सूरत: दक्षिण गुजरात में रहने वाले हर संप्रदाय और धर्म के लोगों को रमजान महीने का इंतजार रहता है. इसके पीछे मुख्य कारण सूरत के रांदेर इलाके में स्थित रमजान बाजार है. 150 साल पुराने इस रमजान बाजार में लोगों को एक, दो या तीन नहीं बल्कि कई स्वादिष्ट व्यंजनों का स्वाद चखने को मिलता हैं. यही कारण है कि रांदेर इलाके के सभी धर्मों के लोग हर साल रमजान महीने का बेसब्री से इंतजार करते हैं.
दक्षिण गुजरात में रहने शायद ही कोई ऐसा व्यक्ति होगा जो रांदेर इलाके में स्थित रमजान बाजार के बारे में नहीं जानता होगा. इस बाजार में मिलने वाले स्वादिष्ट व्यंजनों का नाम सुनते ही हर किसी के मुंह में पानी आ जाता है. साल में एक बार रमजान के महीने में 30 दिनों तक इस बाजार में लोगों को तरह-तरह के व्यंजनों का स्वाद चखने को मिलता है. खासतौर पर रंगुनी पराठा, खावसे, लाफे, रंगुनी कुल्फी जैसे व्यंजन खाने के लिए लोग साल भर इंतजार करते हैं.
रमजान के पवित्र महीने में लगने वाले इस खास रमजान बाजार की बात करें तो इस बाजार का इतिहास डेढ़ सौ साल पुराना है. सिर्फ लजीज व्यंजनों के लिए ही नहीं बल्कि यह बाजार सांप्रदायिक एकता के लिए भी जाना जाता है. यहां के सभी व्यापारी मुस्लिम समुदाय से हैं. लेकिन इन स्वादिष्ट व्यंजनों को खाने के लिए हिंदू समुदाय के लोग बड़ी संख्या में यहां आते हैं.
रमजान बाजार विशेष रूप से बाहर घूमने और खाने के लिए बड़ी संख्या में लोगों को आकर्षित करता है. यहां सभी धर्म और संप्रदाय के लोग एक साथ नजर आते हैं. सबसे खास बात तो यह है कि यह बाजार दोपहर 3 बजे से शुरू होता है और सुबह के 3 बजे तक चलता है. रांदेर क्षेत्र के तीन पत्ती से रांदेर बस स्टॉप तक लगभग 100 छोटी-बड़ी दुकानें स्थित हैं. जिसमें लोगों को खाने के लिए अलग-अलग वैरायटी मिलती है. यहां नॉनवेज व्यंजनों के शौकीन बड़ी संख्या में पाए जाते हैं. यहां 30 रुपये से 150 की रुपये तक की एक से बढ़कर एक डिश मिलती है.
तीन पीढ़ियों से इस बाजार में कारोबार कर रहे इलियासभाई ने कहा कि हमारे दादाजी ने यह दुकान शुरू की थी, हम तीन पीढ़ियों से इस बाजार में कारोबार कर रहे हैं. हम बहुत छोटे थे इसलिए हमें भी नहीं पता की यह बाजार कब शुरू हुआ था. हां, लेकिन इस बाजार का इतिहास लगभग 150 साल पुराना है. इलियासभाई ने आगे बताया कि इस बाजार के मशहूर पराठे लोगों को खूब पसंद आते हैं. रमजान के महीने में मांग दोगुनी हो जाती है. यहां हर वर्ग के लोग आते हैं. यहां किसी को किसी प्रकार की कोई परेशानी नहीं होती है.
वहीं, एक ग्राहक अंकित ने कहा कि मैं बचपन से इस बाजार में आ रहा हूं. मैं पूरे साल इस बाजार मे मिलने वाले व्यंजनों का इंतजार करता हूं. यहां साल में सिर्फ एक बार ही लजीज डिश खाई जाती है. कोई भी खाने का शौकीन रमजान के महीने के आने का इंतजार जरूर करता है. पेशे से वकील वसंत ने बताया कि हर साल रमजान के महीने में लोग यहां आते हैं. यहां का परांठा बहुत मशहूर है. कई लोग इंतजार कर रहे हैं कि कब रमजान का महीना शुरू होगा और कब हम यहां परांठे खाने आएंगे. खासकर रविवार को यहां काफी भीड़ रहती है. दूर-दूर से लोग इस बाजार में आते हैं.