नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को दिल्ली शराब नीति मामले से जुड़े भ्रष्टाचार के एक मामले में व्यवसायी अमनदीप सिंह ढल्ल को जमानत दे दी. इस आदेश के बाद शराब नीति मामले के सभी आरोपियों को जमानत मिल गई है.
इससे पहले सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली के पूर्व मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल, आम आदमी पार्टी (AAP) नेता मनीष सिसोदिया, संजय सिंह और बीआरएस एमएलएस के कविता को कथित दिल्ली आबकारी नीति मामले में जमानत दी थी.
500 दिन से जेल में बंद
जस्टिस सूर्यकांत और उज्जल भुइयां की पीठ ने कहा कि सीबीआई के मामले में करीब 300 गवाह हैं, जिनकी जांच केंद्रीय एजेंसी करना चाहती है और इसके परिणामस्वरूप, मुकदमा जल्द समाप्त होने की संभावना नहीं है. पीठ ने कहा कि ढल्ल 500 दिनों से अधिक समय से जेल में बंद है और उसे और हिरासत में रखने से कोई फायदा नहीं होगा.
ढल्ल का प्रतिनिधित्व कर रहे वरिष्ठ अधिवक्ता सिद्धार्थ दवे ने पीठ के समक्ष दलील दी कि उनके मुवक्किल को छोड़कर सभी सह-आरोपियों को जमानत मिल गई है. इससे पहले, ढल्ल को शराब नीति से संबंधित मनी लॉन्ड्रिंग मामले में जमानत दी गई थी.
सुप्रीम कोर्ट ने ढल्ल को राहत देते हुए स्पष्ट किया कि उसने मामले की योग्यता के आधार पर कोई टिप्पणी नहीं की है.अदालत ने कहा कि जमानत ट्रायल कोर्ट द्वारा निर्धारित शर्तों के अधीन है.
सुनवाई के दौरान पीठ ने सीबीआई के वकील से कहा कि वे दोषसिद्धि दर पर ध्यान केंद्रित करें और सफेदपोश अपराधियों को संदेश दिया जाना चाहिए. पीठ ने सीबीआई के वकील से कहा, "आपकी दोषसिद्धि दर...आपको उस पर ध्यान केंद्रित करना चाहिए. आपको गवाहों की संख्या के बजाय उनकी क्वालिटी पर ध्यान केंद्रित करने की जरूरत है."
दिल्ली हाई कोर्ट के फैसले को चुनौती
सुप्रीम कोर्ट ने ढल्ल की उस याचिका पर यह आदेश पारित किया, जिसमें उन्होंने दिल्ली हाई कोर्ट के 4 जून 2024 के फैसले को चुनौती दी थी. इसमें सीबीआई के मामले में उन्हें नियमित जमानत देने से इनकार कर दिया गया था. सीबीआई ने पिछले साल अप्रैल में इस मामले के सिलसिले में उन्हें गिरफ्तार किया था.
केंद्रीय एजेंसियों के अनुसार ढल्ल ने कथित तौर पर अन्य आरोपियों के साथ मिलकर साजिश रची और शराब नीति के निर्माण में एक्टिव रूप में शामिल था और AAP को रिश्वत देने और विभिन्न तरीकों से साउथ ग्रुप द्वारा इसकी वसूली करने में मदद की. सीबीआई और ईडी के अनुसार, आबकारी नीति को संशोधित करते समय अनियमितताएं की गईं और लाइसेंस धारकों को अनुचित लाभ पहुंचाया गया.
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