ETV Bharat / bharat

सरगुजा की बिटिया सावित्री सिंह की सक्सेस स्टोरी, जापान के साइंस एक्सचेंज प्रोग्राम में चयन, नागोया के सकुरा में दिखाएंगी टैलेंट - Surguja Savitri Singh success story

author img

By ETV Bharat Chhattisgarh Team

Published : Jun 5, 2024, 8:05 PM IST

सरगुजा की बेटी सावित्री सिंह को जापान जाने का मौका मिला है. जापान के नागोया में सावित्री सरगुजा के कल्चर पर बनाए प्रोजेक्ट साझा करेंगी. सावित्री तीरंदाज भी हैं. तीरंदाजी की राज्य स्तरीय प्रतियोगिता में उन्हें गोल्ड मेडल मिला है. वहीं, नेशनल लेवल में वो ब्रॉन्ज मेडल जीत चुकी हैं.

Surguja daughter Savitri Singh
सरगुजा की बेटी सावित्री सिंह (Etv Bharat)

सरगुजा की बेटी सावित्री सिंह जाएंगी जापान (Etv Bharat)

सरगुजा: आदिवासी अंचल सरगुजा के एक गांव की आदिवासी बेटी को जापान के नागोया जाने का मौका मिला है. यह अवसर भारत सरकार ने उसे उसकी काबिलियत के कारण दिया है. सरगुजा की इस बेटी की कहानी प्रेरणादायक है, क्योंकि उसकी सफलता इतनी आसान नहीं, मुश्किलों से भरी रही और सफलता भी बहुआयामी है. जापान के नागोया में सावित्रि 16 जून से 22 जून तक रहेंगी.

जापान जाएंगी सरगुजा की बेटी सावित्री: सरगुजा के लखनपुर विकासखंड के राजपुरी स्थित शासकीय कस्तूरबा आवासीय विद्यालय में पढ़ने वाली सावित्री को जापान जाने का मौका मिला है. वहां आयोजित एक समारोह में वो जापानी टेक्नोलॉजी के गुर सीखेंगी और सरगुजा के कल्चर पर बनाए प्रोजेक्ट उनसे साझा करेंगी. यह अवसर इस बच्ची को 10वीं बोर्ड परीक्षा में उत्कृष्ट प्रदर्शन करने के कारण मिला है. पूरे प्रदेश से जापान जाने के लिए सिर्फ 3 बच्चों का चयन हुआ है, उनमें से सरगुजा की सावित्री भी एक है.

मेरा चयन सकुरा साइंस एक्सचेंज प्रोग्राम के तहत जापान जाने के लिए हुआ है. राज्य सरकार की ओर से छत्तीसगढ़ के तीन बच्चों का चयन जापान सकुरा एक्सचेंज प्रोग्राम के लिए किया गया है, जिसमें मैं 16 जून से 22 जून तक भारत की ओर से जापान में विज्ञान और प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में होने वाले आयोजन में शामिल हो रही हूं. इसके लिए मैं काफी उत्साहित हूं. मेरी इस उपलब्धि का श्रेय मैं मेरी मां और हॉस्टल की वार्डन अनुराधा सिंह को देती हूं. -सावित्री सिंह, छात्रा

बचपन में सिर से उठ गया था पिता का साया: आदिवासी समाज की बच्ची सावित्री पढ़ने में होनहार हैं. वो 11वीं में बायो और एडिशनल सब्जेक्ट मैथ लेकर पढ़ रहीं हैं.पढ़ाई के साथ-साथ वो बहुआयामी प्रतिभा की धनी हैं. सवित्री तीरंदाज भी हैं और तीरंदाजी की राज्य स्तरीय प्रतियोगिता में उन्हें गोल्ड मेडल मिला है. इसके अलावा क्रॉस बो शूटिंग में उन्होंने नेशनल प्रतियोगिता में भी हिस्सा लिया है. यहां उसे ब्रॉन्ज मेडल मिला था. सावित्री या यह सफर आसान नही था, क्योंकि वो एक गरीब आदिवासी किसान परिवार की बेटी है. जब वो 1 साल की थी तब उनके पिता ने आत्महत्या कर लिया. बचपन में ही पिता का साया सर से उठ गया और मां ने परिवार की जिम्मेदारी उठाई. मां ने खेती कर तीन बेटियों को पाला और उसकी कमाई से ही बच्चों को पढ़ाया.

