पटना: बिहार बीजेपी दो कंधों पर मजबूत हुई, पहला नाम था कैलाशपति मिश्र का तो दूसरा नाम सुशील मोदी का था. दोनों नेताओं ने भारतीय जनता पार्टी को मजबूती प्रदान की, जिसका नतीजा रहा कि पार्टी बिहार की सत्ता में आई. सुशील मोदी ने छात्र राजनीति से सियासत की शुरुआत की थी. पटना विश्वविद्यालय में लंबे समय तक अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद की राजनीति करते रहे.
लालू के साथ की छात्र राजनीति: सुशील मोदी के राजनीतिक कैरियर की शुरुआत 1973 में पटना विश्वविद्यालय में छात्र संघ के महासचिव बनने के साथ शुरू हुई. लालू प्रसाद यादव छात्र संघ के अध्यक्ष थे और उन्हीं के सानिध्य में सुशील मोदी ने मुख्य धारा की राजनीति में कदम रखा. सुशील मोदी पटना विश्वविद्यालय में पढ़ाई के दौरान ही छात्र राजनीति में सक्रिय हो गए थे. वह 1971 में छात्र संघ के पांच सदस्य कैबिनेट के सदस्य भी निर्वाचित हुए थे. 1973 से लेकर 1977 तक वह पटना विश्वविद्यालय के छात्र संघ के महामंत्री के तौर पर हम करते रहे.
जेपी आंदोलन से मिली पहचान: 1974 में जब छात्र आंदोलन की कमान जेपी ने संभाली तो जेपी आंदोलन में सुशील मोदी भी कूद पड़े. आपातकाल के दौरान वह 19 महीने जेल में रहे. जयप्रकाश नारायण के आह्वान पर सुशील मोदी आंदोलन में सक्रिय हुए थे और अपनी एमएससी की पढ़ाई अधूरी छोड़ दी थी. आपातकाल के दौरान सुशील मोदी की पांच बार गिरफ्तारी हुई.
संघ से शुरुआती दौर से जुड़ाव: 1977 से 1986 तक सुशील मोदी स्टेट ऑर्गेनाइजिंग सेक्रेट्री ऑल इंडिया सेक्रेटरी इंचार्ज का अप एंड बिहार के अलावा विद्यार्थी परिषद के ऑफ इंडिया जनरल सेक्रेटरी पद पर आसीन रहे. सुशील मोदी 1983 से लेकर 1986 तक अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद में प्रदेश मंत्री के पद पर रहे. 1983 में उन्हें महासचिव बना दिया गया. राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ से उनका जुड़ाव शुरुआती दौर से रहा.
चारों सदनों का सदस्य बनने का मिला सौभाग्य: सुशील मोदी का जन्म 5 जनवरी 1952 को बिहार की राजधानी पटना में हुआ था. पिता मोतीलाल मोदी और माता रत्ना देवी ने सुशील मोदी की परवरिश की. शुरुआती दौर से ही सुशील मोदी राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ से जुड़े थे और वह आजीवन राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सदस्य रहे. सुशील मोदी को चारों सदनों का सदस्य रहने का गौरव प्राप्त हुआ. 1990 में वह पहली बार पटना मध्य से विधायक चुने गए.
चीन युद्ध के दौरान छात्रों को किया एकजुट: सुशील मोदी को लेकर दिलचस्प वाकया यह भी है कि 1962 के चीन युद्ध के दौरान उन्होंने स्कूली छात्रों को एकत्रित करने का काम किया था. सिविल डिफेंस में उन्हें कमांडेंट के तौर पर नियुक्त किया गया था. इसी दौरान वह आरएसएस से जुड़े थे और 1973 में पटना विश्वविद्यालय के स्टूडेंट यूनियन के जनरल सेक्रेटरी बने थे.
कई देशों का किया दौरा, किताबें भी लिखी: सुशील मोदी मेधावी छात्र भी थे. साइंस कॉलेज में उन्हें नामांकन मिला और वहां से उन्होंने 1973 में बॉटनी ऑनर्स की डिग्री ली. जेपी आंदोलन के चलते सुशील मोदी ने एमएससी की पढ़ाई पूरी नहीं की. उन्होंने दो किताबें भी लिखी. 'क्या बिहार भी बनेगा असम' और 'रिजर्वेशन' नाम की पुस्तक उनके नाम से प्रकाशित हुई. सुशील मोदी चीन, फ्रांस, हॉलैंड, इजरायल श्रीलंका, मॉरीशस, इटली, स्विट्जरलैंड, यूके और यूएसए का दौरा भी कर चुके हैं.
ये भी पढ़ें: