नई दिल्ली: दिल्ली में दीपावली के बाद वायु प्रदूषण के खतरनाक स्तर पर पहुंच गया है. सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को इस संबंध में दिल्ली सरकार और अन्य अधिकारियों से राष्ट्रीय राजधानी में पटाखों के इस्तेमाल पर स्थायी प्रतिबंध के मुद्दे पर फैसला लेने को कहा.
शीर्ष अदालत ने दिल्ली में पटाखों पर प्रतिबंध लागू न किए जाने पर कड़ी आलोचना की और दिल्ली सरकार तथा दिल्ली के पुलिस आयुक्त को निर्देश दिया कि वे एक सप्ताह के भीतर हलफनामा दाखिल कर इस साल प्रतिबंध लागू करने के लिए उठाए गए कदमों के साथ-साथ अगले साल प्रतिबंध का अनुपालन सुनिश्चित करने के लिए उठाए गए कदमों के बारे में भी बताएं.
शीर्ष अदालत ने कहा कि यह स्पष्ट है कि पटाखों पर प्रतिबंध के संबंध में उसके आदेश का पालन नहीं किया गया और दिवाली के आसपास पराली जलाने की घटनाएं भी बढ़ गईं.
दिल्ली के कई इलाकों में हवा की गुणवत्ता गंभीर स्तर को पार कर गई क्योंकि पीएम 2.5 की मात्रा बढ़ गई, जिससे सांस संबंधी खतरनाक स्थिति पैदा हो गई है.
पीएम 2.5 स्तर 2022 की तुलना में 34 प्रतिशत अधिक
जस्टिस अभय ओका और जस्टिस ऑगस्टीन जॉर्ज मसीह की पीठ ने सोमवार को कहा कि दिल्ली में पटाखों पर प्रतिबंध लागू न किए जाने का असर सीएसई की रिपोर्ट से बहुत स्पष्ट है. सेंटर फॉर साइंस एंड एनवायरनमेंट (सीएसई) द्वारा शनिवार को जारी एक रिपोर्ट के अनुसार, इस साल दिवाली की आधी रात को पार्टिकुलेट मैटर (पीएम) 2.5 का अधिकतम सांद्रता स्तर 2022 और 2023 की तुलना में 13 प्रतिशत अधिक था. सीएसई ने यह भी पाया कि इस साल दिवाली पर पीएम 2.5 का स्तर 2022 में त्योहार की रात की तुलना में 34 प्रतिशत अधिक था.
पीठ ने कहा कि रिपोर्ट से पता चलता है कि इस दिवाली पर प्रदूषण का स्तर अब तक के उच्चतम स्तर पर था और यह 2022 और 2023 की दिवाली से कहीं अधिक था.
जस्टिस ओका ने आदेश सुनाते हुए कहा, "इसके अलावा, रिपोर्ट से संकेत मिलता है कि दिवाली के दिनों में खेतों में पराली जलाने की घटनाएं बढ़ जाती हैं. हम दिल्ली सरकार को निर्देश देते हैं कि वह पटाखों के इस्तेमाल पर प्रतिबंध लगाने के आदेशों और इसे लागू करने के लिए दिल्ली सरकार द्वारा उठाए गए कदमों को रिकॉर्ड में रखते हुए विस्तृत हलफनामा दाखिल करे."
जस्टिस ओका ने कहा, "हम दिल्ली के पुलिस आयुक्त को नोटिस जारी करते हैं, जिसमें उनसे दिल्ली में पटाखों के जलाने पर पूर्ण प्रतिबंध लागू करने के लिए पुलिस द्वारा उठाए गए कदमों को दर्शाने वाला हलफनामा दाखिल करने को कहा जाता है."
शीर्ष अदालत ने कहा कि हलफनामा दाखिल करते समय दिल्ली सरकार और पुलिस को यह बताना होगा कि पटाखों के जलाने पर प्रतिबंध को पूरी तरह लागू करने के लिए वे अगले साल क्या प्रभावी कदम उठाने का प्रस्ताव रखते हैं और लोगों में जागरूकता लाने के लिए क्या उपाय किए गए हैं. पीठ ने कहा, "हम हरियाणा और पंजाब की सरकारों को अक्टूबर के आखिरी 10 दिनों के दौरान पराली जलाने की घटनाओं की संख्या का ब्योरा देते हुए हलफनामा दाखिल करने का भी निर्देश देते हैं."
पीठ ने मामले में अगली सुनवाई 14 नवंबर को निर्धारित की है और कहा है कि दिल्ली पुलिस और सरकार को आज से एक सप्ताह के भीतर हलफनामा दाखिल करना चाहिए.
दिल्ली में खेतों में पराली जलाने पर भी मांगी रिपोर्ट
दिल्ली सरकार हलफनामा दाखिल करते समय यह भी बताएगी कि क्या दिल्ली में खेतों में पराली जलाने की घटनाएं हुई हैं. एक वकील ने दलील दी कि यह प्रतिबंध केवल दिवाली पर ही नहीं होना चाहिए, बल्कि इसे अगले कुछ महीनों में आने वाले शादियों के मौसम के दौरान भी बढ़ाया जाना चाहिए.
पीठ ने कहा, "हम ऐसा ही करने का प्रस्ताव रखते हैं, लेकिन हम सिर्फ यह देखना चाहते हैं कि पारित आदेश पर क्या अमल हुआ है. हम ऐसा करने का प्रस्ताव रखते हैं. अन्य त्योहार भी हैं...शादियां, चुनाव." जस्टिस ओका ने कहा, "इस बीच, दिल्ली सरकार और अन्य अधिकारी दिल्ली में पटाखों के जलाने पर स्थायी प्रतिबंध के मुद्दे पर भी निर्णय लेंगे."
दिल्ली एनसीआर में पटाखों पर प्रतिबंध लागू नहीं किया गया...
सुनवाई के दौरान, सुप्रीम कोर्ट ने कहा, "ऐसी कई खबरें हैं कि दिल्ली एनसीआर में पटाखों पर प्रतिबंध बिल्कुल भी लागू नहीं किया गया, जबकि यह प्रदूषण कम करने के लिए महत्वपूर्ण उपाय माना जाता है."
पटाखों पर प्रतिबंध लगाने के लिए एक तंत्र विकसित करने की आवश्यकता पर जोर देते हुए पीठ ने पूछा कि पटाखों पर प्रतिबंध लगाने का आदेश क्या है और इसे कैसे लागू किया जा रहा है. पीठ ने दिल्ली सरकार से कहा, "कुछ काम किया जाना चाहिए" और उसे 2025 में वायु प्रदूषण को रोकने के लिए "कम से कम अगले साल के लिए" एक तंत्र विकसित करने के लिए कहा.
सुप्रीम कोर्ट दिल्ली में वायु प्रदूषण से जुड़े एक मामले में सुनवाई कर रहा था.
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