जब मैं यहां आई, तो मैंने एक लक्ष्य बनाया था कि आदिवासी अंचल के बच्चों को प्राइवेट स्कूल के बच्चों से बेहतर बनाना है. इसके लिए मैंने यहां कई बदलाव किए. सौभाग्यशाली थी मैं जो मुझे सावित्री जैसी होनहार बच्ची मिली. उसे लगातार मोटिवेट करती रही हूं. आज वो जापान जा रही है. ये हमारे लिए गर्व की बात है.: अनुराधा सिंह, हॉस्टल की वार्डन

बता दें कि सावित्री की मां ने कड़ी मेहनत करके अपनी बेटी को उस मुकाम पर पहुंचाया. सावित्री की इस कामयाबी के पीछे उनके हॉस्टल की वार्डन अनुराधा सिंह का भी हाथ है. उन्होंने यहां के बच्चों को प्राइवेट स्कूल के बच्चों से आगे ले जाने का संकल्प किया और यहां के बच्चों को बेहतर शिक्षा के साथ-साथ जीवन को बेहतर बनाने, संगीत, खेल, पेंटिंग जैसी गतिविधियों में शामिल किया है. इसी का नतीजा है कि सावित्री जैसी होनहार बच्ची सरगुजा का नाम रोशन कर रही है.

सक्सेस स्टोरी: कोरिया के वनांचल क्षेत्र की प्रगति सिंह जापान के लिए भरेगी उड़ान, रोबोटिक टेक्नोलॉजी में करेंगी कमाल - Korea Daughter Pragati Singh
सक्सेस स्टोरी: बिलासपुर की शारदा पांडेय 50 की उम्र में बनीं चैंपियन, एथेलेटिक्स में लगाई मेडल की झड़ी - Bilaspur Athletic Sharda Pandey
सक्सेस स्टोरी: छत्तीसगढ़ की अनुषा पिल्लै बनीं अफसर बिटिया, सिविल सेवा परीक्षा को इस तरह किया क्रैक - Chhattisgarh Anusha Pillay

सरगुजा की बेटी सावित्री सिंह जाएंगी जापान (Etv Bharat)

सरगुजा: आदिवासी अंचल सरगुजा के एक गांव की आदिवासी बेटी को जापान के नागोया जाने का मौका मिला है. यह अवसर भारत सरकार ने उसे उसकी काबिलियत के कारण दिया है. सरगुजा की इस बेटी की कहानी प्रेरणादायक है, क्योंकि उसकी सफलता इतनी आसान नहीं, मुश्किलों से भरी रही और सफलता भी बहुआयामी है. जापान के नागोया में सावित्रि 16 जून से 22 जून तक रहेंगी.

जापान जाएंगी सरगुजा की बेटी सावित्री: सरगुजा के लखनपुर विकासखंड के राजपुरी स्थित शासकीय कस्तूरबा आवासीय विद्यालय में पढ़ने वाली सावित्री को जापान जाने का मौका मिला है. वहां आयोजित एक समारोह में वो जापानी टेक्नोलॉजी के गुर सीखेंगी और सरगुजा के कल्चर पर बनाए प्रोजेक्ट उनसे साझा करेंगी. यह अवसर इस बच्ची को 10वीं बोर्ड परीक्षा में उत्कृष्ट प्रदर्शन करने के कारण मिला है. पूरे प्रदेश से जापान जाने के लिए सिर्फ 3 बच्चों का चयन हुआ है, उनमें से सरगुजा की सावित्री भी एक है.

