजिल पर पहुंचे हैं.
तन्मय मित्तल ने पहले ही अटेम्प्ट में NDA क्लियर कर लिया था, लेकिन, मेडिकल में उन्हें रिजेक्शन का सामना करना पड़ा. इसके बाद अपने दूसरे प्रयासों में भी तन्मय को सफलता नहीं मिल पाई. इसके बाद भी तन्मय ने अपनी हिम्मत को बनाए रखी. उन्होंने ग्रेजुएशन करने के बाद CDS क्लियर किया. तन्मय मित्तल कहते हैं भारतीय सैन्य अकादमी कैडेट्स को ऐसी असफलताओं में सफलता के मूल मंत्र सीखने हैं. सफल होने तक हालातों से लड़ने की सीख भी देते हैं. तैयारी करने के दौरान उन्हें व्यक्तिगत और पारिवारिक रूप से कई तरह की समस्याएं सामने आई. तमाम रिजेक्शन उनके लिए परेशानी बने. इसके बाद भी उन्होंने हार नहीं मानी.
लेफ्टिनेंट तन्मय मित्तल के पिता विपुल मित्तल आज काफी खुश हैं. विपुल मित्तत कहते हैं तन्मय के पास भी बिजनेस क्षेत्र में जाने का विकल्प था, लेकिन उन्होंने तन्मय को अपनी इच्छा के अनुसार भविष्य तलाश में का मौका दिया. कई बार तन में असफल हुआ लेकिन उसने अपने प्रयासों को जारी रखा. अपनी इसी काबिलियत के कारण वह आज अफसर बनने में कामयाब रहा है. तन्मय की मां कहती है कि जब उनका बेटा असफल होता था तो काफी बुरा लगता था. असफलताओं के बाद भी तन्मय ने मेहनत जारी रखी. ट्रेनिंग में आने के बाद भी उनकी तन्मय को लेकर चिंता बनी रहती थी. आज तन्मय ने अपना प्रशिक्षण पूरा कर लिया है. जिसकी उन्हें बेहद ज्यादा खुशी है.
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