सरगुजा : सरगुजा में पहली बार एक बेटी को मैकेनिक का काम करते देखा गया.ये हैरान करने वाली बात इसलिए है क्योंकि मैकेनिक का काम सिर्फ पुरुष प्रधान होता है.लेकिन सरगुजा की बेटी महज 14 साल की उम्र में बुलेट जैसी बाइक बनाने में माहिर है. बुलेट में तो बेटी का हाथ साफ है ही इसके अलावा दूसरी दोपहिया वाहनों को भी बेटी तुरंत सुधार देती है.
सरगुजा की बुलेट मैकेनिक गर्ल लक्ष्मी : ये कहानी है, अम्बिकापुर के गोधनपुर में रहने वाली लक्ष्मी की, जो कक्षा 8 वीं पास कर नौवीं कक्षा में पढ़ाई कर रही है. छोटी सी उम्र में ही लक्ष्मी अपने पिता का सहारा बन गई, वो बीते 3 वर्ष से पिता के सर्विसिंग सेंटर में उनका हाथ बटा रही है. यहां बाइक समेत दूसरे वाहनों की रिपेयरिंग देखकर लक्ष्मी के मन में भी इस काम को सीखने की इच्छा हुई. पिता की मदद करने का जज्बा भी मन में था. जब काम में मन लगा तो पिता के ही काम को बेटी ने अपनाने का फैसला किया.
पिता से सीखा हुनर : पिता ने भी सहयोग किया और बेटी को काम सिखाया. आज ये बेटी पिता का सहारा बनी हुई है. पिता गर्व से कहते हैं की बेटा भी शायद इतना नहीं करता जितना ये बेटी करती है. पिता भगवान दास और बेटी लक्ष्मी दोनों मिलकर दुकान चलाते हैं. लक्ष्मी स्कूल जाती है और खाली टाइम में दुकान में रहती है. शाम 7 बजे के बाद वो दुकान से घर चली जाती है और फिर घर में पढ़ाई करती है.
मैकेनिकल इंजीनियर बनने का है सपना : गर्मी की छुट्टियों में लक्ष्मी पूरे टाइम दुकान में रहती है. लक्ष्मी का सपना है कि वो बड़े होकर मैकेनिकल इंजीनियरिंग कर सके. बहरहाल, छोटी सी उम्र में ही लक्ष्मी ने इस फील्ड के बहुत से काम सीख लिए हैं. जाहिर है कि जब वो मैकेनिकल इंजीनियरिंग करने जाएगी तो उसकी ये दक्षता उसके लिए सहायक सिद्ध होगी. पिता पुत्री का प्रेम भी अपार है, पिता की हेल्प बेटी करने दुकान आ गई तो पिता भी उसके सपने को पूरा करने से पीछे नही हट रहे हैं वो अपनी बेटी को ट्रेंड कर रहे हैं और भविष्य में उसे मैकेनिकल इंजीनियर बनाने की बात कह रहे हैं.