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सुप्रीम कोर्ट ने ज्ञानवापी मस्जिद के 'व्यास तहखाना' में पूजा रोकने से किया इनकार - Supreme Court News - SUPREME COURT NEWS

Supreme Court News, सुप्रीम कोर्ट ने ज्ञानवापी मस्जिद के व्यास तहखाना में पूजा करने से रोक लगाने वाली याचिका पर फैसला सुनाते हुए पूजा करने से रोकने से इनकार कर दिया. इस मामले में भारत के मुख्य न्यायाधीश डी वाई चंद्रचूड़ और न्यायमूर्ति जे बी पारदीवाला और न्यायमूर्ति मनोज मिश्रा की अध्यक्षता वाली तीन-न्यायाधीशों की पीठ सुनवाई कर रही थी.

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सुप्रीम कोर्ट
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By Sumit Saxena

Published : Apr 1, 2024, 3:58 PM IST

नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने ज्ञानवापी मस्जिद के 'व्यास तहखाना' (संरचना के दक्षिणी तहखाने में) में 'पूजा' करने से रोकने से इनकार कर दिया. हालांकि, शीर्ष अदालत ने मस्जिद परिसर के अंदर हिंदुओं द्वारा धार्मिक अनुष्ठानों पर यथास्थिति बनाए रखने का आदेश दिया.

मस्जिद समिति ने इलाहाबाद उच्च न्यायालय के आदेश के खिलाफ शीर्ष अदालत का रुख किया था, जिसने वाराणसी जिला अदालत के आदेश के खिलाफ मुस्लिम पक्ष की याचिका पर विचार करने से इनकार कर दिया और ज्ञानवापी मस्जिद के 'व्यास तहखाना' में 'पूजा' करने की अनुमति दी थी.

भारत के मुख्य न्यायाधीश डी वाई चंद्रचूड़ और न्यायमूर्ति जे बी पारदीवाला और न्यायमूर्ति मनोज मिश्रा की अध्यक्षता वाली तीन-न्यायाधीशों की पीठ ने कहा कि मस्जिद समिति की याचिका पर नोटिस जारी करना उचित होगा. पीठ ने कहा कि तहखाना की पहुंच दक्षिणी तरफ से है और नमाज अदा करने के लिए मस्जिद तक पहुंच उत्तरी तरफ से है.

पीठ ने कहा कि 'इस तथ्य को ध्यान में रखते हुए कि मुसलमानों द्वारा नमाज़ बिना किसी बाधा के पढ़ी जाती है, और हिंदू पुजारियों द्वारा पूजा और आराधना तहखाना तक ही सीमित है, इसलिए यथास्थिति बनाए रखना उचित होगा.' शीर्ष अदालत ने अपने आदेश में कहा कि 'यथास्थिति बनाए रखना महत्वपूर्ण है, ताकि दोनों समुदाय उपरोक्त शर्तों के अनुसार धार्मिक पूजा कर सकें.'

अंजुमन इंतेज़ामिया मसाजिद कमेटी का प्रतिनिधित्व कर रहे वरिष्ठ वकील हुज़ेफ़ा अहमदी ने यह बात कही कि अत्यंत सम्मान के साथ, यह ट्रायल कोर्ट और फिर उच्च न्यायालय द्वारा पारित एक असाधारण आदेश है, और आदेश का प्रभाव अंतरिम चरण में अंतिम राहत देना है.

अहमदी ने कहा कि उन्होंने जगह पर कब्जा कर लिया है और पूजा हो रही है. उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि कोर्ट के अंतरिम आदेश से प्रभावी रूप से 1993 यानी 30 साल पहले की यथास्थिति बहाल हो गई है. मस्जिद समिति ने शीर्ष अदालत के समक्ष अपनी आशंका व्यक्त की कि ज्ञानवापी मस्जिद पर धीरे-धीरे कब्जा किया जा रहा है.