मेरा चयन सकुरा साइंस एक्सचेंज प्रोग्राम के तहत जापान जाने के लिए हुआ है. राज्य सरकार की ओर से छत्तीसगढ़ के तीन बच्चों का चयन जापान सकुरा एक्सचेंज प्रोग्राम के लिए किया गया है, जिसमें मैं 16 जून से 22 जून तक भारत की ओर से जापान में विज्ञान और प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में होने वाले आयोजन में शामिल हो रही हूं. इसके लिए मैं काफी उत्साहित हूं. मेरी इस उपलब्धि का श्रेय मैं मेरी मां और हॉस्टल की वार्डन अनुराधा सिंह को देती हूं. -सावित्री सिंह, छात्रा

बचपन में सिर से उठ गया था पिता का साया: आदिवासी समाज की बच्ची सावित्री पढ़ने में होनहार हैं. वो 11वीं में बायो और एडिशनल सब्जेक्ट मैथ लेकर पढ़ रहीं हैं.पढ़ाई के साथ-साथ वो बहुआयामी प्रतिभा की धनी हैं. सवित्री तीरंदाज भी हैं और तीरंदाजी की राज्य स्तरीय प्रतियोगिता में उन्हें गोल्ड मेडल मिला है. इसके अलावा क्रॉस बो शूटिंग में उन्होंने नेशनल प्रतियोगिता में भी हिस्सा लिया है. यहां उसे ब्रॉन्ज मेडल मिला था. सावित्री या यह सफर आसान नही था, क्योंकि वो एक गरीब आदिवासी किसान परिवार की बेटी है. जब वो 1 साल की थी तब उनके पिता ने आत्महत्या कर लिया. बचपन में ही पिता का साया सर से उठ गया और मां ने परिवार की जिम्मेदारी उठाई. मां ने खेती कर तीन बेटियों को पाला और उसकी कमाई से ही बच्चों को पढ़ाया.

जब मैं यहां आई, तो मैंने एक लक्ष्य बनाया था कि आदिवासी अंचल के बच्चों को प्राइवेट स्कूल के बच्चों से बेहतर बनाना है. इसके लिए मैंने यहां कई बदलाव किए. सौभाग्यशाली थी मैं जो मुझे सावित्री जैसी होनहार बच्ची मिली. उसे लगातार मोटिवेट करती रही हूं. आज वो जापान जा रही है. ये हमारे लिए गर्व की बात है.: अनुराधा सिंह, हॉस्टल की वार्डन

बता दें कि सावित्री की मां ने कड़ी मेहनत करके अपनी बेटी को उस मुकाम पर पहुंचाया. सावित्री की इस कामयाबी के पीछे उनके हॉस्टल की वार्डन अनुराधा सिंह का भी हाथ है. उन्होंने यहां के बच्चों को प्राइवेट स्कूल के बच्चों से आगे ले जाने का संकल्प किया और यहां के बच्चों को बेहतर शिक्षा के साथ-साथ जीवन को बेहतर बनाने, संगीत, खेल, पेंटिंग जैसी गतिविधियों में शामिल किया है. इसी का नतीजा है कि सावित्री जैसी होनहार बच्ची सरगुजा का नाम रोशन कर रही है.

सक्सेस स्टोरी: कोरिया के वनांचल क्षेत्र की प्रगति सिंह जापान के लिए भरेगी उड़ान, रोबोटिक टेक्नोलॉजी में करेंगी कमाल - Korea Daughter Pragati Singh
सक्सेस स्टोरी: बिलासपुर की शारदा पांडेय 50 की उम्र में बनीं चैंपियन, एथेलेटिक्स में लगाई मेडल की झड़ी - Bilaspur Athletic Sharda Pandey
सक्सेस स्टोरी: छत्तीसगढ़ की अनुषा पिल्लै बनीं अफसर बिटिया, सिविल सेवा परीक्षा को इस तरह किया क्रैक - Chhattisgarh Anusha Pillay
ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.