जैसलमेर. देश की पश्चिमी राजस्थान से सटे रेगिस्तानी इलाके में भारतीय सेना व डीआरडीओ लगातार अपनी मारक क्षमता व युद्ध कौशल के साथ साथ अपने हथियारों का परीक्षण करती है. इसी कड़ी में एक बार फिर भारतीय सेना और डीआरडीओ ने एक परीक्षण कर पड़ोसी देश को अपनी ताकत का एहसास करवाया. भारतीय लाइट टैंक 'जोरावर' का शुरुआती ऑटोमोटिव परीक्षण किया गया है. भारतीय लाइट टैंक के डेवलपमेंटल फील्ड फायरिंग ट्रायल का पहला चरण सफल रहा. फील्ड ट्रायल ने रेगिस्तानी इलाकों में इच्छित उद्देश्यों को सफलतापूर्वक पूरा किया है. टेस्ट के दौरान टैंक ने तय टारगेट पर अपेक्षित सटीकता से निशाना साध. यह टेस्ट शुक्रवार को रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (DRDO) ने सफलतापूर्वक किया.
सैन्य सूत्रों ने बताया कि हल्का होने के चलते जोरावर पहाड़ी इलाकों में बहुत ही तेजी से चल सकता है. रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने भारतीय लाइट टैंक के सफल परीक्षणों के लिए डीआरडीओ, भारतीय सेना और सभी एसोशिएट भागीदारों की सराहना की है. प्रारंभिक चरण में टैंक के फायरिंग प्रदर्शन का कड़ाई से मूल्यांकन किया गया और इसने दिए गए लक्ष्यों पर आवश्यक सटीकता हासिल की. जोरावर टैंक को रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन की इकाई, लड़ाकू वाहन अनुसंधान एवं विकास प्रतिष्ठान ने लार्सन एंड टुब्रो लिमिटेड के सहयोग से सफलतापूर्वक विकसित किया है.
First phase of developmental field firing trails of Indian Light Tank successfully conducted. The field trials have successfully met the intended objectives in desert terrain. During trials the tank demonstrated required accuracy on the intended targets.@DefenceMinIndia pic.twitter.com/cm9qr4uHsJ
— DRDO (@DRDO_India) September 13, 2024
25 टन वजनी है जोरावर टैंक : सूत्रों ने बताया कि जोरावर की अनोखी बात है कि इसका वजन 25 टन है. साथ ही जोरावर टैंक की बेसिक बातों को पूरा करता है. इसमें पावर है, तेजी है और सेफ्टी है. जोरावर में सभी पैरामीटर मिल रहे हैं. सेना को सौंपे जाने के बाद 25 टन वाले इन टैंक को इंडियन एयरफोर्स के C-17 ग्लोब मास्टर के जरिए तैनाती वाली जगहों पर ले जाया जाएगा. एक बार में 2 टैंक ले जाए जा सकेंगे. हल्का होने के कारण जोरावर पहाड़ी इलाकों में बहुत तेजी से चल सकता है. अभी टी-72, टी-90 टैंक पहाड़ी इलाकों में तैनात हैं, जिनकी जगह जोरावर लेगा. सैन्य सूत्रों की मानें तो इस लाइट वेट जोरावर टैंक को लद्दाख जैसे हाई एल्टिट्यूड वाले इलाकों में तैनात किया जाएगा. रूस और यूक्रेन युद्ध से सबक लेते हुए टैंक में लोइटरिंग म्यूनिशन यूएसवी जोड़ा गया है. जोरावर को चीन के कम वजन के टैंक ZTQ टाइप-15 के मुकाबले के लिए तैयार किया गया है. गलवान घाटी में भारतीय सेना से हुई झड़प के बाद चीन ने ZTQ टाइप- 15 टैंक तैनात किए हैं. इंडियन आर्मी ने 200 टी-72 टैंकों को तैनात किया है. हालांकि, यह टैंक जोरावर के मुकाबले भारी हैं. ढाई साल से कम समय में 25 टन वजनी लाइट टैंक जोरावर डिजाइन करने के साथ ही उसका पहला प्रोटोटाइप भी बनाया और उसकी टेस्टिंग भी की गई है. जोरावर को सभी परीक्षणों के बाद साल 2027 तक भारतीय सेना में शामिल किए जाने की उम्मीद है.