सुपौलः बिहार का शोक कही जानेवाली कोसी नदी एक बार फिर कई इलाकों में तबाही मचा रही है. नदी के जलस्तर में रिकॉर्ड बढ़ोतरी के बाद सुपौल जिले में जनजीवन पूरी तरह अस्त-व्यस्त हो चुका है. कोसी की धार की मार से लोग बेहाल और जिंदगी की जंग लड़ रहे हैं. खासकर तटबंध के भीतर बसे लोगों को तो कोई आसरा नहीं नजर आ रहा है. आशियाने डूब चुके हैं, खाने-पीने के सभी साधन छिन चुके हैं और लोगों के सामने पलायन के अलावा कोई रास्ता नहीं बचा है.
प्रशासन के इंतजामों के भरोसे जिंदगीः बाढ से पीड़ित परिवार दहशत में हैं. तटबंध के भीतरी इलाके में ऐसा एक भी गांव नहीं है जहां नदी का पानी तीन से चार फीट जमा नहीं है. लोगों के आवागमन का एक मात्र सहारा नाव ही रह गयी है. कई कच्ची सड़कें ध्वस्त हो चुकी है. वहीं कई पक्की सड़कों के पानी की तेज-धारा बह रही है. वहीं भोजन-पानी का इंतजाम जरूर प्रशासन की ओर से किया गया है. पीड़ित परिवारों को सूखा राशन के साथ-साथ विस्थापित हुए परिवारों को सामुदायिक किचन के जरिए दोनों वक्त का खाना मिल रहा है.
पशुचारे की भारी किल्लतः बाढ़ पीड़ितों की सबसे बड़ी समस्या है अपने पशुधन की रक्षा और उनके लिए पशुचारे की व्यवस्था करना. खेती के अलावा पूरे इलाके के लोगों की जीविका का सबसे बड़ा साधन पशुपालन ही है. ऐसे में शनिवार की आधी रात बौराई कोसी नदी का पानी इलाके में घुसा तो लोगों को सबसे पहले अपने पशुधन की चिंता सताने लगी. नदी का पानी इतना फैल चुका था कि लोग पशुओं को लेकर ऊंचे स्थान की ओर ले जाने से डर रहे थे. हालांकि इन पशुपालकों के लिए जिला प्रशासन ने पशुचारे की भी व्यवस्था की है, लेकिन ये पर्याप्त नहीं साबित हो रही है.
अपील की अनदेखी पर बढ़ीं मुश्किलेंः वैसे तो संभावित बाढ़ को लेकर जिला प्रशासन ने शुक्रवार को ही हाई अलर्ट जारी कर दिया था. तटबंध के भीतर और गाइड बांध के आस-पास बसे लोगों से ऊंचे स्थान पर पहुंचने के लिए माईकिंग करायी गयी. साथ ही जनप्रतिनिधि के माध्यम से भी ऐसे परिवारों को बाहर आ जाने की अपील की गयी थी, लेकिन कई लोग अपने घर छोड़कर बाहर नहीं निकले और आखिरकार पानी फैलने के बाद मुश्किल में आ गये.
राहत-बचाव का कार्य लगातार जारीः शनिवार को कोसी का पानी जब कई गांवों में तबाही मचाने लगा तो प्रशासन की ओर से राहत-बचाव का काम भी पूरी तेजी से चलाया गया. बाढ़ में घिरे लोगों को सुरक्षित निकालने के साथ-साथ ऊंचे स्थानों पर बने आश्रयस्थलों तक पहुंचाने के राहत-बचाव दल जुट गये. NDRF और SDRF के जांबाज जवानों ने लाचार, बीमार, बच्चे, बुजुर्ग सहित नवजात और प्रसूताओं को नाव के सहारे सुरक्षित स्थानों पर पहुंचाया. NDRF और SDRF की टीम अभी भी तटबंध के भीतर कैप कर रही है.
जलस्तर में कमी से राहत की सांसः कोसी नदी के जलस्तर में जिस प्रकार वृद्धि हो रही थी, उससे जिला प्रशासन के हाथ-पांव फूले हुए थे.डीएम कौशल कुमार सुबह से लेकर रात तक तटबंध, पीड़ित परिवार, अभियंताओं की ड्यूटी, फ्ल्ड फाइटिंग कार्य सहित बाढ़ सुरक्षात्मक कार्यो की मॉनटिरिंग करते रहे. कोसी बराज व बराह क्षेत्र के डिस्चार्ज पर पल-पल की अपडेट ले रहे थे. लेकिन नेपाल के साथ-साथ बिहार में भी बारिश थमने के बाद कोसी के जलस्तर में कमी दर्ज होने के बाद प्रशासन ने राहत की सांस ली है.
खतरा अभी भी बरकरारः शनिवार की आधी रात रात्रि से नदी के डिस्चार्ज में कमी आने लगी. लिहाजा नदी के स्वभाव के अनुसार धारा तेज होने लगी. जिस कारण कई स्पर और गाइड बांध पर नदी आक्रमक होने लगी. जिसे नियंत्रण करने में जल संसाधन विभाग के अभियंताओं की टीम जुटी रही. बहरहाल नदी के नेचर के अनुसार खतरा कम हुआ है. लेकिन खतरा टला नहीं है. नदी का जलस्तर जिस प्रकार से कम हो रहा है, उसी प्रकार कोसी बराज पर नदी का दबाव कम हो रहा है.
अभी भी सभी 56 फाटक खोलकर रखे गयेः नदी का दबाव कम होने के बाद बराज पर वाहनों का आवागमन भी शुरू कर दिया गया है. लेकिन पानी के बहाव को लेकर अब भी सभी 56 फाटकों को खोलकर रखा गया है. यह पानी तटबंध के भीतर तीन से चार घंटे में जब फैलेगा तो निश्चित रूप से पीड़ित परिवारों की मुश्किलें बढ़ेगी. रविवार की शाम तक कोसी बराज पर नदी का डिस्चार्ज 03 लाख 34 हजार 290 क्यूसेक से घटते क्रम में दर्ज किया गया. वहीं जल अधिग्रहण क्षेत्र बराह में भी नदी के जलस्तर में कमी दर्ज की जा रही है. जहां नदी का डिस्चार्ज 01 लाख 88 हजार 500 क्यूसेक रिकॉर्ड किया गया.