चंडीगढ़: ब्लड प्रेशर जब हाई होता है तो हाइपरटेंशन का रूप ले लेता है और इसके लक्षण आंखों और चेहरों पर साफ दिखाई देते हैं. बीपी हाई का सीधा कनेक्शन आर्टिरियल्स धमनियों से है. आर्टिरियल्स का प्रमुख काम है शरीर में ब्लड रेगुलेट करना. जब ये पतली हो जाती है तो इंसान के दिल को ब्लड पंप करने में ज्यादा स्ट्रगल करना पड़ता है. जिसके कारण नसों में प्रेशर बढ़ जाता है.
रक्तचाप को नियंत्रण में रखना जरूरी: आज के बिजी लाइफस्टाइल में लोग अक्सर अपनी सेहत का ध्यान रखना भूल जाते हैं और कई बिमारियों का शिकार हो जाते हैं. ये बीमारियां कब जानलेवा बन जाए, इसका अंदाजा तक लगाना मुश्किल हो जाता है. हाई ब्लड प्रेशर भी एक ऐसी ही बीमारी है, जो सीधा-सीधा हमारे शरीर पर असर करती है. विश्व स्वास्थ्य संगठन की एक रिपोर्ट के मुताबिक, यदि हाई बीपी के पीड़ित अपने रक्तचाप को नियंत्रण में रखने का प्रबंधन करते हैं, तो 2040 तक भारत में कम से कम 50 लाख मौतों को रोका जा सकता है. इस बीमारी को रोकने के लिए सबसे ज्यादा जरूरी है हमारा खाना.
खाने में नमक की मात्रा करें कम: हाई बीपी वास्तव में हृदय संबंधी बीमारियां दुनिया में हो रही मृत्यु का प्रमुख कारण बन रही है. विशेषज्ञों का कहना है कि जब हाई ब्लड प्रेशर की बात आती है तो हर स्तर पर चुनौतियां होती है. हाल ही में चंडीगढ़ पीजीआई और द जॉर्ज इंस्टीट्यूट फॉर ग्लोबल हेल्थ की ओर से एक रिसर्च में बताया गया है कि 65 फीसदी लोग रोजाना खाने की थाली में चार गुना ज्यादा नमक खा रहे हैं. जिसकी वजह से उन्हें शुगर और हाइपरटेंशन जैसी समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है. जिसके चलते आए दिन मरीजों की संख्या में इजाफा हो रहा है.
समय पर चेकअप करना जरूरी: एंडोक्राइनोलॉजी विभाग की असिस्टेंट प्रोफेसर डॉ. रमा वालिया ने बताया कि पीजीआई में हाइपरटेंशन की समस्या को देखते हुए एक विशेष क्लिनिक भी चलाया जा रहा है. जिसकी स्पेशल ओपीडी हर शनिवार को लगाई जाती है. जहां सैकड़ों की संख्या में दूसरे राज्यों के लोग भी अपना इलाज कराने पहुंचते हैं. डॉक्टर की मानें तो लोगों को 20-30 साल की उम्र में पांच साल में एक बार हाई बीपी की जांच करानी शुरू कर देनी चाहिए. जब वे 50 साल के हो जाएं तो यह अवधि घटाकर हर साल में शुरू कर देनी चाहिए.
हाई ब्लड प्रेशर से बचाव के उपाय: उच्च रक्तचाप जैसी बीमारी से बचने के लिए अपनी जीवनशैली में कुछ बदलाव करने जरूरी है. ताकि इस बीमारी को रोका जा सके या फिर इससे बचाव किया जा सके. इसके लिए जरूरी है कि हमारा खाना पौष्टिक हो, नमक कम खाना चाहिए, धूम्रपान या शराब पीने से बचना चाहिए, शारीरिक गतिविधि को बढ़ाना चाहिए, तनाव कम करना चाहिए, नींद में सुधार करना चाहिए. एक बार निदान होने पर लोगों को दवाएं भी लेना शुरू करना चाहिए. सबसे जरूरी और खास है अपनी बॉडी का समय-समय पर चेकअप कराना.
इन कारणों से बढ़ती है बीमारी: एंडोक्राइनोलॉजी विभाग की असिस्टेंट प्रोफेसर डॉ. रमा वालिया ने बताया कि आज के दौर में आम लोग बाहर का खाना ज्यादा पसंद करते हैं. जिसमें नमक की मात्रा जरूरत से ज्यादा होती है. जो हाइपरटेंशन को बढ़ाने की मुख्य कारणों में से एक है. वहीं, दूसरी ओर लोगों का लगातार बैठे रहना कसरत ना करना और शराब और स्मोकिंग का सेवन लगातार करते रहना भी हाइपरटेंशन का मुख्य कारण माना जाता है. शारीरिक गतिविधियां कम करने से वजन भी ज्यादा बढ़ जाता है जो कि हाइपरटेंशन के लिए बेहद खतरनाक माना जाता है.
घर पर ऐसा खाना खाने से बचें: उन्होंने बताया कि बाहर का खाना भी हाइपरटेंशन का मुख्य कारण है. लेकिन घर में बनने वाला खाना भी हाइपरटेंशन की शिकायत को बढ़ा सकता है. लगातार नमक का ज्यादा इस्तेमाल करना. वहीं खाने में इस्तेमाल किए जाने वाले आचार जो की जरूरत से ज्यादा नहीं लेना चाहिए. उसे हमेशा हर एक समय के भोजन के साथ लिया जाता है. इसके अलावा कड़ाही में इस्तेमाल होने वाला तेल जिसका इस्तेमाल बार-बार किया जाता है, वह भी ट्रांस फैट का कारण बनता है. डॉ. रमा वालिया ने कहा कि नमक में कटौती करना सबसे आसान उपायों में से एक है. जिसका अच्छा प्रभाव हो सकता है.
कितना नमक खाना चाहिए: WHO एक दिन में केवल 2 ग्राम नमक खाने की सलाह देता है. रिपोर्ट से पता चलता है कि भारतीय औसतन एक दिन में 10 ग्राम नमक खाते हैं. रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि देश में 34% वयस्क शारीरिक रूप से निष्क्रिय हैं जबकि 4% मोटापे से ग्रस्त हैं. वहीं, 28% धूम्रपान करते हैं या तंबाकू चबाते हैं और अन्य नशा करते हैं. नशे का सेवन हमारे शरीर के लिए घातक साबित हो सकता है. इसलिए हमें नशा करने से बचना चाहिए.
नोट: इस बीमारी से संबंधित ज्यादा जानकारी के लिए आप अपने डॉक्टर से चेकअप करके सलाह ले सकते हैं.
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