मस्जिद समिति के वकील ने कहा कि 'इस आदेश पर रोक लगाने के लिए एक जबरदस्त मामला बनाया गया है… यह तथ्य कि तहखाने में कोई पूजा आयोजित की गई थी, यह भी एक तर्क है… अब अन्य क्षेत्रों में काम करने के लिए आवेदन लंबित हैं... गंभीर आशंका यह है कि धीरे-धीरे हम पूरी मस्जिद खो देंगे.' हिंदू पक्ष का प्रतिनिधित्व वरिष्ठ वकील श्याम दीवान और वकील विष्णु शंकर जैन ने किया.

नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने ज्ञानवापी मस्जिद के 'व्यास तहखाना' (संरचना के दक्षिणी तहखाने में) में 'पूजा' करने से रोकने से इनकार कर दिया. हालांकि, शीर्ष अदालत ने मस्जिद परिसर के अंदर हिंदुओं द्वारा धार्मिक अनुष्ठानों पर यथास्थिति बनाए रखने का आदेश दिया.

मस्जिद समिति ने इलाहाबाद उच्च न्यायालय के आदेश के खिलाफ शीर्ष अदालत का रुख किया था, जिसने वाराणसी जिला अदालत के आदेश के खिलाफ मुस्लिम पक्ष की याचिका पर विचार करने से इनकार कर दिया और ज्ञानवापी मस्जिद के 'व्यास तहखाना' में 'पूजा' करने की अनुमति दी थी.

भारत के मुख्य न्यायाधीश डी वाई चंद्रचूड़ और न्यायमूर्ति जे बी पारदीवाला और न्यायमूर्ति मनोज मिश्रा की अध्यक्षता वाली तीन-न्यायाधीशों की पीठ ने कहा कि मस्जिद समिति की याचिका पर नोटिस जारी करना उचित होगा. पीठ ने कहा कि तहखाना की पहुंच दक्षिणी तरफ से है और नमाज अदा करने के लिए मस्जिद तक पहुंच उत्तरी तरफ से है.

पीठ ने कहा कि 'इस तथ्य को ध्यान में रखते हुए कि मुसलमानों द्वारा नमाज़ बिना किसी बाधा के पढ़ी जाती है, और हिंदू पुजारियों द्वारा पूजा और आराधना तहखाना तक ही सीमित है, इसलिए यथास्थिति बनाए रखना उचित होगा.' शीर्ष अदालत ने अपने आदेश में कहा कि 'यथास्थिति बनाए रखना महत्वपूर्ण है, ताकि दोनों समुदाय उपरोक्त शर्तों के अनुसार धार्मिक पूजा कर सकें.'

अंजुमन इंतेज़ामिया मसाजिद कमेटी का प्रतिनिधित्व कर रहे वरिष्ठ वकील हुज़ेफ़ा अहमदी ने यह बात कही कि अत्यंत सम्मान के साथ, यह ट्रायल कोर्ट और फिर उच्च न्यायालय द्वारा पारित एक असाधारण आदेश है, और आदेश का प्रभाव अंतरिम चरण में अंतिम राहत देना है.

अहमदी ने कहा कि उन्होंने जगह पर कब्जा कर लिया है और पूजा हो रही है. उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि कोर्ट के अंतरिम आदेश से प्रभावी रूप से 1993 यानी 30 साल पहले की यथास्थिति बहाल हो गई है. मस्जिद समिति ने शीर्ष अदालत के समक्ष अपनी आशंका व्यक्त की कि ज्ञानवापी मस्जिद पर धीरे-धीरे कब्जा किया जा रहा है.

मस्जिद समिति के वकील ने कहा कि 'इस आदेश पर रोक लगाने के लिए एक जबरदस्त मामला बनाया गया है… यह तथ्य कि तहखाने में कोई पूजा आयोजित की गई थी, यह भी एक तर्क है… अब अन्य क्षेत्रों में काम करने के लिए आवेदन लंबित हैं... गंभीर आशंका यह है कि धीरे-धीरे हम पूरी मस्जिद खो देंगे.' हिंदू पक्ष का प्रतिनिधित्व वरिष्ठ वकील श्याम दीवान और वकील विष्णु शंकर जैन ने किया.

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