सरगुजा: छत्तीसगढ़ में आदिवासी महिलाओं की सुरक्षा के लिए एक महिला ने खास पहल की है. यहां की एक वनवासी स्वच्छाग्राही दूसरे महिलाओं के घर-घर जाकर न सिर्फ महिलाओं को जागरूक कर रही है, बल्कि उनको बेहतर जीवन जीने के लिए विकल्प भी दे रही है. हम बात कर रहे हैं सरगुजा के आदिवासी अंचल बतौली विकासखंड के मंगारी गांव में रहने वाली मुनीता की.
दरअसल, मुनीता एक वनवासी स्वच्छाग्राही हैं. 33 साल की उम्र में इस ग्रामीण महिला ने कमाल कर दिखाया है. घर बैठे इन्होंने ऐसा बिजनेस शुरू किया है, जिससे सालाना 9 लाख का मुनाफा भी हो रहा है. मुनीता ने अपने साथ करीब 200 महिलाओं को भी रोजगार दिया है.मुनीता के समूह का नाम शिवशक्ति संघ स्वस्छता समूह है. बड़ी बात यह है कि इनके स्वरोजगार ने क्षेत्र में माहवारी स्वच्छता जागरूकता के क्षेत्र में क्रांति पैदा कर दी है.
बाजार में मिलने वाले पैड से है बिल्कुल अलग: जिले के बतौली विकासखंड की 42 ग्राम पंचायतों के 56 गांव सहित आस पास के अन्य विकासखंड के गांव में भी यह काम चल रहा है. अब इन गांवों में महिलाएं पीरियड्स के दौरान गंदे कपड़े की जगह सेनेटरी पैड यूज कर रही हैं. बड़ी बात यह है कि ये सेनेटरी पैड बाजार में मिलने वाला सामान्य पैड नहीं है बल्कि ये बायो डिग्रेडेबल सेनेटरी पैड है. ये पैड उपयोग के बाद नष्ट हो जाता है. यानी कि मिट्टी में मिल जाता है, इससे सेनेटरी वेस्ट के निपटारे की समस्या भी नहीं होती है.
माहवारी के प्रति कर रही महिलाओं को जागरूक: मंगारी गांव की महिला मुनीता ने अपने परिश्रम और मजबूत इरादों से क्षेत्र के कई गांवों की तस्वीर बदल दी हैं. इनके द्वारा माहवारी स्वच्छता प्रबंधन को लेकर साल 2018 से सतत रूप से काम किया जा रहा है. जहां ये जनपद क्षेत्र बतौली के 54 गांव के साथ-साथ जनपद सीतापुर और मैनपाट के कई ग्रामों में सेनेटरी पैड का विक्रय करते हुये. अपने अलावा अन्य महिलाओं को भी व्यक्तिगत स्वच्छ माहवारी स्वच्छता प्रबंधन के लिए जागरूक कर रहीं हैं.
हर माह होती है कमाई: मुनीता की मानें तो बायो डिग्रेडेबल सेनेटरी पैड का एक पैड मुनीता को 40 रुपये का पड़ता है. वो इसे 50 रुपये में बेचती हैं. महीने में कभी 50 तो कभी 70 हजार की बिक्री होती है. कभी अधिक पैड भी बिक जाते हैं. 20 फीसद मुनाफे में मुनीता बिजनेस कर रही हैं. सालाना करीब 2 लाख की आमदनी सिर्फ सेनेटरी पैड की बिक्री से मुनीता के समूह को हो जाती है. इसके अलावा भी समूह से जुड़े अन्य काम को करके मुनीता का समूह लाभ कमाता है. नेशनल रूरल लाइवलीहुड मिशन के तहत काम करने वाले इस समूह को बल तब मिला, जब स्वच्छ भारत मिशन की टीम ने इन्हें जागरूक किया और 50 हजार रुपये की मदद की. तभी से मुनीता का यह सपना परवान चढ़ने लगा और आज वो अपने इस काम से संतुष्ट है.