नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को संपत्ति विवाद में बड़ा फैसला सुनाया है. कोर्ट ने फैसला सुनाते हुए कहा कि सभी निजी संपत्ति सार्वजनिक संसाधन नहीं है. कुछ निजी संपत्ति फिजिकल रिसोर्स हो सकती हैं. मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ की अगुवाई वाली नौ न्यायाधीशों की पीठ ने कहा कि संविधान के असंशोधित अनुच्छेद 31सी का पहला भाग अभी भी लागू है.
पीठ में न्यायमूर्ति हृषिकेश रॉय, बी वी नागरत्ना, सुधांशु धूलिया, जे बी पारदीवाला, मनोज मिश्रा, राजेश बिंदल, सतीश चंद्र शर्मा, ऑगस्टीन जॉर्ज मसीह शामिल थे. बेंच ने कहा कि संविधान का मसौदा तैयार करते समय निर्माताओं का दृष्टिकोण भविष्य की सरकारों के लिए किसी विशेष प्रकार की सामाजिक संरचना या आर्थिक नीति निर्धारित करना नहीं था. भारत की आर्थिक प्रगति का हवाला देते हुए, सीजेआई ने कहा कि मतदाताओं ने नियमित रूप से एक आर्थिक हठधर्मिता को खारिज कर दिया है.
पीठ ने कहा कि सभी निजी संपत्तियों को राज्य द्वारा अपने अधीन नहीं किया जा सकता है. सुप्रीम कोर्ट ने 8 -1 के बहुमत से फैसला सुनाया कि सभी निजी संपत्तियों को सार्वजनिक फिजिकल रिसोर्स के रूप में वर्गीकृत नहीं किया जा सकता है, जिन्हें राज्य संविधान के अनुच्छेद 39 (बी) में राज्य नीति के निर्देशक सिद्धांतों के तहत समान रूप से पुनर्वितरित करने के लिए बाध्य है.
अनुच्छेद 31सी को चुनौती
बता दें कि मामले से जुड़ी याचिका में अनुच्छेद 31सी को चुनौती दी गई थी, जो अनुच्छेद 39(बी) और (सी) के तहत बनाए गए कानून की रक्षा करता है. यह राज्य को सार्वजनिक हित के लिए वितरण के लिए निजी संपत्तियों सहित समुदाय के फिजिकल रिसोर्स को अपने नियंत्रण में लेने का अधिकार देता है.
42वें संशोधन के दो प्रावधानों को असंवैधानिक घोषित किया
इतना ही नहीं अदालत ने 1980 के मिनर्वा मिल्स मामले में 42वें संशोधन के दो प्रावधानों को असंवैधानिक घोषित किया था, जो किसी भी संवैधानिक संशोधन को किसी भी आधार पर किसी भी अदालत में प्रश्नगत किए जाने से रोकता था और व्यक्तियों के मौलिक अधिकारों पर राज्य नीति के निर्देशक सिद्धांतों को वरीयता देता था.
1 मई को फैसला रक्षा था सुरक्षित
पीठ ने इस साल 1 मई को सुनवाई के बाद निजी संपत्ति मामले में अपना फैसला सुरक्षित रख लिय था. उस समय कोर्ट1 ने टिप्पणी की थी कि अगर सभी निजी संपत्तियों को संविधान के अनुच्छेद 39(बी) के तहत समुदाय के फिजिकल रिसोर्स माना जा सकता है और परिणामस्वरूप, राज्य जनरल वेलफेयर के लिए उन्हें अपने अधीन ले सकता है, तो भविष्य की पीठ के लिए कुछ भी नहीं बचेगा.